Thursday, December 31, 2015

नव वर्ष की शुभ कामनाएँ

Wish You a Bright, Prosperous, Healthy and Spiritual new year 2016
दुनियाँ में जितने धर्म, सम्प्रदाय, देवता और भगवानों के प्रकार हैं उन्हें कुछ दिन मौन हो जाना चाहिये और एक नई उपासना पद्धति का प्रचलन करना चाहिए जिसमें केवल माँकी ही पूजा हो, माँ को ही भेंट चढ़ाई जाये?
माँ बच्चे को दूध ही नहीं पिलाती, पहले वह उसका रस, रक्त और हाड़-माँस से निर्माण भी करती है, पीछे उसके विकास, उसकी सुख-समृद्धि और समुन्नति के लिये अपना सब कुछ न्यौछावर कर देती है। उसकी एक ही कामना रहती है मेरे सब बच्चे परस्पर प्रेमपूर्वक रहें, मित्रता का आचरण करें, न्यायपूर्वक सम्पत्तियों का उपभोग करें, परस्पर ईर्ष्या-द्वेष का कारण न बनें। चिर शान्ति, विश्व-मैत्री और सर्वे भवन्ति सुखिनःवह आदर्श है, जिनके कारण माँ सब देवताओं से बड़ी है।
हमारी धरती ही हमारी माता है यह मानकर उसकी उपासना करें। अहंकारियों ने, दुष्ट-दुराचारियों स्वार्थी और इन्द्रिय लोलुप जनों ने मातृ-भू को कितना कलंकित किया है इस पर भावनापूर्वक विचार करते समय आंखें भर आती है। हमने अप्रत्यक्ष देवताओं को तो पूजा की पर प्रत्यक्ष देवी धरती माता के भजन का कभी ध्यान ही नहीं आया। आया होता तो आज हम अधिकार के प्रश्न पर रक्त न बहाते, स्वार्थ के लिये दूसरे भाई का खून न करते, तिजोरियाँ भरने के लिये मिलावट न करते, मिथ्या सम्मान के लिये अहंकार का प्रदर्शन न करते। संसार भर के प्राणी उसकी सन्तान-हमारे भाई हैं। यदि हमने माँ की उपासना की होती तो छल-कपट ईर्ष्या-द्वेष दम्भ, हिंसा, पाशविकता, युद्ध को प्रश्रय न देते। स्वर्ग और है भी क्या, जहाँ यह बुराइयाँ न हों वहीं तो स्वर्ग है। माँ की उपासना से स्वर्गीय आनंद की अनुभूति इसीलिये यहीं प्रत्यक्ष रूप से अभी मिलती है। इसलिये मैं कहता हूँ कि कुछ दिन और सब उपासना पद्धति बंद कर केवल माँकी मातृ-भूमि की उपासना करनी चाहिये।


-स्वामी विवेकानन्द

Saturday, December 19, 2015

NEEM KAROLI



New Pocket Book Rs 10/- Page 80

BABAJI, ACHARYAJI and ex President of India V.V. Giriji

Bharat Ratan V. V. Giri had deep faith in a saint of North India called Neem Karoli Baba. Once when he visited Baba the great saint said: Today our country lacks saints, reformers and true thinkers. Regarding himself Baba said: I carry out a few austerities but Pandit Shriram Sharma Acharya along with being a high stature personality of penance and a spiritual visionary is a saint, reformer and thinker. He writes a lot on great sacred thinking. Our country’s youth must learn a lot from him.