अग्रवाल समाज के लोग बनिया कैसे हो गए जबकि उनके कुल प्रवर्तक अग्रसेन जी क्षत्रिय समाज के थे?
किदवंती है कि अग्रसेन जी क्षत्रिय थे जिनके संतान नही हुई थी तब ऋषियों ने उनसे यज्ञ करवाया । यज्ञ में बलि के विरोध करने और ऋषियों ने कहा कि आप वर्ण बदल लें तो उन्होंने वैश्य बनना स्वीकार किया लेकिन साथ ही कहा कि में क्षत्रियों के उपयोग में आने वाले चंवर ओर छत्र नही छोडूंगा।
इस प्रकार अग्रसेन ने वैश्य वर्ण अपना लिया। ऋषियों के यज्ञ के प्रभाव से उनके 18 संतान हुई जिनके नाम से 18 गोत्र कहलाते है। उन्होंने वैश्य लोगों के साथ ही नया नगर अग्रोहा बसाया।
यज्ञ में शामिल 18 ऋषि
अग्रवालों में 18 गोत्र
अभी भी आप किसी अग्रवाल की बरात देखोगें तो दूल्हा के ऊपर छत्र यानी छतरी ताने हुए एक व्यक्ति रहता है और एक व्यक्ति चंवर हिलाता हुआ होता है। हालांकि अब चंवर मिलने बन्द होने का कारण
With thanks by Shri Om Prakash Gupta
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