Tuesday, March 22, 2022

बेहतरीन देशी नुस्खा

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क्या आप कोई ऐसा बेहतरीन देशी नुस्खा बता सकते हैं, जिसको इस्तेमाल कर के हम बहुत सी शारीरिक बीमारियों से छुटकारा पा सकें?

आज मैं आपको एक ऐसा जादुई देसी नुस्खा बताने जा रहा हूं, जो आपके शरीर में बहुत ही अधिक लाभ करेगा। यह बहुत ही सस्ता और आसान है। मैंने इसे असंख्य लोगों को बताया है।

आप सबसे पहले एक बड़ा बर्तन ले लीजिए। अब इसमें 400- 500 ग्राम के लगभग नीम की पत्तियां ( टहनियों समेत ) डाल लीजिए और 500 ग्राम साधारण चने डाल लीजिए। अब इस बर्तन में इतना पानी डाल लीजिए कि ये सभी पत्तियां और चने डूब जाएं। अब बर्तन को ढक कर पूरे 1 घंटे तक इन सभी चीजों को उबाल लीजिए। ठीक एक घंटे के बाद बर्तन को उतारकर ठंडा होने के लिए रख दीजिए। अब इसमें से उबले हुए चने को अलग निकाल लीजिए और बाकी चीजों को फेंक दीजिए। अब आप इन चनों को सुखा लीजिए। यहां एक बात का ध्यान रखिए कि यदि आप इन चनों को छाया में सुखाएंगे तो यह सबसे अधिक असरदार सिद्ध होंगे। अभी ठंड का मौसम है तो आप इन्हें थोड़ा धूप में भी सुखा सकते हैं। इनके सूखने के बाद आप इन्हें पीस लीजिए और इन्हें पीसते समय इनमें 40 से 50 ग्राम सौंठ का पाउडर ( सूखी हुई अदरक ) जरूर मिला लीजिए। यदि आप गर्मियों के मौसम में इस नुस्खे को तैयार करें तो सौंठ के पाउडर की मात्रा आधी कर लीजिए। बस अब आपकी देसी दवाई तैयार हो गई है।

फोटो स्त्रोत: मेरे फोन की गैलरी*

लेने का तरीका - आप सुबह सवेरे उठकर और अच्छी तरह से कुल्ला करके एक छोटी चम्मच पाउडर अपने मुंह में रख लीजिए और गुनगुने पानी के साथ ले लीजिए। इस पाउडर का स्वाद कड़वा होगा क्योंकि नीम का सारा कस धीरे-धीरे करके चने में आ चुका होता है।

लाभ - इस दवाई का सबसे बड़ा और पहला लाभ यह है कि यदि आपकी त्वचा पर या आपके खून में कोई एलर्जी है तो वह धीरे-धीरे बिल्कुल समाप्त हो जाएगी। आपका पेट बहुत अच्छी तरह से साफ होना शुरू हो जाएगा। पेट में अफारा (पेट फूलना) की समस्या से बहुत राहत मिलेगी। आपको अपने शरीर के अंदर एक अलग ही जोश और ऊर्जा महसूस होगी। वीर्य शक्ति में बहुत वृद्धि होगी। शुगर को नियंत्रित रखने में भी यह नुस्खा बहुत फायदेमंद है। गले में खराश वगैरह की कुछ दिक्कत रहती है तो वह भी ठीक हो जाएगी। सीधी सी बात है कि यदि हमारा खून और पेट साफ होगा, तो हमारी अधिकतर समस्याएं ठीक हो जाएंगी।

परहेज - सुबह दवाई लेने के 40 - 50 मिनट तक कुछ नहीं खाए पिए।

तली भुनी चीजों पर नियंत्रण रखें।

दो - चार दिन में ही लाभ की उम्मीद न करें। लगभग एक महीने बाद वास्तविक लाभ दिखना शुरू होगा। आप चाहे तो नियमित रूप से भी इस दवा का सेवन कर सकते हैं। स्वस्थ व्यक्ति भी इस दवा का सेवन कर सकते हैं। कोई भी दुविधा हो तो पूछ लें। जो भी इस दवा का सेवन करें तो लाभ होने के बाद टिप्पणी में जरूर बताएं।

आपको लाभ होने पर, मुझे यह नुस्खा बताने वाले स्वर्गीय श्री रघबीर सिंह हलुवासिया जी की दिव्य आत्मा को नमन जरूर करें।

Monday, March 14, 2022

शिलाजीत से ज्यादा शक्तिशाली आयुर्वेदिक औषधियां

 

शिलाजीत से ज्यादा शक्तिशाली आयुर्वेदिक औषधियां कौन-कौन सी हैं?

यकीनन शिलाजीत में आयुर्वेदिक रसशास्त्र के सभी गुण मौजूद हैं लेकिन रसों का राजा पारद है जिसे रसेन्द्र कहा जाता है और आदि वैद्यराज गुरु के समान माना जाता है। जब कोई औषधि काम न करे तो पारद मरणासन्न रोगी को मृत्यु से छीन कर पुनः तरुण समान कर देता है ऐसा शास्त्रोक्त है।

पारे को आदि शिव का अंश माना जाता है। यहां तक ज्योतिष शास्त्र में पारद शिवलिंग के दर्शन और पूजन से किस्मत बदलने का दावा किया जाता है। इससे कोई भी पारद की औषधीय महिमा का सहज अंदाज़ा लगा सकता है। लेकिन पारा विष है और औषधीय गुणों की प्राप्ति के लिए इसे मारण और शोधन की अवश्यकता होती है जो कि शास्त्रानुसार बहुत कठिन है। अफसोस और दुर्भाग्य है कि सुविधा की तलाश में हमने पारे के शोधन की पांच में से चार विधियां खो दीं। हम अपनी प्राचीन दुर्लभ अद्वितीय विरासत को बचा भी नहीं पाए।

खैर रसराज रसेन्द्र अथवा पारद के बाद रसशास्त्र में रसों का वर्गीकरण किया गया है जिसे मैं यहां कहता हूं।

  1. आठ महारस: इसमें अभ्रक सर्वश्रेष्ठ है और महारासों में इष्ट है। इसे शक्ति स्वरूपा देवी पार्वती का अंश माना जाता है। पारद को मारण, शोधन और धारण करने की शक्ति अभ्रक में ही निहित है। महारसों में शिलाजीत को पांचवें स्थान पर रखा गया है।
  2. आठ उपरस - इस वर्ग का राजा गन्धक है और उपरसों में सर्वश्रेष्ठ है। कहा जाता हैं कि समुद्र मंथन में निकले अमृत कलश के साथ चिपका हुआ निकला था जिसे देव और असुरों ने मानवजाति के कल्याण हेतु पृथ्वी पर भेज दिया
  3. साधारण रस वर्ग में आठ औषधीय द्रव्यों कम्पिल्लकगौरीपाषाण अर्थात आर्सेनिक, नौसादरकपर्द अर्थात कौड़ी, अग्निजार (एम्बरग्रीस), गिरिसिन्दूरहिंगुल (सिनाबर) और मृददारश्रृंग (सफेदा) को रखा गया है। इसमें कम्पिल्लक अर्थात कमीला सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।
  4. धातुओं में स्वर्ण धातु को, रत्नों में माणिक्य को, उपरत्नों में वैक्रान्त को, विषों में सर्पविष और उपविषों में धतूरा को सर्वोत्तम माना गया है।

अब आप स्वयं अपने विवेक से शिलाजीत की सर्वश्रेष्ठता का अंदाजा लगा सकते हैं। लेकिन उससे पहले मैं यहां तीन महत्वपूर्ण बातें जरूर कहना चाहूगा:

  • शरीर को निरोग और सुदृढ़ बनाने के लिए शिलाजीत सर्वोत्तम रसायन है।
    • रसोपरस-सूतेन्द्र रत्न-लोहेषु ये गुणाः। वसन्ति ते‌ शिलाधातौ जरा-मृत्यु-जिगीषया॥
      • अर्थात अभ्रक आदि महारस, गंधक आदि उपरस, पारद, माणिक्य आदि रत्न सुवर्ण आदि धातुओं में जरा (बुढ़ापा), मृत्यु रोग समुदाय को जीतने के जो गुण हैं वे सब शिलाजीत में भी हैं!
  • अश्वगंधा, सतावरी, ब्राह्मी, गिलोय, तुलसी, आदि आदि औषधियां महान और दिव्य है, प्रकृति का वरदान हैं लेकिन शिलाजीत से इनकी तुलना निरर्थक और सूरज को दिया दिखाने के समान है।
  • रसशास्त्र में ज्यादातर रसायन/औषधियां प्राकृतिक रूप से विषाक्त होती हैं इसलिए इनका शोधन बहुत जरूरी होता है अन्यथा ये जीवनदायी औषधियां जीवन छीन लेने में जरा भी चूक नहीं करती। इसलिए इनके सेवन के लिए चिकित्सकीय परामर्श जरूरी है

इति!

©Ashwani Kumar @प्राचीन आयुर्वेद

निरोगी जीवन की शुभकामनाओं के साथ, जाने से पहले मैं प्रश्न पूछने के लिए आभार व्यक्त करता हूं और धैर्य पूर्वक उत्तर को अंत तक पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद कहता हूं! 🙏

मैं एक छोटा सा फेवर माँगना चाहता हूँ कि आपको मेरा लेख पसंद आया है तो इसे अपने दोस्तों के साथ और संबंधित मंचों पर साझा करें ताकि औरों को भी लाभ हो सके; दूसरों की मदद करें!

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