Wednesday, October 7, 2015

निम्न रक्तचाप :कारण,बचाव और इलाज"

निम्न रक्तचाप :कारण,बचाव और इलाज"

हमारे गलत खान पान  और रहन सहन के कारण हम लोग लो ब्लड प्रेशर के शिकार हो जाते हैं। आज हम इसी विषय पर विस्तृत चर्चा करते हैं। हमारे दिल से सारे शरीर को साफ खून की सप्लाई लगातार होती रहती है। अलग-अलग अंगों को होने वाली यह सप्लाई आर्टरीज (धमनियों) के जरिए होती है। ब्लड को प्रेशर से सारे शरीर तक पहुंचाने के लिए दिल लगातार सिकुड़ता और वापस नॉर्मल होता रहता है - एक मिनट में आमतौर पर 60 से 70 बार। जब दिल सिकुड़ता है तो खून अधिकतम दबाव के साथ आर्टरीज में जाता है। इसे सिस्टोलिक प्रेशर कहते हैं। जब दिल सिकुड़ने के बाद वापस अपनी नॉर्मल स्थिति में आता है तो खून का दबाव आर्टरीज में तो बना रहता है, पर वह न्यूनतम होता है। इसे डायास्टोलिक प्रेशर कहते हैं। इन दोनों मापों - डायास्टोलिक और सिस्टोलिक को ब्लड प्रेशर कहते हैं। ब्लड प्रेशर दिन भर एक-सा नहीं रहता। जब हम सोकर उठते हैं तो अमूमन यह कम होता है। जब हम शारीरिक मेहनत का कुछ काम करते हैं जैसे तेज चलना, दौड़ना या टेंशन, तो यह बढ़ जाता है। बीपी मिलीमीटर्स ऑफ मरकरी (एमएमएचजी) में नापा जाता है।
                              दरअसल निम्न रक्तचाप में रक्त का प्रवाह बहुत धीमा पड़ जाता है अर्थात् ऊ पर का रक्तचाप सामान्य से घटकर 90 अथवा 100 रह जाए तथा नीचे का रक्चाप 80 से घटकर 60 रह जाए, ऐसी स्थिति को निम्न रक्तचाप कहते है। दौर्बल्य, उपवास, भोजन तथा जल की कमी, अधिक शारीरिक तथा मानसिक परिश्रम, मानसिक आघात तथा अधिक रक्त बहने की दशा में यह रोग हो जाता है। निम्न रक्तचाप में नब्ज धीमी पड़ जाती है, थोड़ा सा परिश्रम करने पर रोगी थक जाता है। शरीर का दुर्बल होना, आलस्य अनुत्साह, शक्ति का घटते जाना, बातें भूल जाना, मस्तिष्क अवसाद, विस्मृति, थोड़ी सी मेहनत में ही चिड़चिड़ाहट, सिर दर्द, सिर चकराना आदि इसके लक्षण होते है।

प्रमुख कारण

* अधिक मानसिक चिंतन।
* अधिक शोक।
* अधिक क्रोध।
* आहार का असंतुलन होना।
* बहुत अधिक मोटापा।
* पानी या खून की कमी।
* उलटियां, डेंगू-मलेरिया, हार्ट प्रॉब्लम, सदमे, इन्फेक्शन, ज्यादा मोशन आने।
* अचानक सदमा लगना, कोई भयावह दृश्य देखने या खबर सुनने से भी लो बीपी हो सकता है।

प्रमुख लक्षण
* चेहरे पर फीकापन।
* आंखों का लाल हो जाना।
* नाड़ी की गति धीमी होना।
* प्यास लगना और तेज रफ्तार से आधी-अधूरी सांसें आना।
* निराशा या डिप्रेशन
* धुंधला दिखाई देना
* थकान, कमजोरी, चक्कर आना
* निम्न रक्तचाप में शारीरिक निर्बलता का अधिक अनुभव होता है।
* रक्त की अत्यधिक कमी के कारण निम्न रक्तचाप की उत्पत्ति होती है, इसलिए रोगी चलने-फिरने में बहुत कठिनाई अनुभव करता है।
* सीढ़ियां चढ़ने में बहुत परेशानी होती है।
* हृदय जोरों से धड़कता है और सारा शरीर पसीने से भीग जाता है।
* पुरुषों में नपुंसकता के लक्षण उत्पन्न होते है। जबकि स्त्रियों में काम-इच्छा की उत्पत्ति नहीं होती है। ऐसे में स्त्री-पुरुष का यौन आनंद नष्ट हो जाता है।
* निम्न रक्तचाप के कारण रोगी को भूख नहीं लगती, क्योंकि भोजन के प्रति अरुचि हो जाती है।
* स्वादिष्ट पकवानों की सुगंध भी रोगी को आकर्षित नहीं कर पाती। भूख नष्ट हो जाती है।
* सोफे या बिस्तर से उठाकर खड़े होने पर नेत्रों के आगे अंधेरा छा जाता है और सिर चकराने लगता है।
* सिरदर्द भी होता है।
* रोगी को अधिक प्यास लगती हैं।
* निम्न रक्तचाप की विकृति पर पड़े रहना चाहता है। किसी काम को करने की इच्छा नहीं होती है।

खानपान- 
* पालक, मेथी, घीया, टिंडा व हरी सब्जियां लें।
* अनार, अमरूद, सेब, केला, चीकू व अंगूर खाएं।
* कॉलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ न हो तो थोड़ा-बहुत घी, मक्खन व मलाई खाएं।
* केसर, दही, दूध और दूध से बने पदार्थ खाएं।
* सेंधा नमक का इस्तेमाल करें।
* सेब, गाजर या बेल का मुरब्बा चांदी का वर्क लगाकर खाएं।
* दिन व रात में अधिक पानी पीना चाहिए। कम से कम डेढ़ से दो लीटर पानी जरूर पीएं

* तुलसी, काली मिर्च, लौग और इलायची की चाय बनाकर पीएं। मात्रा सबकी एक-एक ग्राम। इसे छानकर गर्म ही पीना चाहिये। इसे रोज़ाना दिन में 1 बार पीने से निम्न रक्तचाप यानि Low Blood Pressure बहुत ही जल्दी ठीक हो जाता है। 
* राई तथा सौठ के चूर्ण को बराबर मात्रा में लेकर पानी में मिलाएं और पैर के तलवों पर लगाएं। प्रतिदिन सब्जी में लहसून का छौक (तड़का) लेने से निम्न रक्तचाप में तत्काल लाभ होता है।
* देशी गुड़ हर रोज 50 ग्राम की मात्रा में खाएं या २५ ग्राम गुड एक गिलास पानी में घोल कर उसमे थोड़ा  नीबू का रस और नमक मिला कर दिन में दो बार सेवन करे। 
* सेब, पपीता, अंजीर, आम आदि का अधिक सेवन करें।
* प्रतिदिन गाजर के एक गिलास रस में 10 ग्राम शहद मिलाकर पीएं। यह प्रयोग 30 दिनों तक करें।
* पुदीने की चटनी या रस में सेंधा नमक, काली मिर्च, किशमिश डालकर सेवन करें।
* प्रातः बासी मुंह सेब का मुरब्बा चांदी के वर्क के साथ खाएं।
* हींग के सेवन से रक्त जम नहीं पाता अर्थात् रक्त संचार ठीक रहता है। इसलिए निम्न रतचाप ठीक रहता है। इसलिए निम्न रतचाप में हींग का सेवन करें।
* भोजन के बाद आधा कप नारंगी पानी अवश्य पीएं।

आंवले के 2 ग्राम रस में 10 ग्राम शहद मिलाकर कुछ दिन प्रातःकाल सेवन करने से लो ब्लड प्रेशर दूर करने में मदद मिलती है।
लो ब्लड प्रेशर को सामान्य बनाये रखने में चुकंदर रस काफी कारगर होता है। रोजाना यह जूस सुबह-शाम पीना चाहिए। इससे हफ्ते भर में आप अपने ब्लड प्रेशर में सुधार पाएंगे।
जटामानसी, कपूर और दालचीनी को समान मात्रा में लेकर मिश्रण बना लेँ और तीन-तीन ग्राम की मात्रा मेँ सुबह-शाम गर्म पानी से सेवन करें। कुछ ही दिन मेँ आपके ब्लड प्रेशर में सुधार हो जायेगा।
रात्रि में 2-3 छुहारे दूध में उबालकर पीने या खजूर खाकर दूध पीते रहने से निम्न रक्तचाप में सुधार होता है।
अदरक के बारीक कटे हुए टुकडों में नींबू का रस व सेंधा नमक मिलाकर रख लें। इसे भोजन से पहले थोडी-थोडी मात्रा में दिन में कई बार खाते रहने से यह रोग दूर होता है।
200 ग्राम मट्ठे मे नमक, भुना हुआ जीरा व थोडी सी भुनी हुई हींग मिलाकर प्रतिदिन पीते रहने से इस समस्या के निदान में पर्याप्त मदद मिलती है।
200 ग्राम टमाटर के रस में थोडी सी काली मिर्च व नमक मिलाकर पीना लाभदायक होता है। उच्च रक्तचाप में जहां नमक के सेवन से रोगी को हानि होती है, वहीं निम्न रक्तचाप के रोगियों को नमक के सेवन से लाभ होता है।
गाजर के 200 ग्राम रस में पालक का 50 ग्राम रस मिलाकर पीना भी निम्न रक्तचाप के रोगियों के लिये लाभदायक रहता है।
दूध में दो-तीन छुहारे देर तक उबलकर सेवन करने से शक्ति बढ़ने पर निम्न रक्तचाप का निवारण हाता है।

रात को बादाम की तीन-चार गिरी जल में डालकर रखें। प्रातः उठकर गिरी को पीसकर मिस्री और मक्खन के साथ खायें और ऊपर से दूध पीने से निम्न रक्तचाप नष्ट होता 


है।
* रोगी का एक साथ अधिक मात्रा में भोजन नहीं करना चाहिए। थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दिन में कई बार भोजन करना चाहिए।
* 1/4 चम्मच हल्दी पाउडर, 1/4 चम्मच धनिया पाउडर, 1 चुटकी अदरक का पाउडर या पिसी हुई सौंठ, 1 चुटकी इलायची पाउडर और 2 चम्मच चीनी मिला लीजिये। 1 पैन में 1 कप दूध और 1/2 कप पानी और यह मिश्रण डालकर चाय की तरह उबाल लीजिये,फिर इसे छान लीजिये। इसे गर्म ही पीना चाहिये। इसे रोज़ाना दिन में 1 बार पीने से कुछ ही समय में Low Blood Pressure यानि निम्न रक्तचाप ठीक हो जाता है। 
बचाव और इलाज-
स्मोकिंग से परहेज करें, एक्टिव रहें और ज्यादा टेंशन न करें तो लो बीपी से बचा जा सकता है।

ऐलोपैथी
ऐलोपैथिक डॉक्टर लो बीपी को एक बीमारी न मानकर दूसरी बीमारियों का लक्षण या परिणाम मानते हैं, इसलिए बिना जांच वे कोई भी दवा नहीं खाने की सलाह देते हैं।

होम्योपैथी
होम्योपैथी में अलग-अलग वजहों से होने वाले लो बीपी के लिए अलग-अलग दवाइयां हैं :
1. एक्सिडेंट, ऑपरेशन या महिलाओं में डिलिवरी या पीरियड्स के दौरान ज्यादा खून बह जाने से होने वाले लो ब्लड प्रेशर के लिए चाइना-30 की पांच-पांच गोलियां दिन में चार बार तीन-चार दिन तक लें।



2. किसी भी प्रकार का सदमा लगने से होने वाले लो ब्लड प्रेशर में एकोनाइट-30 या इग्नीशिया-30 या मॉसकस-30 की पांच-पांच गोलियां दिन में चार बार या कालीफॉस-6 एक्स की चार-चार गोलियां चार बार लें।



3. अगर अक्सर लो ब्लड प्रेशर रहता हो तो आर्सेनिक एल्बम-30 या जेल्सिमियम-30 या फॉसफोरिक एसिड-30 की पांच-पांच गोलियां दिन में चार बार लें।

आयुर्वेद

इनमें से कोई एक उपाय करें :
1. सिद्धमकरध्वज की खुराक मरीज की हालत के मुताबिक वैद्य से बनवाकर लें।
2. वृह्दवातचिंतामणि रस की आधी-आधी गोली सुबह-शाम दूध से लें।
योगेंद्र रस की आधी गोली पानी से दिन में एक बार लें।
(सिद्धमकरध्वज, वृह्दवातचिंतामणि रस व योगेंद रस, ये तीनों दवाएं बहुत ज्यादा बीपी लो होने पर सिर्फ वैद्य की देखरेख में ही लेनी चाहिए।)
3. मकरध्वज की एक गोली रोज लें।
4. कपूरादि चूर्ण एक छोटी चम्मच सुबह-शाम पानी से कुछ दिन तक लगातार लें। इसे शुगर के मरीज भी ले सकते हैं।
5. हरगौरी रस एक रत्ती सुबह-शाम शहद से लें।
6. मृगांग पोटली रस पाउडर की एक रत्ती सुबह-शाम पानी से लें। शुगर वाले भी सकते हैं। दिल के लिए अच्छा है और ताकत भी देता है।
7. चार रत्ती या आधा छोटा चम्मच अश्वगंधा चूर्ण या दो रत्ती ताप्यादि लौह या दो रत्ती प्रवाल पिष्टी (प्रवाल पिष्टी कैल्शियम बढ़ाती है) या चार रत्ती
8. आंवला चूर्ण या कामदुधा रस की गोली दो रत्ती पानी से लें।
9. दो चम्मच अश्वगंधारिष्ट बराबर पानी मिला कर सुबह-शाम लें।
10. दो छोटी चम्मच बलारिष्ट या अर्जुनारिष्ट आधे कप पानी से लें।
11. शुगर के मरीज अर्जुन की छाल का दो चम्मच चूर्ण पानी में उबाल लें। फिर छानकर पीएं।
12. शुगर के मरीज अश्वगंधा का पाउडर आधा छोटा चम्मच पाउडर पानी से लें या एक-एक गोली सुबह-शाम लें।

नुस्खे

1. रात को पांच बादाम भिगोकर सुबह खाली पेट एक बादाम व एक काली मिर्च लेकर दो से तीन मिनट तक चबाकर खाएं। बाकी बादामों को भी इसी तरह खाएं। 15-20 मिनट बाद नाश्ता कर सकते हैं।

2. चाय-कॉफी ले सकते हैं। इनसे बीपी बढ़ता है। नमक-चीनी का घोल या इलेक्ट्रॉल पाउडर का घोल भी ले सकते हैं।

3. हल्दी का आधा चम्मच पाउडर दूध के साथ दिन में किसी भी वक्त लें। इससे आराम मिलता है। ठीक होने पर छोड़ दें। इसे किसी भी मौसम में ले सकते हैं।

4. छिले हुए चार बादाम, एक चम्मच शहद और एक चम्मच मिश्री को एक साथ पीस लें। सुबह-शाम इस पेस्ट को खाएं।

5. गाय या बकरी का एक पाव दूध, दो चम्मच गाय का घी, काली मिर्च के 10 दाने और 10 ग्राम मिश्री को उबालकर इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम पीएं। शुगर के मरीज मिश्री व शहद न लें।

6. मक्खन एक चम्मच, मिश्री स्वादानुसार और एक चांदी का वर्क मिलाकर सुबह-शाम कुछ दिन सेवन करें।

7. हर रोज गाय के दूध के साथ एक-दो सिंघाड़े खाएं।

8. दूध व चावल की खीर में छोटी इलायची, चिरौंजी, बादाम व केसर डालकर खाएं।

9. पका हुआ शरीफा और सीताफल का सेवन करने से भी फायदा होता है।

10. काले चने 20-25 ग्राम और 10 नग किशमिश रात को पानी में भिगो दें। सुबह शौच के बाद खाली पेट इस पानी को पीकर चने व किशमिश खा लें। आधे घंटे बाद चाय पी सकते हैं। शुगर के मरीज बिना किशमिश के चने खाएं व पानी पीएं।

11. सात-आठ गिरी मुनक्का व बादाम मिलाकर रोज खाएं।

12. रात को दो-तीन अंजीर भिगोकर सुबह खाएं। शुगर के मरीज सिर्फ एक अंजीर भिगोकर लें।

13. एक बड़ी इलायची व पुदीने के थोड़े-से पत्तों को उबाल कर उसका पानी पीएं। चाय में डालकर भी पी सकते हैं।

नेचरोपैथी

तौलिया या किसी और कपड़े को सादे पानी में भिगोकर निचोड़ लें। चार उंगल चौड़ी पट्टी बनाएं। चटाई बिछाकर उस पर पट्टी फैला दें और खुद उस पर लेट जाएं। 10 मिनट तक लेटे रहें। ध्यान रहे कि पट्टी उतनी ही चौड़ी हो, जो रीढ़ की हड्डी को ही लंबाई में कवर करे, पूरी कमर को नहीं। यह लो व हाई बीपी, दोनों में फायदेमंद है। इससे थोड़ी देर में ही बीपी सामान्य हो जाएगा। इसे दिन या रात में किसी भी वक्त कर सकते हैं लेकिन सोते वक्त करना बेहतर है। लगातार 45 दिन करें।
योग

1. लो बीपी में ये आसन व क्रियाएं फायदेमंद हैं।
2 . अनुलोम-विलोम, भस्त्रिका व उज्जायी प्राणायाम करें। 3. कपालभाति क्रिया, उत्तानपादासन, कटिचक्रासन, पवनमुक्तासन, नौकासन, मंडूकासन और लेटकर साइकिलिंग करें।

With Thanks from:
http://kumarhealth.blogspot.in/2013/07/blog-post_17.html





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