Sunday, January 14, 2024

आयुर्वेदिक औषधि त्रिफला चूर्ण

 त्रिफला चूर्ण बनाने की सही विधि क्या है और इसे कितने समय तक यूज कर सकते हैं?
आयुर्वेद की महान देन त्रिफला से हमारे देश का आम व्यक्ति परिचित है व सभी ने कभी न कभी कब्ज दूर करने के लिए इसका सेवन भी जरुर किया होगा |
बहुत कम लोग जानते है इस त्रिफला चूर्ण जिसे आयुर्वेद रसायन भी मानता है , से अपने कमजोर शरीर का कायाकल्प किया जा सकता है | बस जरुरत है तो इसके नियमित सेवन करने की | त्रिफला के सेवन से अपने शरीर का कायाकल्प कर जीवन भर स्वस्थ रहा जा सकता है |

दो तोला हरड बड़ी मंगावे | तासू दुगुन बहेड़ा लावे |
और चतुर्गुण मेरे मीता | ले आंवला परम पुनीता ||
कूट छान या विधि खाय|ताके रोग सर्व कट जाय ||

नियमित त्रिफला सेवन विधि - सुबह हाथ मुंह धोने व कुल्ला आदि करने के बाद खाली पेट ताजे पानी के साथ इसका सेवन करें तथा सेवन के बाद एक घंटे तक पानी के अलावा कुछ ना लें | इस नियम का कठोरता से पालन करें |
इससे पेट सम्बंधित बहुत सारी गड़बड़ी या बीमारी होती ही नहीं है।
सुबह अगर हम त्रिफला लेते हैं तो उसको हम "पोषक " कहते हैं |क्योंकि सुबह त्रिफला लेने से त्रिफला शरीर को पोषण देता है जैसे शरीर में vitamine ,iron,calcium,micronutrients की कमी को पूरा करता है एक स्वस्थ व्यक्ति को सुबह त्रिफला खाना चाहिए |
त्रिफला लेने अन्य नियम -
रात में जब त्रिफला लेते हैं उसे "रेचक " कहते है क्योंकि रात में त्रिफला लेने से पेट की सफाई (कब्ज इत्यादि )का निवारण होता है | रात में त्रिफला हमेशा गर्म दूध के साथ लेना चाहिए |
आँखों के लिए बहुत गुणकारी है - एक चम्मच त्रिफला चूर्ण रात को एक कटोरी पानी में भिगोकर रखें। सुबह कपड़े से छानकर उस पानी से आंखें धो लें। यह प्रयोग आंखों के लिए अत्यंत हितकर है। इससे आंखें स्वच्छ व दृष्टि सूक्ष्म होती है। आंखों की जलन, लालिमा आदि तकलीफें दूर होती हैं।
त्रिफले का कुल्ला करना - एक चम्मच त्रिफला रात को एक गिलास पानी में भिगोकर रखें। सुबह मंजन करने के बाद यह पानी मुंह में भरकर रखें , थोड़ी देर बाद निकाल दें , ऐसा 4 से 5 बार कीजिए । इससे दांत व मसूड़े वृद्धावस्था तक मजबूत रहते हैं। इससे अरुचि, मुख की दुर्गंध व मुंह के छाले नष्ट होते हैं।
त्रिफला को गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है। त्रिफला के काढ़े से घाव धोने से एलोपैथिक- एंटिसेप्टिक की आवश्यकता नहीं रहती, घाव जल्दी भर जाता है।
मूत्र संबंधी सभी विकारों व मधुमेह में यह फायदेमंद है। रात को गुनगुने पानी के साथ त्रिफला लेने से कब्ज नहीं रहती है।
मात्रा - 2 से 4 ग्राम चूर्ण दोपहर को भोजन के बाद अथवा रात को गुनगुने पानी के साथ लें।
त्रिफला सेवन में सावधानी - दुर्बल, कमजोर व्यक्ति तथा गर्भवती स्त्री को और बुखार में त्रिफला का सेवन नहीं करना चाहिए।

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