Monday, September 17, 2012

परिक्षित घरेलु नुस्खे-स्वास्थ्य-सूत्र -1

It has been observed that if a person decides to donate the amount for the welfare of the humanity which is required for the treatment, the disease cures soon. Rule also suggests that the inspirational source/organization should also be served in any way to pay the debt. Any type of consultation can be provided by the author.
Remember that author is not from medical background, still a lot of persons are getting relief in crucial problems by mercy of God. The persons who try to follow the righteous path, gets benefits easily.
If persons are having bad habits or non vegetarian type, this therapy is not successful for them.
भोजन अगर पचे नहीं, अदरक टुकड़ा चार।
संग नमक नींबू रस, खाय होय उद्धार।।
सौंफ आंव अतिसार में, पेचिश में दे लाभ।
उदर शुल, कफ को, करे दूर यदि ले आप।।
भूख खूब खूल कर लगे, खाय करेला जोय।
नष्ट जीवाणु आंत के, रक्त दोष ना होय।।
Read the book "100 Golden Rules for Health" link given below:
http://vishwamitra-spiritualrevolution.blogspot.in/2015/09/108-golden-rules-of-health.html
आज सारी मानव जाति पाष्चात्य चिकित्सा प्रणाली (ऐलोपैथ) की विशाक्ता से पीड़ित है। ाीघ्र परिणाम दिखाने की गुणवत्त्ाा के कारण एलोपैथी लोकप्रिय होती चली गयी पर किसी ने भी उसके दुश्परिणामों पर ध्यान नहीं दिया। आज समय की अनिवार्य आवष्यकता है कि आयुर्वेद का पुनर्जीवन कर इसे सर्वाज्ञनीन व सर्वसुलभ बनाया जाय। अनेक संस्थाओं (जैसे बाबा रामदेव, “ाान्तिकुन्ज, हरिद्वार व अन्य ने  इस दिषा में बड़े सराहनीय प्रयास किए हैं। प्रयास केवल अपना मिषन या संस्था का नाम चमकाने के लिए न किए जाएं। अपितु बड़ी संख्या में इस तकनीक का प्रषिक्षण लोगों को दिया जाए। आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां व रसायन बनाने की लुप्त होती जा रही पद्धतियों पर एक ओर बड़ी ाोध की जाए दूसरी ओर निस्वार्थ भाव से लोगों को इस ओर प्रषिक्षित किया जाए।
ारीर को स्वस्थ बनाए रखना सबसे बड़ा धर्म है। यह मानकर हम सभी स्वास्थ्य संरक्षण की एक क्रान्ति समाज में खड़ी करें व इसमें अपनी भागीदारी निभाएं।
घाव को पकाने व सुखाने में
ळमारी माता जी गुग्गुल की सहायता से किसी भी प्रकार के व्रण (फोड़ा, फुँसी, घाव, गाँठ) को ठीक कर दिया करती है। ाुद्ध गुग्गुल को देसी घी में कूटकर एक पल्टिस बना कर व्रण के ऊपर बांध देते हैं। प्रत्येक 12 घंटे से 18 घंटे बाद पुल्टिस बदल दी जाती है। चार पांच दिन मेंं ही व्रण पककर फूट जाता है व पका व्रण सूख जाता है। अनेक प्रकार की दवार्इयाँ या सरजरी के उपरान्त भी जो व्रण समाप्त नहीं होते, इस विधि से कन्ट्रोल हो जाते हैं।
नेत्र ज्योतिवर्द्धक नुस्खा
मैंने अपने चिकित्सा काल में नेत्र ज्योति वर्द्धक नुस्खे का प्रयोग कई  रोगीयों पर कराया जो की शतप्रतिशत सफल सिद्ध हुआ है। नुस्खा इस प्रकार है।
नुस्खा- बादाम 200 ग्राम , अखरोट 100 ग्राम , काली मिर्च 100 ग्राम , बारीक सौंफ 100 ग्राम ,मिश्री 600 ग्राम । बादाम को रात को जल में भिगोकर रख दें और प्रात: छिलके निकालकर धूप में अच्छी तरह सुखा लें। इसको व अन्य द्रव्यों को अलग-अलग कुट पीस कर महीन चुर्ण कर लें व अच्छे से मिलाकर एक जान करके कांच की बर्नी में रख लें। इस मिश्रण की बीस ग्राम  मात्रा गाय के दूध के साथ प्रतिदिन रात को भोजन से दो घंटे बाद सेवन करें। इसके साथ उजाला वटी की दो गोली का भी सेवन करें। बच्चों को इससे आधी मात्रा दें तथा इस नुस्खे को कम से कम छ: माह तक प्रयोग करें और नेत्र ज्योति में चमत्कारी लाभ अनुभव कर लें
दर्दहर लाल तैल         
-विनोद कुमार बंसल, 129, सिविल लाईन उतरी रेलवे स्टेशन वाली गली मुज्जफरनगर (उतर प्रदेश) मेबइल-0889954987
नुस्खा- सरसों का तेल  250 ग्राम , तारपीन का तैल 100 ग्राम , लहसुन की कलियां 50 ग्राम , रतनजोत 20 ग्राम , पुदीना सत्व 10 ग्राम , अजवाइन सत्व 10 ग्राम , देशी कपूर 10 ग्राम।
विधि- सर्वप्रथम पुदीना सत्व, अजवाइन सत्व व कपुर इन तीनों को एक साफ कांच की शशी में डालकर हिलाकर रख दें। 2-3 घटें में तीनों वस्तुए अपने आप द्रव्य रूप हो जाएगी। इसे ‘‘ अमृत धारा ‘‘ कहते है। इसे व तारपीन के तैल को अलग रख दें अब कढाही में सरसों का तैल गर्म करें तथा इसमें लहसुन की कलियां बारिक काटकर डाल दें। इसे इतना भूनें की कलियां काली पड़ जाए। आंच से नीचे उतार कर इसमें रतनजोत डाल दें तथा कलछी से मसल दें। ठण्डा होने पर इसे मसल कर कपड़े से छान लें। फिर इसमें अमृत धारा और तारपीन का तैल मिला दें। मालिश के लिए तैल तैयार है।
सावधानी- तैल बनाते समय ध्यान रखें कि अमृत धारा व तारपीन तैल अन्त में तैल छानने के बाद व ठण्डा होने पर मिलाना है।
बवासीर नाशक नुस्खा
प्रेषक- श्री अशोक कुमार शर्मा, नौशहरा जिला राजोरी ( जे एडं के ) मोबइल-09596619936
यह नुस्खा बवासीर को जड़ से मिटाने वाला है। बवासीर के रोगी को तले हुए, मिर्च मसालेदार पदार्थो का सेवन हमेशा के लिए त्याग देना चाहिए।
नुस्खा- कचुर, काली मिर्च, काली जीरी, नीम के पते व दारू हल्दी- इन सभी द्रव्यों को बराबर मात्रा में लेकर कुट पीस कर बारिक चर्ण कर लें और तीन बार छान कर बारिक शीशी में भर कर रख लें। इस चुर्ण की आधा चम्मच मात्रा खाली पेट सुबह-शाम ठंड़ पानी के साथ लें। 15 से 20 दिन में पूर्ण लाभ हो जाता है। लाभ होने पर इसे बंद कर दें। जरूरत पड़ने पर इसे दोबारा भी लिया जा सकता है।
दिमाग का रामबाण टॉनिक
प्रेषिका- डा सुमन अग्रवाल, 604, ध्वनि, प्लाट न 11 कांदतली (वेस्ट) मुम्बई -400067 मोबइल-09322148838
आज की भाग दौड़ और तनाव भरी जीवन शैली से उत्पन्न चितां, शोक, भय तथा क्रोध आदि का मस्तिष्क पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। परिणाम स्वरूप स्मरणशक्ति की हानि, छोटी-छोटी बातों पर अत्याधिक भावुक होना व रोना, क्रोध, बेचैनी, सिरदर्द, आत्मविश्वास में कमी आदि लक्षण उत्पन्न होते है। इन सब लक्षणों से बचाव एवं मुक्ति के लिए एक अनुभुत नुस्खा प्रस्तुत है।
नुस्खा- आंवला, शखपुष्पी, ब्राह्मी, गिलोय व जटामांसी- इन सबको समान मात्रा में लेकर महीन चुर्ण करके अच्छी तरह मिलाकर रख लें। इसकी एक-एक चम्मच मात्रा शहद, जल या आंवले के शर्बत के साथ दिन में तीन बार सेवन करें। बच्चों को इसकी आधी मात्रा सेवन कराएं। यह नुस्खा बच्चों से लेकर वृद्ध तक सभी के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित है। गर्भवती महिला यदि पुरे गर्भ काल में नियमित इसका सेवन करती रहती है तो उनके होने वाले शिशु हर प्रकार के मानसिक रोगों से सुरिक्षित रहता है।       
पित्त् विकार नाशक नुस्खा
प्रेषक - डॉ वी के पाठक, अखण्ड परमधाम, स्टेशन रोड, भरूआ, सुमेरपूर, हमीरपूर ( उतर  प्रदेश ) 
मोबइल-09935989362
मेरी चिकित्सा काल के दौरान पित्त् विकार को नष्ट करने वाला एक नुस्खा सफल सिद्ध हुआ है। जनहित में इसे प्रकाशित कर रहा हुँ नुस्खा इस प्रकार है।
नुस्खा-अकीक पिष्टी 10 ग्राम , जहर मोहरा पिष्टी 10 ग्राम , गिलोय सत्व 10 ग्राम , हरी इलायची के बीजों का चर्ण 10 ग्राम , प्रवाल पिष्टी 10 ग्राम , ग्लूकोज पाउडर 50 ग्राम - सबको मिलाकर एक जान कर ले। इस मिश्रण की बराबर 40 पुडिया बना लें। एक-एक पुडिया सुबह-शाम शहद, पानी या दूध से सेवन करें। इस नुस्खे के प्रयोग से अम्लपित, जलन, चक्कर, भ्रम, वमन, मितली आदि समस्याएं शर्तिया दूर हो जाती है।
मधुमेह नाशक नुस्खा
गुरमकी 100 ग्राम, मुसब्बिर 100 ग्राम, लोबान 100 ग्राम, कंलौजी 100 ग्राम, हीग अच्छी किस्म का इन सभी को 5 किलो पानी में उबलना है। 5-6 उबाल आने पर ठंड़ा करके छान ले। 100 ग्राम प्रतिदिन लें चालीस दिन तक सेवन करें
वायु विकार नाशक नुस्खा
250 ग्राम मेथीदाना, 100 ग्राम अजवाइन, काली जीरी 50 ग्राम इन सब को अलग-अलग भूनकर कूटकर चुर्ण बना लें। रात को सोते समय एक गिलास पानी अथवा दूध के साथ लें 15-20 दिन तक लें लाभ होगा।
खांसी का नुस्खा
शुद्ध घी(गाय या भैंस का)15-20 ग्राम  और 15-20 ग्राम  काली मिर्च-एक कटोरी में डाल कर आग पर गर्म करें। जब काली मिर्च कड़कड़ाने लगे और उपर आ जाए तब उतार कर थोड़ा ठंड़ा करके 20 ग्राम  पीसी मिश्री या चीनी मिला लें। जब थोड़ा गर्म रहे तब इस मिश्रण को चबा-चबाकर खा ले और इसके बाद एक घण्टे तक कुछ खाएं पिएं नहीं। इसी तरह सुबह-शाम 2-3 दिन तक खाएं। खांसी ठीक हो जाएगी।  (From Nirogdham Patrika 2012 with thanks)

यह सन्देश निर्मल महतो का नवाडी, बोकारो, झारखण्ड से है. इस सन्देश में निर्मलजी का कहना है की खांसी कोई रोग नहीं है यह तो रोग का लक्षण मात्र है. खांसी मुख्यतः तीन प्रकार की होती है सूखी खांसी, कफयुक्त खांसी और काली खांसी. सूखी खांसी में खांसने पर कठिनाई से थोडा-थोडा लसेदार कफयुक्त थूक निकलता है. कफयुक्त खांसी में खांसने से कफ निकलता है. काली खांसी ज्यादातर छोटे बच्चों को होती है. इस खांसी में खांसते-खांसते बच्चों का मुहँ लाल हो जाता है जिससे बच्चा बेहाल हो जाता है. इसके उपचार के लिए भूनी हुई 10 ग्राम फिटकरी और 100 ग्राम देसी खांड (मिश्री) को साथ में महीन पीसकर इसकी चार पुडिया बना कर रख लें. इसे सूखी खांसी होने की दशा में 1 पुडिया आधा गिलास दूध में रात में सोते समय लें. कफयुक्त खांसी होने पर यही पुडिया आधा गिलास गुनगुने पानी के साथ ले. खांसी ठीक हो जानेपर यह दवाई खाना बंद कर दें. इस उपचार से पुरानी से पुरानी खांसी भी 2 हफ़्तों में ठीक होती है. कालीमिर्च और मिश्री सामान मात्रा में बारीक पीस ले और इस मिश्रण में इतना देसी घी मिलाये की इसकी आसानी से झरबेरियों (छोटे जंगली बेर) के बराबर गोलियाँ बन जाये. इसे दिन में चार बार चूसने से सभी प्रकार की सूखी और बलगमी खांसी ठीक हो जाती है. पहली गोली चूसने से ही आशातीत परिणाम मिलने लगता है. मुनक्का के बीज निकालकर इसमें तीन कालीमिर्च रखकर चबाये और रात को मुहँ में रखकर सोएँ इससे एक सप्ताह में खांसी ठीक हो जाएगी. 50 ग्राम कालीमिर्च के चूर्ण में 100 ग्राम गुड मिलाकर आधा-आधा ग्राम की गोलियाँ बना लें. इन गोलियों को दिन में 3-4 बार चूसने से खांसी ठीक हो जाएगी. निर्मल महतो का संपर्क है 9204332389

 बुखार की राम बाण दवा
गिलोय, नेपाली चिरायता, खूबकला, अजवाइन थोंड़ा-2 लेकर ड़ेढ गिलास पानी में डालकर पकाएं, पानी चौथाइ रह जाए तो पकाना बंद करें। 50 से 100 गा्रम गुनगुना मरीज को दो या तीन बार पिलाए। यह घोल छह: घण्टे बाद खराब होने लगता है अत: ताजा पकाएँ। उन्हीं जड़ी-बुटियों को एक बार पकाने के बाद दोबारा भी पका सकते है पंरतु दो बार से अधिक नहीं। गिलोय ताजा सर्वोच्य हो व चिरायता असली हों।
मानसिक शक्ति वर्धक
कई बार रोगी मानसिक थकान, परेशानी या बेचेनी सी अनुभव करता है इसके लिए जटामांसी के बाल या चूर्ण लें। उन्हें हवन करने के पश्चात् कुण्ड में डालें जब अग्नि न जल रही हो। अर्थात धुए को गहरी श्वास द्वारा ग्रहण करें। मस्तिष्क को तुरन्त ताकत महसूस देगी।
पथरी और वृक्कशुल
गुर्दे के दर्द व पथरी को नष्ट करने के लिए आपामार्ग पौधे की ताजी जड़ 5 ग्राम लेकर पानी के साथ कुट पीस कर छान कर प्रतिदिन पीने से पथरी कट-कट कर मूत्र मार्ग से निकल जाती है और वृक्कशूल दूर होता है।
 ‘‘प्रात: काले र्मंधुयुक्तं वारि सेवित स्थौल्यनाशनम्।
उष्णमन्नस्य मण्डं वा पिबन् कृशतनुभवेत।।’’
अर्थात्-प्रात: काल मधु युक्त जल पीने से स्थूलता नष्ट होती है अथवा चावल की गरम माण्ड पीने से शरीर कृश होता है।
हृदय में होने वाले रक्त अवरोध का घरेलु नुस्खा
लौकी(घिया)काजूस(रस),तुलसी,पौदीनावकालीमिर्च-5-5नगमिलाकरदिनमेंतीनबारलेइसकेअलावाप्रात:नाशतेमेंएकचम्मच‘‘अर्जुनचूर्ण’’दुधकेसाथलेआशातीतलाभहोगा
In case of narrow veins (sikudan) AMAR BAIL is supposed to be very effective to avoid ballon therapy
   

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