मुद्रा चिकित्सा में “अपान वायु मुद्रा “ का वर्णन है,
यह मुद्रा वायु मुद्रा अपान मुद्रा को मिलाकर बनाई गयी है, इसका प्रभाव हृदय पर विशेष रूप से पडता है । अतः इसे हृदय - मुद्रा, मृतसंजीवनी मुद्रा भी कहा जाता है ।
फ़ायदे :
(१) यह तुरन्त प्रभाव दिखाने वाली मुद्रा है । दिल का दौरा रोकने में यह मुद्रा इंजेक्शन के समान असर करती है
(२) इस मुद्रा के प्रभाव से पेट की गैस व शारीरिक वायु, दोनो का ही शमन होता है
(३) दिल के दौरे का आभास होते ही इस मुद्रा का तत्काल प्रयोग करना चाहिये, जो प्रभावशाली इंजेक्शन या सोरबीटेट गोली की तरह जादूवत काम करता है और रोगी की अस्पताल पहोचने तक मृत्यु से रक्षा हो जाती है
(४) इसके अन्य लाभों में हृदय की धड़कन और कमजोरी में इस मुद्रा से लाभ मिलना शामिल है
(५) इस मुद्रा के प्रभाव से हाथों की हृदय रेखा व अविकसित -अतिविकसित चंद्र और सूर्य पर्वत में लाभ होता है।
समय -सीमा : इस मुद्रा को सुबह- शाम १५ -१५ मिनट करना लाभकारी है
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