शुरुआत में मधुमेह की वजह से ज्यादा दिक्कतें नहीं होतीं. दिन भर में एक या दो टेबलेट लेकर और थोडा बहुत परहेज करके लोगों का शुगर लेवल सामान्य के आस-पास रहता है. हाँ ये जरुर है कि जबान पर थोड़ी लगाम लगानी पड़ती है और बाथरूम बार-बार जाने से कमजोरी शुरू हो जाती है. हालांकि कुछ लोग इन्सुलिन लेने के बाद भी खुद को स्वस्थ ही मानते हैं.
कुल मिलाकर अधिकाँश लोगों की गाड़ी ठीक ठाक ही चलती रहती है. दिक्कत शुरू होती है 3 या 4 सालों के बाद.
समय के साथ, मधुमेह शरीर में छोटी रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे रक्त वाहिकाओं की दीवारें कठोर हो जाती हैं। क्योंकि उन पर चाशनी की तरह शुगर इकठ्ठा होने लगती है इसे आप मीठा या फैट या कोलेस्ट्रॉल कुछ भी कह सकते हैं. इससे इन नलियों पर दबाव बढ़ता है और दिल को ज्यादा दबाव लगा कर उन नलियों में रक्त भेजना पड़ता है. जिससे उच्च रक्तचाप होता है”. दिक्कत यहीं ख़त्म नहीं होती और इन सारी चीज़ों का लोगों के पाचन पर बहुत गहरा असर पड़ता है. उसके बाद नंबर आता है किडनी का. उसमें इन्फेक्शन शुरू होने के बाद लिवर में दिक्कत होने लगती है. उच्च रक्तचाप और मधुमेह के संयोजन से आपको दिल का दौरा या स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ जाता है.
कुल मिलाकर एक छोटी सी टेबलेट से नियंत्रण में रहने वाला मधुमेह एक दिन कई सारे अंगों को निष्क्रिय करने का कारण बनता है. और ये सारी दिक्कतें होने से पहले इंसान को पता भी नहीं चलता. पता तब चलता है जब बहुत देर हो चुकी होती है. इसलिए मधुमेह की बीमारी को भूल कर भी हलके में न लें. हमने बहुत से लोगों को इससे परेशान और असहाय होते हुए देखा है.
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