Sunday, June 8, 2025

पुरुषों के समस्त गुप्त रोग हेतु उपाय

 🌿सामग्री 🌿

अश्वगंधा – 50 ग्राम
शतावरी – 50 ग्राम
विदारीकंद – 25 ग्राम
कौंच बीज (शुद्ध) – 25 ग्राम
मुसली सफेद – 25 ग्राम
अकरकरा – 10 ग्राम
यष्टिमधु – 25 ग्राम
शुद्ध शिलाजीत – 10 ग्राम
प्रवाल भस्म – 5 ग्राम
लौह भस्म – 5 ग्राम
वांग भस्म – 5 ग्राम
त्रिभंग भस्म – 5 ग्राम

सभी औषधियों को सममात्रा में मिलाकर बारीक चूर्ण बनाएं।

1 चम्मच (5 ग्राम) सुबह खाली पेट और रात को सोते समय गुनगुने दूध या मिश्री युक्त जल के साथ लें।

🌿 बाहरी उपयोग हेतु तेल – "बलप्रद तैल"

तिल का तेल – 100 ml
अश्वगंधा क्वाथ – 100 ml
अकरकरा अर्क – 10 ml
जायफल अर्क – 5 ml
कपूर – 2 ग्राम

रात्रि में कमर व नाभि क्षेत्र के आसपास या स्नायु कमजोर स्थानों पर हल्के हाथों से 5 मिनट मालिश करें।
(कोई भी संवेदनशील स्थान पर न लगाएं)
साथ में 
✅ 2 छुहारे रातभर दूध में भिगोकर सुबह उबालकर सेवन करें।
✅ शुद्ध शिलाजीत (250-300 mg) को दूध के साथ सप्ताह में 3 बार लें।
✅ आंवला, गोखरू, सफेद तिल का नियमित सेवन करें।

🌿 उचित दिनचर्या और योग
मंडूकासन, भुजंगासन, वज्रासन

अनुलोम-विलोम, कपालभाति, भ्रामरी

10 मिनट मौन बैठना मानसिक स्फूर्ति व आत्मबल बढ़ाता है।

✅ क्या लें:

देसी घी, दूध, हरी सब्जियाँ, मेवे
नियमित व्यायाम और 7-8 घंटे की नींद
🚫 क्या न लें:
तनाव, देर रात जागना
अत्यधिक चाय, मसालेदार भोजन, धूम्रपान व नशीले पदार्थ

साधकों के लिए 50 अनमोल सूत्र

 आध्यात्मिक उन्नति और साधना में सफलता का मार्ग 

🌟 *अपने भीतर की दिव्यता को जागृत करें, ये सूत्र आपके साधना पथ को प्रकाशमय करेगी* 🌟  

1. मन की शांति साधना की नींव है।
   रोज कुछ पल मौन में बिताएं, अंतर्मन की आवाज सुनें।  

2. साधना में नियमितता अपनाएं।
   छोटी शुरुआत करें, लेकिन हर दिन साधना का समय निश्चित रखें।  

3. हृदय से मंत्र जपें। 
   शब्दों में नहीं, भावनाओं में मंत्र की शक्ति छिपी है।  

4. अहंकार को त्यागें। 
   साधना का मार्ग विनम्रता से ही खुलता है।  

5. ध्यान में गहराई लाएं। 
   मन को एक बिंदु पर केंद्रित करें, विचारों को तैरने दें।  

6. गुरु का मार्गदर्शन लें।
   सच्चा गुरु वह है जो आपको स्वयं की खोज कराए।  

7. प्रकृति से जुड़ें।
   वृक्ष, नदी, और हवा आपके साधना के सहयोगी हैं।  

8. साधना में विश्वास बनाए रखें।  
   संदेह मन को भटकाता है, श्रद्धा मार्ग दिखाती है।  

9. आत्म-निरीक्षण करें।  
   रोज रात सोने से पहले अपने कर्मों का मूल्यांकन करें।  

10. साधना को जीवन बनाएं।  
    हर कार्य को पूजा की तरह करें, साधना सर्वत्र है।  

11. प्राणायाम को अपनाएं।  
    सांसों को नियंत्रित कर ऊर्जा को जागृत करें।  

12. साधना में एकाग्रता बढ़ाएं। 
    बाहरी शोर से बचें, अंतर्मन में डूबें।  

13. कृतज्ञता का अभ्यास करें।  
    हर दिन के लिए ब्रह्मांड को धन्यवाद दें।  

14. सच्चाई का पालन करें।  
    साधना में सत्य ही सबसे बड़ा बल है।  

15. साधना स्थल को पवित्र रखें। 
    शुद्ध और शांत स्थान ऊर्जा को संग्रहित करता है।  

16. मन को सरल रखें। 
    जटिल विचार साधना के मार्ग में बाधा बनते हैं।  

17. साधना में धैर्य रखें।
    आत्मिक उन्नति समय के साथ ही फलती है।  

18. इष्ट देव से जुड़ें।  
    उनके प्रति प्रेम और समर्पण साधना को गहरा करता है।  

19. आत्म-संयम का अभ्यास करें।  
    इंद्रियों पर नियंत्रण साधना की शक्ति बढ़ाता है।  

20. साधना में भावना लाएं।  
    शुष्क कर्मकांड नहीं, हृदय का समर्पण चाहिए।  

21. स्वाध्याय को अपनाएं।  
    आध्यात्मिक ग्रंथ पढ़ें, ज्ञान साधना का आधार है।  

22. सेवा को साधना बनाएं।  
    दूसरों की मदद से आत्मा का उत्थान होता है।  

23. साधना में समय का सम्मान करें।  
    ब्रह्ममुहूर्त में साधना का विशेष महत्व है।  

24. मन के भय को छोड़ें।  
    साधना में निर्भीकता ही सच्ची शक्ति है।  

25. आत्म-विश्वास बनाए रखें। 
    आपकी साधना आपको ईश्वर से जोड़ती है।  

26. साधना में संतुलन रखें। 
    अति उत्साह और आलस्य दोनों से बचें।  

27. प्रकाश की कल्पना करें।  
    ध्यान में स्वयं को दिव्य ज्योति से घिरा देखें।  

28. साधना को गुप्त रखें। 
    अपनी आध्यात्मिक यात्रा को अनावश्यक चर्चा से बचाएं।  

29. मन को शुद्ध करें।  
    क्रोध, लोभ, और ईर्ष्या से मुक्त रहें।  

30. साधना में प्रेम लाएं।
    ईश्वर के प्रति प्रेम साधना को जीवंत करता है।  

31. आत्म-जागरूकता बढ़ाएं।  
    हर पल अपने विचारों और भावनाओं को जानें।  

32. साधना में लय बनाएं। 
    नियमित अभ्यास से साधना सहज हो जाती है।  

33. नकारात्मकता से दूर रहें।
    सकारात्मक वातावरण साधना को बल देता है।  

34. साधना में सरलता अपनाएं।  
    जटिलता मन को भटकाती है, सरलता जोड़ती है।  

35. स्वयं पर विश्वास करें।  
    आपकी आत्मा में अनंत शक्ति छिपी है।  

36. साधना में आनंद खोजें।  
    साधना बोझ नहीं, मुक्ति का मार्ग है।  

37. मन के द्वंद्व को छोड़ें। 
    साधना में एकनिष्ठता ही सफलता लाती है।  

38. साधना को प्राथमिकता दें।  
    जीवन के अन्य कार्यों से पहले साधना को समय दें।  

39. आध्यात्मिक संगति करें।  
    सत्संग से साधना में प्रेरणा मिलती है।  

40. साधना में शांति खोजें।  
    बाहरी सुख क्षणिक, आत्मिक शांति शाश्वत है।  

41. स्वयं को जानें। 
    साधना का अंतिम लक्ष्य आत्म-साक्षात्कार है।  

42. साधना में स्थिरता लाएं।  
    उतार-चढ़ाव में भी मार्ग पर अडिग रहें।  

43. मन को प्रशिक्षित करें। 
    ध्यान के अभ्यास से मन आपका मित्र बनेगा।  

44. साधना में समर्पण करें।
    ईश्वर को सब कुछ सौंप दें, बंधन टूटेंगे।  

45. आध्यात्मिक लक्ष्य निर्धारित करें।  
    साधना का स्पष्ट उद्देश्य मार्ग को आसान बनाता है।  

46. साधना में स्वतंत्रता खोजें।  
    सच्ची साधना आपको बाहरी बंधनों से मुक्त करती है।  

47. हर अनुभव को गुरु मानें।  
    सुख-दुख दोनों साधना के शिक्षक हैं।  

48. साधना में निरंतरता रखें। 
    रुकावटें आएं, पर साधना कभी न छोड़ें।  

49. आत्मा की आवाज सुनें।  
    अंतर्मन का मार्गदर्शन साधना को सही दिशा देता है।  

50. साधना को जीवन का आधार बनाएं। 
    साधना केवल अभ्यास नहीं, आपका अस्तित्व है।  

🌙 इन सलाहों को हृदय में उतारें, आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करें। 

बाबा वेंगा की भविष्यवाणी

बाबा वेंगा की भविष्यवाणी सच हो गई... हमारे घरों में दस्तक दे चुका है मशहूर भविष्यवक्ता का बताया साइलेंट किलर!

बाबा वेंगा की अहम चेतावनी सच होती दिख रही है। ये भविष्यवाणी या धमकी स्मार्टफोन की लत से जुड़ी है। एनसीपीसीआर की रिपोर्ट बताती है कि लोग सोने से पहले फोन देखते हैं, जो बुरा असर डाल रही है।

बाबा वेंगा की भविष्यवाणियों को एक बड़ा वर्ग मानता है। (फोटो- नवभारतटाइम्स.कॉम)

बुल्गेरिया:बाल्कन की नास्त्रेदमस के नाम से मशहूर बाबा वेंगा की एक अहम भविष्यवाणी एक बार फिर चर्चा में है। बुल्गारिया की प्रसिद्ध अंधी फकीर बाबा वेंगा ने दशकों पहले स्मार्टफोन जैसे उपकरण के खतरे के बारे में चेतावनी दी थी। आज यह चेतावनी सच होती दिख रही है। स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी के लिए एक गंभीर समस्या बन गया है। बाबा वेंगा ने भी एक ऐसे भविष्य की कल्पना की थी, जहां लोग छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर बहुत अधिक निर्भर हो जाएंगे और कई तरह की बीमारियों का सामना करेंगे। उनके बताए उपकरण (साइलेंट किलर) को स्मार्टफोन से जोड़ा जा रहा है।

बाबा वेंगा ने कहा था कि भविष्य में छोटे उपकरण मानव व्यवहार और मानसिक स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण रूप से बदल देंगे। उन्होंने कहा है कि शुरू में जीवन को आसान बनाने के लिए लाई गई ये तकनीक आखिर में मानव कल्याण के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है। उन्होंने टेक्नोलॉजी के खतरे के बारे में जो गंभीर चेतावनी दी थी। उसे आज स्मार्टफोन के ज्यादा उपयोग के चलते नींद और आंखों से जुड़ी बीमारियों से जोड़ा जा सकता है।

डराती रही हैं बाबा वेंगा की भविष्यवाणी

बाबा वेंगा एक बुल्गेरियाई रहस्यवादी शख्सियत थीं, जो अपनी भविष्यवाणियों के लिए जानी जाती हैं। उनका असली नामवैगा डेंगिचेवा है और उनका जन्म 1911 में हुआ था। 1996 में 85 वर्ष की आयु में उनकी मौत हो गई। कहा जाता है कि 12 साल की उम्र में एक तूफान में अपनी दृष्टि खोने के बाद उन्हें भविष्य देखने की शक्ति मिली थी। दावा किया जाता है कि उनकी कई भविष्यवाणी सच साबित हो चुकी हैं।

वेंगा को द्वितीय विश्व युद्ध के बारे में भविष्यवाणी करने के लिए प्रसिद्धि मिली थी। बताया जाता है कि दूसरे विश्व युद्ध के लिए कही गई उनकी कई बातें सच साबित हुई थीं। उनकी भविष्यवाणी से पता चलता है कि 2025 में मानवता का विनाश शुरू हो जाएगा। ये एक के बाद एक विनाशकारी घटनाओं की सीरीज से होगा।

साल 2025 के लिए बाबा वेंगा ने भविष्यवाणी की थी कि ये मानवता के पतन का साल होगा। 2025 में प्रलयंकारी घटनाओं से मानवता की अंत की शुरुआत होगी। उनकी भविष्यणावी 2025 में यूरोप में एक भयावह संघर्ष शुरू होने की बात कहती है, जिससे भारी तबाही मचेगी और इस महाद्वीप की बड़ी आबादी बुरी तरह से इससे प्रभावित होगी।

कलौंजी के तेल के फायदे

 

कलौंजी का तेल कलौंजी का इतिहास सालों पुराना है. सदियों से इसका उपयोग मसाले और दवाइयों के रुप किया जा रहा है. इसके औषधिय गुणों के चलते ही कहा जाता है कि कलौंजी के तेल में हर मर्ज़ का इलाज है सिवाय मौत के.

कलौंजी का तेल पोषक तत्वों से भरपूर कलौंजी में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा जैसे 100 से भी ज्यादा महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं. जो हमारे शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत करते है.

नुस्खा कलौंजी के बीजों का सीधा सेवन किया जा सकता है। एक छोटा चम्मच कलौंजी को शहद में मिलाकर इसका सेवन करे। या फिर पानी में कलौंजी को उबालकर छान लें फिर उसका सेवन करें। दूध में कलोंजी उबालें ठंडा होने दे फिर उसका सेवन करें। या फिर कलोंजी को ग्राइंड करें दूध या पानी के साथ इसका सेवन करें।

रामबाण औषधि है कलौंजी का तेल कलौंजी का तेल कैंसर, डायबीटिज़, सर्दी-जुकाम, पीलिया, बवासीर, मोतियाबिंद की आरंभिक अवस्था, कान के दर्द, सफेद दाग, लकवा, माइग्रेन, खांसी, बुखार, गंजापन जैसी बीमारियों से लड़ने की क्षमता रखता है.

कैंसर कलौंजी का तेल शरीर में कैंसर की कोशिकाओं को विकसित होने से रोकता है और उन्हें नष्ट करता है. यह कैंसर रोगियों में स्वस्थ कोशिकाओं की रक्षा करता है.

कैंसर से पीड़ित व्यक्ति को कलौंजी के तेल की आधी बड़ी चम्मच को एक गिलास अंगूर के रस में मिलाकर दिन में तीन बार लेना चाहिए.

माइक्रोप्लास्टिक के नुकसान

एक बोतल पानी से आप पी रहे हैं 40000 प्लास्टिक के टुकड़े, ये रिपोर्ट आपकी आंखें खोल देगी.Plastic Pieces Found in Bottled Water: हम अक्‍सर बोतल बंद पानी खरीदकर शान से पीते हैं। गर्मियों के दिनों में तो यह बहुत ज्‍यादा देखने को मिलता है हर आदमी अपने हाथ में बोतल लेकर चलता है।लेकिन अब जो रिपोर्ट सामने आई है, उसके बारे में जानकर शायद आप बोतल बंद पानी पीने से पहले 100 बार सोचेंगे। दरअसल, बोतलबंद पानी को लेकर एक चौकाने वाला खुलासा हुआ है। एक रिसर्च के मुताबिक, बोतल बंद पानी में लाखों प्लास्टिक के टुकड़े होते हैं। जिस पानी को हम साफ देखकर पी लेते हैं, वह पानी आपको बेहद बीमार बना सकता है। यह रिसर्च 'प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल अकैडमी ऑफ साइंसेज' में प्रकाशित हुई है।क्‍या सामने आया रिसर्च में : रिसर्च में सामने आया कि एक लीटर पानी की बोतल में औसतन लगभग 240,000 प्लास्टिक के टुकड़े होते हैं। ये टुकड़े पहले के अनुमान से 100 गुना अधिक हैं। इससे पहले की रिसर्च केवल माइक्रोप्लास्टिक, या 1 से 5,000 माइक्रोमीटर के बीच के टुकड़े ही पाए गए थे। अध्ययन में तीन नामी कंपनियों के बोतल बंद पानी को शामिल किया गया था, हालांकि ये कंपनियां कौन सी थी, इनके नाम के बारे में खुलासा नहीं किया गया।कैसे हुई रिसर्च : दरअसल, वैज्ञानिकों के मुताबिक उन्‍हें बोतलबंद पानी में माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक की मौजूदगी को लेकर संदेह था, लेकिन उनकी पहचान नहीं हो पा रही थी। इसके बाद वैज्ञानिकों ने नई तकनीक (स्टीमुलेटेड रैमन स्कैटरिंग (एसआरएस) माइक्रोस्कोपी) का इस्तेमाल किया। जिसमें कुछ परिणाम सामने आए। उसमें बताया गया कि नैनोप्लास्टिक्स, माइक्रोप्लास्टिक्स की तुलना में अधिक खतरनाक होते हैं, क्योंकि ये इंसान के पाचन तंत्र और फेफड़ों में प्रवेश कर सकते हैं।कितने खतरनाक हैं ये नैनोप्लास्टिक्स : यह रिपोर्ट इसलिए भी अहम है क्‍योंकि यह हेल्‍थ के लिए बेहद घातक साबित हो सकता है। दरअसल, ये नैनोप्‍लास्‍टिक दिमाग और दिल से होते हुए अजन्मे बच्चे तक भी पहुंच सकते हैं। हालांकि यह किस तरह से नुकसानदायक है इसे लेकर कोई पुख्‍ता जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन कहा जाता है कि गैस्ट्रिक समस्याओं के साथ ही जन्म के वक्त बच्चों में शारीरिक असमान्यताएं तक हो सकती हैं।क्या हैं नैनोप्लास्टिक- माइक्रोप्लास्टिक? माइक्रोप्लास्टिक : 5 मिलीमीटर से छोटे टुकड़े को कहा जाता है वहीं एक माइक्रोमीटर यानी एक मीटर के अरबवें हिंस्से को माइक्रोप्लास्टिक कहा जाता है। ये कण इतने छोटे होते हैं कि ये पांचन तंत्र से होते हुए फेफड़े तक पहुंच जाते हैं। बता दें कि दुनिया में हर साल 450 मिलियन टन से अधिक प्लास्टिक का उत्पादन होता है।

 

पैर दर्द: कारण और समाधान

योगा एक्सपर्ट से जानिए पैरों नें नजर आने वाले ये लक्षण किस बीमारी का हो सकते हैं संकेत

Signs of feet for health : पैर हमारे शरीर का अहम अंग है. इसपर हमारे शरीर का पूरा भार होता है. पैर ही हैं जो हमे एक जगह से दूसरे जगह जाने में मदद करते हैं. ऐसे में इनमें कुछ असमान्य लक्षण नजर आने लगते हैं, तो ये फिर किसी गंभीर बीमारी के लक्षण हो सकते हैं.

जी हां, आइए जानते हैं योगा टीचर स्वीटी यादव से उन 8 पैर के संकेतों के बारे में, जो बताते हैं आपके शरीर में क्या तकलीफ है या होने वाली है...

पैर में नजर आने वाले बीमारी के लक्षण - Symptoms of disease seen in the feet

योगा टीचर ने अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो साझा की है जिसमें उन्होंने पैर में नजर आने वाले लक्षण किस बीमारी का संकेत हो सकते हैं, इसके बारे में विस्तार से बताया है...

1- पैर में सूजन - Feet Swelling

अगर आपके पैर में सूजन है तो फिर यह इस बात का संकेत है कि आपका लिवर, हार्ट, किडनी सही से फंक्शन नहीं कर रहे हैं. साथ ही यह लो हीमोग्लोबिन की परेशानी का भी संकेत हो सकता है.

2- टखने में दर्द - Ankle pain

अगर आपके टखनों में यानी एंकल में दर्द बनी रहती है, तो इसका मतलब है शरीर में यूरिक एसिड का लेवल बढ़ गया है या फिर शरीर में विटामिन डी की कमी हो गई है.

3- पैरों में झुनझुनी और सुन्नता - tingling feet

पैरों में बार-बार झुनझुनी पकड़ना इस बात का संकेत है कि आपके शरीर में विटामिन डी और ई की कमी हो गई है. ऐसे में आपको अपने आहार में इन दोनों की मात्रा को बढ़ा देना चाहिए.

4- मकड़ी जाल नसें - Spider veins

वहीं, आपके पैर में नीली-नीली नशे मकड़ी जाल की तरह उभर आईं हैं, तो फिर यह खराब लिवर फंक्शन, एस्ट्रोजन बढ़ गया है, इसका संकते हो सकता है. इसके अलावा यह लंबे समय तक खड़े रहने के कारण भी हो सकता है.

5- ठंडे पैर - Cold feet

वहीं, आपके पैर ठंडे रहते हैं तो फिर यह लो आय़ोडीन और एनेमिया के लक्षण हो सकते हैं.

6- एड़ी में दर्द - Heels pain

एड़ियों में दर्द बने रहना विटामिन डी और मैग्नीशियम की कमी को दर्शाता है.

7- पैरों में ऐंठन - Cramps in legs

यह समस्या सोडियम, पोटैशियम और विटामिन बी12 की कमी के लक्षण हो सकते हैं.

8- फटी एड़ियां - Cracked heels

पैर की फटी एड़ियां विटामिन बी3,7 और आटरन की कमी का संकेत हैं. साथ ही यह ओमेगा 3 की कमी के भी लक्षण हो सकते हैं.

सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

कानों पर बाल- चेतावनी या शुभ संकेत?

 

कानों पर बालों का आना किस बात का देता है संकेत? किस रहस्य से छिपी इसकी कहानी? जानें क्या कहता है सामुद्रिक शास्त्र

कानों पर बालों का आना किस बात का देता है संकेत? किस रहस्य से छिपी इसकी कहानी? जानें क्या कहता है सामुद्रिक शास्त्र समुद्रिक शास्त्र, जोकि भारतीय प्राचीन विद्या का एक अद्भुत हिस्सा है, शरीर के हर अंग को उसकी बनावट और विशेषताओं के आधार पर समझने की कला है।

यह विद्या केवल ज्योतिष तक सीमित नहीं है, बल्कि शरीर की सूक्ष्मताओं को समझकर व्यक्ति के स्वभाव, भाग्य और भविष्य की दिशा का अनुमान लगाने में सहायक है। चेहरा, आंखें, माथा, नाक, कान, होंठ, हाथ और पैर इन सभी के संकेत समुद्रिक शास्त्र में गहरे अर्थ रखते हैं। आज हम इस विद्या के एक विशेष पहलू, कानों पर बाल आने के संकेत और उनके महत्व को समझेंगे।

क्या कहते हैं समुद्रिक शास्त्र में कानों पर बाल?

आम धारणा के विपरीत, समुद्रिक शास्त्र के अनुसार, कानों पर बाल होना एक सामान्य शारीरिक विशेषता से कहीं अधिक है। यह व्यक्ति के स्वास्थ्य, सोच, और जीवन के रहस्यों को दर्शाने वाला एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है। ज्योतिषाचार्य अशोक पंडित के अनुसार, कानों पर बाल व्यक्ति के स्वभाव और जीवन की दिशा के कई गहरे अर्थों को उजागर करते हैं।

दीर्घायु और मजबूत स्वास्थ्य का प्रतीक

समुद्रिक शास्त्र में बताया गया है कि जिन लोगों के कानों पर प्राकृतिक रूप से लंबे और मोटे बाल होते हैं, वे अक्सर दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य के धनी होते हैं। ऐसे लोगों में:

धैर्य और सहनशीलता का गुण प्रचुर मात्रा में होता है।

इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है।

वे मानसिक और शारीरिक रूप से संतुलित जीवन जीते हैं।

कठिन परिस्थितियों में भी इनका आत्मविश्वास डगमगाता नहीं है।

शांत और गहराई से सोचने वाले व्यक्तित्व

कानों पर बाल वाले व्यक्तियों का स्वभाव सामान्यतः शांत और गंभीर होता है। इनके विशेष गुणों में शामिल हैं:

निर्णय लेने से पहले गहराई से सोचना।

हर समस्या को तार्किक तरीके से हल करना।

अपने विचारों और कार्यों में स्थिरता बनाए रखना।

दूसरों को सही मार्गदर्शन देने की क्षमता।

आध्यात्मिकता और रहस्यमय स्वभाव का संकेत

कानों पर बाल वाले लोग अक्सर आध्यात्मिकता और गूढ़ ज्ञान की ओर आकर्षित होते हैं। उनके जीवन से जुड़े कुछ खास पहलू इस प्रकार हैं:

आत्मचिंतन और अकेले समय बिताने की प्रवृत्ति।

रहस्यपूर्ण स्वभाव और दूसरों से अपने विचार साझा करने में संकोच।

उच्च अंतर्ज्ञान शक्ति, जिससे ये दूसरों के मन की बात समझने में सक्षम होते हैं।

दर्शन और गहराई से जुड़े विषयों में रुचि।

चेतावनी या शुभ संकेत?

कानों पर बाल होना समुद्रिक शास्त्र के अनुसार अधिकतर शुभ संकेत माना जाता है। यह व्यक्ति के जीवन में स्थिरता और प्रगति का सूचक हो सकता है। हालांकि, किसी भी विद्या की तरह, यह भी केवल संकेत देता है और इसका प्रभाव व्यक्ति के कर्म और परिस्थितियों पर निर्भर करता है। समुद्रिक शास्त्र की यह विद्या हमारे शरीर के हर हिस्से में छिपे संकेतों को समझने में मदद करती है। कानों पर बाल होना केवल एक शारीरिक विशेषता नहीं, बल्कि व्यक्ति के जीवन, स्वभाव और भाग्य से जुड़ा एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है। यह हमें अपने स्वास्थ्य और जीवन की दिशा पर चिंतन करने का अवसर देता है। यदि आपके कानों पर बाल हैं, तो इसे एक विशेष उपहार के रूप में स्वीकार करें और इसे अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रेरणा मानें।


पथरी का समाधान

 सिर्फ 5 दिन में 21MM की पथरी को गला देगा ये 40 रूपये का घरेलु उपाय! जरूर पढ़े और शेयर करे`.

➡ पित्त की थैली (Gallbladder)/किडनी की पथरी :

आयुर्वेद का एक ऐसा चमत्कार जिसे देखकर एलॉपथी डॉक्टर्स ने दांतों तले अंगुलियाँ चबा ली। जो डॉक्टर्स कहते थे के गाल ब्लैडर स्टोन अर्थात पित्त की थैली की पथरी निकल ही नहीं सकता, उनकी जुबान हलक से नीचे पेट में गिर गयी।सिर्फ एक नहीं अनेक मरीजों पर सफलता से आजमाया हुआ ये प्रयोग।

इस प्रयोग को एक डॉक्टर तो 5000 से लेकर 10000 में करते हैं। जबकि इस प्रयोग की वास्तविक कीमत सिर्फ 30-40 रुपैये ही है। यह प्रयोग गाल ब्लैडर और किडनी दोनों प्रकार के स्टोन को निकालने में बेहद कारगर है।

इस प्रयोग को हमने जिन पर आजमाया वो कोई छोटी मोटी हस्ती नहीं हैं, ये हैं डॉक्टर बिंदु प्रकाश मिश्रा जी, जो के महर्षि दयानंद कॉलेज परेल मुंबई में मैथ के प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। और यूनिवर्सिटी सीनेट के सदस्य भी हैं. डॉक्टर साहब के 21 MM का स्टोन 8 साल से गाल ब्लैडर में था, और अत्यंत दर्द था। डॉक्टर ने इनको गाल ब्लैडर तुरंत निकलवाने की सलाह भी दे दी। मगर इन्होने आयुर्वेद की शरण में जाने की सोचा। और फिर क्या बस 5 दिनों में ये स्टोन कहाँ गायब हो गया, पता ही नहीं चला। 5 दिन बाद जब दोबारा चेक करवाया तो गाल ब्लैडर स्टोन की जगह बस थोड़ी बहुत रेत जैसा दिखा, जिसके बाद डॉक्टर ने उनको थोडा दवाएं लेने के लिए कहा!! तो क्या है वो प्रयोग आइये जाने -

➡ गाल ब्लैडर स्टोन की चमत्कारी दवा :

तो क्या है ये चमत्कारी दवा। ये कुछ और नहीं ये है गुडहल के फूलों का पाउडर अर्थात इंग्लिश में कहें तो Hibiscus powder। ये पाउडर बहुत आसानी से पंसरी से मिल जाता है। अगर आप गूगल पर Hibiscus powder नाम से सर्च करेंगे तो आपको अनेक जगह ये पाउडर online मिल जायेगा। और जब आप online इसको मंगवाए तो इसको देखिएगा organic hibiscus powder क्योंकि आज कल बहुत सारी कंपनिया आर्गेनिक भी ला रहीं हैं तो वो बेस्ट रहेगा। कुल मिला कर बात ये है के इसकी उपलबध्ता बिलकुल आसान है। अब जानिये इस पाउडर को इस्तेमाल कैसे करना है।

➡ गाल ब्लैडर स्टोन निकालने के लिए गुडहल के पाउडर के इस्तेमाल की विधि :

गुडहल का पाउडर एक चम्मच रात को सोते समय खाना खाने के कम से कम एक डेढ़ घंटा बाद गर्म पानी के साथ फांक लीजिये। ये थोडा कड़वा होता है। इसलिए मन भी कठोर कर के रखें। मगर ये इतना भी कड़वा नहीं होता के आप इसको खा ना सकें। इसको खाना बिलकुल आसान है। इसके बाद कुछ भी खाना पीना नहीं है. डॉ. मिश्रा जी के अनुसार, क्यूंकि उनके स्टोन का साइज़ बहुत बड़ा था उनको पहले दो दिन रात को ये पाउडर लेने के बाद सीने में अचानक बहुत तेज़ दर्द हुआ, उनको ऐसा लगा मानो जैसे हार्ट अटैक आ जायेगा। मगर वो दर्द था उनके स्टोन के टूटने का . जो दो दिन बाद नहीं हुआ। और 5 दिन के बाद कहीं गायब हो गया था और पीछे रह गयी थी उसकी यादें रेत बनकर, जिनका सफाई अभियान अभी चल रहा है। इसके साथ में उनको प्रोस्टेट enlargement की समस्या भी थी, वो भी सही हो गयी। इसके बाद यही प्रयोग उन्होंने एक दूधवाले और एक और आदमी पर भी किया जिनका स्टोन 8 mm और 10 mm था, उनको यही प्रयोग बिना किसी दर्द के बिलकुल सही हुआ। अर्थात अगर स्टोन का साइज़ बड़ा है तो वो दर्द कर सकता है।

यही प्रयोग एक बहुत ही प्रतिष्ठित डॉ कम से कम 5 से 10 हज़ार लेकर लोगों को करवाते हैं। और आपके लिए हम इसको फ्री में उपलब्ध करवाते है जन हित के लिए। आप भी इसको ज़रूर शेयर करें। जुड़े रहें आयुर्वेद के साथ।

➡ इस प्रयोग में थोड़ी सावधानी :

पालक, टमाटर, चुकंदर, भिंडी का सेवन न करें। और अगर आपका स्टोन बड़ा है तो ये टूटने समय दर्द भी कर सकता है। पाठक गण अपने विवेक से इस प्रयोग को करें वो भी किसी चिकित्सक की उपस्थिति में।


मानसिक स्थिरता परीक्षण

 यह एक स्थिर छवि है जिसे जापानी न्यूरोलॉजी प्रोफेसर यामामोटो ने बनाया है। उनके अनुसार:

1. यदि यह छवि आपको पूरी तरह से स्थिर दिखाई देती है, तो आप स्वस्थ हैं।

2. यदि यह छवि आपको थोड़ा गतिशील दिखाई देती है, तो आप तनाव या नींद की कमी का अनुभव कर सकते हैं।

3. यदि यह छवि आपको धीरे-धीरे घूमती हुई दिखाई देती है, तो आप तनावग्रस्त हैं और आराम की आवश्यकता है।

4. यदि यह छवि आपको लगातार घूमती हुई दिखाई देती है, तो आप अत्यधिक तनावग्रस्त हैं और आपको चिकित्सा ध्यान देने की आवश्यकता हो सकती है।

आप इस छवि को सहेज सकते हैं ताकि आप समय-समय पर या जब भी आवश्यकता हो अपनी जांच कर सकें।



दीर्घायु (लंबे जीवन) का रहस्य

 53 की उम्र में 23 की बॉयोलॉजिकल एज! इस महिला डॉक्टर का राज आपको चौंका देगा

लंदन की रहने वाली 53 वर्षीय डॉ. अल्का पटेल ने यह दावा किया है कि उनकी जैविक उम्र यानी बॉयोलॉजिकल एज महज 23 साल है. पढ़कर चौंकिए मत, क्योंकि ये दावा उन्होंने सिर्फ दिखावे के लिए नहीं किया, बल्कि इसे वैज्ञानिक रूप से साबित भी किया है.

डॉ. पटेल का मानना है कि असली उम्र वह नहीं जो हमारे जन्म प्रमाणपत्र में लिखी होती है, बल्कि वह होती है जो हमारे शरीर की कोशिकाएं और अंग दर्शाते हैं.

20 साल तक जनरल प्रैक्टिशनर रहीं डॉ. पटेल अब "लॉन्गेविटी एक्सपर्ट" यानी लंबी उम्र और हेल्दी लाइफस्टाइल की विशेषज्ञ बन चुकी हैं. वे लोगों को हेल्दी और लंबी जिंदगी जीने के लिए न सिर्फ प्रेरित करती हैं, बल्कि उन्हें वैज्ञानिक तरीकों से उनका बॉयोलॉजिकल एज कम करने में भी मदद करती हैं.

जैविक उम्र क्या होती है?

डॉ. अल्का पटेल के मुताबिक, "आपकी जैविक उम्र बताती है कि आपके दिल, दिमाग और त्वचा की कार्यक्षमता कितनी जवान है. इसका मतलब है कि आप अंदर से कितने स्वस्थ और ऊर्जावान हैं." उन्होंने आगे कहा, "यह सिर्फ़ अच्छा महसूस करने की बात नहीं है, बल्कि सच में खुद को युवा बना लेने की प्रक्रिया है."

मौत को करीब से देखने के बाद आया बदलाव

अपने 39वें जन्मदिन पर डॉ. पटेल अस्पताल में भर्ती हो गई थीं. वजह थी गंभीर बर्नआउट, जिससे उनके शरीर के कई अंग काम करना बंद करने लगे थे. उन्होंने बताया कि मुझे तेज बुखार था और डॉक्टर भी कारण समझ नहीं पा रहे थे. सर्जरी कर उनका इलाज किया गया, लेकिन किसी को बीमारी की असली वजह समझ नहीं आई.

बाद में उन्हें PUO यानी Pyrexia of Unknown Origin का निदान मिला - जिसका मतलब है 'अज्ञात कारणों से बुखार'. उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता था कि मैं अगली सुबह अपने बच्चों को देख पाऊंगी या नहीं. यह अनुभव उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट बन गया. "उस दिन ने मुझे बदल नहीं दिया, मुझे फिर से परिभाषित कर दिया, उन्होंने कहा कि 6 बायो हैकिंग स्टेप्स जिनसे 23 साल की हुई जैविक उम्र डॉ. अल्का पटेल ने अपनी बॉयोलॉजिकल एज घटाने के लिए 6 आसान लेकिन असरदार बायोहैकिंग टिप्स अपनाईं:

1. सनशाइन सिंक (1-10)

हर सुबह 1 मिनट के लिए धूप में जाएं, 10 सेकंड के लिए आंखें बंद करें और दिन के लिए एक पॉजिटिव इरादा सेट करें.

2. पावर पल्स (2-20)

2 मिनट चलें और फिर 20 सेकंड के लिए तेज दौड़ लगाएं. इससे हार्ट हेल्थ और एनर्जी दोनों बेहतर होती हैं.

3. हाइड्रेशन हैबिट (3-30)

हर 30 मिनट में 3 घूंट पानी पिएं. ये आसान तरीका आपको पूरे दिन हाइड्रेटेड रखेगा.

4. कॉम्प्लीमेंट कैटेलिस्ट (4-40)

हर दिन 4 सच्चे और दिल से दिए गए कॉम्प्लीमेंट दें, हर एक लगभग 40 सेकंड तक. इससे न सिर्फ़ दूसरों का मूड बेहतर होगा, बल्कि आप खुद भी पॉजिटिव महसूस करेंगे.

5. फ्लेक्सिबिलिटी फिक्स (5-50)

हर दिन 5 अलग-अलग स्ट्रेच करें और हर एक को 50 सेकंड तक होल्ड करें. ये आपकी बॉडी की फ्लेक्सिबिलिटी बनाए रखने में मदद करता है.

6. ब्रीथफ्लो बूस्ट (6-60)

हर घंटे 6 गहरी सांसें लें - एक मिनट में. इससे आपका नर्वस सिस्टम शांत होता है और तनाव दूर होता है.

दूसरों को भी लंबा और मजबूत जीवन देना

डॉ. पटेल कहती हैं, "मैं अब एक मिशन पर हूं - लोगों को न सिर्फ़ लंबा, बल्कि बेहतर जीवन जीने में मदद करना." उनका ये मिशन उनके अपने अनुभव से जन्मा है. वे चाहती हैं कि कोई और वह सब न झेले जो उन्होंने सहा. उनके मुताबिक, हेल्थ को डेटा के आधार पर समझना और उसी हिसाब से जीवनशैली को ढालना ही लॉन्ग लिविंग का असली राज है.

मकोय के फायदे

डॉक्टर भी ठीक नहीं कर पाते जिन रोगों को, उनके लिए संजीवनी बूटी है मकोय का फल......।

लते समय के साथ बीमारियां भी बदलने लग गई हैं, आज के टेक्नोलोजी वाले समय में ऐसी कई बीमारियां हैं जिनका इलाज डॉक्टर के पास भी नहीं होता है. लेकिन जिन बीमारियों का इलाज हमारे डॉक्टर नहीं कर सकते उनका इलाज हमारी औषधियों द्वारा संभव हो जाता है l

आज हम आपको एक ऐसे फल के बारे मे बताएँगे जिसके इस्तेमाल से कई तरह की बीमारियों का इलाज किया जाता है. यह फल काफी दुर्गम परिस्थितियों में पाया जाता है, जिस कारण इसे प्राप्त करना बहुत मुश्किल होता है.

शुगर :- जिन व्यक्तियों को शुगर की समस्या हैं, वह मकोई के सूखे फलों का एक चम्मच चूर्ण बनाकर सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी के साथ पिये.

किडनी :- मकोय का पाउडर ओर सब्जी किडनी के लिए फायदेमंद होती है, जिन व्यक्तियों को किडनी की समस्या होती है उन्हे हफ्ते में कम से एक बार इस सब्जी को जरूर खानी चाहिए.

लिवर :- लीवर की समस्या से परेशान व्यक्तियों को मकोई के हरे फलों को निचोड़ कर उसके एक चम्मच रस को सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी में मिलाकर पीए,,,।।

आज बहुत मात्रा में मकोय काकमाची देखी और सेवन भी किया गुर्दो के लिए सरीर पर सूजन के लिए खूनी बाबासीर के लिए खुजली के लिए बहुत ही रामबाण औषधि है ये पहले गुर्दो की बीमारी कहा देखने को मिलती थी आज कल 25 से 30 साल के युवा की गुर्दो की समस्या से परेशान है इसके 1 महीना सेवन से गुर्दे एक दम नए हो जाते है आजकल मकोय के फलों का मौसम चल रहा है।मौसमी फलों का सेवन अवश्य करना चाहिए।

- यह हर जगह अपने आप ही उग जाती है। सर्दियों में इसके नन्हे नन्हे लाल लाल फल बहुत अच्छे लगते हैं ।ये फल बहुत स्वादिष्ट होते हैं और लाभदायक भी।इसके फल जामुनी रंग के या हलके पीले -लाल रंग के होते हैं ।

- मकोय के फल सवेरे सवेरे खाली पेट खाने से अपच की बीमारी ठीक होती है।

- शहद मकोय के गुणों को सुरक्षित रख कर दोषों को दूर करता है।

- यह वात , पित्त और कफ नाशक होता है।

- यह सूजन और दर्द को दूर करता है।

- शुगर की बीमारी हो या फिर कमजोरी हो तो मकोय के सूखे बीजों का पावडर एक एक चम्मच सवेरे शाम लें . किडनी की बीमारी हों तो 10-15 दिन लगातार इसकी सब्जी खाइए . इसके 10 ग्राम सूखे पंचांग का 200 ग्राम पानी में काढ़ा बनाकर पीयें .

- बुढापे में हृदय गति कम हो जाए तो इसके 10 ग्राम पंचांग का काढ़ा पीयें । हृदय की किसी भी प्रकार की बीमारी के लिए 5 ग्राम मकोय का पंचांग और 5 ग्राम अर्जुन की छाल ; दोनों को मिलाकर 400 ग्राम पानी में पकाएँ । जब एक चौथाई रह जाए तो पी लें ।

- लीवर ठीक नहीं है , पेट खराब है , आँतों में infection है , spleen बढ़ी हुई है या फिर पेट में पानी भर गया है ; सभी का इलाज है मकोय की सब्जी . रोज़ इसकी सब्जी खाएं । या फिर इसके 10 ग्राम पंचांग का काढ़ा पीयें ।

- पीलिया होने पर इसके पत्तों का रस 2-4 चम्मच पानी मिलाकर ले लें ।

- अगर नींद न आये तो इसकी 10 ग्राम जड़ का काढ़ा लें । अगर साथ में गुड भी मिला लें तो नींद तो अच्छी आयेगी ही साथ ही सवेरे पेट भी अच्छे से साफ़ होगा ।

- त्वचा सम्बन्धी बीमारियाँ भी इसके नित्य प्रयोग से ठीक होती हैं ।

- यह सर्दी -खांसी , श्वास के रोग , हिचकी आदि को ठीक करता है।

अथ काकमाची द्रव्यगुणं प्रतिपद्ये

काकमाची (मकोय) : यकृत ( liver ) रोगों की निःशुल्क दिव्य औषधि

मकोय का शाक एक दिव्यौषधी है जो प्रायः खेतों और सडकों के किनारे स्वयमेव उत्पन्न होता है . इसके श्वेत पुष्प और पत्र मिर्च के तादृश, पौधे की ऊँचाई लगभग तीन फीट होती है .कच्चे फल हरे और पकने पर नारंगी या गहरे नीले गुच्छों में लगते हैं . ग्रामीण लोग प्रायः इसका अकेले या दूसरे पालक , सरसों आदि के साथ शाक बनाकर खाते हैं . फल मीठे होते हैं अतः बच्चे बड़े प्रायः खाते हैं . कच्चे फल कडुवे और उपविष हैं .

काकमाची ( मकोय) के आयुर्वेदिक गुण : काकमाची कटु, तिक्त, अनुष्ण, स्निग्ध, त्रिदोष नाशक है . यह श्वांस रोग, अर्श , कुष्ठ , प्रमेह , ज्वर , वमन , हिचकी, शूल, शोथ,शोफ ( सूजन , पानीदार छाले) और यकृत रोगों का नाशक है . स्वर शोधक , हृद्य , चाक्षुष्य , वीर्य जनक , रसायन है .

मात्रा : स्वरस 10-20 मिली . फल चूर्ण - 1-3 ग्राम , क्वाथ - 20-50 मिली

मकोय के औषधीय गुण :

1 * यकृत ( लीवर ) रोग : यकृत की क्रिया बिगड़ने से अनेक उपद्रव यथा: सूजन,पतले दस्त,व पीलिया बवासीर जैसे रोग होने लगते हैं. इन रोगों में मकोय का सेवन बहुत ही लाभप्रद रहता है. यह रोग क्रमशः समाप्त हो जाते हैं. मकोय के पत्तों के 10-20 मिली . रस के सेवन से विषाक्त द्रव्य, मूत्रादि द्वारा बाहर निकल जाते हैं.

2 * शरीर में कहीं सूजन हो या फिर यकृत व हृदय में सूजन हो तो इस औषधि के पत्तों का रस पिलाना लाभकारी है.

3 * खूनी बबासीर में या मुँह के किसी भी हिस्से से रक्त स्त्राव में मकोय के पत्तों का रस लाभप्रद है.

4 * हृदय रोग, जलोदर में इसके पके फल या पत्तों का क्वाथ देने से रोग मिट जाता है

★ बहुत प्यारी चमत्कारी औष्धि “मकोय” “काकमाची”★

यकृत आपके अनीयमित खानपान,शराब आदि का ज्यादा सेवन,शहरी जीवन शैली,तनाव व काम की अधिकता,निराशा आदि के कारण रोग ग्रसित होता है वैसे इसकी कार्य क्षमता इतनी है कि इसका 10प्रतिशत भाग भी सही रहै तो यह काम करता रहेगा।

ध्यान दें कि आपके शरीर के दो ही अंग हैं जिन पर खानपान व जीवन शैली का गंभीर प्रभाव पड़ता है।

जिनमें पहला है यकृत और दूसरा हृदय जिसे दिल भी कहते हैं।

इन दोनों अंगों में रोग हो जाने पर विशेष बात यह है कि हजार रुपये से कम में तो बात बनती नही और लाखों लग जाए इसकी संभावना भी कम नही। सो भइया आयुर्वेद का कहना मानो उसका नीति श्लोक है कि 'चिकित्सा से परहैज बेहतर' अर्थात जैसा कि मैं पहले भी कह चुका हूँ रोग का इलाज है। उन कारणों का विनाश करो जिनसे रोग की उत्पत्ति हुयी है । सो अपनी जीवनचर्या ऐसी बनाओ कि रोग पास ही न फटकें ।लेकिन जब रोग हो ही गया है तो चिकित्सा तो करनी ही पड़ेगी।प्रकृति ने हमें अनेकों औषधियाँ प्रदान की हैं जो प्रयोग करने पर हमारे रोगों को दूर कर सकती हैं इनमें कुछ तो ऐसी है कि जिन्हे हम अनजाने में घास कूड़ा समझते है और आजकल के वैज्ञानिकों ने कृषि विज्ञान के छात्रों को भी खरपतबार नाम बताकर भारतीय चिकित्सा विज्ञान में प्रमाणित औषधियों का विनाश करा दिया है।अब समय आ गया है जबकि हमें इनकी उपयोगिता को समझना होगा जिससे दिव्य औषधियां समाप्त न हो जाऐं ।

यह मिर्च के पौधे जैसा पोधा होता है जिसकी अधिकतम ऊँचाई 3 फिट के लगभग हो सकती है।इस पर फूल भी लगभग मिर्च जैसा ही आता है और मिर्च जैसी डालियाँ भी होती हैं इसके फल छोटे - छोटे तथा समूह में होते है ये गोल- गोल होते हैं पकने पर लाल हो जाते हैं तथा बाद में काले हो जाते हैं।इसके पुष्प मिर्च जैसे तथा छोटे छोटे सफेद रंग के होते हैं।

मकोय के गुण व प्रभाव-

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मकोय या काकमाची त्रिदोषनाशक अर्थात वात,पित्त व कफ तीनो दोषों का शमन करने वाला है।यह तिक्त अर्थात कड़ुवा स्वाद रखने वाली तथा इसकी प्रकृति गर्म,स्निग्ध,स्वर शोधक,रसायन,वीर्य जनक,कोढ़,बवासीर,ज्वर,प्रमेह,हिचकी,वमन को दूर करने वाला तथा नेत्रों को हितकर औषधि है।यह यकृत व हृदय के रोगो को हरने वाली औषधि है।यकृत की क्रिया विधि जब विगड़ जाती है तो शरीर में अनेक उपद्रव यथा सूजन,पतले दस्त,व पीलिया जैसे रोगो के अलाबा कई बार बवासीर जैसे रोग होने लगते हैं।इन रोगों में मकोय का सेवन बहुत ही लाभप्रद रहता है।यह औषधि यकृत की क्रियाविधि को धीरे धीरे सुद्रढ़ करके रोग का विनाश कर देती है।इस औषधि के प्रयोग से यकृत संवंधी रोग धीमें धीमें समाप्त हो जाते हैं।इस औषधि के पत्तों का रस आँतों में पहुँचकर वहाँ इकठ्ठे विषों का विनाश कर देता है तथा पेशाब द्वारा शरीर से बाहर कर दिया जाता है।

शरीर में कहीं सूजन हो या फिर यकृत व हृदय में सूजन हो तो इस औषधि के पत्तों का रस पिलाना लाभकारी है।

खूनी बबासीर में या मुँह के किसी भी हिस्से से रक्त स्त्राव में मकोय के पत्तों का रस लाभप्रद है।

हृदय रोग में इसके फल देने से रोग मिट जाता है।

जलोदर रोग में मकोय के फल देने से रोग मिटने लगता है।

नेत्रों के रोगों में भी इस औषधि मकोय का प्रयोग बहुत ही हितकारी है।

अब इतना बता देने पर इसके रस की महिमा आपको पता चल गयी होगी।मकोय का रस तिल्ली की सूजन,यकृत की सूजन,यकृत के पुराने से पुराने रोग को मिटाने की ताकत रखता है।

मकोय का रस तैयार करने की विधि नीचे दे रहा हूँ।

मकोय का रस तैयार करना:-

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मकोय का रस निकाल कर उसे मिट्टी के बर्तन में भरकर धीमी अग्नि पर गर्म करें,धीरे धीरे उसका हरा रंग बादामी रंग में बदल जाता है,तब इसे उतार कर छान लें।

इस प्रकार तैयार रस को 100-150 ग्राम की मात्रा में लेने पर यकृत के रोग, बड़ी हुयी तिल्ली, हृदय संबंधी रोग दूर होने लगते हैं।यदि शरीर में खुजली की शिकायत हो तथा वह मिट नही रही हो।तो मकोय के रस की 25 से 50 ग्राम की मात्रा लेते रहने से यह मिट जाऐगी।इससे शरीर का रक्त शुद्ध हो जाता है।और रक्त से जुड़े सभी रोग मिट जाते हैं।किसी चिकित्सक के सानिध्य में मकोय का रस लेते रहने पर गठिया,संधिवात,प्रमेह,कफ,जलोदर,सूजन,बवासीर,यकृत और तिल्ली के रोगों को मिटाया जा सकता है।हृदय रोग में इसके काले फल देने से मूत्र ज्यादा मात्रा में लाकर तथा पसीना लाकर यह रोगी को आराम प्रदान कर देता है। इसका प्रयोग एलोपैथिक दवाओं के प्रयोग से उत्पन्न रिऐक्सन में भी फायदा करता है।

मकोय की गोली या कैपसूल “ मकोय घनसत ”

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मकोय के साफ स्वच्छ पत्तो को अच्छे से धोकर कूटकर जूसर से रस निकाल लें । मिट्टी के बर्तन में डालकर लकड़ी की अग्नि पर रख दें । आग धीमी -धीमी ही रखे। रस दूध की तरह फटेगा । बीच - बीच लकड़ी के डंडे से हिलाते रहे ।धीरे -धीरे पानी सूखने लगेगा । चटनी जैसा बनने लगेगा। ध्यान रखें । नीचे न लगने दें । लकड़ी की कलछी की सहायता से पलटते रहे । जब सूख जाएं गोली बांधने लायक हो जाए। तो नीचे उतारकर ठंडा होने पर हाथों पर कोई भी तेल हल्का सा चुपड़कर ½-½ ग्राम की गोली बांध लें । अगर कैपसूल बनाना चाहे तो धूप में सुखाकर पाउडर करके 500 मिलीग्राम के कैपसूल में भर सकते है ।

सुबह दोपहर शाम पानी से 1 से 4 गोली या कैपसूल ।

रोग के अनुसार लेवें । उपरोक्त रोगों में सफल लाभकारी । कई वर्षों से अपनी चिकित्सा में प्रयोग कर सैकड़ों रोगियों को लाभ पहुँचाया है । यह मेरा अनुभूत प्रयोग है ।

मकोय के काले फल खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होते है । गांव के लोग बड़े चाव से खाते है , ज्यादातर वही जो खेती से जुड़े किसान या उनके बच्चे है , लेकिन आजकल गांवो या शहरी बच्चे जो अंग्रेजी स्कूल में पढ़े लिखे है वो बरगर, पीजा , पास्ता वगैरा ही पसंद करते है । ऐसी चीजों पर ध्यान कम ही देते है । मैं भी गांवो में रहकर पढ़ लिख कर जवान हुआ हुं । खेती से संबंध रखता हुं । मैंने यह फल खूब खाएं है , गांव का हर रंग यादों में बसा है। मेरा काम तो वैद्य का है , जितनी जानकारी है लोगों को देने की कोशिश करता हुं ।

इसके पत्ते वैसे भी चबा कर खा सकते है । चटनी के रूप में या आलू के साथ भुर्जी बनाकर सब्जी के रूप भी खाया जा सकता है ।

इसका बना बनाया “मकोय अर्क” आयुर्वेद स्टोर पर आसानी से मिल जाता है । यानि कि कोई भी यह अफसोस जाहिर ही नही कर सकता कि मैं इसका सेवन नही कर पाया । अत: आप किसी भी रूप में इस्तेमाल कर सकते है । बच्चे बूढ़े जवान इसका अर्क बेखोफ होकर इस्तेमाल करें ।