Friday, March 28, 2025

मानसिक शांति और गहरी नींद के लिए आयुर्वेदिक उपाय

नींद की कमी, डिप्रेशन, एंग्जायटी और मानसिक तनाव को दूर करने के लिए यह आयुर्वेदिक योग अत्यंत प्रभावशाली है।

✨ औषधि निर्माण विधि ✨
नीचे दिए गए सभी घटकों को समान रूप से मिलाकर बारीक पाउडर बना लें

1️⃣ गौजबान – 100 ग्राम
2️⃣ किशनीज़ – 100 ग्राम
3️⃣ जायफल – 100 ग्राम
4️⃣ दालचीनी – 50 ग्राम
5️⃣ संदल सफ़ेद – 50 ग्राम

🌿 सेवन विधि –
▪️ 3 ग्राम (लगभग आधा चम्मच) पाउडर सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ लें।
▪️ लगातार 2 महीने तक सेवन करने से मानसिक रोग जड़ से समाप्त हो सकते हैं।
▪️ पहले दिन से ही असर दिखने लगता है।

✅ लाभ
✔️ मानसिक तनाव, एंग्जायटी और डिप्रेशन में राहत।
✔️ अनिद्रा दूर कर गहरी और प्राकृतिक नींद में सहायक।
✔️ नींद की गोलियों की आदत को समाप्त करने में सहायक।

⚠️ विशेष सावधानी
▪️ इस औषधि को अनुशासनपूर्वक नियमित रूप से लें।
▪️ मन को शांत रखने के लिए योग व ध्यान करें।
▪️ रात्रि में मोबाइल स्क्रीन से बचें और सोने से पहले हल्का गुनगुना दूध लें।

कर्मो की दौलत

एक राजा था जिसने अपने राज्य में क्रूरता से बहुत सी दौलत (शाही खज़ाना) इकट्ठा करके आबादी से बाहर जंगल में एक सुनसान जगह पर बनाए तहखाने में खुफिया तौर पर छुपा दिया। खजाने की सिर्फ दो चाबियाँ थी, एक चाबी राजा के पास और एक उसके खास मंत्री के पास। इन दोनों के अलावा किसी को भी उस खुफिया खजाने का राज मालूम ना था।

एक दिन किसी को बताए बगैर राजा अकेले अपने खजाने को देखने निकल गया। तहखाने का दरवाजा खोल वह अन्दर दाखिल हुआ और अपने खजाने को देख-देख कर खुश हो रहा था और खजाने की चमक से सुकून पा रहा था।

उसी वक्त मंत्री भी उस इलाके से निकला और उसने देखा की खज़ाने का दरवाजा खुला है तो वो हैरान हो गया और उसे ख्याल आया कि कहीं कल रात जब मैं खज़ाना देखने आया था तब कहीं खज़ाने का दरवाजा खुला तो नहीं रह गया मुझसे ? उसने जल्दी-जल्दी खज़ाने का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया और वहाँ से चला गया। उधर खज़ाने को निहारने के बाद राजा जब संतुष्ट हुआ तो दरवाजे के पास आया। अरे ये क्या ! दरवाजा तो बाहर से बंद है। उसने जोर-जोर से दरवाज़ा पीटना शुरू किया पर वहाँ उसकी आवाज़ सुनने वाला कोई ना था।

राजा चिल्लाता रहा पर अफसोस कोई ना आया। वो थक हार के खज़ाने को देखता रहा। अब राजा भूख और प्यास से बेहाल हो रहा था। उसकी हालत पागलों सी हो गई थी। वो रेंगता रेंगता हीरों के संदूक के पास गया और बोला- "ए दुनिया के नायाब हीरों, मुझे एक गिलास पानी दे दो।" फिर मोती सोने चांदी के पास गया और बोला- "ए मोती चांदी सोने के खज़ाने, मुझे एक वक़्त का खाना दे दो।" राजा को ऐसा लगा कि हीरे मोती उससे बात कह रहे हों कि तेरी सारी ज़िन्दगी की कमाई तुझे एक गिलास पानी और एक समय का खाना नही दे सकती। राजा भूख प्यास से बेहोश हो कर गिर गया।

जब राजा को होश आया तो सारे मोती हीरे बिखेर के दीवार के पास अपना बिस्तर बनाया और उस पर लेट गया। वो दुनिया को एक सन्देश देना चाहता था लेकिन उसके पास कागज़ और कलम नही था। राजा ने पत्थर से अपनी उंगली फोड़ी और बहते हुए खून से दीवार पर कुछ लिख दिया।

उधर मंत्री और पूरी सेना लापता राजा को ढूंढ रही थी पर उनको राजा नही मिला। कई दिन बाद जब मंत्री राजा के खज़ाने को देखने आया तो उसने देखा कि राजा हीरे ज़वाहरात के बिस्तर पर मरा पड़ा है और उसकी लाश को कीड़े मकोड़े खा रहे हैं। राजा ने दीवार पर खून से लिखा हुआ था- "ये सारा धन एक घूंट पानी और एक निवाला नही दे सका।"

यही अंतिम सच है। आखिरी समय आपके साथ आपके कर्मों की दौलत जाएगी। चाहे आपने कितने ही हीरे, पैसा, सोना, चांदी इकट्ठा किया हो, सब यहीं रह जाएगा। इसीलिए जो जीवन आपको प्रभु ने उपहार स्वरूप दिया है,उसमें अच्छे कर्म लोगों की भलाई के काम कीजिए बिना किसी स्वार्थ के और अर्जित कीजिए अच्छे कर्मो की अनमोल दौलत।जो आपके सदैव काम आएगी..!!

पुनर्जीवनवर्धक पुनर्नवा

 इस औषधि का रोज सिर्फ 1 चम्मच बुढ़ापे में 20 साल की जवानी भर दे क्योंकि

आज हम आपको ऐसी औषध के बारे में बताएँगे जो शरीर के अँगो को पुनः नया जीवन दे सकती है, जो कैन्सर के मरीज़ों के लिए आयुर्वेद जगत की संजीवनी है जिसका नाम पुनर्नवा है। पुर्ननवा संस्कृत के दो शब्द पुनः अर्थात ‘फिर’ और नव अर्थात ‘नया’ से बना है।

पुर्ननवा औषधि में भी अपने नाम के अनुरूप ही शरीर को पुनः नया कर देने वाले गुण पाए जाता है। इसलिए इसे रोगों से लड़ने से लेकर कैंसर के इलाज तक में उपयोग किया जाता है।इसकी 1 चम्मच भोजन के साथ अर्थात सब्जी में मिलाकर सेवन करने से बुढापा नही आता अर्थात बूढ़ा व्यक्ति भी जवाँ बना रहता है क्योंकि इससे शरीर के सभी अंग का पुनः नयी कोशिका का निर्माण होता रहता है। ‘शरीर पुनर्नवं करोति इति पुनर्नवा’ जो अपने रक्तवर्धक एवं रसायन गुणों द्वारा सम्पूर्ण शरीर को अभिनव स्वरूप प्रदान करे, वह है ‘पुनर्नवा’। यह हिन्दी में साटी, साँठ, गदहपुरना, विषखपरा, गुजराती में साटोड़ी, मराठी में घेटुली तथा अंग्रेजी में ‘हॉगवीड’ नाम से जानी जाती है।

मूँग या चने की दाल मिलाकर इसकी बढ़िया सब्जी बनती है, जो शरीर की सूजन, मूत्ररोगों (विशेषकर मूत्राल्पता), हृदयरोगों, दमा, शरीरदर्द, मंदाग्नि, उलटी, पीलिया, रक्ताल्पता, यकृत व प्लीहा के विकारों, बुढ़ापे को रोकता है, जवाँ बनाएंआदि में फायदेमंद है। इसके ताजे पत्तों के 15-20 मि.ली. रस में चुटकी भर काली मिर्च व थोड़ा-सा शहद मिलाकर पीना भी हितावह है । भारत में यह सब्जी सर्वत्र पायी जाती है।

पुनर्नवा का शरीर पर होने वाला रसायन कार्य :

दूध, अश्वगंधा आदि रसायन द्रव्य रक्त-मांसादि को बढ़ाकर शरीर का बलवर्धन करते हैं परंतु पुनर्नवा शरीर में संचित मलों को मल-मूत्रादि द्वारा बाहर निकालकर शरीर के पोषण का मार्ग खुला कर देती है ।बुढ़ापे में शरीर में संचित मलों का उत्सर्जन यथोचित नहीं होता । पुनर्नवा अवरूद्ध मल को हटाकर हृदय, नाभि, सिर, स्नायु, आँतों व रक्तवाहिनियों को शुद्ध करती है, जिससे मधुमेह, हृदयरोग, दमा, उच्च रक्तदाब आदि बुढ़ापे में होनेवाले कष्टदायक रोग उत्पन्न नहीं होते। यह हृदय की क्रिया में सुधार लाकर हृदय का बल बढ़ाती है । पाचकाग्नि को बढ़ाकर रक्तवृद्धि करती है । विरूद्ध आहार व अंग्रेजी दवाओं के अतिशय सेवन से शरीर में संचित हुए विषैले द्रव्यों का निष्कासन कर रोगों से रक्षा करती है।

बाल रोगों में लाभकारी पुनर्नवा शरबत :

पुनर्नवा के पत्तों के 100 ग्राम स्वरस में मिश्री चूर्ण 200 ग्राम व पिप्पली (पीपर) चूर्ण 12 ग्राम मिलाकर पकायें तथा चाशनी गाढ़ी हो जाने पर उसको उतार के छानकर शीशी में रख लें । इस शरबत को 4 से 10 बूँद की मात्रा में (आयु अनुसार) रोगी बालक को दिन में तीन-चार बार चटायें । खाँसी, श्वास, फेपडों के विकार, बहुत लार बहना, जिगर बढ़ जाना, सर्दी-जुकाम, हरे-पीले दस्त, उलटी तथा बच्चों की अन्य बीमारियों में बाल-विकारशामक औषधि कल्प के रूप में इसका उपयोग बहुत लाभप्रद है ।


आदर्श शिष्य

 बहुत समय पहले की बात है, किसी नगर में एक बेहद प्रभावशाली महंत रहते थे। उन के पास शिक्षा लेने हेतु दूर दूर से शिष्य आते थे। एक दिन एक शिष्य ने महंत से सवाल किया, स्वामीजी आपके गुरु कौन है? आपने किस गुरु से शिक्षा प्राप्त की है? महंत शिष्य का सवाल सुन मुस्कुराए और बोले, मेरे हजारो गुरु हैं! यदि मै उनके नाम गिनाने बैठ जाऊ तो शायद महीनो लग जाए। लेकिन फिर भी मै अपने तीन गुरुओ के बारे मे तुम्हे जरुर बताऊंगा।

"मेरा पहला गुरु था एक चोर"
एक बार में रास्ता भटक गया था और जब दूर किसी गाव में पंहुचा तो बहुत देर हो गयी थी। सब दुकाने और घर बंद हो चुके थे। लेकिन आख़िरकार मुझे एक आदमी मिला जो एक दीवार में सेंध लगाने की कोशिश कर रहा था। मैने उससे पूछा कि मै कहा ठहर सकता हूं, तो वह बोला की आधी रात हो गयी है, इस समय आपको कहीं कोई भी आसरा मिलना बहुत मुश्किल होंगा, लेकिन आप चाहे तो मेरे साथ आज कि रात ठहर सकते हो। मै एक चोर हु और अगर एक चोर के साथ रहने में आपको कोई परेशानी नहीं होंगी तो आप मेरे साथ रह सकते है।

वह इतना प्यारा आदमी था कि मै उसके साथ एक रात कि जगह एक महीने तक रह गया ! वह हर रात मुझे कहता कि मै अपने काम पर जाता हूं, आप आराम करो, प्रार्थना करो। जब वह काम से आता तो मै उससे पूछता की कुछ मिला तुम्हे? तो वह कहता की आज तो कुछ नहीं मिला पर अगर भगवान ने चाहा तो जल्द ही जरुर कुछ मिलेगा। वह कभी निराश और उदास नहीं होता था, और हमेशा मस्त रहता था। कुछ दिन बाद मैं उसको धन्यवाद करके वापस आपने घर आ गया ,

जब मुझे ध्यान करते हुए सालों-साल बीत गए थे और कुछ भी नहीं हो रहा था तो कई बार ऐसे क्षण आते थे कि मैं बिलकुल हताश और निराश होकर साधना छोड़ लेने की ठान लेता था। और तब अचानक मुझे उस चोर की याद आती जो रोज कहता था कि भगवान ने चाहा तो जल्द ही कुछ जरुर मिलेगा और इस तरह मैं हमेशा अपना ध्यान लगता और साधना में लीन रहता !

"मेरा दूसरा गुरु एक कुत्ता था"
एक बहुत गर्मी वाले दिन मै कही जा रहा था और मैं बहुत प्यासा था और पानी के तलाश में घूम रहा था कि सामने से एक कुत्ता दौड़ता हुआ आया। वह भी बहुत प्यासा था। पास ही एक नदी थी। उस कुत्ते ने आगे जाकर नदी में झांका तो उसे एक और कुत्ता पानी में नजर आया जो की उसकी अपनी ही परछाई थी। कुत्ता उसे देख बहुत डर गया। वह परछाई को देखकर भौकता और पीछे हट जाता, लेकिन बहुत प्यास लगने के कारण वह वापस पानी के पास लौट आता। अंततः, अपने डर के बावजूद वह नदी में कूद पड़ा और उसके कूदते ही वह परछाई भी गायब हो गई। उस कुत्ते के इस साहस को देख मुझे एक बहुत बड़ी सिख मिल गई। अपने डर के बावजूद व्यक्ति को छलांग लगा लेनी होती है। "
सफलता उसे ही मिलती है जो व्यक्ति डर का साहस से मुकाबला करता है"

"मेरा तीसरा गुरु एक छोटा बच्चा है"
मै एक गांव से गुजर रहा था कि मैंने देखा एक छोटा बच्चा एक जलती हुई मोमबत्ती ले जा रहा था। वह पास के किसी मंदिर में मोमबत्ती रखने जा रहा था। मजाक में ही मैंने उससे पूछा की क्या यह मोमबत्ती तुमने जलाई है? वह बोला, जी मैंने ही जलाई है। तो मैंने उससे कहा की एक क्षण था जब यह मोमबत्ती बुझी हुई थी और फिर एक क्षण आया जब यह मोमबत्ती जल गई। क्या तुम मुझे वह स्त्रोत दिखा सकते हो जहा से वह ज्योति आई?

वह बच्चा हँसा और मोमबत्ती को फूंख मारकर बुझाते हुए बोला, अब आपने ज्योति को जाते हुए देखा है। कहा गई वह? आप ही मुझे बताइए।

मेरा अहंकार चकनाचूर हो गया, मेरा ज्ञान जाता रहा। और उस क्षण मुझे अपनी ही मूढ़ता का एहसास हुआ। तब से मैंने कोरे ज्ञान से हाथ धो लिए।

शिष्य होने का अर्थ क्या है? शिष्य होने का अर्थ है पुरे अस्तित्व के प्रति खुले होना। हर समय हर ओर से सीखने को तैयार रहना।कभी किसी कि बात का बूरा नहि मानना चाहिए, किसी भी इंसान कि कही हुइ बात को ठंडे दिमाग से एकांत में बैठकर सोचना चाहिए के उसने क्या-क्या कहा और क्यों कहा तब उसकी कही बातों से अपनी कि हुई गलतियों को समझे और अपनी कमियों को दूर् करे ।

जीवन का हर क्षण, हमें कुछ न कुछ सीखने का मौका देता है। हमें जीवन में हमेशा एक शिष्य बनकर अच्छी बातो को सीखते रहना चाहिए। यह जीवन हमें आये दिन किसी न किसी रूप में किसी गुरु से मिलाता रहता है, यह हम पर निर्भर करता है कि क्या हम उस महंत की तरह एक शिष्य बनकर उस गुरु से मिलने वाली शिक्षा को ग्रहण कर पा रहे हैं की नहीं !

Tuesday, March 25, 2025

स्वास्थ्य के नियम

 अपने डॉक्टर खुद बनें और इस पोस्ट को सेव करके सुरक्षित कर लें।

1 = केवल सेंधा नमक प्रयोग करें, थायराईड, बी पी और पेट ठीक होगा।

2 = केवल स्टील का कुकर ही प्रयोग करें, अल्युमिनियम में मिले हुए लेड से होने वाले नुकसानों से बचेंगे

3 = कोई भी रिफाइंड तेल ना खाकर केवल तिल, मूंगफली, सरसों और नारियल का प्रयोग करें। रिफाइंड में बहुत केमिकल होते हैं जो शरीर में कई तरह की बीमारियाँ पैदा करते हैं ।

4 = सोयाबीन बड़ी को 2 घण्टे भिगो कर, मसल कर ज़हरीली झाग निकल कर ही प्रयोग करें।

5 = रसोई में एग्जास्ट फैन जरूरी है, प्रदूषित हवा बाहर करें।

6 = काम करते समय स्वयं को अच्छा लगने वाला संगीत चलाएं। खाने में भी अच्छा प्रभाव आएगा और थकान कम होगी।

7 = देसी गाय के घी का प्रयोग बढ़ाएं। अनेक रोग दूर होंगे, वजन नहीं बढ़ता।

8 = ज्यादा से ज्यादा मीठा नीम/कढ़ी पत्ता खाने की चीजों में डालें, सभी का स्वास्थ्य ठीक करेगा।

9 = ज्यादा से ज्यादा चीजें लोहे की कढ़ाई में ही बनाएं। आयरन की कमी किसी को नहीं होगी।

10 = भोजन का समय निश्चित करें, पेट ठीक रहेगा। भोजन के बीच बात न करें, भोजन ज्यादा पोषण देगा।

11 = नाश्ते में अंकुरित अन्न शामिल करें। पोषक विटामिन और फाइबर मिलेंगें।

12 = सुबह के खाने के साथ देशी गाय के दूध का बना ताजा दही लें, पेट ठीक रहेगा।

13 = चीनी कम से कम प्रयोग करें, ज्यादा उम्र में हड्डियां ठीक रहेंगी।

14 = चीनी की जगह बिना मसले का गुड़ या देशी शक्कर लें।

15 = छौंक में राई के साथ कलौंजी का भी प्रयोग करें, फायदे इतने कि लिख ही नहीं सकते।

16 = चाय के समय, आयुर्वेदिक पेय की आदत बनाएं व निरोग रहेंगे।

17 = एक डस्टबिन रसोई में और एक बाहर रखें, सोने से पहले रसोई का कचरा बाहर के डस्ट बिन में डालें।

18 = रसोई में घुसते ही नाक में घी या सरसों का तेल लगाएं, सर और फेफड़े स्वस्थ रहेंगें।

19 = करेले, मैथी और मूली यानि कड़वी सब्जियां भी खाएँ, रक्त शुद्ध होता है।

पाइल्स के चरण और उपचार

पाइल्स क्या है?

दोस्तों, पाइल्स एक तरह का मांस का ढेर होता है, जो हमारे गुदा के अंदर या उसके आसपास बन सकता है। यह मांस खून की नसों और कुछ टिशूज़ से मिलकर बनता है। अब होता क्या है? जब हमें लंबे वक्त तक कब्ज की परेशानी रहती है, तो पॉटी करते समय हमें जोर लगाना पड़ता है। इस जोर की वजह से गुदा के आसपास की खून की नसों पर दबाव पड़ता है। धीरे-धीरे ये नसें सूजने लगती हैं, फूलने लगती हैं। फिर एक समय ऐसा आता है कि ये नसें इतनी ज्यादा फूल जाती हैं कि हमेशा के लिए मोटी हो जाती हैं और एक मांस के ढेर की शक्ल ले लेती हैं। यही ढेर, दोस्तों, पाइल्स कहलाता है।

पाइल्स की चार ग्रेड्स

दोस्तों, अब बात करते हैं पाइल्स की चार ग्रेड्स की, यानी इसे चार हिस्सों में बांटा गया है।

पहली ग्रेड: इसमें पाइल्स की सूजन गुदा के अंदर होती है और बाहर से दिखाई नहीं देती। बस अंदर ही मांस का ढेर रहता है।

सेकंड ग्रेड: इसमें क्या होता है कि मांस का ढेर गुदा के अंदर तो रहता है, लेकिन जब आप पॉटी करने जाते हैं, तो ये बाहर निकल आता है। आप इसे महसूस कर सकते हैं। फिर पॉटी करने के बाद ये अपने आप वापस अंदर चला जाता है। यही है सेकंड ग्रेड।

थर्ड ग्रेड: अब इसमें मांस का ढेर हमेशा के लिए बाहर आ जाता है। आपको हर वक्त लगेगा कि गुदा के आसपास कुछ मांस जैसा है। ये अपने आप अंदर नहीं जाता, लेकिन अगर आप उंगली से धक्का देंगे, तो ये अंदर जा सकता है। ये होता है थर्ड ग्रेड।

फोर्थ ग्रेड: ये सबसे गंभीर टाइप का पाइल्स है। इसमें मांस का ढेर इतना बड़ा हो जाता है कि वो बाहर निकलने के बाद अंदर जा ही नहीं पाता। चाहे आप इसे धक्का दें, तब भी ये गुदा के अंदर नहीं जाएगा। ये हमेशा बाहर ही रहता है।

तो दोस्तों, ये हैं पाइल्स की चार अलग-अलग कैटेगरी। इन्हें इस आधार पर बांटा गया है कि आपकी पाइल्स की परेशानी कितनी हल्की या गंभीर है।

पाइल्स का इलाज

अब जहां तक बात आती है फर्स्ट ग्रेड, सेकंड ग्रेड और थर्ड ग्रेड पाइल्स की तो ये आमतौर पे कंज़र्वेटिव ट्रीटमेंट की मदद से ठीक किया जा सकता है। लेकिन फोर्थ ग्रेड पाइल्स क्योंकि काफी ज्यादा सिरीयस होता है तो इसमें अक्सर सर्जरी सजेस्ट की जाती है। वैसे बहुत सारे डॉक्टर्स ऐसे हैं जो कि फर्स्ट ग्रेड, सेकंड ग्रेड और थर्ड ग्रेड में भी कई बार सर्जरी सजेस्ट कर देते हैं और अक्सर लोग इस तरह की सर्जरीज़ कराने से काफी ज्यादा डरते हैं और उसके डरने की वजह भी है क्योंकि एक काफी कॉम्प्लिकेटेड सा प्रोसेस होता है, काफी पेनफुल भी हो सकता है।

तो अगर आप इस तरह के कोई पेशेंट हैं जिसको किसी डॉक्टर ने सर्जरी सजेस्ट की है फर्स्ट ग्रेड, सेकंड ग्रेड या थर्ड ग्रेड पाइल्स के केस में या फिर आपको ऐसे पेशेंट हैं जो ऑलरेडी सर्जरी करा चुके हैं लेकिन सर्जरी कराने के बाद वापस से आपकी पाइल्स जो है वो बढ़ गई है जो कि एक बहुत ही कॉमन फिनोमिना है। अक्सर जब आप सर्जरी कराते हैं उसके बाद रिकरेंस के चांस बहुत ज्यादा होते हैं पाइल्स में। तो अगर इस तरह की कैटेगरी में आप आते हैं और इसको कंज़र्वेटिव ट्रीटमेंट की मदद से या मैं कह सकता हूं कि अपने घर पे कुछ होम रेमेडीज़ की मदद से अगर ठीक करना चाहते हैं तो आज जो मैं आपको ट्रीटमेंट बताने वाला हूं दोस्तों ये काफी ज्यादा आपकी मदद करने वाला है।

क्योंकि इसमें जितनी भी रेमेडीज़ आज मैं आपको बताऊंगा ये पहली चीज तो आपके घर में बहुत ही आसानी से आपको मिल जाएंगी और इनको आप ऑलरेडी भी यूज़ करते हैं अलग-अलग फॉर्म्स में। बट इसको अगर इस तरह से जैसे मैं आपको बताने वाला हूं आप ट्राय यूज़ करेंगे तो उससे आपको पाइल्स में काफी ज्यादा हेल्प मिलेगी। तो चलिए अब जान लेते हैं कि यह कौन-कौन सी होम रेमेडीज़ हैं, इनको आपको कैसे यूज़ करना है और कैसे यह आपको फायदा पहुंचाएंगे।

1. रात का उपचार: कैस्टर ऑयल (अरंडी का तेल)

सबसे पहली चीज़ जो आपको करनी है, वह है रात को सोने से एक घंटा पहले एक गिलास गर्म दूध के साथ कैस्टर ऑयल लेना। कैस्टर ऑयल यानी कि अरंड का तेल जो होता है दोस्तों, ये एंटी-इन्फ्लेमेटरी होता है, एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज़ इसके अंदर होती हैं और एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल भी होता है और इसको अगर आप लोकली अप्लाई करते हैं, तो यह आपको पेन में भी काफी ज्यादा हेल्पफुल होता है।

तो आपको करना क्या है:

  • रात को सोने से एक घंटा पहले आपको एक गिलास गर्म दूध लेना है और उस दूध के अंदर आपको मिलाना है 3 ml कैस्टर ऑयल। 3ml कैस्टर ऑयल मिलाके आपको यह दूध रात को सोने से 1 घंटा पहले पी लेना है।
  • इसके साथ-साथ आपको कैस्टर ऑयल लोकली भी लगाना है अपनी पाइल्स के ऊपर। लोकली लगाने के लिए आप थोड़ा सा कैस्टर ऑयल ले लीजिए और अपनी उंगली की मदद से, या फिर किसी कॉटन की मदद से, या किसी ईयर बड्स की मदद से। अगर आपको इंटरनल पाइल्स है, तो उस केस में आपको ईयर बड्स लेना पड़ेगा, क्योंकि अंदर की तरफ आप उंगली से नहीं शायद लगा पाएंगे। तो या तो अपनी कॉटन ले लीजिए कोई, या फिर ईयर बड ले लीजिए, या फिर उंगली पे लगा के उसको लोकली अप्लाई करिए उस मास के ऊपर, जो आपकी पाइल्स का है।

लोकली जब आप इसको अप्लाई करेंगे, तो उससे आपको पेन में और जलन में काफी ज्यादा अच्छा रिजल्ट मिलेगा और ये दोनों ही चीज़ें आपकी काफी हद तक कम हो जाएंगी। इसके साथ-साथ अगर आप इसको रात को सोते टाइम ले भी रहे हैं पीने के लिए, जैसा कि मैंने आपको बताया दूध में डाल के, तो उससे भी आपकी जो पेन, इंफ्लेमेशन, स्वेलिंग है, वो भी कम होगी। आपका जो मास है पाइल्स का, वो भी श्रिंक होना शुरू होगा और वहां पर इंफेक्शन के चांसेस भी काफी ज्यादा कम हो जाएंगे। और यह सभी चीज़ें मिलकर आपको काफी हेल्प प्रोवाइड करेंगी पाइल्स को कम करने के लिए और उससे निजात पाने के लिए।

इसके साथ-साथ कैस्टर ऑयल जो होता है, ये पेट के अंदर जो हमारे स्टूल होते हैं, उनको सॉफ्टन करने का काम भी करता है, यानी उनको नरम बनाता है और आपको डिफिकेट में आसानी पैदा करता है। क्रॉनिक से क्रॉनिक कॉन्स्टिपेशन, या आपके पेट में अगर पुराने से पुराने स्टूल जमा हो गए हैं, जो कि सख्त हो जाते हैं और काफी पेनफुल होते हैं और यह चीज़ बहुत कॉमनली देखी जाती है पाइल्स के पेशेंट्स के अंदर। तो ऐसे लोगों के अंदर भी कैस्टर ऑयल पीने से काफी ज्यादा हेल्प मिलती है, क्योंकि जो आपका स्टूल है, वो सॉफ्टन हो रहा है और उसके साथ-साथ आपको डिफिकेट करने में भी आसानी हो रही है। तो उससे स्ट्रेन भी आपके एनस पे कम पड़ता है और इसकी वजह से भी आपको रिकवर करने में आसानी होती है।

2. रात का दूसरा उपचार: त्रिफला

दूसरी चीज़ जो आपको इस्तेमाल करनी है दोस्तों, वह है त्रिफला। त्रिफला जो है, यह एक आयुर्वेदिक मेडिसिन है, जो कि बनती है तीन जड़ी-बूटियों की मदद से। इसमें यूज़ होता है आमला, हरीतकी और बहेड़ा। यह तीनों चीज़ें बराबर-बराबर क्वांटिटी में ली जाती हैं और इनको पाउडर करके तैयार किया जाता है त्रिफला।

त्रिफला को आपको रात को सोते समय बिल्कुल, जब आप सोने के लिए लेट, उससे जस्ट पहले आपको लेना है। ये त्रिफला पाउडर करीब 5 ग्राम, यानी एक चम्मच त्रिफला पाउडर आप ले लीजिए और इसको मिला लीजिए एक गिलास गर्म पानी के अंदर। अगर आप मिलाना नहीं चाहते हैं, तो आप डायरेक्टली भी फांक सकते हैं। मुंह में अपने एक चम्मच ये त्रिफला पाउडर आप डालिए और ऊपर से गर्म पानी पी लीजिए और इसको स्वॉलो कर लीजिए एज़ इट इज़। या फिर आप इसे पानी में भी मिला सकते हैं और उसके बाद भी इसको इस्तेमाल कर सकते हैं।

त्रिफला पाउडर जो है दोस्तों, यह क्रॉनिक कॉन्स्टिपेशन के लिए एक बहुत ही अचूक होम रेमेडी है। अगर आप इसको रेगुलर इस्तेमाल करेंगे, तो इससे क्या होगा कि कॉन्स्टिपेशन की जो शिकायत बहुत आम तौर पे पाइल्स के पेशेंट्स के अंदर मिलती है, वो ठीक होनी शुरू हो जाएगी। और इसके साथ-साथ जो त्रिफला पाउडर है, इसके अंदर ऐस्ट्रिजेंट प्रॉपर्टीज़ भी होती हैं। ऐस्ट्रिजेंट प्रॉपर्टी का मतलब है कि यह आपकी नसों के अंदर कसाव पैदा करता है और ब्लीडिंग को रोकने का काम करता है। और यह सभी चीज़ें मिलकर आपको पाइल्स के केस में काफी अच्छे रिजल्ट प्रोवाइड करती हैं।

तो दोस्तों, रात में आपको क्या-क्या करना है, वह तो आप समझ गए हैं। पहली चीज़ आपको करना है, एक ग्लास गर्म दूध के अंदर आपको कैस्टर ऑयल मिलाकर लेना है सोने से एक घंटा पहले और बिल्कुल सोते टाइम आपको त्रिफला पाउडर लेना है पानी के साथ।अब रात में तो आपको यह सब करना है।

3. सुबह का उपचार: सौंफ और हींग का फॉर्मूला

सुबह में, जब दोस्तों आप सवेरे उठेंगे, तो आपको इस्तेमाल करना है एक फॉर्मूला, जिसका जो नुस्खा है, वह मैं आपको अभी बता देता हूं। इस नुस्खे को बनाने के लिए आपको चाहिए सौंफ और हींग।

सबसे पहले आपको क्या करना है:

  • थोड़ी सी सौंफ ले लीजिए, 100 ग्राम या 200 ग्राम, जितना भी आप चाहें, उतनी सौंफ ले लीजिए और इसको एक नॉन-स्टिकी तवे के ऊपर आप हल्के से रोस्ट कर लीजिए। बहुत हल्की आंच पे आपको रोस्ट करना है, तेज आंच पे रोस्ट नहीं करना है। जलनी नहीं चाहिए। बिल्कुल हल्की-हल्की ब्राउनिश सा कलर आपकी सौंफ के ऊपर आ जाना चाहिए।
  • इसको रोस्ट करने के बाद आप एक मिक्सर ग्राइंडर के अंदर डालिए सौंफ को और उसको अच्छी तरह से पीस लीजिए।
  • जब ये सौंफ आपकी अच्छी तरह से पीस जाए, तो उसको एक सूती कपड़े के अंदर या किसी बारीक छन्नी के अंदर आप छान लीजिए और ये जो फाइन पाउडर आपको मिला है, इस फाइन पाउडर को आप एक एयर टाइट कंटेनर के अंदर स्टोर करके रख लीजिए।
  • रोज़ाना सुबह जब भी आप उठते हैं, तो एक चम्मच आपको लेना है यह पाउडर सौंफ का और इसके अंदर आपको मिलाना है एक चुटकी हींग। ये दोनों चीज़ें मिलाके आपको सुबह खाली पेट एक चम्मच फांकना है और ऊपर से गुनगुना पानी आपको पी लेना है।

सौंफ जो है दोस्तों, ये आपके डाइजेस्टिव ट्रैक्ट के लिए एक बहुत अच्छी चीज़ है और पाइल्स में भी इसका काफी अच्छा इफेक्ट मिलता है। आपके पेट में जो कॉन्स्टिपेशन होता है, उसको भी कम करती है, सूजन को भी कम करती है और ओवरऑल जो आपका डाइजेशन है, उसको इंप्रूव करके लीवर को भी स्ट्रेंथ करती है सौंफ। इसके साथ-साथ जो हींग है, ये एक बहुत ही बढ़िया आयुर्वेदिक रेमेडी मानी जाती है पाइल्स के लिए। ये आपके पाइल्स के अंदर होने वाली जलन को, दर्द को और सूजन को तो ठीक करती ही करती है, इसके साथ-साथ अगर आपको ब्लीडिंग पाइल्स है, तो उस केस में भी इसका काफी अच्छा इफेक्ट देखा जाता है और जो पाइल्स का मास है, उसको श्रिंक करने में भी काफी ज्यादा इफेक्टिव मानी जाती है हींग।

तो यह जो फॉर्मूला है, इन दोनों चीज़ों को मिलाने के बाद यह आपको लेना है सुबह खाली पेट, नाश्ता करने से करीब आधा घंटे पहले।

इन उपायों का प्रभाव

दोस्तों, ये तीनों चीज़ें, यानी कैस्टर ऑयल, त्रिफला और ये तीसरा जो रेमेडी मैंने आपको बताई सौंफ और हींग वाली, ये तीनों चीज़ें आपको करीब दो हफ्ते तक रेगुलर इस्तेमाल करनी हैं और विद इन टू वीक्स ही आप देखेंगे कि आपकी पाइल्स के पेन में, स्वेलिंग में, अगर आपको ब्लीडिंग होती है, तो ब्लीडिंग के केस में, या फिर अगर आपको ब्लीडिंग नहीं है और सिर्फ बादी बवासीर है, वहां पे मवाद या कुछ ऐसा रिसाव होता है, तो उन सभी केसेज़ में आपको काफी ज्यादा अच्छे रिजल्ट्स मिलेंगे।

विदन टू वीक्स ही आपको मोस्ट प्रोबेबली ये इफेक्ट्स दिखने लग जाते हैं। लेकिन इट ऑल डिपेंड्स कि आपको कितने समय से प्रॉब्लम है और कितनी ज्यादा सीवियर प्रॉब्लम है। कोई भी प्रॉब्लम जितनी ज्यादा पुरानी होती है, उसको ठीक करना भी उतना ही ज्यादा मुश्किल होता है और वह ठीक होने में उतना ही ज्यादा टाइम भी लेती है। तो अगर आपको ज्यादा ही पुरानी पाइल्स हैं, या ऑलरेडी आपकी सर्जरीज़ हो चुकी हैं, या फिर आप थर्ड ग्रेड पाइल्स के पेशेंट हैं, तो उस केस में आपको थोड़ा पेशेंस रखने पड़ सकते हैं और आपको दो हफ्ते से ज्यादा वक्त भी लग सकता है।

इसके साथ-साथ दोस्तों, अगर आपकी प्रॉब्लम ज्यादा सीरियस है, तो आप जो लोकल अप्लाई कर रहे थे कैस्टर ऑयल, वो आप बजाय एक टाइम के दो टाइम भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यानी रात को सोते टाइम तो आप लगाएंगे ही लोकली अपने पाइल्स के ऊपर, आप सुबह के टाइम में भी नहाने के बाद उसको इस्तेमाल कर सकते हैं।

अगर राहत न मिले तो क्या करें?

दोस्तों, अगर आपकी पाइल्स बहुत ही ज्यादा सीरियस है और आपको इन घरेलू रेमेडीज़ से या किसी भी ट्रीटमेंट से फायदा नहीं हो रहा है, या फिर आपकी पाइल्स बार-बार रिकरेंस करता रहता है—जैसे कि आप दवाई लेते हैं या कोई ट्रीटमेंट करते हैं, वो कुछ टाइम के लिए ठीक हो जाती है और फिर वापस आ जाती है—तो ऐसे में आपको एक खास और इफेक्टिव ट्रीटमेंट की जरूरत हो सकती है। यहाँ मैं आपको एक दावा के बारे में बताना चाहता हूँ, जिसका नाम है "Piles Support"। यह मेरा एक ट्रस्टेड एफिलिएट दावा है, जो खासतौर पर पाइल्स के मरीज़ों के लिए बनाया गया है।

Piles Support क्या है?
"Piles Support" एक आयुर्वेदिक फॉर्मूला है, जिसमें नेचुरल जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया गया है। यह दावा आपके पाइल्स के दर्द, सूजन, जलन और ब्लीडिंग को कम करने में मदद करता है। साथ ही, यह आपके डाइजेशन को बेहतर करता है और कॉन्स्टिपेशन की समस्या को जड़ से खत्म करने में सहायक है, जो कि पाइल्स का सबसे बड़ा कारण होता है। इसे रेगुलर यूज़ करने से न सिर्फ आपके पाइल्स के मास में कमी आती है, बल्कि यह रिकरेंस को भी रोकने में बहुत कारगर है।

अगर आप इन तीनों घरेलू उपायों—कैस्टर ऑयल, त्रिफला और सौंफ-हींग के फॉर्मूले—को आज़मा रहे हैं और फिर भी आपको पूरा आराम नहीं मिल रहा, तो मैं आपको सजेस्ट करूँगा कि "Piles Support" को एक बार ज़रूर ट्राई करें। इसे आप आसानी से ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं ये मेरी एफिलिएट दावा है और इसके इस्तेमाल से कई लोगों को बेहतरीन रिज़ल्ट्स मिले हैं। इस प्रोडक्ट को खरीदने का लिंक मैंने नीचे कमेंट बॉक्स में दिया है, आप चाहे तो वहाँ से डायरेक्टली इसे चेक कर सकते हैं।(डॉक्टर की राय ले)

यह दावा न सिर्फ नेचुरल है, बल्कि आपके लिए सर्जरी से बचने का एक आसान और सुरक्षित ऑप्शन भी हो सकता है। तो अगर आप पाइल्स से परेशान हैं और कुछ ऐसा चाहते हैं जो तेज़ी से काम करे, तो "Piles Support" आपके लिए एकदम सही हो सकता है।

अंतिम बात

तो दोस्तों, मुझे उम्मीद है की यह जबाब आपको जरूर पसंद आया होगी और इसमें बताए गए जो नुस्खे हैं—कैस्टर ऑयल, त्रिफला और सौंफ-हींग का फॉर्मूला—ये आपको जरूर पसंद आए होंगे। अगर इनको यूज़ करने के बाद भी आपको और बेहतर रिज़ल्ट चाहिए, तो "Piles Support" को ज़रूर आज़माएँ। इसके लिंक के लिए कमेंट बॉक्स चेक करें। इन ट्रीटमेंट्स से आपको जो रिझल्ट मिलेंगे, वो आप हमारे साथ ज़रूर शेयर करेंगे।

दोस्तों, अगर इस ट्रीटमेंट से रिलेटेड, या पाइल्स से रिलेटेड, या किसी भी और चीज़ से रिलेटेड आपका कोई सवाल है, या फिर कुछ ऐसे टॉपिक्स हैं, जिनके बारे में आप चाहते हैं कि मैं आपके लिए जबाब दू, तो कमेंट सेक्शन में हमसे अपने जो थॉट्स हैं, वह शेयर करना ना भूलिए।

तो चलिए, इसी के साथ मैं आपसे विदा लेता हूं इस वादे के साथ कि फिर मिलूंगा Quora पर एक नई बढ़िया जबाब के साथ। तब तक के लिए अपना बहुत ध्यान रखिए, हंसते रहिए, मुस्कुराते रहिए, रोज़ कुछ ना कुछ नया सीखते रहिए, ताकि आप रह सकें हेल्दी हमेशा

Monday, March 24, 2025

श्री कृष्ण से सीखें जीवन जीने की कला

वर्ष 1975 में में एक फिल्म आई थी 'संन्यासी'। इसमें मनोज कुमार, हेमामालिनी और प्रेमनाथ जैसे बड़े स्टार थे। इसका प्रसिद्ध गीत था-कर्म किये जा फल की चिंता मत कर रे इंसान, जैसे कर्म करेगा पैसा फल देगा भगवान, ऐ है गीता का ज्ञान। इस गीत ने हमारी पीढ़ी के स्कूल जाते बच्चों तक को गीता से पहला परिचय करा दिया था और भ्रमित भी कर दिया था कि बगैर फल की इच्छा किये काम करना कैसे संभव है?

इसका ठीक उलटा आजकल मोटीवेशनल स्पीकर बताते हैं। वे निरंतर जोर देते हैं कि लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तन-मन-धन लगा दो, सोते-जागते केवल लक्ष्य को ध्यान रखो, सकारात्मक विचार रखो कि मैं लक्ष्य को जरूर पाऊँगा, बार-बार प्रयास करो जब तक सफल न हो जाओ आदि। उनसे पूछा जाए कि यदि लक्ष्य प्राप्त न हो तो क्या करें तो उनका जवाब होता है कि दूसरा लक्ष्य बना लो लेकिन करना तो वही है जो यह पहले कह चुके हैं। हर स्थिति में लक्ष्य प्राप्ति की आदर्श स्थिति की कल्पना करना है और वास्तविक जीवन को उसके लिए झौंक देना है।

अगर मोटिवेशनल स्पीकर्स की बात मान भी ली जाए तो वास्तविकता यह है कि चाहा गया लक्ष्य या फल सभी को नहीं मिल सकता। भारत की सिविल सेवा परीक्षा। में लगभग 13 लाख अभ्यर्थी बैठते हैं। उनमें से लगभग 1000 अभ्यर्थी अंतिम रूप से चयनित होते हैं। अब अगर सभी 13 लाख इस परीक्षा की तैयारी में पूरा जीवन झाँक दें तब भी अंतिम सफलता तो 1000 को ही मिलेगी। शेष 12 लाख 99 हजार का क्या होगा ? यही स्थिति जीवन के हर क्षेत्र में है। अपने लिए सफलता का पैमाना हम स्वयं तैयार करते हैं। सफलता का पैमाना किसी के लिए सिविल सेवा में जाना हो सकता है तो किसी के लिए व्यापार का टर्न ओवर 10 लाख रुपये कर लेना हो सकता है। दूसरी ओर यदि किसी ने अपना लक्ष्य समाज सेवा करना बनाया है तो उसके लिए सिविल सेवा का कोई अर्थ नहीं। वहीं जिसने व्यापार का लक्ष्य अंबानी या अडानी की तरह हजारों करोड़ रुपयों का बनाया है उनके लिए 10 लाख रुपये की तो कोई गिनती ही नहीं है।

लोगों को सफलता के लिए प्रेरित करना बुरा नहीं है। संसार में बड़े-बड़े कार्य प्रेरणा से ही होते हैं। कंस वध का बदला लेने के लिए उसके श्वसुर मगध के राजा जरासंघ ने मथुरा पर 17 बार आक्रमण किया और कृष्ण से हर बार पराजित हुआ पर उसने हार नहीं मानी। फिर-फिर उत्साह से भरकर सेना इकट्ठी करता था और मथुरा पर आक्रमण करता था। 18वीं बार जरासंघ और कालयवन ने मिलकर आक्रमण किया और जब कृष्ण ने दो बड़ी विपत्तियों एक साथ देखीं तो युद्ध छोड दिया और भागकर द्वारका पहुँच गये। इस प्रकार रणछोड बनने के बाद द्वारकाधीश बन गये। इस कहानी से सामान्यतः दो निष्कर्ष निकाले जाते हैं पहला यह कि निरंतर प्रयास करना ही सफलता का मन्त्र है और दूसरा यह कि परिस्थिति के अनुसार पीछे हट जाने और फिर नई रणनीति पर काम करके सफलता प्राप्त की सकती है। परंतु बात इससे कहीं गहरी है। जरासंध ने मथुरा की विजय का लक्ष्य अपने मोटिवेशन से प्राप्त कर लिया परंतु क्या हम उसकी सफलता के लिए उसे अपना आदर्श बनाते हैं? नहीं, हम पूजा तो रणछोड़दास की ही करते हैं यह पूजा उनकी कूटनीति के लिए नहीं करते वरन् उस समग्र जीवन दर्शन के लिए करते हैं जो उन्होंने गीता में बताया। यह जीवन दर्शन है सफलता के लिए पूरी शक्ति से पुरुषार्थ करना ईश्वर के निमित्त बनकर कार्य करना और अंत में परिणाम को ईश्वर को समर्पित कर देना। श्रीकृष्ण कहते हैं कि सफलता असफलता, सुख-दुःख हो संसार के नियम से आते ही रहेंगे। ससार को सदैव अपने अनुकूल नहीं किया जा सकता इसलिए संसार के तमाम झंझावातों के बीच, सिद्धि-असिद्धि, सुख-दुःख के बीच शांति और समत्व में जीवन जीना ही गीता प्रमुख की शिक्षा है।

गीता, जीवन का सबसे महत्वपूर्ण रहस्य - कर्म का रहस्य खोलकर रख देती है। श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में इसे जीकर दिखा दिया है। गीता कहती है कि हम किसी भी क्षण कर्म किये बगैर नहीं रह सकते (3.5) हम कर्म कर सकते हैं परंतु उसका परिणाम क्या होगा यह हमारे हाथ में नहीं है. अतः न तो केवल परिणाम के लिए ही कार्य करना है और न ही हमें अकर्मण्य भी होना है (2.47)। एक खिलाड़ी ओलम्पिक के लिए वर्षों मेहनत करता है। पर उसे पदक मिलेगा या नहीं यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसके प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ियों ने कितनी तैयारी की है। अचानक कोई दुर्घटना हो जाना, कोई बुरी खबर से मानसिक शांति भंग हो जाना, अस्वस्थ हो जाना आदि अनेक कारण हो सकते हैं जो खिलाड़ी के नियंत्रण से बाहर हैं। प्रतियोगी परीक्षा में आने वाले प्रश्न, उत्तर पुस्तिका जाँचने वाले का दृष्टिकोण और मनोदशा आदि ऐसे कारण है जो परीक्षार्थी के नियंत्रण के बाहर हैं। इन कारणों के समग्र प्रभाव को ही भाग्य कहते हैं। गीता में कहा गया कि कार्य की सफलता में भाग्य का योगदान 20 प्रतिशत है (18.14)। गीता हमें जीवन की वास्तविकता बताती है कि फल तो कर्म के नियम से मिलेगा परंतु यह क्या होगा यह हम निश्चित नहीं कर सकते क्योंकि वह अनेक कारकों से निर्धारित होता है और इनमें से कई कारक हमारे नियंत्रण के बाहर हैं। गीता यह भी कहती है कि जीवन में सुख-दुःख तो आएँगे ही इसलिए उन्हें सहन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है (2.14)।

सामान्य रूप से हम कर्म करते समय तनाव, थकान, भय से ग्रस्त होते हैं। इसलिए कर्म से भागकर अवकाश चाहते हैं। इतवार की सुबह खुश होते हैं और सोमवार की सुबह उदास हो जाते हैं। गीता बताती है कि कैसे तीव्र कर्म करते हुए आंतरिक शांति और आनन्द बनाए रखें और कैसे बगैर तनाव, धकान या भय के तीव्र कर्म कर सकर तब अवकाश का भी आनन्द लिया जाता है परंतु वह कर्म के आनन्द से अवकाश के आनन्द की यात्रा होती है न कि कर्म के दुःख से अवकाश के सुख की। तब सफलता और असफलता दोनों के बीच जीवन यात्रा आनन्द और शांति से चलती रहती है। 
श्रीकृष्ण का युद्ध भूमि में रथ पर खड़े होकर उपदेश देता चित्र हमें गीता का मूल तत्त्व स्पष्ट कर देता है। श्रीकृष्ण रथ पर खड़े हैं उनके पीछे अर्जुन निराश बैठे हैं। श्रीकृष्ण के हाथ में घोड़ों की लगाम खिची है, अचानक रोक दिये जाने से घोड़ों के अगले पैर ऊपर उठ गये हैं व मुख कुछ खुल गये हैं। इससे भगवान् की महान कर्मशीलता और परिस्थितियों पर पूर्ण नियंत्रण स्पष्ट होता है। वह युद्ध के तनाव से निर्लिप्त हैं, उनके मुख पर स्मित मुस्कान है. शांति है, सहानुभूति है। वे अर्जुन की ओर मुड़कर उसे उपदेश दे रहे हैं। यही आदर्श जीवन है कर्म में कुशलता, अपने पुरुषार्थ से परिस्थिति पर पूरा नियंत्रण, आतरिक शांति, दूसरों के प्रति सहानुभूति और इसके बाद भी परिणाम को लेकर निर्लिप्तता।

गीता कर्म की प्रेरणा देती है, सफलता के लिए पुरुषार्थ को पहला कदम बताती है। यहाँ तक पह मोटिवेट करती है। परंतु इच्छित फल प्राप्त न होने पर, जीवन के अनिवार्य सुख और दुख में शांत, अनुद्विग्न और स्थिर रहना सिखाती है। जीवन में कोई एक ही लक्ष्य सफलता या असफलता निर्धारित नहीं करता है। जीवन रोज नई चुनौतियों देता है। गीता इन चुनौतियों के बीच जीवन जीने की कला रवाती है यही यह सबसे अलग हो जाती है। गीता, मोटिवेशनल किताबों की तरह केवल 0.1 प्रतिशत तथाकथित सफल लोगों के लिए नहीं है वह तो सारी मानवता का मार्गदर्शन करती है. उन्हें जीवन जीना सिखाती है। इसलिए जरासंध हमें मोटिवेशन दे सकता है पर जीवन जीने का तरीका तो श्री कृष्ण ही सिखा सकते हैं।

प्राचीन औषधियाँ

बच्चेदानी में सिस्ट (गांठे) मल्टीपल सिस्ट चॉकलेट सिस्ट मंग्स की सिस्ट चर्बी की सिस्ट चाहे बच्चेदानी में कैंसर की गांठे क्यूँ ना हो किसी भी प्रकार की गांठ को गला कर बाहर कर देती है ये दो चीजें। इसका इस्तेमाल का तरीका :-

1.दारू हल्दी 100 ग्राम

2.सुगंध बाला 100 ग्राम

ये दोनों जड़ी को बारीक़ पाउडर बनाकर 500mg कैप्सूल के खली में डाल कर कैप्सूल बनाकर रख दें सुबह दोपहर शाम एक-एक कैप्सूल खाने से आधा घंटे पहले रोजाना पानी के साथ इस्तेमाल करें एक से दो महीने करने पर बच्चेदानी की गांठ की समस्या समाप्त हो जाती है।

प्रभु मिलन की राह

एक राजा सायंकाल में महल की छत पर टहल रहा था. अचानक उसकी दृष्टि महल के नीचे बाजार में घूमते हुए एक सन्त पर पड़ी। सन्त तो सन्त होते हैं, चाहे हाट बाजार में हों या मन्दिर में अपनी धुन में खोए चलते हैं।

राजा ने महूसस किया वह सन्त बाजार में इस प्रकार आनन्द में भरे चल रहे हैं जैसे वहाँ उनके अतिरिक्त और कोई है ही नहीं। न किसी के प्रति कोई राग दिखता है न द्वेष।

राजा को सन्त की यह मस्ती इतनी भा गई कि तत्काल उनसे मिलने को व्याकुल हो गए। उन्होंने सेवकों से कहा इन्हें तत्काल लेकर आओ।

सेवकों को कुछ न सूझा तो उन्होंने महल के ऊपर से ही रस्सा लटका दिया और उन सन्त को उस में फंसाकर ऊपर खींच लिया।

कुछ मिनटों में ही सन्त राजा के सामने थे। राजा ने सेवकों द्वारा इस प्रकार लाए जाने के लिए सन्त से क्षमा मांगी। सन्त ने सहज भाव से क्षमा कर दिया और पूछा–‘ऐसी क्या शीघ्रता आ पड़ी महाराज जो रस्सी में ही खिंचवा लिया ?’

राजा ने कहा–‘एक प्रश्न का उत्तर पाने के लिए मैं अचानक ऐसा बेचैन हो गया कि आपको यह कष्ट हुआ।’ सन्त मुस्कुराए और बोले–‘ऐसी व्याकुलता थी अर्थात कोई गूढ़ प्रश्न है। बताइए क्या प्रश्न है ?’

राजा ने कहा–‘प्रश्न यह है कि ’भगवान् शीघ्र कैसे मिलें’–मुझे लगता है कि आप ही इसका उत्तर देकर मुझे सन्तुष्ट कर सकते हैं ? कृपया मार्ग दिखाएं।’

सन्त ने कहा–‘राजन् ! इस प्रश्न का उत्तर तो तुम भली-भांति जानते ही हो, बस समझ नहीं पा रहे. दृष्टि बड़ी करके सोचो तुम्हें पलभर में उत्तर मिल जाएगा।’

राजा ने कहा–‘यदि मैं सचमुच इस प्रश्न का उत्तर जान रहा होता तो मैं इतना व्याकुल क्यों होता और आपको ऐसा कष्ट कैसे देता। मैं व्यग्र हूँ–आप सन्त हैं. सबको उचित राह बताते हैं।’

राजा एक प्रकार से गिड़गिड़ा रहा था और सन्त चुपचाप सुन रहे थे जैसे उन्हें उस पर दया ही न आ रही हो। फिर बोल पड़े सुनो अपने उलझन का उत्तर

सन्त बोले–‘सुनो, यदि मेरे मन में तुमसे मिलने का विचार आता तो कई अड़चनें आतीं और बहुत देर भी लगती। मैं आता, तुम्हारे दरबारियों को सूचित करता। वे तुम तक सन्देश लेकर जाते। तुम यदि फुर्सत में होते तो ही हम मिल पाते, और कोई जरूरी नहीं था कि हमारा मिलना सम्भव भी होता।

परन्तु जब तुम्हारे मन में मुझसे मिलने का विचार इतना प्रबल रूप से आया तो सोचो कितनी देर लगी मिलने में ? तुमने मुझे अपने सामने प्रस्तुत कर देने के पूरे प्रयास किए। इसका परिणाम यह रहा कि घड़ी भर से भी कम समय में तुमने मुझे प्राप्त कर लिया।’

राजा ने पूछा–‘परन्तु भगवान् के मन में हमसे मिलने का विचार आए तो कैसे आए और क्यों आए ?’ सन्त बोले–‘तुम्हारे मन में मुझसे मिलने का विचार कैसे आया ?

राजा ने कहा–‘जब मैंने देखा कि आप एक ही धुन में चले जा रहे हैं और सड़क, बाजार, दूकानें, मकान, मनुष्य आदि किसी की भी तरफ आपका ध्यान नहीं है, उसे देखकर मैं इतना प्रभावित हुआ कि मेरे मन में आपसे तत्काल मिलने का विचार आया।’

सन्त बोले–‘यही तो तरीका है भगवान को प्राप्त करने का। राजन् ! ऐसे ही तुम एक ही धुन में भगवान् की तरफ लग जाओ, अन्य किसी की भी तरफ मत देखो, उनके बिना रह न सको, तो भगवान् के मन में तुमसे मिलने का विचार आ जायगा और वे तुरन्त मिल भी जायेंगे।

नारी की गरिमा व दायित्व

 शेषनाग ने क्यों दिया अपनी बेटी को श्राप

बार माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु के परम भक्त शेषनाग को उनकी भक्ति और सेवा के कारण भगवान के हाथ पर एक दिव्य सूत्र से बांध दिया। इस बंधन की शक्ति इतनी अधिक थी कि शेषनाग की आंखों से दो आंसू टपक पड़े। उन दो आंसुओं से दो दिव्य कन्याओं का जन्म हुआ।

इनमें से पहली कन्या सुनैना थी, जिसका विवाह मिथिला के राजा जनक से हुआ और वे माता सीता की माता बनीं। दूसरी कन्या सुलोचना थीं, जिनका विवाह पहले देवराज इंद्र के पुत्र जयंत से तय हुआ।

लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था...

रामायण के युद्ध से पहले जब रावण के पुत्र मेघनाद ने अपने पराक्रम से इंद्र और उनके पुत्र जयंत को पराजित कर दिया, तो सुलोचना ने यह समाचार सुना। वे मेघनाद के शौर्य और पराक्रम पर मोहित हो गईं और मन ही मन उन्हें पति रूप में स्वीकार कर लिया।

दूसरी ओर, मेघनाद भी सुलोचना के अनुपम सौंदर्य और तेजस्विता पर मुग्ध हो गए। दोनों का विवाह हुआ, और सुलोचना लंका की बहू बनीं।

जब नागराज शेषनाग को इस विवाह का पता चला, तो वे अत्यंत क्रोधित हुए। उन्होंने सुलोचना को श्राप देते हुए कहा—

"तुमने अधर्म का मार्ग अपनाने वाले व्यक्ति को अपना पति चुना है। इसी कारण त्रेता युग में तुम्हारे पति का वध मेरे ही अवतार लक्ष्मण के हाथों होगा।"

राम-रावण युद्ध के दौरान मेघनाद ने अपनी मायावी शक्तियों से राम और लक्ष्मण को घायल कर दिया। लेकिन जब लक्ष्मण को संजीवनी बूटी से जीवनदान मिला, तो वे पुनः युद्ध के लिए तैयार हुए।

गुरु वशिष्ठ के आशीर्वाद से लक्ष्मण ने युद्ध में मेघनाद का वध किया। परंतु श्रीराम ने लक्ष्मण को पहले ही यह आदेश दिया था कि—

"लक्ष्मण, युद्ध में तुम निश्चित ही मेघनाद का वध करोगे, इसमें कोई संदेह नहीं। लेकिन यह ध्यान रखना कि उसका सिर पृथ्वी पर न गिरे। क्योंकि उसकी पत्नी परम पतिव्रता है, और उसके सतीत्व के प्रभाव से हमारी सेना का संहार हो सकता है।"

लक्ष्मण ने अपने बाणों से मेघनाद का सिर धड़ से अलग कर दिया, लेकिन उसे पृथ्वी पर गिरने नहीं दिया। हनुमान उसे श्रीराम के शिविर में ले आए।

युद्ध भूमि से मेघनाद की दाहिनी भुजा आकाश में उड़ती हुई लंका के महल में आ गिरी। जब सुलोचना ने इसे देखा, तो वे अचंभित हो गईं। वे समझ नहीं पा रही थीं कि यह उनके पति की भुजा है या किसी और की।

अपने पतिव्रत धर्म की परीक्षा के रूप में उन्होंने भुजा से कहा—

"यदि तू मेरे स्वामी की ही भुजा है, तो मेरे पतिव्रत की शक्ति से युद्ध का सारा वृतांत लिख दे।"

दासियों ने लेखनी पकड़ाई, और वह कटी हुई भुजा स्वयं लिखने लगी—

"प्राणप्रिय, यह भुजा मेरी ही है। युद्धभूमि में मेरा सामना लक्ष्मण से हुआ, जो कई वर्षों से तपस्वी जीवन जी रहे हैं। वे तेजस्वी और दैवीय गुणों से संपन्न हैं। मैंने पूरी शक्ति से युद्ध किया, लेकिन अंततः लक्ष्मण के बाणों से मारा गया। मेरा शीश श्रीराम के पास है।"

पति के वध का समाचार मिलते ही सुलोचना विलाप करने लगीं।

पति के शीश को लाने के लिए श्रीराम के शिविर में जाना

सुलोचना ने अपने ससुर रावण से कहा कि वे श्रीराम से विनती करें कि वे मेघनाद का शीश लौटा दें। लेकिन रावण ने उत्तर दिया—

"पुत्री, तुम स्वयं जाओ। श्रीराम पुरुषोत्तम हैं, वे तुम्हें निराश नहीं करेंगे।"

सुलोचना पति का शीश लेने के लिए श्रीराम के शिविर में पहुंचीं। जैसे ही उनके आने की सूचना मिली, श्रीराम स्वयं चलकर उनके पास आए और कहा—

"हे देवी, तुम्हारे पति परम पराक्रमी और महान योद्धा थे। लेकिन विधि के विधान को कौन बदल सकता है? तुम्हें इस अवस्था में देखकर मुझे पीड़ा हो रही है। बताओ, मैं तुम्हारी क्या सहायता कर सकता हूँ?"

सुलोचना ने अश्रुपूरित नेत्रों से श्रीराम को निहारते हुए कहा—

"रघुवंशी, मैं अपने पति के साथ सती होने के लिए उनका शीश लेने आई हूँ।"

श्रीराम ने सम्मानपूर्वक मेघनाद का शीश उन्हें सौंप दिया।

पति का कटा शीश देखकर सुलोचना का हृदय द्रवित हो गया। उन्होंने लक्ष्मण की ओर देखते हुए कहा—

"सुमित्रानंदन, तुम गर्व मत करना कि तुमने मेरे पति का वध किया है। मेरे पति को धराशायी करने की शक्ति विश्व में किसी के पास नहीं थी। यह तो केवल दो पतिव्रता नारियों के भाग्य का खेल था— तुम्हारी पत्नी उर्मिला भी पतिव्रता हैं, और मैं भी। किंतु मेरे पति, जिनका हृदय सदा धर्म से जुड़ा था, अधर्म का अन्न ग्रहण कर रहे थे। यही मेरे दुर्भाग्य का कारण बना।"

सुलोचना ने समुद्र के तट पर चंदन की चिता तैयार करवाई। वे पति के शीश को गोद में लेकर चिता पर बैठ गईं।

उन्होंने श्रीराम से प्रार्थना की—

"प्रभु, आज मेरे जीवन का अंतिम दिन है। कृपया आज के दिन युद्ध रोक दें।"

श्रीराम ने सुलोचना की विनती स्वीकार कर ली। सुलोचना धधकती अग्नि में प्रविष्ट हो गईं और अपने पति के साथ सती हो गईं।

जब सुलोचना राम शिविर से गईं, तो सुग्रीव ने व्यंग्य में कहा—

"यदि मेघनाद की भुजा लिख सकती है, तो उसका कटा शीश भी हंस सकता है!"

श्रीराम ने उत्तर दिया—

"सुग्रीव, व्यर्थ की बातें मत करो। तुम सतीत्व की महिमा नहीं जानते!"

सुलोचना ने कहा—

"यदि मैं सच्ची पतिव्रता हूँ, तो मेरे पति का यह मस्तक हंस उठे!"

और जैसे ही उन्होंने यह कहा, मेघनाद का कटा मस्तक सचमुच हंसने लगा।

सती सुलोचना की कथा हमें सिखाती है कि नारी का सतीत्व संसार की सबसे बड़ी शक्ति है। सुलोचना की पतिव्रता शक्ति ने पूरे ब्रह्मांड को हिला दिया था। उनका त्याग और प्रेम सदा अमर रहेगा।

कलौंजी के लाभ

कलयुग में धरती पर संजीवनी है कलौंजी, अनगिनत रोगों को चुटकियों में ठीक करती है।

[A] कैसे करें इसका सेवन?

कलौंजी के बीजों का सीधा सेवन किया जा सकता है।

एक छोटा चम्मच कलौंजी को शहद में मिश्रित करके इसका सेवन करें।

पानी में कलौंजी उबालकर छान लें और इसे पिएँ।

दूध में कलौंजी उबालें। ठंडा होने दें फिर इस मिश्रण को पिएँ।

कलौंजी को ग्राइंड करें व पानी तथा दूध के साथ इसका सेवन करें।

कलौंजी को ब्रैड, पनीर तथा पेस्ट्रियों पर छिड़क कर इसका सेवन करें।

[B] ये किन-किन रोगों में सहायक है?

1/. टाइप-2 डायबिटीज:

प्रतिदिन 2 ग्राम कलौंजी के सेवन के परिणामस्वरूप तेज हो रहा ग्लूकोज कम होता है। इंसुलिन रैजिस्टैंस घटती है,बीटा सैल की कार्यप्रणाली में वृद्धि होती है तथा ग्लाइकोसिलेटिड हीमोग्लोबिन में कमी आती है।

2/. मिर्गी:

2007 में हुए एक अध्ययन के अनुसार मिर्गी से पीड़ित बच्चों में कलौंजी के सत्व का सेवन दौरे को कम करता है।

3/. उच्च रक्तचाप:

100 या 200 मि.ग्रा. कलौंजी के सत्व के दिन में दो बार सेवन से हाइपरटैंशन के मरीजों में ब्लड प्रैशर कम होता है।

रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) में एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार पीने से रक्तचाप सामान्य बना रहता है। तथा 28 मि.ली. जैतुन का तेल और एक चम्मच

कलौंजी का तेल मिलाकर पूर शरीर पर मालिश आधे घंटे तक धूप में रहने से रक्तचाप में लाभ मिलता है। यह क्रिया हर तीसरे दिन एक महीने तक करना चाहिए।

4/. गंजापन:

जली हुई कलौंजी को हेयर ऑइल में मिलाकर नियमित रूप से सिर पर मालिश करने से गंजापन दूर होकर बाल उग आते हैं।

5/. त्वचा के विकार:

कलौंजी के चूर्ण को नारियल के तेल में मिलाकर त्वचा पर मालिश करने से त्वचा के विकार नष्ट होते हैं।

6/. लकवा:

कलौंजी का तेल एक चौथाई चम्मच की मात्रा में एक कप दूध के साथ कुछ महीने तक प्रतिदिन पीने और रोगग्रस्त अंगों पर कलौंजी के तेल से मालिश करने से लकवा रोग ठीक होता है।

7/. कान की सूजन, बहरापन:

कलौंजी का तेल कान में डालने से कान की सूजन दूर होती है। इससे बहरापन में भी लाभ होता है।

8/. सर्दी-जुकाम:

कलौंजी के बीजों को सेंककर और कपड़े में लपेटकर सूंघने से और कलौंजी का तेल और जैतून का तेल बराबर की मात्रा में नाक में टपकाने से सर्दी-जुकाम समाप्त होता है। आधा कप पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल व चौथाई चम्मच जैतून का तेल मिलाकर इतना उबालें कि पानी खत्म हो जाए और केवल तेल ही रह जाए। इसके बाद इसे छानकर 2 बूंद नाक में डालें। इससे सर्दी-जुकाम

ठीक होता है। यह पुराने जुकाम भी लाभकारी होता है।

9/. कलौंजी को पानी में उबालकर इसका सत्व पीने से अस्थमा में काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है।

10/. छींके:

कलौंजी और सूखे चने को एक साथ अच्छी तरह मसलकर किसी कपड़े में बांधकर सूंघने से छींके आनी बंद हो जाती है।

11/. पेट के कीडे़:

दस ग्राम कलौंजी को पीसकर 3 चम्मच शहद के साथ रात सोते समय कुछ दिन तक नियमित रूप से सेवन करने से पेट के कीडे़ नष्ट हो जाते हैं।

12/. प्रसव की पीड़ा:

कलौंजी का काढ़ा बनाकर सेवन करने से प्रसव की पीड़ा दूर होती है।

13/. पोलियों का रोग:

आधे कप गर्म पानी में एक चम्मच शहद व आधे चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय लें। इससे पोलियों का रोग ठीक होता है।

14/. मुँहासे:

सिरके में कलौंजी को पीसकर रात को सोते समय पूरे चेहरे पर लगाएं और सुबह पानी से चेहरे को साफ करने से मुंहासे कुछ दिनों में ही ठीक हो जाते हैं।

15/. स्फूर्ति:

स्फूर्ति (रीवायटल) के लिए नांरगी के रस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सेवन करने से आलस्य और थकान दूर होती है।

16/. गठिया:

कलौंजी को रीठा के पत्तों के साथ काढ़ा बनाकर पीने से गठिया रोग समाप्त होता है।

17/. जोड़ों का दर्द:

एक चम्मच सिरका, आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय पीने से जोड़ों का दर्द ठीक होता है।

18/. आँखों के सभी रोग:

आँखों की लाली, मोतियाबिन्द, आँखों से पानी का आना, आँखों की रोशनी कम होना आदि। इस तरह के आँखों के रोगों में एक कप गाजर का रस, आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिलाकर दिन में 2बार सेवन करें। इससे आँखों के सभी रोग ठीक होते हैं। आँखों के चारों और तथा पलकों पर कलौंजी का तेल रात को सोते समय लगाएं। इससे आँखों के रोग समाप्त होते हैं। रोगी को अचार, बैंगन, अंडा व मछली नहीं खाना चाहिए।

19/. स्नायुविक व मानसिक तनाव:

एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल डालकर रात को सोते समय पीने से स्नायुविक व मानसिक तनाव दूर होता है।

20/. गांठ:

कलौंजी के तेल को गांठो पर लगाने और एक चम्मच कलौंजी का तेल गर्म दूध में डालकर पीने से गांठ नष्ट होती है।

21/. मलेरिया का बुखार:

पिसी हुई कलौंजी आधा चम्मच और एक चम्मच शहद मिलाकर चाटने से मलेरिया का बुखार ठीक होता है।

22/. स्वप्नदोष:

यदि रात को नींद में वीर्य अपने आप निकल जाता हो तो एक कप सेब के रस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करें। इससे स्वप्नदोष दूर होता है। प्रतिदिन कलौंजी के तेल की चार बूंद एक चम्मच नारियल तेल में मिलाकर सोते समय सिर में लगाने स्वप्न दोष का रोग ठीक होता है। उपचार करते समय नींबू का सेवन न करें।

23/. कब्ज:

चीनी 5 ग्राम, सोनामुखी 4 ग्राम, 1 गिलास हल्का गर्म दूध और आधा चम्मच कलौंजी का तेल। इन सभी को एक साथ मिलाकर रात को सोते समय पीने से कब्ज नष्ट होती है।

24/. खून की कमी:

एक कप पानी में 50 ग्राम हरा पुदीना उबाल लें और इस पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह खाली पेट एवं रात को सोते समय सेवन करें। इससे 21 दिनों में खून की कमी दूर होती है। रोगी को खाने में खट्टी वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए।

25/. पेट दर्द:

किसी भी कारण से पेट दर्द हो एक गिलास नींबू पानी में 2 चम्मच शहद और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार पीएं। उपचार करते समय रोगी को बेसन की चीजे नहीं खानी चाहिए। या चुटकी भर नमक और आधे चम्मच कलौंजी के तेल को आधा गिलास हल्का गर्म

पानी मिलाकर पीने से पेट का दर्द ठीक होता है। या फिर 1 गिलास मौसमी के रस में 2 चम्मच शहद और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार पीने से पेट का दर्द समाप्त होता है।

26/. सिर दर्द:

कलौंजी के तेल को ललाट से कानों तक अच्छी तरह मलनें और आधा चम्मच कलौंजी के तेल को 1 चम्मच शहद में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से सिर दर्द ठीक होता है। कलौंजी खाने के साथ सिर पर कलौंजी का तेल और जैतून का तेल मिलाकर मालिश करें। इससे सिर दर्द में आराम मिलता है और सिर से सम्बंधित अन्य रोगों भी दूर होते हैं।

कलौंजी के बीजों को गर्म करके पीस लें और कपड़े में बांधकर सूंघें। इससे सिर का दर्द दूर होता है।

कलौंजी और काला जीरा बराबर मात्रा में लेकर पानी में पीस लें और माथे पर लेप करें। इससे सर्दी के कारण होने वाला सिर का दर्द दूर होता है।

27/. उल्टी:

आधा चम्मच कलौंजी का तेल और आधा चम्मच अदरक का रस मिलाकर सुबह-शाम पीने से उल्टी बंद होती है।

28/. हार्निया:

तीन चम्मच करेले का रस और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह खाली पेट एवं रात को सोते समय पीने से हार्निया रोग ठीक होता है।

29/. मिर्गी के दौरें:

एक कप गर्म पानी में 2 चम्मच शहद और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से मिर्गी के दौरें ठीक होते हैं। मिर्गी के रोगी को ठंडी चीजे जैसे- अमरूद, केला, सीताफल आदि नहीं देना चाहिए।

30/. पीलिया:

एक कप दूध में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर प्रतिदिन 2 बार सुबह खाली पेट और रात को सोते समय 1 सप्ताह तक लेने से पीलिया रोग समाप्त होता है। पीलिया से पीड़ित रोगी को खाने में मसालेदार व खट्टी वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए।

31/. कैंसर का रोग:

एक गिलास अंगूर के रस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 3 बार पीने से कैंसर का रोग ठीक होता है। इससे आंतों का कैंसर, ब्लड कैंसर व गले का कैंसर आदि में भी लाभ मिलता है। इस रोग में रोगी को औषधि देने के साथ ही एक किलो जौ के आटे में 2 किलो गेहूं का आटा मिलाकर इसकी रोटी, दलिया बनाकर रोगी को देना चाहिए। इस रोग में आलू, अरबी और बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए। कैंसर के रोगी को कलौंजी डालकर हलवा बनाकर खाना चाहिए।

32/. दांत:

कलौंजी का तेल और लौंग का तेल 1-1 बूंद मिलाकर दांत व मसूढ़ों पर लगाने से दर्द ठीक होता है। आग में सेंधानमक जलाकर बारीक पीस लें और इसमें 2-4 बूंदे कलौंजी का तेल डालकर दांत साफ करें। इससे साफ व स्वस्थ रहते हैं।

दांतों में कीड़े लगना व खोखलापन: रात को सोते समय कलौंजी के तेल में रुई को भिगोकर खोखले दांतों में रखने से कीड़े नष्ट होते हैं।

33/. नींद:

रात में सोने से पहले आधा चम्मच कलौंजी का तेल और एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से नींद अच्छी आती है।

34/. मासिकधर्म:

कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से मासिकधर्म शुरू होता है। इससे गर्भपात होने की संभावना नहीं रहती है।

जिन माताओं बहनों को मासिकधर्म कष्ट से आता है उनके लिए कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मासिकस्राव का कष्ट दूर होता है और बंद मासिकस्राव शुरू हो जाता है।

कलौंजी का चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में शहद मिलाकर चाटने से ऋतुस्राव की पीड़ा नष्ट होती है।

मासिकधर्म की अनियमितता में लगभग आधा से डेढ़ ग्राम की मात्रा में कलौंजी के चूर्ण का सेवन करने से मासिकधर्म नियमित समय पर आने लगता है।

यदि मासिकस्राव बंद हो गया हो और पेट में दर्द रहता हो तो एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम पीना चाहिए। इससे बंद मासिकस्राव शुरू हो जाता है।

कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन 2-3 बार सेवन करने से मासिकस्राव शुरू होता है।

35/. गर्भवती महिलाओं को वर्जित:

*गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं कराना चाहिए क्योंकि इससे गर्भपात हो सकता है।*

36/. स्तनों का आकार:

कलौंजी आधे से एक ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से स्तनों का आकार बढ़ता है और स्तन सुडौल बनता है।

37/. स्तनों में दूध:

कलौंजी को आधे से 1 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से स्तनों में दूध बढ़ता है।

38/. स्त्रियों के चेहरे व हाथ-पैरों की सूजन:

कलौंजी पीसकर लेप करने से हाथ पैरों की सूजन दूर होती है।

39/. बाल लम्बे व घने:

50 ग्राम कलौंजी 1 लीटर पानी में उबाल लें और इस पानी से बालों को धोएं इससे बाल लम्बे व घने होते हैं।

40/. बेरी-बेरी रोग:

बेरी-बेरी रोग में कलौंजी को पीसकर हाथ-पैरों की सूजन पर लगाने से सूजन मिटती है।

41/. भूख का अधिक लगना:

50 ग्राम कलौंजी को सिरके में रात को भिगो दें और सूबह पीसकर शहद में मिलाकर 4-5 ग्राम की मात्रा सेवन करें। इससे भूख का अधिक लगना कम होता है।

42/. नपुंसकता:

कलौंजी का तेल और जैतून का तेल मिलाकर पीने से नपुंसकता दूर होती है।

43/. खाज-खुजली:

50 ग्राम कलौंजी के बीजों को पीस लें और इसमें 10 ग्राम बिल्व के पत्तों का रस व 10 ग्राम हल्दी मिलाकर लेप बना लें। यह लेप खाज-खुजली में प्रतिदिन लगाने से रोग ठीक होता है।

44/. नाड़ी का छूटना:

नाड़ी का छूटना के लिए आधे से 1 ग्राम कालौंजी को पीसकर रोगी को देने से शरीर का ठंडापन दूर होता है और नाड़ी की गति भी तेज होती है। इस रोग में आधे से 1 ग्राम कालौंजी हर 6 घंटे पर लें और ठीक होने पर इसका प्रयोग बंद कर दें। कलौंजी को पीसकर लेप करने से नाड़ी की जलन व सूजन दूर होती है।

45/. हिचकी:

एक ग्राम पिसी कलौंजी शहद में मिलाकर चाटने से हिचकी आनी बंद हो जाती है। तथा कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में मठ्ठे के साथ प्रतिदिन 3-4 बार सेवन से हिचकी दूर होती है। या फिर कलौंजी का चूर्ण 3 ग्राम मक्खन के साथ खाने से हिचकी दूर होती है। और यदि

3 ग्राम कलौंजी पीसकर दही के पानी में मिलाकर खाने से हिचकी ठीक होती है।

46/. स्मरण शक्ति:

लगभग 2 ग्राम की मात्रा में कलौंजी को पीसकर 2 ग्राम शहद में मिलाकर सुबह-शाम खाने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।

47/. पेट की गैस:

कलौंजी, जीरा और अजवाइन को बराबर मात्रा में पीसकर एक चम्मच की मात्रा में खाना खाने के बाद लेने से पेट की गैस नष्ट होता है।

48/. पेशाब की जलन:

250 मिलीलीटर दूध में आधा चम्मच कलौंजी का तेल और एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से पेशाब की जलन दूर होती है।