चित्र स्रोत: गूगल
इसके बारे में बहुत विश्लेषण नही करूँगा, केवल एक घटना के बारे में आपको बताऊँगा। बाद में आप स्वयं विश्लेषण करें कि यज्ञ करने से क्या लाभ होता है।
दिन था 3 दिसंबर 1984, स्थान था मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल। वहाँ स्थित यूनियन कार्बाइड नामक विदेशी कंपनी भोपाल की शान मानी जाती थी। शाम को तकनीकी खराबी के कारण कंपनी के प्लांट से "मिथाईल आइनोंसाइट" नामक भयानक गैस का रिसाव शुरू हो गया। जैसे ही खबर फैली, सब लोग अपना घर बार छोड़ कर भागने लगे किन्तु इसका कोई फायदा नही हुआ। केवल 2 घंटों में ही उस गैस के रिसाव से 15000 से भी अधिक लोगों की मौत हो गयी। हालांकि ये सरकारी आंकड़ा था और वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक थी। उस समय की सरकार ने मरने वालों एवं उस त्रासदी से प्रभावित लोगों की संख्या को बहुत कम करके बताया किन्तु 2006 में अंततः मध्यप्रदेश सरकार ने माना कि इस घटना से लगभग 600000 लोग सीधे तौर पर प्रभावित हुए थे। ये घटना भारतीय इतिहास में "भोपाल गैस त्रासदी" के नाम से विख्यात है।
अब जो मैं बोलने जा रहा हूँ वो बात मध्यप्रदेश और केंद्र सरकार के सरकारी कागजों में भी दर्ज है। ये कोई सुनी सुनाई बात नही है, इसे आप मध्यप्रदेश राजभवन की साइट या अन्य कई लेखों में पढ़ सकते हैं।
जिस समय गैस का रिसाव शुरू हुआ और बाहर लोग मर रहे थे, भोपाल के बिल्कुल बीच में रहने वाले कुशवाहा परिवार के यहाँ यज्ञ चल रहा था। ये अद्भुत आश्चर्य है कि जिस गैस के कारण फैक्ट्री के 50 किलोमीटर के अंदर 15000 से भी अधिक लोग मर गए, उस गैस का प्रभाव यज्ञ होने के कारण कुशवाहा परिवार पर नही हुआ। उस त्रासदी में बचने वाला कुशवाहा परिवार एकलौता परिवार था।
कुछ दस्तावेज बताते हैं कि जब गैस का रिसाव शुरू हुआ तो अन्य लोगों की तरह कुशवाहा परिवार के लोगों की आंखों में जलन होने लगी और वे खांसने लगे। किन्तु वे दूसरे लोगों की तरह वे घबराए नही और ना ही घर छोड़ कर भागे। उन्होंने तत्काल "अग्निहोत्र यज्ञ" करना शुरू कर दिया। अग्निहोत्र यज्ञ का पुराणों में भी बड़ा महत्व बताया गया है जो पर्यावरण से नकारात्मकता (अशुद्धि) दूर करने के लिए किया जाता है। बाद में कुशवाहा परिवार ने स्वयं बताया कि वो यज्ञ लगभग 20 मिनट चला जिसने आस पास फैले मिथाईल आइनोंसाइट के असर को समाप्त कर दिया। आज भी केरल के नंबूरी ब्राह्मण इस यज्ञ को करने के विशेषज्ञ माने जाते हैं और उन्होंने भी ये पुष्टि की है कि अग्निहोत्र यज्ञ से स्वयं विष के प्रभाव को भी समाप्त किया जा सकता है।
1984 में जब स्थिति थोड़ी सम्भली तो हिन्दू सनातन धर्म की महानता के विषय में बहुत कुछ छापा गया। यहाँ तक कि तत्कालीन सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी, जिसका इतिहास सदैव हिंदुत्व के विरुद्ध ही रहा है, उनके मुख्यमंत्री श्री अर्जुन सिंह ने भी अंततः हिन्दू यज्ञ पद्धति का सार्वजनिक रूप से लोहा माना। 19 मई 1985 में ये खबर सार्वजनिक रूप से छपी थी जिसने सारे विधर्मियों की जड़ों को हिला दिया।
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हालांकि जैसे जैसे समय बीता, हिंदुत्व के प्रमाण को सिद्ध करने वाली हर दूसरी चीजों की तरह इस घटना को भी इतिहास के पन्नों में दफन कर दिया गया। इसका एक उदाहरण हाल में ही देखने को मिला जब 2013 में भोपाल गैस त्रासदी पर एक हॉलीवुड फिल्म बनी - "Bhopal - A Prayer for Rain"। इस फ़िल्म में बहुत बेशर्मी के साथ इस पूरे घटनाक्रम को, जिसने अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियाँ बटोरी थी, पूरी तरह गायब कर दिया।
आज के कथित लिबरल और बुद्धिजीवी बहुत बेशर्मी से कहते हैं कि उस त्रासदी में कुशवाहा परिवार का बच जाना केवल एक संयोग था। लेकिन सोचिये जिस भयानक त्रासदी में 15000 (सरकारी आंकड़ा, वास्तव में उससे कहीं अधिक) लोग तत्काल मर गए वहाँ केवल एक ही परिवार क्यों बच पाया? ऐसा संयोग एक भी अन्य परिवार के साथ क्यों नही हुआ? क्या ये यज्ञ की महत्ता को सिद्ध नही करता? जब आप ये प्रश्न उन स्वघोषित बुद्धिजीवियों से पूछते हैं तो वे बंगले झांकने लगते हैं।
मैंने सदैव कहा है कि अपने सनातन हिन्दू धर्म पर गर्व करें और इसकी महत्ता को समझें। करोड़ों लोग ऐसा मानते हैं और उसका कोई ना कोई आधार अवश्य है। तो पुनः प्रार्थना करता हूँ कि अपने महान धर्म की डोरी को विश्वास के साथ कस कर पकड़े रहें।
मैं जो कहना चाहता था वो कह दिया, अब आगे का विश्लेषण मैं आपके विश्वास पर छोड़ता हूँ। आप वही समझें जो आपका अंतर्मन स्वीकार करे।
With Thanks
Neelabh Verma
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