उदर रोग कैसे होते हैं?
जठराग्नि की मन्दता के कारण वातादि दोष या मूत्र-पुरीष (गुदा द्वार द्वारा निष्कासित मल) मल बढ़ जाते हैं, जिसके कारण अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न होने लग जाते और विशेषकर उदर रोग होते हैं। अग्नि के मंद हो जाने पर जब दोषयुक्त भोजन किया जाता है, तब भोजन का ठीक से पाचन न होने से दोषों का संचय होने लगता है।
वह दोषसंचय प्राणवायु, जठराग्नि और अपानवायु को दूषित कर ऊपर तथा नीचे के मार्गों को रोक देता है एवं त्वचा और मांस के बीच में आकर कुक्षि (पेट) में सूजन बनाकर उदर रोग उत्पन्न करता है।
पेट में जलन, पेट फूलना और वात बनने का आयुर्वेदिक उपचार (Best Ayurvedic Treatment in Ayurveda for Gastric & Acidity)
आइये अब जानते हैं कुछ ऐसे घरेलू और आयुर्वेदिक उपचार जिनके प्रयोग से उदर रोग जैसे पेट दर्द, पेट में जलन, गैस बनना बंद हो जाएगा।
अजवाइन और सौंफ
अजवाइन, सौंफ, काला नमक 10-10 ग्राम, काली मिर्च 5 ग्राम बारीक कूट-छानकर 200 ग्राम ताजे पानी से लें, पेट फूलना ठीक हो जाएगा।
हींग
हींग को पानी में मिलाकर नाभि पर लेप करने से पेट में गैस दूर हो जाती है। आप हींग का प्रयोग सब्जी में भी कर सकते हैं, इससे पाचन तंत्र अच्छा होता है और खाया पिया जल्दी हजम हो जाता है।
त्रिफला
त्रिफला, अजवाइन, काला नमक 50-50 ग्राम, काली मिर्च एक तोला, घीग्वार के छोटे-छोटे टुकड़े करके मिटटी के बर्तन में 15 दिन तक धूप में रखें। नमक सेंधा 30 ग्राम मिलाएं, दवा तैयार है। पेट में गैस, कब्ज़, भूख न लगना आदि के लिए 2 टुकड़े गर्म पानी के साथ दिन में दो बार खाना खाने के बाद लें। पेट के रोग दूर होंगे। पेट का फूलना, जी मचलाना, खट्टी डकार आना बंद होगा, गैस को ठीक करेगा।
Thanks by
Puneet Sukhija
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