Monday, April 28, 2025

श्री हनुमान् जी को वरदान

अगस्त्य जी ने कहा- हे राम ! यह हनुमान् सभी विद्याओं तथा तप साधना में देवताओं के गुरु वृहस्पति जी के समान है। यह नव व्याकरण के अर्थ का ज्ञाता होगा तुम्हारी कृपा से यह आगे (भविष्य में) ब्रह्म (परमात्मा) सिद्ध होगा। (वाल्मीकि. रा. ७/३६)

इन्द्र ने प्रसन्न होकर श्री हनुमान् जी को कमल की माला दी और कहा कि मेरे वज्र से इसकी हनु को घात हुआ है इसलिए इसका नाम हनुमान् होगा तथा अब भविष्य में यह कभी भी मेरे वज्र से हनन योग्य नहीं होगा।

सूर्य भगवान् ने अपने तेज से शतिका कला प्रदान कर हनुमान् जी से कहा कि- मैं तुम्हारे लिए शास्त्रज्ञान दूँगा जिससे यह बहुत सुन्दर वक्ता होगा और शास्त्र ज्ञान में इसके समान अन्य और कोई नहीं होगा।

वरुण ने वरुण हनुमान् जी को वरदान दिया— मेरे पाश से तथा जल से करोड़ों वर्ष तक भी इसकी मृत्यु नहीं होगी।

यमराज ने कहा- यह मेरे दण्ड से सर्वदा अवध्य होगा सदा आरोग्य रहेगा तथा मेरी यह भयंकर गदा इसका युद्ध में कभी भी वध नहीं करेगी।

भगवान् शंकर तथा कुबेर ने कहा कि - यह हमसे तथा हमारे शस्त्रों से अवध्य होगा। विश्वकर्मा ने वर दिया कि मेरे द्वारा निर्मित दिव्य तथा आहित्य शस्त्रों से यह अवध्य और दीर्घायु होगा ।

ब्रह्मा जी बोले- यह महात्मा दीर्घायु तथा सभी ब्रह्मदण्डों से अवध्य होगा। यह इच्छानुसार रूपधारी, इच्छानुसार विचरण करने वाला, इच्छानुसार गतिशील एवं वानरों में श्रेष्ठ तथा शत्रुओं के भयदाता तथा मित्रों के अभयदाता एवं युद्ध में अजेय होगा । रावण के साथ युद्ध में रावण के विनाशार्थ कर्म करेगा तथा राम के लिए प्रिय कर्म करेगा। इनके अद्भुत रण कौशल को देखकर देव-दानव-मानव आदि सभी के रोंगटे खड़े हो जायेंगे। (वा.रा.उ. ३६ / ३७) सूरता-दक्षता-बल-धैर्य-ज्ञान-विज्ञान - कला - नीति-निपुणता विक्रम तथा प्रभाव ये हनुमानजी में स्वभाविक गुण होंगे।

💐जय बजरंग बली 💐

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