मेरे एक शिष्य को लगभग 15 साल पहले इन्हीं दिनों में बलगम वाली खांसी हुई थी। उसे मैंने एक चम्मच आंवला चूर्ण और मुलेठी चूर्ण (दोनों बराबर मात्रा में )दिन में तीन बार गुनगुने पानी से लेने के लिए कहा। एक सप्ताह में वह पूरी तरह से ठीक था। दवा डेढ़ चम्मच तक प्रति खुराक ली जा सकती है।
दूसरी दवा उस प्रकार की खांसी के लिए दी गई थी जिसमें एक युवक खांसते खांसते अधमरा सा हो जाता था और शरीर नीला सा होने लगता था। वह आश्रम के निकट गाँव में ही रहता है। उसके बुजुर्गो ने बीमारी शुरू होने के 6 माह बाद मुझसे उस दिन सम्पर्क किया था जब वह युवक गंभीर हालत में लखनऊ मेडिकल कालेज में भर्ती करा दिया गया था। शाम को डॉक्टरों ने जवाब दे दिया, बचेगा नहीं, ले जाओ। अस्पताल से सीधे मेरे पास ले आए। खांसी के कारण वह सो भी नहीं पाता था। मैंने दवा बताई —दो चाय वाली चम्मच गाय का घी एक कटोरी में डाल कर चूल्हे पर गर्म होने के लिए रख दो। खूब गर्म होने पर बीस ग्राम काली मिर्च घी में डाल दो। भुनने पर मिर्च ऊपर तेरने लगेंगी। अब इसमें दो चम्मच खांड या मिश्री का चूर्ण मिला कर आग से उतार कर हल्का गर्म रहने पर मरीज को खिलादो।
दवा खाने के दो तीन घंटे बाद वह लड़का सोया। सुबह उसे दूसरी खुराक दी गईं। बस, लड़का स्वस्थ है, नौकरी करता है।
with thanks
Swamiramanuj Acharya
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