Tuesday, August 22, 2023

Ancient Indian Health tips

 कौनसा जूस या रस कितनी मात्रा में लेना चाहिए

भैषज्य कल्पना विज्ञान ग्रन्थ के अनुसार…

【!v】हल्दी की मात्रा 25 से 50 mg तक निर्धारित है। इससे अधिक लेने पर गर्मी, खुश्की करती है।

【v】नीम इतना ही खाना चाहिए, जिससे कंठ कड़वा हो जाये। ज्यादा लेने पर यह पित्त की वृद्धि करता है।

  • सप्ताह में दो बार मूंग की दाल का पानी जरूर पिएं। हो सके, तो मूंग की दाल में रोटी गलाकर खावें। पेट के रोगों में यह बहुत मुफीद है।
  • रात को फल, जूस, सलाद के सेवन से बचें।
    अरहर की दाल सबसे ज्यादा कब्ज
    पैदा करती है।
  • सुबह बिना नहाए कुुुछ भी
    अन्न न लेवें। अधिकांश लोगों ने यह
    आदत बना ली है कि…सुबह चाय के
    साथ बिस्किट आदि बिना स्नान के ही
    लेते हैं, जो शरीर के लिए बेहद हानिकारक है।

आयुर्वेद चंद्रोदय, द्रव्यगुण विज्ञान, आयुर्वेदिक निघण्टु, भावप्रकाश शास्त्रों के अनुसार शरीर की गन्दगी दूर करने का तरीका-

【१】लोंकी का जूस 20 ml लेना लाभकारी है।

【२】करेले का रस 10 ml पर्याप्त है।

【३】नीम, बेल के पत्तों की 2 से 3 नई कोपल ही लाभदायक है।

【४】आयुर्वेद के अनुसार कोई भी चीज जितनी कम मात्रा में लेंगे, उतना कारगर होगी।

【५】अनेक लोग एक से दो चम्मच तक हल्दी का उपभोग करते हैं, यह हानिकारक है।

【६】रात में ठंडा दूध कफ बढ़ाता है और सुबह ठंडा दूध पियें, तो पित्त सन्तुलित होता है।

ऐसे बहुत से अनुपान आयुर्वेद में बताएं है।

【७】शहद और देशी घी बराबर लेने पर विष हो जाता है।

【८】दिन भर में एक से अधिक नीबू का रस लेने से नपुंसकता आने लगती है।

【९】अरहर की दाल खाएं, तो उस दिन पानी 4 गुना पियें।

【१०】उड़द की दाल की तासीर देशी घी से बेहतरीन होती है।

【११】दिन भर इन समुद्री या सादा नमक 60 फीसदी और सेंधा, काल नमक 40 फीसदी लेना चाहिए।

【१२】कुछ लोग केवल सेंधा नमक का ही इस्तेमाल करते हैं, जिससे रक्त नाड़ियाँ दूषित होने लगती हैं।

अमृतमपत्रिका से with thanks

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