कामदुधा रस एक ऐसी आयुर्वेदिक दवा है जिसका उपयोग पाचन समस्याओं, पुराने बुखार, सीने की जलन, ऊर्ध्वाधर (वर्टिगो), मतली, उल्टी, कमजोरी आदि से आराम पाने के लिए किया जाता है। यह हर्बल और खनिज सामग्री से बना होने के कारण इसका प्रयोग कई बीमारियों के आयुर्वेदिक उपचार के लिए किया जाता है।
कामदुधा रस के गुण
- एंटासिड
- एंटी-ऑक्सीडेंट
- एंटी-इंफ्लेमेटरी
- उलटी रोकने वाला (एंटी-एमटिक)
- टॉनिक
- हल्का अवसाद विरोधी (एंटी-डिप्रेसेंट)
- एडाप्टोजेनिक
- सिर में चक्कर आने का विरोधी (एंटी-वर्टिगो)
- 1. सूजन को कम करने में मदद करे
कामदुधा रस के औषधीय गुण पुरानी गैस्ट्र्रिटिस के मामलों में काफी प्रभावी होते हैं| यह पेट के अंदरूनी अस्तर की रक्षा करता है। यह शराब, दर्दनाशक और बैक्टीरिया के कारण होने वाली से परेशानियों की वजह से पेट को होने वाले नुकसान से पेट की रक्षा करता है।
2. एसिडिटी से राहत दिलाये
कामदुधा रस में पाई जाने वाली जड़ी बूटियाँ और खनिज गैस्ट्रिक एसिड से होने वाले प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं। कामदुधा रस सीने की जलन को कम करने, पेट की जलन को कम करने में, खट्टे स्वाद और खट्टी मतली को ठीक करने में भी मदद करता है|
- 3. पेप्टिक अल्सर को कम करे
कामदुधा रस गैस्ट्रिक अल्सर, ओसोफेजेल अल्सर और डुओडेनल अल्सर के साथ साथ पेप्टिक अल्सर को ठीक करने का भी एक अच्छा उपाय है।
- कामदुधा ल्यूकोरिया और मासिक धर्म के दौरान भारी रक्तस्त्राव जैसी समस्याओं के लिए एक उपयोगी दवा है।
- जब किसी को त्वचा के विकार से खून बह रहा हो, जलन हो रहा हो तो इसका उपयोग किया जाता है|
- कामदूधा रस शीतवीर्य (ठंडा), क्षोभ नाशक और शक्तिदायक है तथा पाचनक्रिया, रुधिराभिसरण, वातवहन क्रिया और मूत्रमार्ग पर शामक असर पहुंचाता है। कामदूधा रस से जीर्णज्वर (पुराना बुखार), पित्तविकार, अम्लपित्त दाह (जलन), मूर्छा, भ्रम (चक्कर), उन्माद यह सब रोग नष्ट हो जाते है।
कामदुधा रस पोषक, रक्तशोधक, शरीरवर्धक, वीर्यवर्धक, बुद्धिवर्धक, ह्रदय की जलन का नाशक, ह्रदय पोषक, और वात-पित्त नाशक है। इसको पित्त से होने वाले सभी रोगों में निस्संकोच प्रयुक्त कर सकते है। आधुनिक रुक्ष (सूखा) और ऊष्ण युग में ऐसी शीत – स्निग्ध औषध सार्वजनिक उपयोग योग्य है।
स्त्रियोंके रक्तप्रदरमे कामदूधा रस उपयोगी है। सगर्भावस्थामे कड़वी, खट्टी, जलती हुई वमन (उल्टी) होती हो, तो वह भी कामदूधा रसके सेवनसे शमन होजाती है।
बालकोकी काली खांसी पर उपयोगी औषधियोंमे कामदूधा रस उत्तम औषधि है। अति निर्बलता आने पर और आमाशय ()मे अधिक उग्रता होने पर अन्य औषधिया जब निष्फल होजाती है तब यह लाभ पहुंचा देती है।
कामदुधा रस शीतवीर्य होने से इसका शामक प्रभाव पाचनक्रिया, रुधिराभिसरण क्रिया, वात वहन क्रिया और मूत्र मार्ग पर होता है। इन अवयवों में उत्पन्न दाह (जलन) कम होता है।
इसका कार्य भ्रम, चक्कर आदि विकारों से लेकर उन्माद (Insanity) की परिस्थिति तक मस्तिष्क के विकार, आमाशय (Stomach) से लेकर सब महास्त्रोतों के विकार, मूत्राघात (पेशाब की उत्पत्ति कम होना या पेशाब का रुकना), मुत्रोत्सर्ग, मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) आदि मूत्रविकार तथा सामान्य रक्तस्त्राव और नाक से रक्तस्त्राव व रक्तपित्त की भयंकर स्थिति तक, सब पर विभिन्न अनुपनों से उपयोगी है।
इसका निर्माण अधिकतर सुधा (चुना) कल्प से होने के कारण शक्ति वर्धक भी होता है। जीर्णज्वर (पुराना बुखार) में शक्तिपात होता ही है उसे यह दूर करता है।
इसके योग घटक में शंख, कपर्दिक होने से प्लीहावृद्धि (Spleen Enlargement) दूर होकर वह स्वस्थ स्थिति में आ जाता है। मंदाग्नि दूर होकर भूख लगने लगती है।
शीत सह ज्वर (Malaria) में कड़वी (तिक्त) औषधियों का अधिक उपयोग किया जाता
- कामदुधा रस के साइड इफेक्ट्स
- कामदुधा रस ज्यादा खुराक लेने से कब्ज हो सकती है|
- गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसे लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
- कामदुधा रस को अपने आप ही दवा के रूप में लेना खतरनाक है।
- ज्यादा दवा लेने से झटके और चक्कर आ सकते हैं
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