Sunday, February 9, 2014

mahapurush uvah-1

1. "बेटा भगवान् वह नहीं है, जो मन की कामनाओं को पूरा करता है, बल्कि भगवान् वह है, जो मन से कामनाओं का नाश करता है।"-युग-ऋषि  श्रीराम ‘आचार्य’
2. "यदि मुझे एक दिन के लिए भी सत्ता मिल जाए तो मैं सर्वप्रथम भारत से दो चीजों को समाप्त करने का प्रयास करुँगा-एक शराब दूसरी गौ हत्या। " -महात्मा गाँधी
3.  " अर्थ कामेष्वसक्तानां धर्म ज्ञानं विधीयते "
तात! जो धन और इन्द्रियों के वशवर्ती नहीं है वही धर्म और ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। अर्थात आत्म कल्याण के मार्ग में यह दोनों बाधक है।  
4.  "हेयं दुःख मनागतम्। 2/16 पात´जल योग"
योग साधना ही वह सुलभ पथ है, जिस पर चलकर भविष्य में आने वाले सभी दुःखों को नष्ट किया जा सकता है। 
5.  'मित्रं शरणं गच्छामि।"
 ऋषि सत्ताओं को दिए जाने वाले तीन वचनद्ध
विश्वमित्र बन नवसृजन की गतिविधियों में पूरा सहयोग करुँगा।
वादं न चरिष्यामि। 
जीवन में व्यक्तिवाद, परिवारवाद, जातिवाद, संस्थावाद, देववाद को महत्व नहीं दूँगा।
सि(ान्तं वा अनुकरणयामि। 
श्रेष्ठ आदर्शों व सि(ान्तों पर चलने का प्रयास करुँगा।
6- A disease free body, quiver free breath, stress free mind, inhibition free intellect, obsession free money an ego that encompasses all and a sorrow free soul are all the signes of total willness and are deserved by every human being. 

7. मानव जीवन रूपी रथ दो पहियों पर चलता है-
एक है संसार दूसरा भगवान् 
एक है प्रड्डति दूसरा परमात्मा 
एक है नर दूसरा नारी 
एक है स्वार्थ दूसरा परमार्थ 
एक है लौकिक  दूसरा परलौकिक 
एक है भोग, दूसरा योग, 
एक है शरीर, दूसरा आत्मा 
एक है भौतिक, दूसरा आध्यात्मिक 
एक है तनाव, दूसरा विश्राम 
गड़बड़ तब होती है जब इसमें सन्तुलन गड़बड़ा जाता  है। जब हमारा एक पहिया कमजोर हो जाता है अर्थात हमारा झुकाव एक ओर बढ़ जाता है, हम एक पक्ष को ज्यादा महत्व देने लगते हैं दूसरे को कम।
8-  Good friends are hard to find, harder to leave, impossible to forget. 
9- The empty vessel make the loudest sound
10- The coward die many times before their deaths; the violent never taste of death but once. 
11 God has given you one face, you make yourself another.-shakespear 
12. अपने विचारों पर पैनी द्र्ष्टि रखों क्योंकि ये एक दिन कर्म रूप में प्रस्फुल्ति होंगे अपने कर्मों पर और भी पैनी द्र्ष्टि  रखों क्योंकि यही आदत में प्रस्फुल्ति होंगे। अपनी आदतों पर और भी पैनी दृष्टि रखों क्योंकि ये आदतें ही संस्कारों के रूप में जड़ जमा कर बैठ जाएँगी और इन्हीं संस्कारों से चरित्र का निर्माण होकर रहेगा। युग-ऋषि श्रीराम ‘आचार्य’ जी 
13. मनुष्य परिस्थितियों का दास नहीं उनका निर्माता, नियंत्रणकर्ता और स्वामी है। 
14. शब्द रहित सहृदय प्रार्थना हृदय विहिन मुखर प्रार्थना से उत्तम है। -'रवीद इमदजवद'
15. दिक्कतों और कठिनाइयों का सामना किए बिना कोई जीव उच्चतात्मा नहीं बन सकता। -'भगवान देवात्मा' 
16. "वज्रादपि कठोराणि मृदुनि कुुसुमादपि"
"जहाँ दया का प्रश्न है वहाँ फूलों से कोमल, जहाँ सि(ान्तों का प्रश्न है वहाँ वज्र से भी कठोर।"
17.  अंधा वह नहीं जिसकी आँखें नहीं अपितु वह है जो अपने दोषों का अवलोकन नहीं करता बल्कि ढकता व छिपाता है। 
18. वासनाओं के गन्दे दल-दल से निकलकर भाव संवदेनाओं की गंगोत्री में स्नान कर निर्मल हृदय से प्रभु का सिम्रण करो। 
19- Always respect your conciseness. 
20- Ignorance of law is no excuse.अनभिज्ञता अक्षम्य है।द्ध
21. नियम से अभिग्यता अक्षमय् हैं 
सृष्टि का नवनिर्माण-गायत्री महामंत्र 
जीवन का कायाकल्प-गायत्री महामंत्र
परमात्मा का वर्ण-गायत्री महामंत्र 
जटिल प्रारब्धों का नाश-गायत्री महामंत्र 
22. प्रज्ञाम् शरणं गच्छामि अर्थात सद्बुधि  विवेक प्रज्ञा की शरण में जाओं 
23. धम्म शरणं गच्छामि अर्थात धर्म, शास्त्र, श्रेष्ठ आचरण, कर्तव्य पालन, नियम, अनुशासन को अपनाओं। 
24. संघम् शरणं गच्छामि अर्थात संघ शक्ति, संगठन शक्ति , दुर्गा शक्ति द्वारा लाल मशाल का वाहक बनकर भारत का नवनिर्माण करों। 
25. बिना विचारें जो करे सो पाछे पछताएँ। 
काम बिगाडे़ आपनो जग में हो हँसाएँ। 










Golden opportunity
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