सामग्री 
अश्वगंधा – 50 ग्राम
शतावरी – 50 ग्राम
विदारीकंद – 25 ग्राम
कौंच बीज (शुद्ध) – 25 ग्राम
मुसली सफेद – 25 ग्राम
अकरकरा – 10 ग्राम
यष्टिमधु – 25 ग्राम
शुद्ध शिलाजीत – 10 ग्राम
प्रवाल भस्म – 5 ग्राम
लौह भस्म – 5 ग्राम
वांग भस्म – 5 ग्राम
त्रिभंग भस्म – 5 ग्राम
सभी औषधियों को सममात्रा में मिलाकर बारीक चूर्ण बनाएं।
1 चम्मच (5 ग्राम) सुबह खाली पेट और रात को सोते समय गुनगुने दूध या मिश्री युक्त जल के साथ लें।
बाहरी उपयोग हेतु तेल – "बलप्रद तैल"तिल का तेल – 100 ml
अश्वगंधा क्वाथ – 100 ml
अकरकरा अर्क – 10 ml
जायफल अर्क – 5 ml
कपूर – 2 ग्राम
रात्रि में कमर व नाभि क्षेत्र के आसपास या स्नायु कमजोर स्थानों पर हल्के हाथों से 5 मिनट मालिश करें।
(कोई भी संवेदनशील स्थान पर न लगाएं)
साथ में
2 छुहारे रातभर दूध में भिगोकर सुबह उबालकर सेवन करें।
शुद्ध शिलाजीत (250-300 mg) को दूध के साथ सप्ताह में 3 बार लें।
आंवला, गोखरू, सफेद तिल का नियमित सेवन करें।
उचित दिनचर्या और योगमंडूकासन, भुजंगासन, वज्रासन
अनुलोम-विलोम, कपालभाति, भ्रामरी
10 मिनट मौन बैठना मानसिक स्फूर्ति व आत्मबल बढ़ाता है।
क्या लें:देसी घी, दूध, हरी सब्जियाँ, मेवे
नियमित व्यायाम और 7-8 घंटे की नींद
क्या न लें:तनाव, देर रात जागना
अत्यधिक चाय, मसालेदार भोजन, धूम्रपान व नशीले पदार्थ
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