महाकाल के संकल्प युग परिवर्तन की पूर्ति हेतु सूक्ष्म जगत् से प्रचण्ड
प्रवाह धरती पर भेजा जा रहा है। परन्तु
लौकिक जगत् में गुड़ गोबर सब एक हो जाने से कोई भी महत्वपूर्ण कदम इस दिशा में आगे
नहीं बढ़ रहा है।
गुड़ गोबर एक हो जाने का अर्थ है कि इस अभियान में बहुत से ऐसे लोगों की
घुसपैठ हो गई है जो युग निर्माण के नाम पर अपने अहं, स्वार्थ व
महत्त्वाकांक्षाओं का ही पोषण कर रहे हैं। जो संगठन को भीतर ही भीतर खोखला कर रहा
है। जैसे नेता देश सेवा के नाम पर वोट माॅंगते हैं पर इसके पश्चात् क्या-क्या नहीं
करते, यह किसी से छुपा नहीं है। क्या कारण है कि पाॅंच करोड़ लोगों का एक विशाल
तन्त्र समाज पर अपना कोई विशेष प्रभाव नहीं दिखा पा रहा है। जबकि आचार्य जी के अनुसार
‘जिस दिन 24 लाख लोग कदम से कदम मिला कर इस अभियान को पूरा करने के लिए आगे बढ़ेंगे उस
दिन युग निर्माण के सूर्य को चमकने से कोई नहीं रोक सकेगा।’
युग निर्माण अभियान की सफलता के लिए साहसी, तपस्वी, बुद्धिमान, जुझारू व संवेदनशील 24,000 नायकों की आवश्यकता है जो ब्रह्मकमल के रूप् में खिलकर भारत की इस धरती को
अपनी सुगन्ध से सुभाषित कर सकें व देवसत्ताओं की आशाओं पर खरे उतर सकें।
भारत की 24 करोड़ की धर्म पारायण जनता से यदि केवल 24,000 सुपात्र आत्माओं का
चयन कर उनको उच्च स्तरीय साधनाओं के द्वारा पोषित कर उनका संगठन बनाकर
ब्रह्मास्त्र के रूप् में प्रयोग किया जाए तो इस धरती से शीघ्र ही असुरी शक्तियों
का विनाश सम्भव है। परन्तु कठिनाई यह है कि व्यक्तिगत स्वार्थों व पद-प्रतिष्ठा के
मोह में फंसे महानुभावों को यह बात समझ आए कैसे। भगवान की इस इच्छा की पूर्ति के
लिए जिन दिव्य आत्माओं को भीतर यह तड़प उत्पन्न हो रही है उनके आवाह्न के लिए ही
यह पुस्तक ‘युग के विश्वामित्र का आवाह्न’ लिखी जा रही है।
विश्वामित्र राजेश
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