Tuesday, November 14, 2023

अमंगल से मंगल की यात्रा

निःसंदेह, ज्योतिष विद्या हमारी भारतीय संस्कृति का एक उत्तम विज्ञान है। इस विज्ञान से ग्रह-नक्षत्रों की दशा और दिशा का अध्ययन करके भविष्य का आंकलन किया जा सकता है। एक कुशल ज्योतिषी इसी वैज्ञानिक पद्धति के आधार पर आपको बता सकता है कि भावी समय आपके लिए सौभाग्य के फूल पथ पर बिछाएगा या दुर्भाग्य के कंकड़-पत्थर। परन्तु जिन गत कर्म-संस्कारों से आपका यह भाग्य बना है, कोई भी ज्योतिषी या ज्योतिष विज्ञान उन कारणों को निर्मूल नहीं कर सकता है। उनको जड़ से हटाने-मिटाने का सामर्थ्य नहीं रखता। वह भाग्य की लकीरें पढ़ तो सकता है। लेकिन उन लकीरों को बदलने की ताकत नहीं रखता। इसका सामर्थ्य केवल और केवल एक पूर्ण गुरु द्वारा प्राप्त ‘ब्रह्मज्ञान’ में है। क्रियायोग द्वारा प्राप्त प्रज्ञा हमारे कर्मों को व्यवहार को और वृत्तियों को सुधारती है। उन्हें दिव्य और सकारात्मक बनाती है। यहाँ तक कि हमारे पूर्व जन्मों के संस्कारों को भी भस्मीभूत कर देती है। 

इसलिए क्रियायोग की साधना करने वाले साधक को न केवल अंतरानुभूतियों से भावी अनिष्ट का सकेत मिल जाता है; अपितु गुरु-कृपा और साधना से उसके बचाव का तरीका भी मालूम हो जाता है तथा जीवन का यह अमंगल मंगल में बदल जाता है।

Sunday, November 12, 2023

स्वर योग द्वारा सिरदर्द का निवारण

 सिरदर्द को 5 मिनट में ठीक करने वाली प्राकृतिक चिकित्सा...
नाक के दो हिस्से हैं दायाँ स्वर और बायां स्वर जिससे हम सांस लेते और छोड़ते हैं ,पर यह बिल्कुल अलग - अलग असर डालते हैं और आप फर्क महसूस कर सकते हैं।
दाहिना नासिका छिद्र "सूर्य" और बायां नासिका छिद्र "चन्द्र" के लक्षण को दर्शाता है या प्रतिनिधित्व करता है।
सरदर्द के दौरान, दाहिने नासिका छिद्र को बंद करें और बाएं से सांस लें
और बस ! पांच मिनट में आपका सरदर्द "गायब" है ना आसान ?? और यकीन मानिए यह उतना ही प्रभावकारी भी है।
अगर आप थकान महसूस कर रहे हैं तो बस इसका उल्टा करें...
यानि बायीं नासिका छिद्र को बंद करें और दायें से सांस लें ,और बस ! थोड़ी ही देर में "तरोताजा" महसूस करें।
दाहिना नासिका छिद्र "गर्म प्रकृति" रखता है और बायां "ठंडी प्रकृति"
अधिकांश महिलाएं बाएं और पुरुष दाहिने नासिका छिद्र से सांस लेते हैं और तदनरूप क्रमशः ठन्डे और गर्म प्रकृति के होते हैं सूर्य और चन्द्रमा की तरह।
प्रातः काल में उठते समय अगर आप बायीं नासिका छिद्र से सांस लेने में बेहतर महसूस कर रहे हैं तो आपको थकान जैसा महसूस होगा ,तो बस बायीं नासिका छिद्र को बंद करें, दायीं से सांस लेने का प्रयास करें और तरोताजा हो जाएँ।
अगर आप प्रायः सरदर्द से परेशान रहते हैं तो इसे आजमायें ,दाहिने को बंद कर बायीं नासिका छिद्र से सांस लें बस इसे नियमित रूप से एक महिना करें और स्वास्थ्य लाभ लें।
बस इन्हें आजमाइए और बिना दवाओं के स्वस्थ महसूस करें।

भारतीय संस्कृति के प्रति हमारीअनभिज्ञता (Unaware of Indian Culture)

 एक सुंदर लड़की और गुप्ता जी में अफेयर चल रहा था....!
एक दिन दोनो पार्क में बैठे हुए थे कि....
लडकी ने पुछा-
क्या तुम्हारे पास मारूति कार है ?
गुप्ता जी - नहीं...!
लडकी - क्या तुम्हारे पास फ्लैट है ?
गुप्ता जी - नहीं...!
लडकी - क्या तुम्हारे पास नौकरी है ?
गुप्ता जी - नहीं...!
और....
फिर..... ब्रेक अप....!!
इधर....प्रेमिका के इस तरह चले जाने से गुप्ता जी उदास हो गए
और सोचने लगे कि....
जब मेरे पास पाँच-पाँच
BMW कार हैं ...
तो, मुझे भला मारूति की क्या जरूरत है ?
जब, मेरे पास खुद का इतना बडा बंगला है तो मुझे फ्लैट की क्या जरुरत है ????
और...
जब, मेरे पास 500 करोड टर्नओवर का अपना बिजनेस है और 400 लोग मेरे यहाँ नौकरी करते है तो फिर मुझे नौकरी की क्या जरूरत ????
आखिर, वो मुझे क्यों छोड गयी ???
इसीलिए.... बिना पूरी बात
जाने जल्दीबाजी मे कोई फैसला नहीं करना चाहिए...!
और.... सबको अपने स्टैन्डर्ड से नहीं परखना चाहिए क्योंकि हो सकता है वो आपकी सोच से ज्यादा बडा हो...!
यही हालत आज हमारे सनातन हिन्दू समाज की है....!
हमारे सनातन हिन्दू समाज के हर परंपराओं और हर त्योहार बदलते मौसम के अनुसार वैज्ञानिक पद्धति से उसमें एडजेस्ट करने और उससे परेशान होने की जगह उसमें स्वस्थ रहने के लिए बनाए गए हैं...!
झाड़ू का सम्मान करने से लेकर तिलक लगाने, हाथ में कलावा बांधने से लेकर सर पर चोटी रखने और मंदिर में घण्टा बजाने तक का वैज्ञानिक आधार मौजूद है.
क्योंकि.... हमारे हर त्योहार और परम्पराएं पूर्णतः वैज्ञानिक पद्धति से बनाए गए हैं...!
लेकिन.... ज्यादातर लोगों को इसका ज्ञान नहीं है इसीलिए वे इसे सिर्फ महज एक परंपरा मानकर निभाते चले जा रहे हैं...!
जबकि.... हमें जरूरत है अपनी हर परंपरा और त्योहारों के वैज्ञानिक आधार को जानने की... ताकि, हम उसे ज्यादा हर्षोउल्लास से मना सकें और अपनी आने वाली पीढ़ी को भी उसकी जानकारी दे सकें...!
अगर हम ऐसा नहीं कर पाएंगे तो ....जानकारी के अभाव में... अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ने वाले हमारी आगामी पीढ़ी .... आने वाले समय में इसे एक महज अंधविश्वास मानकर इससे किनारा कर लेंगे...!
और.... हमारी आने वाली पीढ़ी का हमारे हिन्दू सनातन धर्म से "ब्रेकअप" हो जाएगा .
इसीलिए.... मेरी नजर में हमारी जिम्मेदारी बहुत बड़ी है... तथा, हमें उसे निभाने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए.. !!

नारी शक्ति

भ्रष्ट्राचारियों और राष्ट्रद्रोहियों के साथ कैसा बर्ताव होना चाहिए, उसका उदाहरण हमारे इतिहास में घटी एक घटना से मिलता है।
यह सजा भी किसी राजा या सरकार द्वारा नही बल्कि उसके परिजन द्वारा ही दी गई।
ई.सन 1311 में जालौर दुर्ग के गुप्त भेद अल्लाउद्दीन खिलजी को बताने के फलस्वरूप पारितोषिक स्वरूप मिला धन लेकर विका दहिया खुशी खुशी अपने घर लौट रहा था। इतना धन उसने पहली बार ही देखा था। चलते चलते रास्ते में सोच रहा था कि युद्ध समाप्ति के बाद इस धन से एक आलिशान हवेली बनाकर आराम से
रहेगा। हवेली के आगे घोड़े बंधे होंगे, नौकर चाकर होंगे।
उसकी पत्नी हीरादे सोने चांदी के गहनों से लदी रहेगी। अलाउद्दीन द्वारा जालौर किले में तैनात सूबेदार के दरबार में उसकी बड़ी हैसियत समझी जायेगी।
घर पहुंचकर कुटिल मुस्कान बिखेरते हुए धन की गठरी अपनी पत्नी हीरादे को सौंपने हेतु बढाई।
अपने पति के हाथों में इतना धन व पति के चेहरे व हावभाव को देखते ही हीरादे को अल्लाउद्दीन खिलजी की जालौर युद्ध से निराश होकर दिल्ली लौटती फौज का अचानक जालौर की तरफ वापस मुड़ने का राज समझ आ गया।
वह समझ गयी कि उसके पति विका दहिया ने जालौर दुर्ग के असुरक्षित हिस्से का राज अल्लाउद्दीन की फौज को बताकर अपने वतन जालौर व अपने पालक राजा कान्हड़ देव सोनगरा चौहान के साथ गद्दारी की है। यह धन उसे इसी गद्दारी के पारितोषिक स्वरूप प्राप्त हुआ है।
उसने तुरंत अपने पति से पुछा- क्या यह धन आपको अल्लाउद्दीन की सेना को जालौर किले का कोई गुप्त भेद देने के बदले मिला है?
विका ने अपने मुंह पर कुटिल मुस्कान बिखेर कर व खुशी से अपनी मुंडी ऊपर नीचे कर हीरादे के आगे स्वीकारोक्ति कर जबाब दे दिया।
उसे तत्काल समझ आ गया कि उसका पति भ्रष्ट्राचारी है। उसके पति ने अपनी मातृभूमि के लिए गद्दारी की है और अपने उस राजा के साथ विश्वासघात किया है। हीरादे आग बबूला हो उठी और क्रोद्ध से भरकर अपने पति को धिक्कारते हुए दहाड़ उठी- अरे! गद्दार आज विपदा के समय दुश्मन को किले की गुप्त जानकारी देकर अपने देश के साथ गद्दारी करते हुए तुझे शर्म नहीं आई?
क्या तुम्हें ऐसा करने के लिए ही तुम्हारी माँ ने जन्म दिया था?
अपनी माँ का दूध लजाते हुए तुझे जरा सी भी शर्म नहीं आई?
क्या तुम एक क्षत्रिय होने के बावजूद क्षत्रिय द्वारा निभाये जाने वाले राष्ट्रधर्म को भूल गए?
विका दहिया ने हीरादे को समझाने का प्रयास किया हीरादे जैसी देशभक्त क्षत्रिय नारी उसके बहकावे में कैसे आ सकती थी?
पति पत्नी के बीच इसी बात पर बहस बढ़ गयी। विका दहिया की हीरादे को समझाने की हर कोशिश ने उसके क्रोध को और ज्यादा भड़काने का ही कार्य किया।
हीरादे पति की इस गद्दारी से बहुत दुखी व क्रोधित हुई। उसे अपने आपको ऐसे गद्दार पति की पत्नी मानते हुए शर्म महसूस होने लगी।
उसने मन में सोचा कि युद्ध के बाद उसे एक गद्दार व देशद्रोही की बीबी होने के ताने सुनने पड़ेंगे। इन्ही विचारों के साथ किले की सुरक्षा की गोपनीयता दुश्मन को पता चलने के बाद युद्ध के होने वाले संभावित परिणाम और जालौर दुर्ग में युद्ध से पहले होने वाले जौहर के दृश्य उसके मन मष्तिष्क में चलचित्र की भांति चलने लगे। जालौर दुर्ग की रानियों व अन्य महिलाओं द्वारा युद्ध में हारने की आशंका के चलते अपने सतीत्व की रक्षा के लिए जौहर की धधकती ज्वाला में कूदने के दृश्य, छोटे छोटे बच्चों के रोने कलपने के दृश्य।
उसे उन योद्धाओं के चेहरे के भाव, जिनकी पत्नियां उनकी आँखों के सामने जौहर चिता पर चढ़ अपने आपको पवित्र अग्नि के हवाले करने वाली थी, स्पष्ट दिख रहे थे। साथ ही दिख रहा था जालौर के रणबांकुरों द्वारा किया जाने वाले शाके का दृश्य जिसमें जालौर के रणबांकुरे दुश्मन से अपने रक्त के आखिरी कतरे तक लोहा लेते लेते कट मरते हुए मातृभूमि की रक्षार्थ शहीद हो रहे थे।
एक तरफ उसे जालौर के राष्ट्रभक्त वीर स्वातंत्र्य की बलि वेदी पर अपने प्राणों की आहुति देकर स्वर्ग गमन करते नजर आ रहे थे तो दूसरी और उसकी आँखों के आगे उसका भ्रष्ट्राचारी राष्ट्रद्रोही पति खड़ा था।
ऐसे दृश्यों के मन आते ही हीरादे विचलित व व्यथित हो गई। उन वीभत्स दृश्यों के पीछे सिर्फ उसे अपने पति की गद्दारी नजर आ रही थी। उसकी नजर में सिर्फ और सिर्फ उसका पति ही इस सबका जिम्मेदार था।
हीरादे की नजर में पति द्वारा किया गया यह एक ऐसा जघन्य अपराध था जिसका दंड उसी वक्त देना आवश्यक था। उसने मन ही मन अपने गद्दार पति को इस गद्दारी का दंड देने का निश्चय किया।
उसके सामने एक तरफ उसका सुहाग था तो दूसरी तरफ देश के साथ अपनी मातृभूमि के साथ गद्दारी करने वाला गद्दार पति। उसे एक तरफ देश के गद्दार को मारकर उसे सजा देने का कर्तव्य था तो दूसरी और उसका अपना उजड़ता सुहाग।
आखिर उस देशभक्त वीरांगना ने तय किया कि- "अपनी मातृभूमि की सुरक्षा के लिए यदि उसका सुहाग खतरा बना है तो ऐसे अपराध व दरिंदगी के लिए उसकी भी हत्या कर देनी चाहिए। गद्दारों के लिए यही एक मात्र सजा है।"
मन में उठते ऐसे अनेक विचारों ने हीरादे के रोष को और भड़का दिया उसका शरीर क्रोध के मारे कांप रहा था। उसके हाथ देशद्रोही को सजा देने के लिए तड़प उठे। हीरादे ने आव देखा न ताव पास ही रखी तलवार उठाकर एक झटके में अपने गद्दार और देशद्रोही पति का सिर काट डाला।
हीरादे के एक ही वार से विका दहिया का सिर कट कर लुढक गया।
वह एक हाथ में नंगी तलवार व दुसरे हाथ में अपने गद्दार पति का कटा मस्तक लेकर अपने राजा कान्हड़ देव के समक्ष उपस्थित हुई और अपने पति द्वारा गद्दारी किये जाने व उसे उचित सजा दिए जाने की जानकारी दी।
कान्हड़ देव ने इस राष्ट्रभक्त वीरांगना को नमन किया और हीरादे जैसी वीरांगनाओं पर गर्व करते हुए अल्लाउद्दीन की सेना से आज निर्णायक युद्द के लिए चल पड़े।
हीरादे अनायास ही अपने पति के बारे में बुदबुदा उठी-
"हिरादेवी भणइ चण्डाल सूं मुख देखाड्यूं काळ"
अर्थात्- विधाता आज कैसा दिन दिखाया है कि इस चण्डाल का मुंह देखना पड़ा।
इस तरह एक देशभक्त वीरांगना अपने पति को भी देशद्रोह व भ्रष्टाचार का दंड देने से नहीं चूकी।
देशभक्ति के ऐसे उदाहरण विरले ही मिलते है जब एक पत्नी ने देशद्रोह के लिए अपने पति को मौत के घाट उतार कर अपना सुहाग उजाड़ा हो। देश के ही क्या दुनियां के इतिहास में राष्ट्रभक्ति का ऐसा अतुलनीय अनूठा उदाहरण कहीं नहीं मिल सकता।
काश आज हमारे देश में भ्रष्ट्राचार में लिप्त बड़े बड़े अधिकारियों, नेताओं व मंत्रियों की पत्नियाँ भी हीरादे जैसी देशभक्त नारी से सीख ले अपने भ्रष्ट पतियों का भले सिर कलम न करें पर उन्हें धिक्कार कर बुरे कर्मों से तो रोक सकती ही है।

Sunday, November 5, 2023

❤️❤️हृदय परिवर्तन ❤️❤️

गांव की एक खूबसूरत नवयुवती अपने तीन साल के बच्चे को चिड़ियाघर घुमा रही थी।
वहीं पांच-सात कॉलेज के लड़के उसे बार-बार देखते हुए आपस में कुछ बातें कर रहे थे। वो उस खूबसूरत, अकेली देहाती युवती के पीछे हो लिए। युवती अपने बच्चे को कभी गोद में तो कभी उंगली पकड़े उसे बारी-बारी से जानवरों को दिखा रही थी। पीछे लगे आवारा लड़कों से बिल्कुल बेखबर...
"चलती है क्या नौ से बारह" फिल्मी गाने गाते वो उसे कट मारकर अट्टहास करते आगे निकल गए। युवती ने उनपर ध्यान नहीं दिया। वो हिरन के बाड़े के पास अपने बच्चे को उन्हें दिखा रही थी। बच्चा चहकता हुआ उन्हें देख रहा था। आवारा लड़के उस युवती को घूर रहे थे। वो लड़के बगल में ही शेर के बाड़े के पास जोर से उसे देख फब्तियां कस रहे थे।
उनमें से एक लड़का पूरे जोश में था। बाड़े के ऊपर लगे ग्रिल पर बैठ भद्दे गाने गा रहा था। युवती बच्चे को लिए शेर को दिखाने बढ़ चली थी। युवती को देख ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उसे उन लड़कों से तनिक भी भय नहीं या वो उन्हें अनदेखा अनसुना कर रही है, युवक अतिउत्साहित हो उठा। सभी ठहाके लगा रहे थे। युवती बाड़े के पास पहुंच चुकी थी। तभी बाड़े के ऊपर चढ़ा लड़का,लड़खड़ाते हुए, बाड़े के अंदर गिर पड़ा। लोगों के होश फाख्ता हो गए।
बाड़े से दूर बैठा शेर उठ चुका था। उसने गुर्राते हुए कदम धीरे-धीरे लड़के की तरफ बढ़ा दिया। उसके दोस्त असहाय होकर खड़े थे और सिर्फ चिल्ला रहे थे। भागता हुआ एक गार्ड आकर शेर को आवाज देकर जाने को कह रहा था। एक मिनट के भीतर अफरा-तफरी मच चुकी थी। शेर को आता देख गिरा हुआ लड़का डर से कांप रहा था। उसके जोश के साथ शायद होश भी ठंढे पड़ चुके थे।
" माँ.. माँ.. बचाओ..बचाओ" की आवाज लगातार तेज हो रही थी और शेर की चाल भी।
तभी उस देहाती युवती ने, अपने बदन से साढ़े पांच मीटर लंबी साड़ी उतार बाड़े में लटका दिया। बाड़े में गिरे लड़के ने तुरंत उस साड़ी का सिरा मजबूती से पकड़ लिया फिर लोगों की मदद से उसे निकाल लिया गया। गार्ड युवक को संभालता हुआ बोल पड़ा..."पहले तुम्हारी माँ ने जन्म दिया था, आज इस युवती ने तुम्हें दुबारा जन्म दिया है"
सिर्फ ब्लाउज और पेटिकोट में खड़ी वो अर्धनग्न युवती अब उन लड़कों को उनकी माँ नज़र आ रही थी...
अतः हो सके तो किसी को बेवजह सताओ नहीं, पता नहीं वह कब तुम्हारे लिए देवदूत बनकर खड़ा हो जाए..।