Thursday, October 13, 2016

सोयाबिन

मित्रो आज से 40-45 वर्ष पहले भारत मे कोई सोयाबीन नहीं खाता था !
फिर इसकी खेती भारत मे कैसे होनी शुरू हुई ??  ये जानने से पहलों आपको मनमोहन सिंह द्वारा किए गए एक समझोते के बारे मे जानना पड़ेगा !
मित्रो इस देश मे 1991 के दौर मे Globalization के नाम पर ऐसे-ऐसे समझोते हुये कि आप चोंक जाएंगे ! एक समझोते के कहानी पढ़ें बाकि विडियो में है ! तो समझौता ये था कि एक देश उसका नाम है होललैंड और वहां के सुअरों का गोबर (टट्टी) वो भी 1 करोड़ टन भारत लाया जायेगा ! और डंप किया जायेगा ! ऐसा समझोता मनमोहन सिंह ने एक बार किया था !  जब मनमोहन सिंह को पूछ गया के यह समझोता क्यूँ किया ???? तब मनमोहन सिंह ने कहा होललैंड के सुअरों का गोबर (टट्टी) quality में बहुत बढ़िया है ! फिर पूछा गया कि अच्छा ये बताये की quality में कैसे बढ़िया है ??? तो मनमोहन सिंह ने कहा कि होललैंड के सूअर सोयाबीन खाते है इस लिए बढ़िया है !!  मित्रो जैसे भारत में हम लोग गाय को पालते है ऐसे ही हालेंड के लोग सूअर पालते है वहां बड़े बड़े रेंच होते है सुअरों कि लिए ! लेकिन वहाँ सूअर मांस के लिए पाला जाता है ! सूअर जितना सोयाबीन खाएगा उतना मोटा होगा ,और उतना मांस उसमे से निकलेगा ।  तो फिर मनमोहन सिंह से पूछा गया की ये हालेंड जैसे देशो मे सोयाबीन जाता कहाँ से है ???  तो पता चला भारत से ही जाता है !! और मध्यपरदेश मे से सबसे ज्यादा जाता है !!!
मित्रो पूरी दुनिया के वैज्ञानिक कहते है अगर किसी खेत में आपने 10 साल सोयाबीन उगाया तो 11 वे साल आप वहां कुछ नहीं उगा सकते ! जमीन इतनी बंजर हो जाती है !
अब दिखिए इस मनमोहन सिंह ने क्या किया ! होललैंड के सुअरों को सोयाबीन खिलाने के लिए पहले मध्यप्रदेश में सोयाबीन कि खेती करवाई ! खेती कैसे करवाई ??
किसानो को बोला गया आपको सोयाबीन की फसल का दाम का ज्यादा दिया जाएगा !
तो किसान बेचारा लालच के चक्कर मे सोयाबीन उगाना शुरू कर दिया! और कुछ डाक्टरों ने रिश्वत लेकर बोलना शुरू कर दिया की ये सेहत के लिए बहुत अच्छी है आदि आदि !
तो इस प्रकार भारत से सोयाबीन होलेंड जाने लगी ! ताकि उनके सूअर खाये उनकी चर्बी बढ़े और मांस का उत्पादन ज्यादा हो ! और बाद मे होललैंड के सूअर सोयाबीन खाकर जो गोबर (टट्टी) करेगे वो भारत में लाई जाएगी ! वो भी एक करोड़ टन सुअरों का गोबर(टट्टी ) ऐसा समझोता मनमोहन सिंह ने लिया ! और ये समझोता एक ऐसा आदमी करता है जिसको इस देश में Best Finance Minster का आवार्ड दिया जाता है !  और लोग उसे बहुत भारी अर्थशास्त्री मानते है !! 
मित्रो दरअसल सोयाबीन मे जो प्रोटीन है वो एक अलग किस्म का प्रोटीन है उस प्रोटीन को शरीर का एसक्रिटा system बाहर नहीं निकाल पाता और वो प्रोटीन अंदर इकठ्ठा होता जाता है ! जो की बाद मे आगे जाकर बहुत परेशान करता है ! प्रोटीन के और भी विकल्प हमारे पास है ! जैसे उरद की दाल मे बहुत प्रोटीन है आप वो खा सकते है ! इसके अतिरिक्त और अन्य दालें है !! मूँगफली है,काला चना है आदि आदि । 
http://rajivdixitji.com/16355/reality-of-soya-bean-in-india/

साबूदाना एक माँसाहारी आहार है

आइये देखते हैं आपके पंसदीदा साबूदाना बनाने के तरीके को।
यह तो हम सभी जानते हैं कि साबूदाना व्रत में खाया जाने वाला एक शुद्ध खाद्य माना जाता है, पर क्या हम जानते हैं कि साबूदाना बनता कैसे है? आइए देखते हैं साबूदाने की हकीक़त को, फिर आप खुद ही निश्चय कर सकते हैं कि आखिर साबूदाना शाकाहारी है या मांसाहारी।
तमिलनाडु प्रदेश में सालेम से कोयम्बटूर जाते समय रास्ते में साबूदाने की बहुत सी फैक्ट्रियाँ पड़ती हैं, यहाँ पर फैक्ट्रियों के आस-पास भयंकर बदबू ने हमारा स्वागत किया। तब हमने जाना साबूदाने कि सच्चाई को।
साबूदाना विशेष प्रकार की जड़ों से बनता है। यह जड़ केरला में होती है। इन फैक्ट्रियों के मालिक साबूदाने को बहुत ज्यादा मात्रा में खरीद कर उसका गूदा बनाकर उसे 40 फीट से 25 फीट के बड़े गड्ढे में डाल देते हैं, सड़ने के लिए। महीनों तक साबूदाना वहाँ सड़ता रहता है। यह गड्ढे खुले में हैं और हजारों टन सड़ते हुए साबूदाने पर बड़ी-बड़ी लाइट्स से हजारों कीड़े मकोड़े गिरते हैं।
फैक्ट्री के मजदूर इन साबूदाने के गड्ढो में पानी डालते रहते हैं, इसकी वजह से इसमें सफेद रंग के कीट पैदा हो जाते हैं। यह सड़ने का, कीड़े-मकोड़े गिरने का और सफेद कीट पैदा होने का कार्य 5-6 महीनों तक चलता रहता है। फिर मशीनों से इस कीड़े-मकोड़े युक्त गुदे को छोटा-छोटा गोल आकार देकर इसे पॉलिश किया जाता है।
आप लोगों की बातों में आकर साबूदाने को शुद्ध ना समझें। साबूदाना बनाने का यह तरीका सौ प्रतीशत सत्य है। इस वजह से बहुत से लोगों ने साबूदाना खाना छोड़ दिया है। जब आपको साबूदाना का सत्य पता चल गया है, तो इसे खाकर अपना जीवन दूषित ना करें।
कृपया इस पोस्ट को समस्त सधर्मी बंधुओं के साथ शेयर करके उनका व्रत और त्यौहार अशुद्ध होने से बचाए।

Sunday, October 2, 2016

वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !



वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !

हाथ में ध्वजा रहे बाल दल सजा रहे
ध्वज कभी झुके नहीं दल कभी रुके नहीं
वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !

सामने पहाड़ हो सिंह की दहाड़ हो
तुम निडर डरो नहीं तुम निडर डटो वहीं
वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !

प्रात हो कि रात हो संग हो साथ हो
सूर्य से बढ़े चलो चन्द्र से बढ़े चलो
वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !

एक ध्वज लिये हुए एक प्रण किये हुए
मातृ भूमि के लिये पितृ भूमि के लिये
वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !

अन्न भूमि में भरा वारि भूमि में भरा
यत्न कर निकाल लो रत्न भर निकाल लो
वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो


द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी 




Tu Chal Tu chal



    तू खुद की खोज में निकल
    तू किस लिए हताश है
    तू चल, तेरे वजूद की
    समय को भी तलाश है
    समय को भी तलाश है

    जो तुझ से लिपटी बेड़ियाँ
    समझ ना इनको वस्त्र तू
    जो तुझ से लिपटी बेड़ियाँ
    समझ ना इनको वस्त्रतू
    ये बेड़ियाँ पिघाल के
    बना ले इनको शस्त्र तू
    बना ले इनको शस्त्र तू

    तू खुद की खोज में निकल
    तू किस लिए हताश है
    तू चल, तेरे वजूद की
    समय को भी तलाश है
    समय को भी तलाश है

    चरित्र जब पवित्र है
    तो क्यूँ है ये दशा तेरी
    चरित्र जब पवित्र है
    तो क्यूँ है ये दशा तेरी

    ये पापियों को हक़ नही
    की लें परीक्षा तेरी
    की लें परीक्षा तेरी..

    तू खुद की खोज में निकल
    तू किस लिए हताश है
    तू चल, तेरे वजूद की
    समय को भी तलाश है

    जला के भस्म कर उसे
    जो क्रूरता का जाल है
    जला के भस्म कर उसे
    जो क्रूरता का जाल है

    तू आरती की लौ नही
    तू क्रान्ति की मशाल है
    तू क्रान्ति की मशाल है

    तू खुद की खोज में निकल
    तू किस लिए हताश है
    तू चल, तेरे वजूद की
    समय को भी तलाश है
    समय को भी तलाश है

    चुनर उड़ा के ध्वज बना
    गगन भी कम्प कँपकंपाएगा
    चुनर उड़ा के ध्वज बना
    गगन भी कम्प कँपकंपाएगा

    अगर तेरी चुनर गिरी
    तो एक भूकंप आएगा
    तो एक भूकंप आएगा

    तू खुद की खोज में निकल
    तू किस लिए हताश है
    तू चल, तेरे वजूद की
    समय को भी तलाश है
    समय को भी तलाश है.
Courtesy: Pink Movie ( Amitabh Bachan)