Pages

Friday, June 7, 2013

Sex Rules for Married Life part-2 (वैवाहिक जीवन में काम विज्ञान )

मैं 24 वर्षीय अविवाहिता युवती हूं और बहुत जल्द ही मेरी शादी होने वाली है. मैं विवाह के पहले 2-3 साल तक मां नही बनना चाहती. कृपया बताएं कि मासिकधर्म के कितने दिनों बाद तक सहवास करना सुरक्षित है?

स्त्री के प्रत्येक मासिकचक्र में चंद ही दिन ऐसे होते हैं जब उस का पुरुष से शारीरिक मिलाप कोख को संतान बीज से भर सकता है. पुरुष वीर्य में आए शुक्राणु स्त्री के भीतर 3-4 दिनों तक ही डिंब को बेंध सकते हैं. उस के बाद ये नष्ट हो जाते है. स्त्री की डिंबग्रंथि से छूट कर आये डिंब का जीवन इस से भी छोटा होता है. वह मात्र 24 घंटों तक ही इस काबिल होता है कि उस का शुक्राण से मिलाप हो सके. इस प्रकार किसी भी मासिकचक्र में अधिक से अधिक 4-5 दिन ही ऐसे बनते हैं जब स्त्रीपुरुष के मिलन से गर्भ ठहरने की संभावना बनती है.
लेकिन डिंबग्रंथि से डिंब छूटने का दिन कोई ठीकठीक निश्चित नहीं है. जिन स्त्रियों में मासिकचक्र बिलकुल 28 दिन का होता है, उन में भी 2-3 दिन का घटबढ़ हो जाना आम बात है. पर अगर मासिक चक्र की लय ही एक जैसी न हो और कभी 24 दिन पर तो कभी 30 दिन पर मासिक आता हो तो डिंब छूटने के दिन की गिनती कर पाना मुश्किल हो जाता है. हां, अगर आप का चक्र लय में है और 28 दिन का है तब चक्र के पहले 7 दिन और फिर 21वें दिन से लेकर 28वें दिन तक का समय सेफ गिना जा सकता है. दिनों की गिनती मासिकधर्म शुरू होने से की जाती है. जिस दिन मासिक शुरू हो, वह चक्र का पहला दिन होता है.
किंतु इतना संयम रख पाना किसी भी नवविवाहित युगल के लिए बहुत मुश्किल है. इसलिए यह प्राकृतिक गर्भनिरोध विधि अधिक लोकप्रिय नहीं है. समझदारी इसी में है कि अगर गर्भ की इच्छा न हो तो कोई प्रभावी गर्भनिरोध  युक्ति अपनाई जाए. सेफ पीरियड को व्यवहार में लाने पर पूरी सुरक्षा भी नहीं मिलती. अगर पूरी ईमानदारी बरती जाए तो इस के विफल होने की दर 1-9 प्रतिशत है, लेकिन व्यावहारिक स्तर पर जो दंपति इसे इस्तेमाल में लाते हैं उन में अवांछनीय गर्भ ठहरने की दर 18-20 प्रतिशत तक पाई जाती है.
यह सच है कि गर्भनिरोध के लिए कुछ ऐसे विशेष प्रोजेस्टेरोन हारमोनल इन्जेक्शन बनाए गए हैं, जिन्हें लगवाने से स्त्री 3 महीने के लिए गर्भधारण से बची रह सकती है. लेकिन इन टीकों का इस्तेमाल प्रायः उन स्त्रियों में किया जाता है जिन के बच्चे छोटे होते हैं और मां के दूध पर होते है. नवविवाहिताओं के लिए गर्भनिरोधक गोलियां जैसे माला डी और ओवराल लेना कहीं अधिक सुविधाजनक और भरोसेमंद है. उचित होगा कि आप अपनी फैमिली डाक्टर से मिल कर गर्भनिरोधक खाने वाली गोलियों के बारे में जानकारी लें.
35 वर्ष से कम उम्र की सामान्य स्वास्थ्य वाली स्त्रियों में गर्भनिरोधक गोलियां गर्भनिरोध का उत्तम साधन है. ये नवविवाहिताओं के लिए विशेष रूप से उपयोगी हैं, क्योंकि इनके प्रयोग से कामसुख में किसी प्रकार की विघ्न नहीं पड़ता और सुरक्षा भी पूरीपरी मिलती है. सिर्फ ऐसी स्त्रियों जिन्हें पहले कभी शिराओं में खून जमने की परेशानी हुई हो, पिछले 6 महीनों में पीलिया हुआ हो, माइग्रेन, मिरगी, दमा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप या हृदयरोग हो, स्तन या जननांगों का कैंसर हो या योनि से बिना स्पष्ट कारण के खून गिरने की तकलीफ हो, उन के लिए गर्भनिरोधक गोलियां लेने पर पर पाबंदी होती है.
अगर सब ठीकठाक हो तो आप आसानी से अगले 2-3 वर्षो तक गर्भनिरोधक गोलियां ले सकती हैं. बस, रोजाना निश्चित समय पर 1 गोली लेनी होगी. अगर भूल से किसी दिन गोली न ली जा सके, तो अगले दिन 2 गोलियां लेनी पड़ती हैं- 1 सुबह के वक्त और दूसरी रात को सोते समय. और हां, गर्भनिरोधक गोलियां बंद करने के 1-3 महीनों के अंदर ही स्त्री फिर से मां बनने के काबिल हो जाती है. किसी किसी को शुरू में गर्भनिरोधक गोलियां माफिक नहीं आतीं. चक्कर आ सकते हैं, वजन बढ़ सकता है, जी मिचला सकता है, स्तनों में दर्द हो सकता है. ये लक्षण 2-3 मासिकचक्र के बाद प्रायः अपनेआप मिट जाते है. 
from grih shobha october-2008  By Dr. Yatish Aggarwal M.D.

No comments:

Post a Comment