Tuesday, December 27, 2022

बवासीर का सबसे अच्छा इलाज क्या है?

 जिन लोगो को बवासीर मैं खुजली होती है, जलन होती है, खून निकळता है वो लोग आज ही इस इलाज को शूरू करे।

आब इस इलाज को करने के लिये आपको औषधी के दुकान से जात्यादी तेल लना है। ये तेल आपको बोहुत ही आसानी से मिल जयगा (आगर किसी कारण वाश नाही मिले तो मैं आपको इस तेल को ऑनलाइन खरिदनेका लिंक कॉमेंट मैं दे रहा हू।) इस तेल मैं दारू हल्दी, जटी पूत्र, नीम, करंज, यष्टी मधू, पद्मकाल, मोहरा ऐसे बहुत सारे वनस्पती का मिश्रण है।

आब इसका प्रयोग कैसे करे? तो सबसे पहिले एक थोडासा कपास का तुकडा ले ओर उस कपास को तेल मैं भिगो ले। आब उस कपास को बवासीर वाले जगाह पर आच्छेसे लागये। ये प्रयोग सुबाहा शौचालय से आने के बाद नाहा ले बाद मैं इसका प्रयोग करे ओर रात को सोने से पाहिले। पर ध्यान रखे के हर बार नया कपास का तुकडा ले।

इस जात्यादी तेल मैं अँन्टी बॅक्टरियाल ओर अँन्टी मायक्रो बॅक्टरियाल प्रॉपर्टी होती है। (कृपया इस तेल का सेवन ना करें)

अब इस तेल को कितने दीन तक लगणेका? वैसे तो ६,७ दीन के आंदर बवासीर १००% ठीक को जयगा। लेकीन आगर आपको बस आभी आभी सुर्वात होई है तो आपको १ दीन मैं ही फरक पडेगा ओर इस तेल को दुबारा लागणे की जरुरत भी नहीं पडेगी।

तुमको कोनसा भी बवासीर हो चाहे खून निकाल रहा हो या बवासीर पुरा बाहर आता हो या आंदर से कोंब निकला हो इस सारे प्रकार के बवासीर का इलाज पक्का हो जायेगा इसको इस बर आजमाकर जरूर देखे।

जात्यादी तेल का कोई भी साईड इफेक्ट नाही है। यह तेल पूरी तरह से आयुर्वेदिक है। 

with thanks from 

Akash Lahase

Sunday, September 25, 2022

लीवर की क्षति

 

क्या आप लीवर की क्षति को उलट सकते हैं?


एलोपैथी में ऐसा नहीं है कि लीवर को क्षति को उल्ट दिया जाए,,,

आयुर्वेदिक इलाज प्रणाली द्वारा यह संभव है।

आप को अगर लीवर में सूजन हेपेटाइटिस,, काला पीलिया है तो,,

आप बाजार से नागर मोथा ले आइए उसे मिक्सी में अच्छे से पीस लें,,,

आप आप खाना खाने के 1 घंटे बाद एक चम्मच नागर मोथा मुंह में रख ले और साथ में punervarist 6 चम्मच आधे कप पानी में डालकर इसी पानी से नागरमौथा खा जाय,,

इससे आपकी लीवर की सूजन हेपेटाइटिस और काला पीलिया ठीक हो जाएगा इससे आप 1 से 3 महीना लीजिए,, 6 महीने भी लेना पड़ सकता है। वैधकिए देख रेख में ले।🙏🙏

6 महीने की कोई बात नहीं है जब के एलोपैथी में काला पीलिया में डॉक्टरों के हाथ खड़े हो जाते हैं वहां आयुर्वेद काम करता है।

आयुर्वेद की तरफ रोगी तब आता है जब एलोपैथी दवाएं काम तमाम कर चुकी होती है।

फिर दोष दिया जाता है भारतीय इलाज प्रणाली को,

जब के बीमारी से पूर्ण छुटकारा आयुर्वेद ही दिलाता है,,,

इसलिए आयुर्वेदिक प्रणाली मुख्य इलाज प्रणाली होनी चाहिए और बाकी pathy इसकी सहायक होनी चाहिए।

Friday, August 12, 2022

पेट में गैस बनने के घरेलु उपाय

  • नीबू के रस में 1 चम्मच बेकिंग सोडा मिलाकर सुबह के वक्त खाली पेट पिएं।
  • काली मिर्च का सेवन करने पर पेट में हाजमे की समस्या दूर हो जाती है।
  • आप दूध में काली मिर्च मिलाकर भी पी सकते हैं।
  • छाछ में काला नमक और अजवाइन मिलाकर पीने से भी गैस की समस्या में काफी लाभ मिलता है।
  • दालचीनी को पानी मे उबालकर, ठंडा कर लें और सुबह खाली पेट पिएं। इसमें शहद मिलाकर पिया जा सकता है।
  • लहसुन भी गैस की समस्या से निजात दिलाता है। लहसुन को जीरा, खड़ा धनिया के साथ उबालकर इसका काढ़ा पीने से काफी फादा मिलता है। इसे दिन में 2 बार पी सकते हैं।
  • दिनभर में दो से तीन बार इलायची का सेवन पाचन क्रिया में सहायक होता है और गैस की समस्या नहीं होने देता।
  • रोज अदरक का टुकड़ा चबाने से भी पेट की गैस में लाभ होता है।
  • पुदीने की पत्तियों को उबाल कर पीने से गैस से निजात मिलती है।
  • रोजाना नारियल पानी सेवन करना गैस का फायदेमंद उपचार है।
  • इसके अलावा सेब का सिरका भी गर्म पानी में मिलाकर पीने से लाभ होगा।

With thanks from Hemant Singh

Thursday, June 30, 2022

Sex Power By यूनानी दवा सदर मुगललाइज जवाहरी

 


मुगल्लिज़ जवाहरी या मुग़लीज़ जवाहर के नाम से बिकने वाली यूनानी चिकित्सा पद्धति की क्लासिकल औषधि है जो माजून (घी कर शक्कर या शहद में पकाकर तैयार) विधि से निर्मित की जाती है। यह एक अद्भुत यौन शक्ति वर्धक) औषधि है जिसे यूनानी चिकित्सा में हर्बल वियाग्रा के समान माना जाता है। यह औषधि यह खासतौर से पुरुषों में पावर स्टैमिना को बढ़ाने, जोश व नई उमंग जगाने के लिए बनाई जाती है। बहुत सी कंपनिया इसे मिलते जुलते नाम से बनाती हैं लेकिन सबके योग सामग्री में अंतर होता है।

इसमें दारचीनी या दालचीनी, तबाशीर या वंशलोचन, मस्तगी रूमी या रूमी मस्तकी (पिस्ता के परिवार का एक दूसरे पेड़ का गोंद), ज़ाफरान या केशर, कुश्ता यशहब सब्ज (हरा) या हरिताश्म (जेड रत्न) की भस्म, कुश्ता जमुरूद या पन्ना भस्म, कुश्ता मरवारीद या मोती/मुक्ता भस्म, वर्क नुकरा या चांदी का वर्क, मगज बादाम या बादाम गिरी, मगजे चिलगोजा या चिलगोजा की गिरी और नबाते सफेद इन सभी जड़ी बूटियों के मिश्रण से माजून (अवलेह के समान प्रक्रिया) बनाने की विधि द्वारा इसे बनाया जाता है।

यही औषधि पुरुषों के जननांगों की पेशियों को ताकत देता है साथ ही भरपूर जोश जगाता है। पुरुषों में आई किसी भी तरह की कमजोरी को दूर करता है। नामर्दी और नपुंसकता जैसी परेशानी के लिए एक खास दवाई है। यह यौन इच्छा को बढ़ाता है। नया जोश उमंग जगाता है। खास तौर से मर्दाना कमजोरी के लिए एक बेजोड़ दवाई बताई जाती है। बढ़ती उम्र के लोगों के लिए बहुत ही खास यह दवाई है। इसके इस्तेमाल से लिंग में आई लूजनेस खत्म होती है और साथ ही प्रॉपर इरेक्शन वह हार्डनेस आता है। हस्तमैथुन के दुष्प्रभाव को दूर करता है और शीघ्रपतन की समस्या को नष्ट करता है।

एक यूनानी दवाई है। इसे काफी तेज असरदार दवाई बताया जाता है। दिल व दिमागी अमराज से परेशान मरीजों को इसका इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए और इसके अलावा 25 साल से कम के युवाओं को भी इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसके ओवरडोज से भी बचना चाहिए ओवरडोज होने पर पानी ज्यादा पीना चाहिए।

With Thanks by

ASWANI KUMAR


Saturday, June 25, 2022

भीगी हुई मूंगफली कितनी फायदेमंद होती है?

बादाम के बजाए खाइए भीगी हुई मूंगफली, सेहत को होंगे एक से बढ़कर एक फायदे

अक्सर हम में से कई लोग रोजाना रात को बादाम (Almond) को भिगोकर सुबह खाते हैं, क्‍योंकि बादाम में एक से बढ़कर एक फायदे होते है जो हमें तंदरुस्‍त रखते है. लेकिन क्या आपने कभी बादाम की जगह मूंगफली ट्राई की है? मूंगफली (Peanut) का सेवन अगर रात में भिगोने के बाद सुबह उठकर किया जाए तो उसके कई बेहतरीन स्वास्थ्य फायदे देखने को मिल सकते हैं. पोटेशियम, कॉपर, केल्शियम, आयरन और सेलेनियम जैसे गुणों से भरपूर मूंगफली को भिगोकर खाने से उसकी पौष्टिकता और भी बढ़ जाती है. यहां जानिए आखिर कैसे भीगी हुई मूंगफली ज्यादा फायदेमंद है (Benefits of soaked peanut).

हार्ट के लिए बढि़या
भीगी मूंगफली ब्लड सर्कुलेशन कंट्रोल करके शरीर को हार्ट अटैक के साथ कई हार्ट प्रॉब्लम से बचाती है. इसलिए दिल की सेहत को ठीक रखने के लिये भीगी मूंगफली खाना लाभकारी रहता है.

मसल्स करे टोंड
अगर आप अपने शरीर के आढ़ी-टेढ़ी मसल्स से परेशान हैं या फिर ये आपका लुक खराब कर रहे हैं तो रोजाना भीगी हुई मूंगफली खाएं. इससे धीरे-धीरे आपकी मसल्स टोंड होंगी.

गैस और एसिडिटी होती है दूर
पोटेशियम,मैग्नीज, कॉपर, केल्सियम,आयरन, सेलेनियम के गुणों से भरपूर मूंगफली को भिगो कर सुबह खाली पेट खाने से गैस और एसिडिटी की परेशानी दूर होती है.

गैस और एसिडिटी करे ठीक
सर्दियों में भारी भरकम खाना पेट को फुला देता है. इस वजह से आप भरपेट नाश्ता और लंच नहीं कर पाते. इसे ठीक करने के लिए रोज रात एक मुठ्ठी मूंगफली के दाने भिगोएं और सुबह उठकर खा लें.

जोड़ो और कमर दर्द में दे आराम
सर्दियों में कमर और जोड़ों का दर्द बहुत दिक्कत देता है. ऐसे में मूंगफली इस रोग से आपको आराम दिला सकती है. बस भीगी हुई मूंगफली को थोड़े गुड़ के साथ खाएं.

याद्दाश्‍त बढ़ाता है
बच्चों को सुबह भीगी मूंगफली के कुछ दाने खिलाने से इसमें मौजूद विटामिन आंखों की रोशनी और याद्दाश्त तेज करते है. मूंगफली को खाने से शरीर में खून की कमी भी पूरी हो जाती है. इसके अलावा इससे शारीरिक उर्जा और स्फूर्ती भी बनी रहती है.

कैंसर सेल्स बढ़ने से रोके
एंटीऑक्सीडेंट, आयरन, फॉलेट, कैल्शियम और जिंक शरीर को कैंसर सेल्स से लड़ने में मदद करते हैं. इसीलिए रोज़ाना मुठ्ठीभर भीगी हुई मूंगफली खाएं.

स्किन के लिए अच्‍छा
इसमें ओमेगा 6 फैटी एसिड्स होते हैं. ये स्किन सेल्‍स के लिए काफी फायदेमंद होता है. इससे रंग गोरा होता है. स्किन की चमक बढ़ती है

with thanks by

Pramod Kumar

Friday, June 24, 2022

पेट की गैस का देसी इलाज क्या है, जिससे गैस तुरंत गायब हो जाए?

 


उदर रोग कैसे होते हैं?

जठराग्नि की मन्दता के कारण वातादि दोष या मूत्र-पुरीष (गुदा द्वार द्वारा निष्कासित मल) मल बढ़ जाते हैं, जिसके कारण अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न होने लग जाते और विशेषकर उदर रोग होते हैं। अग्नि के मंद हो जाने पर जब दोषयुक्त भोजन किया जाता है, तब भोजन का ठीक से पाचन न होने से दोषों का संचय होने लगता है।

वह दोषसंचय प्राणवायु, जठराग्नि और अपानवायु को दूषित कर ऊपर तथा नीचे के मार्गों को रोक देता है एवं त्वचा और मांस के बीच में आकर कुक्षि (पेट) में सूजन बनाकर उदर रोग उत्पन्न करता है।

पेट में जलन, पेट फूलना और वात बनने का आयुर्वेदिक उपचार (Best Ayurvedic Treatment in Ayurveda for Gastric & Acidity)

आइये अब जानते हैं कुछ ऐसे घरेलू और आयुर्वेदिक उपचार जिनके प्रयोग से उदर रोग जैसे पेट दर्द, पेट में जलन, गैस बनना बंद हो जाएगा।

अजवाइन और सौंफ

अजवाइन, सौंफ, काला नमक 10-10 ग्राम, काली मिर्च 5 ग्राम बारीक कूट-छानकर 200 ग्राम ताजे पानी से लें, पेट फूलना ठीक हो जाएगा।

हींग

हींग को पानी में मिलाकर नाभि पर लेप करने से पेट में गैस दूर हो जाती है। आप हींग का प्रयोग सब्जी में भी कर सकते हैं, इससे पाचन तंत्र अच्छा होता है और खाया पिया जल्दी हजम हो जाता है।

त्रिफला

त्रिफला, अजवाइन, काला नमक 50-50 ग्राम, काली मिर्च एक तोला, घीग्वार के छोटे-छोटे टुकड़े करके मिटटी के बर्तन में 15 दिन तक धूप में रखें। नमक सेंधा 30 ग्राम मिलाएं, दवा तैयार है। पेट में गैस, कब्ज़, भूख न लगना आदि के लिए 2 टुकड़े गर्म पानी के साथ दिन में दो बार खाना खाने के बाद लें। पेट के  रोग दूर होंगे। पेट का फूलना, जी मचलाना, खट्टी डकार आना बंद होगा, गैस को ठीक करेगा।

Thanks by 

Puneet Sukhija

Tuesday, March 22, 2022

बेहतरीन देशी नुस्खा

 With Thanks by

क्या आप कोई ऐसा बेहतरीन देशी नुस्खा बता सकते हैं, जिसको इस्तेमाल कर के हम बहुत सी शारीरिक बीमारियों से छुटकारा पा सकें?

आज मैं आपको एक ऐसा जादुई देसी नुस्खा बताने जा रहा हूं, जो आपके शरीर में बहुत ही अधिक लाभ करेगा। यह बहुत ही सस्ता और आसान है। मैंने इसे असंख्य लोगों को बताया है।

आप सबसे पहले एक बड़ा बर्तन ले लीजिए। अब इसमें 400- 500 ग्राम के लगभग नीम की पत्तियां ( टहनियों समेत ) डाल लीजिए और 500 ग्राम साधारण चने डाल लीजिए। अब इस बर्तन में इतना पानी डाल लीजिए कि ये सभी पत्तियां और चने डूब जाएं। अब बर्तन को ढक कर पूरे 1 घंटे तक इन सभी चीजों को उबाल लीजिए। ठीक एक घंटे के बाद बर्तन को उतारकर ठंडा होने के लिए रख दीजिए। अब इसमें से उबले हुए चने को अलग निकाल लीजिए और बाकी चीजों को फेंक दीजिए। अब आप इन चनों को सुखा लीजिए। यहां एक बात का ध्यान रखिए कि यदि आप इन चनों को छाया में सुखाएंगे तो यह सबसे अधिक असरदार सिद्ध होंगे। अभी ठंड का मौसम है तो आप इन्हें थोड़ा धूप में भी सुखा सकते हैं। इनके सूखने के बाद आप इन्हें पीस लीजिए और इन्हें पीसते समय इनमें 40 से 50 ग्राम सौंठ का पाउडर ( सूखी हुई अदरक ) जरूर मिला लीजिए। यदि आप गर्मियों के मौसम में इस नुस्खे को तैयार करें तो सौंठ के पाउडर की मात्रा आधी कर लीजिए। बस अब आपकी देसी दवाई तैयार हो गई है।

फोटो स्त्रोत: मेरे फोन की गैलरी*

लेने का तरीका - आप सुबह सवेरे उठकर और अच्छी तरह से कुल्ला करके एक छोटी चम्मच पाउडर अपने मुंह में रख लीजिए और गुनगुने पानी के साथ ले लीजिए। इस पाउडर का स्वाद कड़वा होगा क्योंकि नीम का सारा कस धीरे-धीरे करके चने में आ चुका होता है।

लाभ - इस दवाई का सबसे बड़ा और पहला लाभ यह है कि यदि आपकी त्वचा पर या आपके खून में कोई एलर्जी है तो वह धीरे-धीरे बिल्कुल समाप्त हो जाएगी। आपका पेट बहुत अच्छी तरह से साफ होना शुरू हो जाएगा। पेट में अफारा (पेट फूलना) की समस्या से बहुत राहत मिलेगी। आपको अपने शरीर के अंदर एक अलग ही जोश और ऊर्जा महसूस होगी। वीर्य शक्ति में बहुत वृद्धि होगी। शुगर को नियंत्रित रखने में भी यह नुस्खा बहुत फायदेमंद है। गले में खराश वगैरह की कुछ दिक्कत रहती है तो वह भी ठीक हो जाएगी। सीधी सी बात है कि यदि हमारा खून और पेट साफ होगा, तो हमारी अधिकतर समस्याएं ठीक हो जाएंगी।

परहेज - सुबह दवाई लेने के 40 - 50 मिनट तक कुछ नहीं खाए पिए।

तली भुनी चीजों पर नियंत्रण रखें।

दो - चार दिन में ही लाभ की उम्मीद न करें। लगभग एक महीने बाद वास्तविक लाभ दिखना शुरू होगा। आप चाहे तो नियमित रूप से भी इस दवा का सेवन कर सकते हैं। स्वस्थ व्यक्ति भी इस दवा का सेवन कर सकते हैं। कोई भी दुविधा हो तो पूछ लें। जो भी इस दवा का सेवन करें तो लाभ होने के बाद टिप्पणी में जरूर बताएं।

आपको लाभ होने पर, मुझे यह नुस्खा बताने वाले स्वर्गीय श्री रघबीर सिंह हलुवासिया जी की दिव्य आत्मा को नमन जरूर करें।

Monday, March 14, 2022

शिलाजीत से ज्यादा शक्तिशाली आयुर्वेदिक औषधियां

 

शिलाजीत से ज्यादा शक्तिशाली आयुर्वेदिक औषधियां कौन-कौन सी हैं?

यकीनन शिलाजीत में आयुर्वेदिक रसशास्त्र के सभी गुण मौजूद हैं लेकिन रसों का राजा पारद है जिसे रसेन्द्र कहा जाता है और आदि वैद्यराज गुरु के समान माना जाता है। जब कोई औषधि काम न करे तो पारद मरणासन्न रोगी को मृत्यु से छीन कर पुनः तरुण समान कर देता है ऐसा शास्त्रोक्त है।

पारे को आदि शिव का अंश माना जाता है। यहां तक ज्योतिष शास्त्र में पारद शिवलिंग के दर्शन और पूजन से किस्मत बदलने का दावा किया जाता है। इससे कोई भी पारद की औषधीय महिमा का सहज अंदाज़ा लगा सकता है। लेकिन पारा विष है और औषधीय गुणों की प्राप्ति के लिए इसे मारण और शोधन की अवश्यकता होती है जो कि शास्त्रानुसार बहुत कठिन है। अफसोस और दुर्भाग्य है कि सुविधा की तलाश में हमने पारे के शोधन की पांच में से चार विधियां खो दीं। हम अपनी प्राचीन दुर्लभ अद्वितीय विरासत को बचा भी नहीं पाए।

खैर रसराज रसेन्द्र अथवा पारद के बाद रसशास्त्र में रसों का वर्गीकरण किया गया है जिसे मैं यहां कहता हूं।

  1. आठ महारस: इसमें अभ्रक सर्वश्रेष्ठ है और महारासों में इष्ट है। इसे शक्ति स्वरूपा देवी पार्वती का अंश माना जाता है। पारद को मारण, शोधन और धारण करने की शक्ति अभ्रक में ही निहित है। महारसों में शिलाजीत को पांचवें स्थान पर रखा गया है।
  2. आठ उपरस - इस वर्ग का राजा गन्धक है और उपरसों में सर्वश्रेष्ठ है। कहा जाता हैं कि समुद्र मंथन में निकले अमृत कलश के साथ चिपका हुआ निकला था जिसे देव और असुरों ने मानवजाति के कल्याण हेतु पृथ्वी पर भेज दिया
  3. साधारण रस वर्ग में आठ औषधीय द्रव्यों कम्पिल्लकगौरीपाषाण अर्थात आर्सेनिक, नौसादरकपर्द अर्थात कौड़ी, अग्निजार (एम्बरग्रीस), गिरिसिन्दूरहिंगुल (सिनाबर) और मृददारश्रृंग (सफेदा) को रखा गया है। इसमें कम्पिल्लक अर्थात कमीला सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।
  4. धातुओं में स्वर्ण धातु को, रत्नों में माणिक्य को, उपरत्नों में वैक्रान्त को, विषों में सर्पविष और उपविषों में धतूरा को सर्वोत्तम माना गया है।

अब आप स्वयं अपने विवेक से शिलाजीत की सर्वश्रेष्ठता का अंदाजा लगा सकते हैं। लेकिन उससे पहले मैं यहां तीन महत्वपूर्ण बातें जरूर कहना चाहूगा:

  • शरीर को निरोग और सुदृढ़ बनाने के लिए शिलाजीत सर्वोत्तम रसायन है।
    • रसोपरस-सूतेन्द्र रत्न-लोहेषु ये गुणाः। वसन्ति ते‌ शिलाधातौ जरा-मृत्यु-जिगीषया॥
      • अर्थात अभ्रक आदि महारस, गंधक आदि उपरस, पारद, माणिक्य आदि रत्न सुवर्ण आदि धातुओं में जरा (बुढ़ापा), मृत्यु रोग समुदाय को जीतने के जो गुण हैं वे सब शिलाजीत में भी हैं!
  • अश्वगंधा, सतावरी, ब्राह्मी, गिलोय, तुलसी, आदि आदि औषधियां महान और दिव्य है, प्रकृति का वरदान हैं लेकिन शिलाजीत से इनकी तुलना निरर्थक और सूरज को दिया दिखाने के समान है।
  • रसशास्त्र में ज्यादातर रसायन/औषधियां प्राकृतिक रूप से विषाक्त होती हैं इसलिए इनका शोधन बहुत जरूरी होता है अन्यथा ये जीवनदायी औषधियां जीवन छीन लेने में जरा भी चूक नहीं करती। इसलिए इनके सेवन के लिए चिकित्सकीय परामर्श जरूरी है

इति!

©Ashwani Kumar @प्राचीन आयुर्वेद

निरोगी जीवन की शुभकामनाओं के साथ, जाने से पहले मैं प्रश्न पूछने के लिए आभार व्यक्त करता हूं और धैर्य पूर्वक उत्तर को अंत तक पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद कहता हूं! 🙏

मैं एक छोटा सा फेवर माँगना चाहता हूँ कि आपको मेरा लेख पसंद आया है तो इसे अपने दोस्तों के साथ और संबंधित मंचों पर साझा करें ताकि औरों को भी लाभ हो सके; दूसरों की मदद करें!

आपकी हर प्रतिक्रिया मुझे उस तरह के लेख लिखने के लिए प्रोत्साहित करेगी जो आपको अच्छे तर्कों के साथ यथेष्ठ जानकारी वाले बेहतर परिणाम प्राप्त करने में मदद करते हैं।

अगर आपने इस लेख को पसंद किया है, तो कृपया मुझे कॉमेंट में बताएं...अगर नहीं भी पसंद किया है तो भी कॉमेंट में बताएं। अगर आपके पास कोई प्रश्न है? मुझे अपने विचार नीचे टिप्पणियों में सुनने दें!

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Sunday, February 27, 2022

कब्ज का घरेलू उपाय

 

कब्ज क्यों होती है, कब्ज का घरेलू उपाय क्या है?

कब्ज कोई बीमारी नहीं है। यह हमारी निष्क्रिय जीवनशैली का एक नमूना है। जो धीरे-धीरे हमारे शरीर में दीमक की तरह घुस जाती है और शरीर को जकड़ लेती है। फिर उससे छुटकारा पाना बहुत मुश्किल होता है।

उसके लिए हम आधुनिक चिकित्सक के पास जाते है। वह हमें तत्काल प्रभाव वाली दवाइयां प्रदान करता है। जिन्हें खाने से तुरंत राहत तो मिल जाती है लेकिन, समस्या ज्यों की त्यों बनी रहती है, और जटिल बनती चली जाती है।

आलस्य, रात का खाना खाते ही सो जाना, पानी कम पीना, खाना खाने के आधे घंटे बाद पानी पीना भूल जाना, खाना खाते ही अधिक पानी पीना, व्यायाम की कमी, शारीरिक क्रियाकलापों की कमी, चिंता, अवसाद, दवाइयों का अधिक सेवन, ड्रग्स, नशीली दवाओं का सेवन, नशा… इत्यादि। कब्ज होने के मुख्य कारण है।

यह हमारे शरीर को दीमक की तरह धीरे-धीरे कमजोर बनाते है और सीधे हमारी आंत और पेट पर आघात करते है। जिससे आंते कमजोर हो जाते है। जो मल निष्कासन की क्षमता को कम कर देती है। धीरे-धीरे मल आंतों में सड़ने लगता है और टाइट होने लगता है। जिसको निकालने में आंते अक्षम हो जाती है, और कभी पेट साफ हो जाता है कभी नहीं होता।

जब बहुत ज्यादा समस्या होती है तो, हम मल निष्कासन करने के लिए चूरन व दवाओं का इस्तेमाल करते है जो आंतो के साथ जबरदस्ती कर मल त्याग करवाती है। जो बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है। निरंतर इन दवाओं का सेवन करने से आंते और कमजोर हो जाती है। जो अल्सर और कैंसर का कारण बनता है।

अधिक दिनों तक आंतों में मल सड़ने से गैस बनती है। जो ह्रदय घात का एक मुख्य कारण है।

कब्ज के निवारण की बात करें तो आपको ऊपर लिखित सभी नियमों को ईमानदारी से पालन करना होगा। चिंता, अवसाद, नशा मुक्त रहना होगा। अपने दैनिक जीवन में व्यायाम को अपनाना होगा किसी भी तरीके के शारीरिक क्रियाकलाप बहुत जरूरी है।

एक बात ध्यान रखें कब्ज की समस्या एक दो महीने में नहीं बनती है।इसको बनने में सालों लगते है तो, सही होने में भी कुछ महीनों का वक्त अवश्य लगेगा इसमें जल्दबाजी या उत्तेजना ना दिखाएं।

इसके लिए आपको प्राकृतिक चिकित्सा और योग पद्धति के कुछ अभ्यास अपनाने चाहिए। इससे आपकी यह समस्या जड़ से खत्म होकर आपके शरीर को एक नया आयाम देगी। कुछ छोटे-छोटे अभ्यास जिनको कोई भी कर सकता है…

  1. सुबह उठते ही पेट भर गुनगुना पानी पिए, उसके बाद 1 से 3 मिनट ताड़ासन का अभ्यास करें और ताड़ासन में चलने की कोशिश करें। ऐसा करने से कुछ देर बाद आपको बहुत अच्छे वाला प्रेशर बनेगा। अगर आप की कब्ज की समस्या बहुत पुरानी है तो हो सकता है एक-दो दिन में प्रेशर ना बने, परंतु अभ्यास जारी रखें कुछ दिन बाद प्रेशर अवश्य बनने लगेगा।
  2. खाना खाते समय, खाने के बाद पानी ना पिए आवश्यकतानुसार एक या दो घूंट पानी पी सकते है। खाना खाने के आधे घंटे से 45 मिनट के अंतराल में पानी अवश्य पिए है।
  3. सुबह सूर्य उदय से पहले उठे, सूर्य उदय के बाद सोते रहने से पेट में एसिड बनने लगता है जो, कब्ज का मुख्य कारण है।
  4. सुबह किसी भी प्रकार की शारीरिक क्रिया अवश्य करें कुछ नहीं कर सकते तो कुछ दूरी तक पैदल चले।
  5. रात्रि का भोजन किसी भी हाल में सोने से 2 घंटे पहले कर ले और हो सके तो सुपाच्य और हल्का खाना खाएं।
  6. योगासनों में ताड़ासन, भुजंगासन, पश्चिमोत्तानासन, उत्तानपादासन, हलासन, अर्ध हलासन, मत्स्येंद्रासन… का अभ्यास कर सकते है। प्राणायाम में कपालभाति भस्त्रिका नाड़ी शोधन प्राणायाम महत्वपूर्ण है…

कब्ज की समस्या का निदान के लिए प्राकृतिक और योगाभ्यास को अपनाएं। दवाइयों से बचे। दवाइयों के चक्कर में जितना पड़ेंगे उतना उलझते चले जाएंगे।

#kailashbabuyoga

Wednesday, February 23, 2022

Indian Ayurveda Knowledge

 You can save several Lakhs medical expenses only by gaining some  Knowledge of  Indian Ayurveda. 


Reference book & (Free Consultation)

 A MANUAL for Healthy Life & Healthy INDIA by Prof.  R. K. Aggarwal (in Hindi only)

cost Rs 100/-

Mob: 9997934668, 9416570828

Treatment of Impotency (नपुंसकता का प्रभावी उपचार)

मर्दाना ताकत पाने तथा हस्थमैथुन से हुए नुकसान का उपचार कैसे करें?

हस्तमैथुन या किसी भी कारण से मर्दाना कमज़ोरी का उपचार करना चाहते हैं तो आपको इन सब बातों पर ध्यान देना होगा :

आपके पास सिर्फ़ और सिर्फ़ एक ही शरीर है और आख़िरी सांस तक इसी शरीर से ही सब कुछ करना है तो इसलिए सबसे पहले अपने शरीर को बर्बाद करना बंद करें, अगर आप इतना भी कर लेते हैं तो यह आपके शरीर पर एक बहुत बड़ा अहसान होगा

जो बीत चुका है उसको याद ना करें, उसको भुला कर एक नयी शुरुआत करे और दिमाग़ से नाकरात्मक विचारों को निकाल दें
खुद को शारीरिक तौर पर व्यस्त रखें और शरीर से पसीना बहाने की आदत डालें
अपने हाथों से अपनी शारीरिक उर्जा को ख़त्म करना बंद कर दें
अगर आप किसी भी नशा करने के शौकीन है तो नशा करना भी बंद कर दें
अगर ज़्यादा कमज़ोरी नही है तो आप 02 ग्राम सफेद मूसली और 02 ग्राम इलायची का पाउडर एक गिलास दूध में उबालकर सुबह और शाम को नाश्ते और खाने के एक घंटे बाद लें
आप भूलकर भी अँग्रेज़ी और बाजारू दवा ना लें क्योंकि ऐसा करने से आपके शरीर को ज़्यादा नुकसान होगा

अगर आपको ज़्यादा कमज़ोरी है तो आप यह दवा ले सकते हैं और आप इस दवा को खुद घर में ही बना सकते हैं :

शोधित शिलाजीत - 50 ग्राम
सालम पंजा - 30 ग्राम
कौन्च बीज - 20 ग्राम
शतावरी - 05 ग्राम
केसर - 02 ग्राम
बबूल - 20 ग्राम
ब्रहमी - 08 ग्राम
मुलहठी - 20 ग्राम
अरकरा - 10 ग्राम
तुलसी बीज - 15 ग्राम

शिलाजीत को छोड़कर बाकी सभी सामग्रियों को मिक्सर में पीस लें और शिलाजीत को कूट कर नरम कर लें और पानी की बूँदों का उपयोग करते हुये 180 गोलियाँ बना लें.

यह आपका 45 दिन का कोर्स तैयार हो गया है, सुबह और शाम को खाना खाने के एक घंटे बाद गुनगुने दूध के साथ 02 - 02 गोलियाँ लें.

with Thanks by

Dr. C.M. Garg (Amulya Aarogya)

Monday, February 21, 2022

खासी की देसी दवा

 

खासी की देसी दवा क्या है?

मेरे एक शिष्य को लगभग 15 साल पहले इन्हीं दिनों में बलगम वाली खांसी हुई थी। उसे मैंने एक चम्मच आंवला चूर्ण और मुलेठी चूर्ण (दोनों बराबर मात्रा में )दिन में तीन बार गुनगुने पानी से लेने के लिए कहा। एक सप्ताह में वह पूरी तरह से ठीक था। दवा डेढ़ चम्मच तक प्रति खुराक ली जा सकती है।

दूसरी दवा उस प्रकार की खांसी के लिए दी गई थी जिसमें एक युवक खांसते खांसते अधमरा सा हो जाता था और शरीर नीला सा होने लगता था। वह आश्रम के निकट गाँव में ही रहता है। उसके बुजुर्गो ने बीमारी शुरू होने के 6 माह बाद मुझसे उस दिन सम्पर्क किया था जब वह युवक गंभीर हालत में लखनऊ मेडिकल कालेज में भर्ती करा दिया गया था। शाम को डॉक्टरों ने जवाब दे दिया, बचेगा नहीं, ले जाओ। अस्पताल से सीधे मेरे पास ले आए। खांसी के कारण वह सो भी नहीं पाता था। मैंने दवा बताई —दो चाय वाली चम्मच गाय का घी एक कटोरी में डाल कर चूल्हे पर गर्म होने के लिए रख दो। खूब गर्म होने पर बीस ग्राम काली मिर्च घी में डाल दो। भुनने पर मिर्च ऊपर तेरने लगेंगी। अब इसमें दो चम्मच खांड या मिश्री का चूर्ण मिला कर आग से उतार कर हल्का गर्म रहने पर मरीज को खिलादो।

दवा खाने के दो तीन घंटे बाद वह लड़का सोया। सुबह उसे दूसरी खुराक दी गईं। बस, लड़का स्वस्थ है, नौकरी करता है।

with thanks

Swamiramanuj Acharya