Sunday, December 13, 2020

स्वस्थ भारत भाग 2 (लेखक की नई पुस्तक)






सुबह उठते ही एक चम्मच कच्चा जीरा चबा कर उसका रस चूस लो बाद में बचा जीरा खाकर गुनगुना पानी पियो और भूल जाओ क्या होती है एसिडिटी।

आजमाया हुआ नुस्खा है कुछ दिन तक लगातार प्रयोग करे।एसिडिटी के लिए एलोपैथिक गोलियां या ईनो इत्यादि का प्रयोग नही करे ये बाद में नुकसानदेह सिद्ध होती है।


घरेलू वस्तुओं के उपयोग से हम कैसे निरोगी रह सकते हैं क्या आपके पास कुछ घरेलू नुस्खे हैं?

पहला सुख निरोगी काया अपने डॉक्टर खुद बने(वैद्यकीय डॉक्टर से सलाह भी ले)

1 = केवल सेंधा नमक प्रयोग करे!थायराईड बी पी और पेट ठीक होगा!

2 = केवल स्टील का कुकर ही प्रयोग करें!अल्युमिनियम में मिले हुए लेड से होने वाले नुकसानों से बचेंगे!

3 = कोई भी रिफाइंड तेल ना खाकर केवल तिल! मूंगफली सरसों और नारियल का प्रयोग करें!रिफाइंड में बहुत केमिकल होते है!जो शरीर में कई तरह की बीमारियाँ पैदा करते है!

4 = सोयाबीन बड़ी को 2 घण्टे भिगो कर मसल कर ज़हरीली झाग निकल कर ही प्रयोग करे!

5 = रसोई में एग्जास्ट फैन जरूरी है!प्रदूषित हवा बाहर करे!

6 = काम करते समय स्वयं को अच्छा लगने वाला संगीत चलाएं। खाने में भी अच्छा प्रभाव आएगा और थकान कम होगी!

7 = देसी गाय के घी का प्रयोग बढ़ाएं। अनेक रोग दूर होंगे, वजन नहीं बढ़ता!

8 = ज्यादा से ज्यादा मीठा नीम/कढ़ी पत्ता खाने की चीजों में डालें सभी का स्वास्थ्य ठीक करेगा!

9 = ज्यादा से ज्यादा चीजें लोहे की कढ़ाई में ही बनाएं! आयरन की कमी किसी को नहीं होगी!

10 = भोजन का समय निश्चित करे!पेट ठीक रहेगा! भोजन के बीच बात न करें!भोजन ज्यादा पोषण देगा!

11 = नाश्ते में अंकुरित अन्न शामिल करें!पोषक विटामिन और फाइबर मिलेंगे!

12 = सुबह के खाने के साथ देशी गाय के दूध का बना ताजा दही लें पेट ठीक रहेगा!

13 = चीनी कम से कम प्रयोग करें!ज्यादा उम्र में हड्डियां ठीक रहेंगी!

14 = चीनी की जगह बिना मसले का गुड़ या देशी शक्कर ले!

15 = छौंक में राई के साथ कलौंजी का भी प्रयोग करे! फायदे इतने कि लिख ही नहीं सकते!

16 = चाय के समय आयुर्वेदिक पेय की आदत बनाएं व निरोग रहेंगे!

17 = एक डस्टबिन रसोई में और एक बाहर रखें!सोने से पहले रसोई का कचरा बाहर के डस्ट बिन में डालें!

18 = रसोई में घुसते ही नाक में घी या सरसों का तेल लगाएं सर और फेफड़े स्वस्थ रहेंगें!

19 = करेले मैथी और मूली यानि कड़वी सब्जियां भी खाएँ, रक्त शुद्ध रहेगा!

20 = पानी मटके वाले से ज्यादा ठंडा न पिएं, पाचन व दांत ठीक रहेंगे!

21 = प्लास्टिक और अल्युमिनियम रसोई से हटाएं दोनों केन्सर कारक है!

22‌ = माइक्रोवेव ओवन का प्रयोग कैंसर कारक है!

23 = खाने की ठंडी चीजें कम से कम खाएँ पेट और दांत को खराब करती हैं!

24 = बाहर का खाना बहुत हानिकारक है!खाने से सम्बंधित ग्रुप से जुड़कर सब घर पर ही बनाएं!

25 = तली चीजें छोड़ें वजन पेट एसिडिटी ठीक रहेंगी!

26 = मैदा बेसन छौले राजमां और उड़द कम खाएँ गैस की समस्या से बचेंगे!

27 = अदरक अजवायन का प्रयोग बढ़ाएं गैस और शरीर के दर्द कम होंगे!

28 = बिना कलौंजी वाला अचार हानिकारक होता है!

29 = पानी का फिल्टर R O वाला हानिकारक है!-U V वाला ही प्रयोग करे!सस्ता भी और बढ़िया भी!

30 = रसोई में ही बहुत से कॉस्मेटिक्स हैं!इस प्रकार के ग्रुप से जानकारी लें!

31 = रात को आधा चम्मच त्रिफला एक कप पानी में डाल कर रखें!सुबह कपड़े से छान कर इस जल से आंखें धोएं, चश्मा उतर जाएगा। छानने के बाद जो पाउडर बचे उसे फिर एक गिलास पानी में डाल कर रख दें!रात को पी जाएं!पेट साफ होगा कोई रोग एक साल में नहीं रहेगा

32 = सुबह रसोई में चप्पल न पहनें शुद्धता भी एक्यू प्रेशर भी!

33 = रात का भिगोया आधा चम्मच कच्चा जीरा सुबह खाली पेट चबा कर वही पानी पिएं एसिडिटी खतम!

34 = एक्यूप्रेशर वाले पिरामिड प्लेटफार्म पर खड़े होकर खाना बनाने की आदत बना लें तो भी सब बीमारियां शरीर से निकल जायेंगी!

35 = चौथाई चम्मच दालचीनी का कुल उपयोग दिन भर में किसी भी रूप में करने पर निरोगता अवश्य होगी!

36 = रसोई के मसालों से बनी चाय मसाला स्वास्थ्यवर्धक है!

37 = सर्दियों में नाखून के बराबर जावित्री कभी चूसने से सर्दी के असर से बचाव होगा!

38 = सर्दी में बाहर जाते समय 2 चुटकी अजवायन मुहं में रखकर निकलिए सर्दी से नुकसान नहीं होगा!

39 = रस निकले नीबू के चौथाई टुकड़े में जरा सी हल्दी! नमक फिटकरी रख कर दांत मलने से दांतों का कोई भी रोग नहीं रहेगा!

40 = कभी - कभी नमक - हल्दी में 2 बून्द सरसों का तेल डाल कर दांतों को उंगली से साफ करें दांतों का कोई रोग टिक नहीं सकता!

41 = बुखार में 1 लीटर पानी उबाल कर 250 ml कर लें, साधारण ताप पर आ जाने पर रोगी को थोड़ा थोड़ा दें, दवा का काम करेगा!

42 = सुबह के खाने के साथ घर का जमाया देशी गाय का ताजा दही जरूर शामिल करें

With thanks by Ankita Joshi

Ayurvedic concepts  and  medicines have been discussed in following two books of the Author

स्वस्थ भारत भाग 1 cost rs 100

स्वस्थ भारत भाग 2  cost rs 125

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Friday, December 11, 2020

कोलेस्ट्रॉल को नसों में जमने से कैसे रोका जा सकता है?

 


चित्र गूगल से लिया है।

कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार के होते हैं एक अच्‍छा (HDL) और दूसरा खराब (LDL) कोलेस्ट्रॉल। इन में से खराब कोलेस्‍ट्राल आपके शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है और आपके विभिन्‍न स्‍वास्‍थ्‍य खतरों का कारण बन सकता।

इसे नियंत्रित करने के लिए अपने भोजन में निम्न चीजों को शामिल करे:

मेथी बीज का सेवन करने से रक्‍त में ट्राइग्लिसराइड्स और कोलेस्ट्रॉल के स्‍तर को नियंत्रित किया जा सकता है।

ओट्स में फाइबर पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है और इसमें बीटा ग्लूकॉन भी होता है जो आंतों की सफाई करता है और कब्ज से राहत दिलाता है। नियमित तौर पर नाश्ते में ओट्स खाने से शरीर में कोलेस्‍ट्राल को लगभग 6 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।

कोलेस्‍ट्राल सबसे ज्यादा तेल की वजह से बढ़ता है। ऑलिव ऑयल के इस्तेमाल से सामान्य तेल की अपेक्षा 8 प्रतिशत तक कोलेस्‍ट्राल कम किया जा सकता है।

मछली में ओमेगा 3 फैटी ऐसिड पाया जाता है। स्वस्थ रहने के लिए सप्ताह में दो बार स्टीम्ड या ग्रिल्ड मछली खा सकते हैं।

अलसी के बीज कलेस्ट्रॉल को कम करने में काफी मददगार होते हैं। बेहतर होगा कि आप साबुत बीज की जगह पर पिसे हुए बीज का सेवन करें।

ग्रीन टी कोलेस्‍ट्राल को कम करने में काफी सहायक होती है।

धनिया की बीजों के पाउडर को एक कप पानी में उबालकर दिन में दो बार पीने से भी कोलेस्‍ट्राल कम होता है।

हाई कलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में लाल प्याज काफी फायदेमंद होता है। एक चम्मच प्याज के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर सेवन करें।

एक चम्मच सूखे आंवला के पाउडर को एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर सुबह-सुबह पीने से कलेस्ट्रॉल कम होता है।

सेब का सिरका हमारे शरीर के टोटल कलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के लेवल को कम करता है।

संतरे का जूस कलेस्ट्रॉल को प्राकृतिक रूप से कम करने के लिए नियमित तौर पर तीन कप संतरे के जूस पिएं।

नारियल का तेल कलेस्ट्रॉल कम करने के लिए रोज खाने के साथ आर्गेनिक नारियल के तेल का एक से दो चम्मच इस्तेमाल करें। रिफाइंड या प्रोसेस्ड नारियल के तेल का इस्तेमाल न करें।

रोज 50 ग्राम मूंगफली के दाने खाने से कलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है।

अखरोट सुबह उठकर 2-3 अखरोट नियमित तौर पर खाने से कलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण पाय�

जई (Oats) में घुलनशील फाइबर की अधिक मात्रा उपलब्‍ध होती है जो कि प्‍लाक गठन को रोकती है जो स्‍वस्‍थ्‍य रक्‍त परिसंचरण में मदद करती है। इसलिए यदि आप अपना शरीर से अतिरिक्‍त कोलेस्ट्रॉल को कम करना चाहते हैं तो इस तरह के प्राकृतिक खाद्य पदार्थों का उपयोग कर सकते हैं जो आपके लिए लाभकारी होते हैं।

फलियों में घुलनशील फाइबर बहुत अच्‍छी मात्रा में होते हैं जो हमारे पाचन स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत ही लाभकारी होते हैं। इनकी उपस्थिति के कारण आपके शरीर को पाचन में थोड़ी देर लगती है जिसका अर्थ है कि आपको लंबे समय तक भूक महसूस नहीं होती है। वजन घटाने की कोशिश करने वाले लोगों के लिए यह एक बहुत ही उपयुक्‍त भोजन सामग्री है। इस तरह आप इन सेम आधारित बहुत से खाद्य पदार्थ हैं जिनका उपयोग कर आप कोलेस्ट्रॉल स्‍तर को नियंत्रित कर सकते हैं ऐसे खाद्य पदार्थों में शामिल हैं, नेवी बीन, गुर्दे सेम (kidney beans), मसूर, मटर, काली मटर आदि।

Rina Bhardwaj

Wednesday, November 11, 2020

बवासीर का घरेलु निदान

       जब मलाशय की शिरायें फूल जाती हैं तो उनमें गाँठे बन जाती हैं। यह कब्ज के कारण होता है जो लोग अधिक समय तक गद्दी या कुर्सी पर बैठे रहते हैं, उनकी गूदा (Anus) की श्लैष्मिक झिल्ली में उत्तेजना पैदा होती है क्योंकि रक्तवाहीनियाँ दब जाती है। प्रोस्टेट गलैण्ड के बढ़ जाने तथा मूत्राशय में पथरी हो जाने के कारण बवासीर की शिकायत हो जाती है। गुदा में मस्से गुच्छों के रूप में उभर आते हैं। जो लोग कटु, अम्ल, लवण, तीक्ष्ण तथा गरम पदार्थों का सेवन अधिक करते हैं, उनको भी यह रोग हो जाता है।

रोग के लक्षण

      गुदाद्वार के भीतर तथा बाहर एक छोटी-सी गाँठ बन जाती है जिसमें सूजन होती है, गाँठों में टपकन, जलन तथा अकड़न पैदा हो जाती है। मल त्याग के समय दर्द होता है तथा खून गिरता है। (Anus) में जलन, दर्द, कड़ापन, बार-बार खुजली होती है। भूख कम हो जाती है, जोड़ों तथा जाँघों में दर्द होता है, लगातार कमजोरी उत्पन्न होती है।

उपचार

  • सुबह खाली पेट 2 चम्मच मूली का रस चुटकीभर नमक मिलाकर पीयें।
  • बादी बवासीर (सूखी और सूजन वाली) में नीम का तेल या कासीसादि या जात्यादि तेल का अन्दर पिचू लें (रबड़ की पाइप द्वारा) और बाहर मस्सों पर लगाएँ।
  • पके अनार के छिलकों को छाया में सूखाकर पीस लें और बारीक कपड़छन चूर्ण बना लें और रोजाना दिन में 3 बार 2-2 चम्मच चूर्ण को पानी या मट्ठे से सेवन करें।
  • 1 चम्मच आँवले का चूर्ण मट्ठे के साथ या पानी के साथ खायें।
  • गूदा पर दिखाई देने वाले बवासीर के मस्सों पर पपीते की जड़ पानी में घिसकर लगायें।
  • गाजर का रस एक कप तथा पालक का रस एक कप - दोनों को 8-10 दिनों तक नियमित रूप से पीने से बवासीर खत्म हो जाती है।
  • रीठे के छिलके तवे पर भूनकर पीस लें, फिर उसमें समभाग पपरिया कत्था मिलाकर मस्सों पर लगायें।
  • थोड़ी-सी फिटकरी और थोड़ी-सी हरड़ पिसी हुई - दोनों को मक्खन में मिलाकर गुदा पर लगायें।
  • 1 चुटकी त्रिफला चूर्ण शहद के साथ रोजाना सेवन करें ऊपर से मट्ठा या पानी पी लें।
  • सप्ताह में एक बार हल्के गरम पानी (1 लीटर) में 1 नीम्बू का रस मिलाकर एनिमा पाइप से एनिमा लें ताकि कब्ज की शिकायत न रहे।
  • गरम पानी को बड़े टब में भरकर नीचे (Hips) की सिंकाई करें।
  • रोजाना 4-5 लीटर पानी पीयें।
  • गुदा मार्ग की साफ-सफाई अच्छे से पानी डालकर करें।

      इन घरेलू उपायों को करते हुए आयुर्वेदिक/होम्योपैथिक/एलोपैथिक जो पद्धति आपको सही लगे वह दवा डॉक्टर के निर्देशन में सेवन करें।

Sunday, November 8, 2020

क्या आप तस्वीरों के माध्यम से स्वास्थ्य सलाह दे सकते हैं?

 


bY rAHUL pARASHAR

नाभि में छुपा है आपकी सेहत का राज

 

क्या आपकी नाभि में छुपा है आपकी सेहत का राज?

नाभि को शरीर का सेंट्रल पॉइंट कहा जाता है। इसी के द्वारा आप अपनी शरीर से जुड़ी समस्याओं का उपचार करके अच्छा स्वास्थ्य पा सकते हैं। नाभि में सेहत के राज छुपे हुए है। आओ जानते हैं:-

अगर आंखों की नसें और नज़र कमजोर हो गई है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। नारियल का तेल और शुद्ध गाय के घी को मिलाकर रात को सोने से पहले नाभि में 3–4 बूंदे टपकाएं और 15–20 मिनट ऐसे ही लेटे रहे। नाभि इस तेल को सोख लेगी। कुछ महीनों के बाद ही यह समस्या दूर हो जाएगी है।

पीरियड्स के समय महिलाओं को दर्द होने पर नाभि में थोड़ी-सी ब्रांडी रूई में भिगोकर रखने से दर्द मिनटों में दूर हो जाता है।

शरीर में किसी भी प्रकार की कमजोरी होने पर रात को सोने से पहले नाभि में गाय का शुद्ध देसी घी लगाना चाहिए। इससे कुछ दिनों में ही शारीरिक कमजोरी दूर हो जाती है।

होंठ फटते हैं या काले पड़ गए हैं तो नाभि में सरसों का तेल कुछ दिन लगाने यह समस्या ठीक हो जाती है। इससे पुराना सिर दर्द ठीक होता है और बालों की अनेक प्रकार की समस्याएं भी दूर हो जाती हैं।

चेहरे को चमकदार और सुंदर बनाने के लिए नाभि में बादाम का तेल लगाना चाहिए। इससे सर्दियों में चेहरे की खुश्की भी दूर होती है।

चेहरे के कील-मुंहासे और दाग-धब्बों को दूर करने के लिए नाभि में नीम का तेल या नीम का रस बहुत ही लाभकारी माना गया है।

चेहरे को हमेशा मुलायम रखने के लिए शुद्ध देसी घी को नाभि पर लगाना चाहिए। इससे चेहरे की चमक बरकरार रहती है।

तिल का तेल लगाने से शरीर में दर्द से राहत मिलती है।

जैतून का तेल लगाने से जोड़ों के दर्द से छुटकारा मिलता है और मोटापा भी कम होता है। अरंडी का तेल भी जोड़ों के दर्द में फायदेमंद है।

इसके अलावा सरसों का तेल रोजाना नाभि पर लगाने से बहुत बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है।

with thanks from

ASHOK SACHDEVA

आयुर्वेदिक दवा "कामदुधा रस" के फायदे

 कामदुधा रस एक ऐसी आयुर्वेदिक दवा है जिसका उपयोग पाचन समस्याओं, पुराने बुखार, सीने की जलन, ऊर्ध्वाधर (वर्टिगो), मतली, उल्टी, कमजोरी आदि से आराम पाने के लिए किया जाता है। यह हर्बल और खनिज सामग्री से बना होने के कारण इसका प्रयोग कई बीमारियों के आयुर्वेदिक उपचार के लिए किया जाता है।

कामदुधा रस के गुण

  • एंटासिड
  • एंटी-ऑक्सीडेंट
  • एंटी-इंफ्लेमेटरी
  • उलटी रोकने वाला (एंटी-एमटिक)
  • टॉनिक
  • हल्का अवसाद विरोधी (एंटी-डिप्रेसेंट)
  • एडाप्टोजेनिक
  • सिर में चक्कर आने का विरोधी (एंटी-वर्टिगो)
  • 1. सूजन को कम करने में मदद करे

कामदुधा रस के औषधीय गुण पुरानी गैस्ट्र्रिटिस के मामलों में काफी प्रभावी होते हैं| यह पेट के अंदरूनी अस्तर की रक्षा करता है। यह शराब, दर्दनाशक और बैक्टीरिया के कारण होने वाली से परेशानियों की वजह से पेट को होने वाले नुकसान से पेट की रक्षा करता है।

2. एसिडिटी से राहत दिलाये

कामदुधा रस में पाई जाने वाली जड़ी बूटियाँ और खनिज गैस्ट्रिक एसिड से होने वाले प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं। कामदुधा रस सीने की जलन को कम करने, पेट की जलन को कम करने में, खट्टे स्वाद और खट्टी मतली को ठीक करने में भी मदद करता है|

  • 3. पेप्टिक अल्सर को कम करे

कामदुधा रस गैस्ट्रिक अल्सर, ओसोफेजेल अल्सर और डुओडेनल अल्सर के साथ साथ पेप्टिक अल्सर को ठीक करने का भी एक अच्छा उपाय है।

  • कामदुधा ल्यूकोरिया और मासिक धर्म के दौरान भारी रक्तस्त्राव जैसी समस्याओं के लिए एक उपयोगी दवा है।
  • जब किसी को त्वचा के विकार से खून बह रहा हो, जलन हो रहा हो तो इसका उपयोग किया जाता है|
  • कामदूधा रस शीतवीर्य (ठंडा), क्षोभ नाशक और शक्तिदायक है तथा पाचनक्रिया, रुधिराभिसरण, वातवहन क्रिया और मूत्रमार्ग पर शामक असर पहुंचाता है। कामदूधा रस से जीर्णज्वर (पुराना बुखार), पित्तविकार, अम्लपित्त दाह (जलन), मूर्छा, भ्रम (चक्कर), उन्माद यह सब रोग नष्ट हो जाते है।

कामदुधा रस पोषक, रक्तशोधक, शरीरवर्धक, वीर्यवर्धक, बुद्धिवर्धक, ह्रदय की जलन का नाशक, ह्रदय पोषक, और वात-पित्त नाशक है। इसको पित्त से होने वाले सभी रोगों में निस्संकोच प्रयुक्त कर सकते है। आधुनिक रुक्ष (सूखा) और ऊष्ण युग में ऐसी शीत – स्निग्ध औषध सार्वजनिक उपयोग योग्य है।

स्त्रियोंके रक्तप्रदरमे कामदूधा रस उपयोगी है। सगर्भावस्थामे कड़वी, खट्टी, जलती हुई वमन (उल्टी) होती हो, तो वह भी कामदूधा रसके सेवनसे शमन होजाती है।

बालकोकी काली खांसी पर उपयोगी औषधियोंमे कामदूधा रस उत्तम औषधि है। अति निर्बलता आने पर और आमाशय ()मे अधिक उग्रता होने पर अन्य औषधिया जब निष्फल होजाती है तब यह लाभ पहुंचा देती है।

कामदुधा रस शीतवीर्य होने से इसका शामक प्रभाव पाचनक्रिया, रुधिराभिसरण क्रिया, वात वहन क्रिया और मूत्र मार्ग पर होता है। इन अवयवों में उत्पन्न दाह (जलन) कम होता है।

इसका कार्य भ्रम, चक्कर आदि विकारों से लेकर उन्माद (Insanity) की परिस्थिति तक मस्तिष्क के विकार, आमाशय (Stomach) से लेकर सब महास्त्रोतों के विकार, मूत्राघात (पेशाब की उत्पत्ति कम होना या पेशाब का रुकना), मुत्रोत्सर्ग, मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) आदि मूत्रविकार तथा सामान्य रक्तस्त्राव और नाक से रक्तस्त्राव व रक्तपित्त की भयंकर स्थिति तक, सब पर विभिन्न अनुपनों से उपयोगी है।

इसका निर्माण अधिकतर सुधा (चुना) कल्प से होने के कारण शक्ति वर्धक भी होता है। जीर्णज्वर (पुराना बुखार) में शक्तिपात होता ही है उसे यह दूर करता है।

इसके योग घटक में शंख, कपर्दिक होने से प्लीहावृद्धि (Spleen Enlargement) दूर होकर वह स्वस्थ स्थिति में आ जाता है। मंदाग्नि दूर होकर भूख लगने लगती है।

शीत सह ज्वर (Malaria) में कड़वी (तिक्त) औषधियों का अधिक उपयोग किया जाता

  • कामदुधा रस के साइड इफेक्ट्स
  • कामदुधा रस ज्यादा खुराक लेने से कब्ज हो सकती है|
  • गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसे लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
  • कामदुधा रस को अपने आप ही दवा के रूप में लेना खतरनाक है।
  • ज्यादा दवा लेने से झटके और चक्कर आ सकते हैं
with thanks SACHIN SAHU