Tuesday, December 28, 2021
Monday, December 6, 2021
Saturday, September 4, 2021
यज्ञ करने से लाभ
चित्र स्रोत: गूगल
इसके बारे में बहुत विश्लेषण नही करूँगा, केवल एक घटना के बारे में आपको बताऊँगा। बाद में आप स्वयं विश्लेषण करें कि यज्ञ करने से क्या लाभ होता है।
दिन था 3 दिसंबर 1984, स्थान था मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल। वहाँ स्थित यूनियन कार्बाइड नामक विदेशी कंपनी भोपाल की शान मानी जाती थी। शाम को तकनीकी खराबी के कारण कंपनी के प्लांट से "मिथाईल आइनोंसाइट" नामक भयानक गैस का रिसाव शुरू हो गया। जैसे ही खबर फैली, सब लोग अपना घर बार छोड़ कर भागने लगे किन्तु इसका कोई फायदा नही हुआ। केवल 2 घंटों में ही उस गैस के रिसाव से 15000 से भी अधिक लोगों की मौत हो गयी। हालांकि ये सरकारी आंकड़ा था और वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक थी। उस समय की सरकार ने मरने वालों एवं उस त्रासदी से प्रभावित लोगों की संख्या को बहुत कम करके बताया किन्तु 2006 में अंततः मध्यप्रदेश सरकार ने माना कि इस घटना से लगभग 600000 लोग सीधे तौर पर प्रभावित हुए थे। ये घटना भारतीय इतिहास में "भोपाल गैस त्रासदी" के नाम से विख्यात है।
अब जो मैं बोलने जा रहा हूँ वो बात मध्यप्रदेश और केंद्र सरकार के सरकारी कागजों में भी दर्ज है। ये कोई सुनी सुनाई बात नही है, इसे आप मध्यप्रदेश राजभवन की साइट या अन्य कई लेखों में पढ़ सकते हैं।
जिस समय गैस का रिसाव शुरू हुआ और बाहर लोग मर रहे थे, भोपाल के बिल्कुल बीच में रहने वाले कुशवाहा परिवार के यहाँ यज्ञ चल रहा था। ये अद्भुत आश्चर्य है कि जिस गैस के कारण फैक्ट्री के 50 किलोमीटर के अंदर 15000 से भी अधिक लोग मर गए, उस गैस का प्रभाव यज्ञ होने के कारण कुशवाहा परिवार पर नही हुआ। उस त्रासदी में बचने वाला कुशवाहा परिवार एकलौता परिवार था।
कुछ दस्तावेज बताते हैं कि जब गैस का रिसाव शुरू हुआ तो अन्य लोगों की तरह कुशवाहा परिवार के लोगों की आंखों में जलन होने लगी और वे खांसने लगे। किन्तु वे दूसरे लोगों की तरह वे घबराए नही और ना ही घर छोड़ कर भागे। उन्होंने तत्काल "अग्निहोत्र यज्ञ" करना शुरू कर दिया। अग्निहोत्र यज्ञ का पुराणों में भी बड़ा महत्व बताया गया है जो पर्यावरण से नकारात्मकता (अशुद्धि) दूर करने के लिए किया जाता है। बाद में कुशवाहा परिवार ने स्वयं बताया कि वो यज्ञ लगभग 20 मिनट चला जिसने आस पास फैले मिथाईल आइनोंसाइट के असर को समाप्त कर दिया। आज भी केरल के नंबूरी ब्राह्मण इस यज्ञ को करने के विशेषज्ञ माने जाते हैं और उन्होंने भी ये पुष्टि की है कि अग्निहोत्र यज्ञ से स्वयं विष के प्रभाव को भी समाप्त किया जा सकता है।
1984 में जब स्थिति थोड़ी सम्भली तो हिन्दू सनातन धर्म की महानता के विषय में बहुत कुछ छापा गया। यहाँ तक कि तत्कालीन सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी, जिसका इतिहास सदैव हिंदुत्व के विरुद्ध ही रहा है, उनके मुख्यमंत्री श्री अर्जुन सिंह ने भी अंततः हिन्दू यज्ञ पद्धति का सार्वजनिक रूप से लोहा माना। 19 मई 1985 में ये खबर सार्वजनिक रूप से छपी थी जिसने सारे विधर्मियों की जड़ों को हिला दिया।
चित्र स्रोत: गूगल
हालांकि जैसे जैसे समय बीता, हिंदुत्व के प्रमाण को सिद्ध करने वाली हर दूसरी चीजों की तरह इस घटना को भी इतिहास के पन्नों में दफन कर दिया गया। इसका एक उदाहरण हाल में ही देखने को मिला जब 2013 में भोपाल गैस त्रासदी पर एक हॉलीवुड फिल्म बनी - "Bhopal - A Prayer for Rain"। इस फ़िल्म में बहुत बेशर्मी के साथ इस पूरे घटनाक्रम को, जिसने अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियाँ बटोरी थी, पूरी तरह गायब कर दिया।
आज के कथित लिबरल और बुद्धिजीवी बहुत बेशर्मी से कहते हैं कि उस त्रासदी में कुशवाहा परिवार का बच जाना केवल एक संयोग था। लेकिन सोचिये जिस भयानक त्रासदी में 15000 (सरकारी आंकड़ा, वास्तव में उससे कहीं अधिक) लोग तत्काल मर गए वहाँ केवल एक ही परिवार क्यों बच पाया? ऐसा संयोग एक भी अन्य परिवार के साथ क्यों नही हुआ? क्या ये यज्ञ की महत्ता को सिद्ध नही करता? जब आप ये प्रश्न उन स्वघोषित बुद्धिजीवियों से पूछते हैं तो वे बंगले झांकने लगते हैं।
मैंने सदैव कहा है कि अपने सनातन हिन्दू धर्म पर गर्व करें और इसकी महत्ता को समझें। करोड़ों लोग ऐसा मानते हैं और उसका कोई ना कोई आधार अवश्य है। तो पुनः प्रार्थना करता हूँ कि अपने महान धर्म की डोरी को विश्वास के साथ कस कर पकड़े रहें।
मैं जो कहना चाहता था वो कह दिया, अब आगे का विश्लेषण मैं आपके विश्वास पर छोड़ता हूँ। आप वही समझें जो आपका अंतर्मन स्वीकार करे।
With Thanks
Neelabh Verma
Friday, August 27, 2021
इंसान जैसा करता है प्रकृति उसे वैसा ही लौटा देती है
धन्यवाद अनुरोध के लिए। एक गांव में गरीब पति पत्नी थे। बीमारी और गरीबी के कारण पति का स्वर्गवास हो गया। पत्नी ने आगे के जीवन यापन के लिए गांव के लोगो से काम पर रखने की ( नौकरी) सहायता मांगी। परन्तु अशुभ स्त्री मान किसी ने भी उसे सहायता नहीं दी। बहुत दिनों से भूखी बिचारी एक द्वार पर भोजन की याचना के लिए गई। सुबह सुबह एक विधवा स्त्री को द्वार पर खड़ा देख उस घर की मालकिन ने गुस्से में आंगन में पड़ा कचड़ा उसके आंचल में डाल दिया।
चित्र गूगल से लिया है।
वो दुखियारी विधवा बिना कुछ बोले उस कचड़े को आंचल में भरकर चली गई। चलते चलते वो गांव से दूर निकल आईं, रास्ते में कुछ साधु दिखे। उन साधुओं ने उससे कहा, "जब कोई राह न बची हो तो ईश्वर की राह पर चलो"। साधुओं ने उसे भी अपनी टोली में शामिल कर लिया। उनके साथ वो जंगल में जाकर ईश्वर भक्ति में लीन हो गई। अपनी कुटिया के बगल मे उसने उस तिरस्कार रूपी कचड़े को रख दिया।
साधुओं की सेवा और उनके लिए भोजन बनाने के साथ वो उनसे ईश्वर का ज्ञान और भजन सुना और गाया करती। उसकी ईश्वर के प्रति निष्ठा, निस्वार्थ भक्ति और भजन ने उसे एक पवित्र, और ज्ञानी साध्वी बना दिया तथा उसके चर्चे अब आस पास के गांव में भी होने लगे।
संयोगवश उसके गांव के लोग भी उसके दर्शन के लिए उसकी कुटिया में आए। साध्वी से अपनी समस्याओं का ईश्वरीय हल पाकर गांव वाले उसकी जयजयकार करते नहीं थकते।
जिज्ञासावश एक भक्त ने उस साध्वी से पूछा, " माता, यूं तो आपके आश्रम के आस पास स्वच्छता और निर्मलता मनमोहक है, परन्तु आपकी कुटिया के बाजू में कचड़े का ढेर क्यों लगा है,ये समझ से परे है"।
साध्वी ने कहा, " ये मेरे जीवन की पहली भिक्षा है, जिस गांव में मैं रहती थी, वहां एक सुबह एक महिला ने मेरे आंचल में इस कचड़े को भिक्षा स्वरूप भेट किया था। ईश्वर की इच्छा मान मैंने इसे रख लिया और कुटिया के बाजू मे डाल दिया"।
जिस महिला ने ये किया था, उसे अब सबकुछ याद आ गया, उसने साध्वी को भी पहचान लिया, उनके पास हाथ जोड़कर क्षमा मांगी, और आश्चर्य से पूछा, " क्षमा चाहती हूं माता, परन्तु मैंने तो थोड़ा सा ही कचड़ा दिया था, लेकिन यहां तो कचड़े का ढेर है"।
साध्वी बोली, " इंसान के द्वारा किए गए सारे कर्म समयानुसार प्रफ्फुलित होते है, और फिर वापस उसी के पास लौटकर आते है। तुम्हारा कर्म बढ़कर कचड़े का बड़ा ढेर बन गया है, ये तुम्हे ही एक दिन वापस मिलेगा। हम जो भी सोचते है या करते है वो अज्ञात रूप से प्रकृति और ब्रम्हांड में ऊर्जा के रूप में विद्यमान होता है, और समय समय पर उसी रूप में हमे वापस मिलता है। कर्म अच्छे हो या बुरे दोनो के फल मिलते है। आप आकाश में जितनी रफ्तार से कंकड़ उछालोगे, उससे ज्यादा रफ्तार से वो वापस आपके पास वापस आएगा।"
महिला साध्वी की बातें सुन उसके चरणों में गिर पड़ी और इन सबसे मुक्ति की प्रार्थना करने लगी।
साध्वी ने कहा, तुम राजा पृथु की तरह ऐसा कुछ करो जो धर्म के दृष्टिकोण से तो उचित हो,लेकिन लोगों की दृष्टि में अनुचित।
महिला को उसके बुरे कर्मो से मुक्ति का मार्ग मिल गया था। उसे सूचना मिली की गांव के बाहर जो मंदिर है वहां के पुजारी जी बीमार है। महिला रोज शाम पूर्ण श्रृंगार कर लाल जोड़े में गांव के बीच से होती हुई मंदिर की ओर जाती। और पुजारी जी के घर (जो की मंदिर पीछे ही था, ) जाकर एक पुत्री की भांति उनकी सेवा करती। रोजाना उसका श्रृंगार और जाना लोगो को दिखता, लेकिन किसी ने ये पता लगाने की कोशिश नहीं की कि वो कहां जाती है। लोग उसके बारे में तरह तरह की निंदनीय बाते करने लगे " देखो तो ज़रा इसे घर में पति होते हुए भी रोजाना शाम को श्रृंगार पटार कर ना जाने किससे मिलने जाती है"। "अरे मिलने नहीं मुंह काला करने जाती है"। " कितना भला पति है इसका, इसे तनिक भी चिंता नहीं है लोक लाज की"। इस तरह से पूरे गांव ने उसकी निन्दा शुरू कर दी। उसके पति ने भी बात सुनी और क्रोधवश सच पूछा। फिर महिला ने पुजारी के पास जाकर सच से अवगत कराया।
महिला साध्वी की कुटिया गई तो देखा की वहां कचड़े का ढेर नहीं है, सिर्फ थोड़ा सा कचड़ा पड़ा है।
साध्वी बोली, " लोगो ने जितनी बार तुम्हारी अनुचित निन्दा की उतनी बार तुम्हारे बुरे कर्म उन्हें बराबर बराबर प्राप्त हुए। साथ ही तुमने निस्वार्थ भाव से पुजारी की सेवा की, परिणामस्वरूप तुम्हारे हिस्से का कचड़ा साफ हो गया। मगर जो मूल कर्म तुमने किया है उसका कचड़ा तो तुम्हे वापस मिलेगा ही। ये तुम्हारा कर्म है। जितना तुमने मेरे भिक्षा पात्र मे मेरे खाने के लिए दिए थे उतना तो तुम्हें खाना ही पड़ेगा।
"कोई कितना भी उपाय, दान, पुण्य करले उसका कर्म दोष कट तो जाएगा पर उसका मूल नष्ट नहीं होगा, उतना तो भरना ही पड़ेगा, जब हम किसी की बेवजह निंदा करते हैं, तो हमें उसके पाप का बोझ भी उठाना पड़ता है। तथा हमें अपने किये गये कर्मों का फल तो भुगतना ही पड़ता है। अब चाहे हँसकर भुगतें या रोकर। हम जैसा देंगे, वैसा ही लौटकर वापिस आयेगा।
With Thanks by Reena Singh
Thursday, August 26, 2021
नपुंसकता और शीघ्रपतन को ठीक करने के घरेलू और आयुर्वेदिक तरीके
नपुंसकता अथवा मर्दाना ताकत की कमी को कैसे सिर्फ कुछ दिनों में आयुर्वेदिक दवाओं से ठीक किया जा सकता है?
नपुंसकता और शीघ्रपतन क्या है?
नपुंसकता – नपुंसकता एक ऐसी स्थिति है जब व्यक्ति सम्भोग के दौरान अपने लिंग के कड़ेपन को बनाये रखने में सक्षम नहीं हो पाता।
शीघ्रपतन – शीघ्रपतन में पुरुष का वीर्य जल्दी स्खलित हो जाता है जबकि अभी महिला को संतुष्टि नहीं हुई है। अध्ययन में ये पाया गया है कि इसका टाइमिंग से कोई लेना-देना नहीं है। जब दोनों पार्टनर संतुष्ट न हो, उस स्थिति को शीघ्रपतन कहा जाता है।
नपुंसकता और शीघ्रपतन को ठीक करने के घरेलू और आयुर्वेदिक तरीके (Home Remedies for Erectile Dysfunction & Premature Ejaculation in Hindi)
आइये अब जानते हैं कुछ ऐसे घरेलू और आयुर्वेदिक नुस्खे ( Home Remedies for Erectile Dysfunction & Premature Ejaculation in Hindi) जिनकी सहायता से आप नपुंसकता और शीघ्रपतन जैसी समस्यायों से मुक्ति पा लेंगे।
इमली के बीज
5 इमली के बीज रात को सोने से पहले एक कटोरी गर्म पानी में भिगो दें। सुबह को हाथ से रगड़कर इनका छिलका उतारें। एक किलो दूध में डालकर आधा दूध रहने तक पका लें। फिर दूध उतारकर प्राकृतिक रूप से ठंडा होने दें। बीज फूल जाएंगे।
सेवन की विधि – रात को सोने से पहले सारे बीजों को बारीक चबाकर खाएं, साथ में बाकी दूध भी पी लें। कुछ ही दिन में आश्चर्यजनक लाभ होगा। एक माह नियम से सेवन करें।
सावधानी – खटाई का परहेज करें। दवा लेते समय पूरी तरह ब्रह्मचर्य का पालन करें।
बंश लोचन
असली बंश लोचन और सत्व गिलोय बराबर मात्रा में लें तथा कूट लें। प्रतिदिन दो ग्राम शहद के साथ लें। इससे वीर्य गाढ़ा हो जाता है और जल्दी स्वतः स्खलित नहीं होता।
प्याज का रस
20 तोला प्याज का रस और 20 तोला शहद को मिलाकर शरबत तैयार कर लें। ढाई तोला रोज सेवन करने से नामर्दी और काम शक्ति की कमी में बड़ा लाभ होता है, साथ ही शरीर सबल और पुष्ट बनता है।
सूखे आंवले का चूर्ण
सूखे आंवले का चूर्ण – 6 ग्राम, गाय के दूध के साथ रोज खाने से मर्द का वीर्य अधिक गाढ़ा व शक्तिशाली बनता है। शरीर में शक्ति आती है तथा वीर्य विकारों जैसे – स्वप्न दोष, शीघ्रपतन आदि का शमन होता है।
जटामांसी
यह एक खुशबूदार शाक है, जिसका सम्बन्ध वैलेरियन परिवार से है। यदि कोई व्यक्ति नपुंसकता की गंभीर समस्या से परेशान है तो जटामांसी का प्रयोग उसके लिए काफी लाभकारी है।
सेवन की विधि – इस जड़ी-बूटी को पाउडर के रूप में लिया जाता है। इसके पाउडर एक चौथाई चम्मच को शहद के साथ लिया जाता है।
जटामांसी, जायफल, सोंठ और लौंग को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को रोजाना दिन में 3 बार सेवन करने से नपुंसकता से छुटकारा मिलता है।
सावधानी – इसके ज्यादा सेवन से उल्टी, दस्त और गुर्दों को हानि पहुंच सकती है। इसके साथ साथ जिनकी त्वचा संवेदनशील है, उन्हें एलर्जी भी हो सकती है। तो जटामांसी का प्रयोग करने से पहले अच्छे आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
वीर्य दोष कितने प्रकार के होते हैं? वृद्धावस्था में नपुंसकता के लक्षण और निदान क्या हैं? शुद्ध शुक्र के क्या लक्षण हैं? इन सभी प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए गूगल पर सर्च करें -"Home Remedies for Erectile Dysfunction & Premature Ejaculation in Hindi-चरक संहिता" इसके बाद ghrelunuskhe वेबसाइट पर जाएँ और सारी जानकारी डिटेल में प्राप्त कर लें। धन्यवाद।
With Thanks Puneet Shukla
कब्ज़ को जड़ से ख़त्म करने के लिए बेहतरीन होम्योपैथिक दवाइयां
नमस्कार दोस्तों, आशा करता हूँ आप स्वस्थ होंगे औऱ सुरक्षित होंगे आज हम बात करेंगे कुछ बेहतरीन दवाइयों के बारे में जो कब्ज़ (Constipation) के लिए बहुत ही रामबाण दवा हैं। यह बहुत आम समस्या हैं आज के दौर में चाहें बच्चें हो या बूढ़े या जवान यह समस्या किसी को भी हो सकती हैं। भागदौड़ भरी जिंदगी में लाइफस्टाइल इतना डिस्टर्ब रहता हैं खान पान इतना चेंज रहता हैं तो इन सारी कारणों की वजह से यह समस्या होती हैं। तो आज हम इस लेख में बात करेंगे ऐसी टॉप ग्रेटेड दवाइयों के बारे में जिसकों आप कब्ज़ (Constipation) के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
[1] 1. Alumina 30 CH :— यह दवाई बहुत अच्छा काम करती हैं ख़ासतौर पर मोशन ( motion) पास नहीं हो रहा आपको ज़्यादा जोर पावर लगाने की जरूरत पड़ रही हैं। चाहें बच्चें हो या बूढ़े या महिलाएं उनकी शारिरिक एक्टिविटी बहुत कम होती हैं। ऐसी परिस्तिथि के बाद जब कब्ज़ होता हैं। मसल्स में कोई ताक़त ही नहीं हैं तो आप Alumina 30 CH Potency में सेवन करना शुरू करें।
ख़ुराक :- 2 बूंद Direct On Tongue ( सीधा जीभ ) पर ले सुबह, दोपहर, शाम ले 1 या 2 दिन के अंदर ही आपके मोशन (Motion) डिस्टर्बेंस को ठीक कर देंगे।
[2] 2. Asafoetida 3X :— आगर आपको बहुत लंबे समय से क्रोनिक (chronic) कब्ज़ (constipation) और उसके साथ - साथ बहुत पेट फुला फुला और खट्टी डकारें जैसे बदन में लगती हो तो उसके लिए आपको Asafoetida 3X पोटेंसी (Potency) में यूज़ करना हैं। हींग से बनने वाली दवा हैं।
ख़ुराक :- 2 बूंद सीधा जीभ पर ( Directly On Tongue ) सुबह, दोपहर, शाम, जब आपकी परेशानी जड़ से ख़त्म हो जाये तो आप इसका सेवन बंद कर दे।
[3] 3. Bryonia alba 30 Ch :— कब्ज़ ( Constipation ) अग़र आपको बहुत ही ज़्यादा हार्ड (Hard) ड्राई (Dry) सूखा हो मोशन (Motion) पास नहीं हो रहा हो एकदम सुख सी गयी हो और उसमें चिकनाहट कम हो गयी हो तो आप Bryonia alba 30 Ch पोटेंसी (Potency) में यूज़ करें।
ख़ुराक :- 2 बूंद सीधा जीभ पर ले ( Directly On Tongue ) इसे आप सुबह, दोपहर, शाम ले अग़र यह परेशानी लंबे समय से चल रही हैं तो एक सप्ताह तक इसका सेवन करें। आपकी परेशानी जड़ से ख़त्म हो जाएगी।
[4] 4. Chelidonium 30 CH :— बहुत ही अच्छी मेडिसिन मानी जाती हैं। अग़र आपको लिवर में दिक्कत हैं या गॉल ब्लैडर में डिस्टर्बेंस हैं उसकी वज़ह से आपको हार्ड (hard) डार्क रंग के जैसे उबला (Boiled) हुआ मोशन (Motion) डिस्टर्ब हो रहा हो खुलकर मोशन (Motion) पास न हो रहा हो आप Chelidonium 30 CH का यूज़ करना शुरू करें।
ख़ुराक :- 2 बूंद सीधा जीभ पर ले (Directly On Tongue) सुबह, दोपहर, शाम, definetly अच्छे परिणाम मिलेंगे अग़र आपके लिवर और गॉल ब्लैडर में दिक्कत हैं।
[5] 5. Nux Vomica 30 CH :— आप सभी को पता होगा दोस्तों Nux Vomica 30 CH कब्ज़ (Constipation) के लिए बेहतरीन दवा हैं। उनके लिए बेहतरीन दवा हैं जिनका काम ज़्यादा बैठ के करने का हैं या वो लोग जो बहुत ज़्यादा Spicy तीख़ा खाना पसंद करते हैं। या कभी ओवरईटिंग (Overeating) हो जाती हैं, ये सारी situation के बाद अग़र गैस, अपच की समस्या हो रही हैं। तो आप सीधे Nux Vomica 30 CH पोटेंसी (Potency) में यूज़ करना शुरू करें।
ख़ुराक :- 2 बूंद सीधा जीभ पर ले (Directly On Tongue) सुबह, दोपहर, शाम आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
[6] 6. Antim Crud 30 CH :— ख़ासकर यह दवाई बुज़ुर्ग (Old Age) लोगों के लिए हैं जिन्हें बार बार डायरिया (diarrhea) और कब्ज़ होता जा रहा हैं। अग़र ऐसी स्थिति हैं पहले कब्ज़ (Constipation) हो जाये फ़िर डायरिया (diarrhea) हो जाये तो आप ऐसी स्थिति में Antim Crud 30 CH पोटेंसी (Potency) में यूज़ करना शुरू करें। शरीर में पानी की कमी होना या मुँह सुखना जीभ सफ़ेद होने का सबसे मुख्य कारण हैं।
ख़ुराक :- 2 बूंद सीधा जीभ पर ले (Directly On Tongue) सुबह, दोपहर, शाम आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
[7] 7. Sepia 30 CH :— कब्ज़ में बहुत ही important दवाई हैं ये यह दवाई कब्ज़ ( Constipation) के साथ प्रेगनेंसी अग़र हो रहा हो आपको हार्ड स्टूल (Stool) आ रहा हो साथ में पेट से खून आ रहा हो ऐसा लगे आपको मलाशय (Rectum) फूल सा गया हैं। मलाशय Rectum में सेंसेशन (Sensation) फ़ील हो रहा हो। और आपका स्टूल (Stool) बहुत ज़्यादा लार्ज (Large) और हार्ड आ रहा हो during प्रेगनेंसी की वज़ह से कब्ज़ हो रहा हैं। यह समस्या महिलाओं में प्रेगनेंसी के वजह से मलाशय (Rectum) पर जोड़ प्रेशर पड़ता हैं। अग़र ऐसी स्थिति आप की भी हैं तो आप Sepia 30 CH यूज़ करना शरू करें।
ख़ुराक :- 2 बूंद सीधा जीभ पर ले (Directly On Tongue) सुबह, दोपहर, शाम आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
[8] 8. अग़र आपको पीरियड्स के दौरान कब्ज़ (Constipation) की शिकायत रहती हैं और आपको मोशन (Motion) पास करने में कोई दिक्कत सी हो जैसे थोड़ा सा मोशन (Motion) पास आ रहा हो मगर वापस (Back) चला जा रहा हैं। प्रेगनेंसी के दौरान अग़र ऐसा हो रहा हो तो आपके लिए यह ख़ास दवाई हैं। definetly Try करें बहुत अच्छी दवाई हैं आपको बहुत अच्छे रिजल्ट्स मिलेंगे।
ख़ुराक :- 2 बूंद सीधा जीभ पर ले (Directly On Tongue) सुबह, दोपहर, शाम आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
तो ये कुछ टॉप ग्रेटेड दवाई हैं। कब्ज़ में इसलिये मैंने Different Shades में बताया हैं आपको कुछ-कुछ Particulars पार्ट्स के लिए। अग़र आपको परेशानी हैं तो Symptoms के बेसिस पर इस्तेमाल करें और अपनी परेशानी को जड़ से ख़त्म करें।
आशा करता हूँ आपको यह लेख पसंद आएगा।
By Sandeep
Thursday, August 19, 2021
Tuesday, July 20, 2021
थायराइड की बीमारी
थायराइड की बीमारी के लिए सबसे अच्छे घरेलू उपचार क्या हैं?
थायराइड गर्दन के निचले हिस्से के बीच में तितली के आकार की एक छोटी सी ग्रंथि होती है I यह टी3 और टी4 थायरॉक्सिन हार्मोंन का निर्माण करती है जो कि सांस, ह्रदय गति, पाचन तंत्र और शरीर के तापमान पर सीधा असर करती है। इन हॉर्मोन्स के असंतुलन से हाइपोथायराइड (हॉर्मोन्स की मात्रा कम होना) या हाइपर थाइरोइड (हॉर्मोन्स की मात्रा बढ़ना) की समस्या उत्पन्न होती हैं। पुरूषों के मुकाबले महिलाओं में हाइपोथायराइड अधिक मात्रा में पाया जाता है l
लक्षण :
यह एक साइलेंट किलर बीमारी है क्योंकि इसके लक्षण फौरन सामने नहीं आते हैं। हाइपोथायरायडिज्म सबसे ज्यादा देखी जानेवाली थाइरोइड समस्या है ।
थोडासा काम करने पर भी थकन महसूस होना, वजन बढ़ने लगना, शरीर में हलका दर्द रहना, बाल,त्वचा रूखे होना, कब्ज, अनियमित मासिक धर्म ये लक्षण हाइपोथायरायडिज्म में दिखाई देते है ।
कारण :
जीवन शैली में परिवर्तन, शारीरिक और मानसिक तनाव यह हाइपोथाइरोइड के कुछ मुख्य कारण है। थायरॉइड रोग का एक कारण ऑटोइम्यून डिसॉर्डर भी है जिसमें शरीर में मौजूद एंटीबॉडी खुद ही थायरॉयड ग्रंथियों पर हमला कर देती हैं जिसके परिणामस्वरूप ऑटोइम्यून थिओरोडिटिस थायरॉइड ग्रंथि को नष्ट करती है।
आयुर्वेद में थायरॉयड ग्रंथि का कोई प्रत्यक्ष उल्लेख नहीं है। लेकिन गलगंड नामक एक बीमारी का उल्लेख संहिताओं में मिलता है। इसके लक्षण हाइपोथाइरोइड से काफी मिलते है l
यदि हाइपोथायरायडिज्म अनुवांशिक दोषों के कारण या जन्मजात विकृति के कारण होता है, तो ये असाध्य हैं।
कारण के अनुसार हाइपोथायरायडिज्म में विभिन्न स्तरों पर अलग अलग औषधियां इस्तमाल की जाती है :
हाइपोथैलामो पिट्यूटरी स्तर पर: तनावनाशक औषधिया, मेध्य रसायन द्रव्य, नस्य कर्म फायदेमंद हो सकते हैं।
थायरॉयड ग्रंथि के स्तर पर: यहां थायरॉयड उत्तेजक दवाओं की सिफारिश की जाती है।
चयापचय स्तर पर: दीपन, पाचन, तीक्ष्ण, उष्ण, लेखन गन युक्त औषधीय जो शरीर के चयापचय को बढ़ाती है, उनका इस्तमाल किया जाता है।
ऑटोइम्यून से संबंधित हाइपोथायरायडिज्म के लिए इम्यूनो-मॉड्यूलेटरी औषधिया उपयोगी है l
१. कांचनार : यह हाइपोथाइरोइड के लिए अत्यंत उपयुक्त है I ताज़ा कांचनार की छाल को चावल के पानी के साथ पीसकर शुंठी मिलाकर सेवन करे। यह गोइटर में आनेवाली गले में सूजन को भी कम करता हैl
२. अश्वगंधा : यह थाइरोइड हॉर्मोन्स को बढ़ता है l तणाव को कम करता है l इम्यूनोमोडुलेटर होने से ऑटो इम्यून हाइपोथायरायडिज्म में यह उपयोगी हो सकती है l
३. सहजन की पत्तियां भी हाइपोथाइरोइड में कारगर साबित हुई है l
४. वरुण में एंटी ट्यूमर प्रॉपर्टी होने के कारण यह थायराइड की अतिरिक्त वृद्धि में लाभकारी हैl
५. गुग्गुलु : यह टी४ टी ३ हॉर्मोन्स की मात्रा बढ़ाता है l
६. ब्राह्मी : आयुर्वेद की उत्कृष्ठ मेध्य रसायन औषधी है l ब्राह्मी थायराइड को उत्तेजित करती है, उसकी गतिविधि बढ़ाकर टी ४ होर्मोन की मात्रा बढ़ाती है l
७.मुलेठी में मौजूद तत्व थाइरोइड ग्रंथि को संतुलित बनाते है। थकान को ऊर्जा में बदलते है ।
इनके अलावा निर्गुण्डी, जलकुम्भी, अपामार्ग, आरग्वध जैसी औषधियां भी थाइरोइड हॉर्मोन्स की मात्रा बढ़ाकर हाइपोथाइरोइड में उपयुक्त साबित हुई है l
१. सहजन के पत्ते, कांचनार, पुनर्नवा इनको समान मात्रा में ले के काढ़ा बनाले। ३० से ५० मिली काढ़ा दिन में एक बार खाली पेट ले।
इन औषधियों से बने कांचनार गुग्गुलु, त्रिफलाद्य गुग्गुलु, पुनर्नवादि कषाय आदि योग मात्रा में लेने से हाइपोथाइरोइड में काफी लाभ होता है l
इनके साथ वमन, विरेचन, नस्य आदि पंचकर्म, शिरोधारा जैसे चिकित्सा कर्म उचित चिकित्सक के परामर्श से लेने चाहिए l
योगाभ्यास :
थाइरोइड की समस्याओं के लिए योगाभ्यास बहोत फायदेमंद हो सकता है I आसन करने से शरीर में रक्तसंचरण बढ़ता है, तनाव कम होता है, थाइरोइड को उत्तेजना मिल इसका कार्य सुचारु रूप से होने लगता है I डॉक्टर से उचित सलाह लेके इन आसनों का अभ्यास करना उपयोगी है ।
१. सर्वांगासन (शोल्डर स्टैंड पोज़)
यह थायरॉयड ग्रंथियों को उत्तेजित करने में मदत करता है और थायरोक्सिन को नियंत्रित करता है। इस विशेष मुद्रा में, शरीर के उल्टे मुद्रा के कारण पैरों से सिर की तरफ रक्त प्रवाहित होता है जो थायराइड में मदद करता है।
२. हलासन (हल की मुद्रा)
इसका अभ्यास गर्दन पर उचित दबाव बनाता है जिससे थायरॉयड ग्रंथियों को उत्तेजित करता है। यह मस्तिष्क को शांत करता है और तनाव और थकान को कम करता है।
३. मत्स्यासन, सेतुबंधासन, भुजंगासन थाइरोइड में लाभदायी आसन है l
हाइपोथायराइड के लिए पथ्य:
खाने में आयोडीन युक्त नमक का इस्तमाल करे l दही और दूध का खाने में अधिक इस्तमाल करे। इनमें मौजूद कैल्शियम, मिनरल्स और विटामिन्स थायराइड के मरीज को स्वस्थ बनाए रखने का काम करते हैं।
थायराइड ग्रंथी को बढ़ने से रोकने में गेहूं और ज्वार का इस्तेमाल भी मददगार हो सकता है।
लहसुन, प्याज, त्रिकटु, सहजन (मोरिंगा), जव, कुलीथ , काकमची, पुराने चावल, जौ, मूंग दाल इनका ज्यादा प्रयोग करे l नारियल का तेल हाइपोथायरायडिज्म में बहुत मदद करता है l
हाइपोथायरायड के लिए अपथ्य (परहेज करना):
दही, भारी भोजन, बहुतायत में नॉनवेज, मछली, दिन की नींद, बहुत मीठा खाना, जंक फ़ूड बंद करना चाहिये I
With Thanks
Sunday, May 16, 2021
आमों को खरीदते समय आप कैसे पता लगाते हैं कि वे प्राकृतिक तरीके से पके हुए हैं या उन्हें किसी केमिकल का इस्तेमाल कर के पकाया गया है?
प्राकृतिक तरीके से पके हुए आमों की पहचान इस प्रकार करें।
1. प्राकृतिक तरीके से पके हुए आमों को सुंघने पर मीठी-मीठी खुशबू आती है।
2. यह आम पूरी तरह पीले नहीं होते बल्कि इनका रंग थोड़ा हरा, पीला और थोड़ा सुनहरा होता है।
3. यह आम पानी में डुबाने से एकदम तल में जाकर बैठ जाते हैं।
4. प्राकृतिक रूप से पके हुए आमों में हरे-पीले रंग के कोई पैचेज नहीं दिखाई देते।
केमिकल से पके हुए आमों की पहचान इस प्रकार हैं
1. केमिकल से पकाए गए आमों का रंग एकदम पीला और चमकीला दिखाई देता है।
2. यह आम जल्दी काले पड़ जाते हैं।
3. यह आम पानी में डुबाने से सतह पर ही रह जाते हैं।
4. यह आम अंदर से काटने पर कहीं से पीला और कहीं से सफेद निकलता।
5. केमिकल से पके हुए आमों का छिलका ज्यादा पका हुआ होगा लेकिन अंदर से इसमें कच्चापन होता है।
इसलिए दोस्तों आमों को खरीदते समय इन बातों का ध्यान रखें और अच्छी सेहत पाएं।
Thanks by Ashok Sachdeva