सुंदर सशक्त दांत हमारे चेहरे को सही आकार देते हैं ,भारत व अन्य विकासशील देशों में अभी दांतो की केयर पर उतना खर्च प्रति व्यक्ति नहीं जितना युरोप व अमेरिका में करते हैं. यदि दांतों की सफाई बचपन से न की जाय तो 15/20 वर्ष की आयु में दंतक्षय शुरू हो जाता है और एक महत्व पूर्ण बात , दांतों का संपूर्ण इलाज ओपन हार्ट सर्जरी से अधिक मंहगा है उदाहरण एक दांत की फिलिंग व रूट कनाल (दांत की जड़ को सजीव रखने की क्रिया) एक दांत का खर्च 3 से 7 हजार तक है और इस पर सेरामिक या मेटालिक कैप का खर्चा भी 3से 7हजार अलग से, और यदि दांत हटाकर नया जबड़े की हड्डी में बोल्ट से सेरामिक दांत लगाया जाय तो 20 से 40 हजार प्रति दांत खर्च हो सकते हैं ,अब गिन लें यदि 15 /20 दांतों में यह किया तो 6 से 9 लाख खर्चा तक हो सकता है साथ ही इस प्रक्रिया को अलग अलग एक एक दांत के लिऐ अलग अलग करवाया तो डेंटल सर्जन के पास आपको 30 बार जाना पड़ सकता है और प्रति विज़िट 2 घंटे साथ दर्द वाली संभावना व खाने की दवाओं का खर्च भी होगा.अब गिन लें ओपन हार्ट सर्जरी में दर्द इससे आधा भी नहीं होता और पेशेंट 4 से 8 दिन में स्वस्थ हो घर वापिस इसका कुल पैकेज का खर्च 3.5 से 6 लाख है.
अब आते हैं दांतो को हमेशा सुरक्षित कैसे रखें . खुराक ,हड्डियों व दांतों की मजबूती के लिये कैल्शियम , विटामिन डी युक्त भोजन ,दूध से बने आहार मछली या काड् लिवर आयल सुनहरे जैली भरे कैप्सूल दो रोज़ ले और वर्ष में कम से कम 100 दिन 35 मिनट धूप का सेवन आपके खाऐ विटामिन डी व कैल्शियम को शरीर में घोलने का काम करेगा . 40 की आयु पश्चात भोजन के अतिरिक्त बाहरी रुप से गोली या एक ग्राम पाऊच, शायद calciferol या ऐसे नाम से 1 ग्राम का पाऊच मिलता है वर्ष भर में 25/ या 30 तक पाऊच अवश्य लें और सही एकदम सटीक जानकारी चाहिए तो बस एकबार हड्डी रोग विशेषज्ञ से मिल कर पूछें प्रति सप्ताह एक दूध में डालकर लेना है इसका पूरा असर दूध में लेने साथ साथ धूप में रोज 30 मिनट बैठने से शरीर इसको शोषित करता है नहीं तो आधा अधूरा असर होता है , हो सके तो जो खा सकते हैं वो दो उबले अंडे रोज़ व सप्ताह में दो बार मछली व अखरोट बादाम अलसी के भुने बीज भी खाऐं नहीं तो सबको 40/45 की आयु पश्चात सबको हड्डियों का क्षरण (घिसना व नये हड्डी के ऊतक नहीं बनना ) होता है विशेषकर महिलाओं को मेनोपॉज के बाद इसकी अधिक आवश्यकता पड़ती है. आपने मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) आयू के बाद देखा होगा कि महिलाओं में घुटनों में दर्द व चलने सीढ़ी चढ़ने में दर्दे या दिक्कतें आती हैं वह इसी की कमी से इसी आयु में शारीरिक परिवर्तन से होता है और सारी आयू इस दर्द को झेलना एक मजबूरी बन जाती है।
केवल सुबह 5 - 7 मिनट ब्रश पेस्ट घिसना जितना लाभ देता है उतना ही नुकसान भी , पहली बात और समझ : हम हमेशा दांतों को घिसकर सारी आयु मूर्खता करते , समझते हैं कि हो गई सफाई जबकि वस्तु स्थिति यह है कि यदि मसूढ़े वृक्ष हैं तो दांत तना व टहनियां हैं अत: जब तक जड़ मजबूत नही तब तक तना भी स्वस्थ नहीं अतः मसूड़ों जीभ , तालू की उंगलियों से मालिश और अधिक जरूरी है , ब्रश को साबुन से मसल धो कर रखें ये नहीं कि एक ही झूठे ब्रश व रोज के बैक्टीरिया से भरे ब्रश से सफाई हो और अब पढ़ें दांतों की सफाई की आसान और सही प्रक्रिया
- सुबह की बजाय रात को दांत साफ कर सोयें ,रात में दांतों व मुंह की सफाई न होने से बैक्टीरिया 10 गुना जल्दी से फैलता है,रात को दांत साफ करें तो यह बैक्टीरियल हमला नहीं होता.
- सबसे पहले साबुन से हाथ धोकर उंगली से मसूड़ों की 1 या डेढ़ मिनट अंदर बाहर हल्की मालिश करें इससे मसूढों मे रूका तरल बाहर निकलता है , साथ ही जीभ भी दो उंगलियों से साफ करे ,टंग क्लीनर से न करें यह जीभ को छीलता है और जीभ पर जो बिंदिया नुमा टेस्ट बडस् होते हैं उन्हें नुकसान पहुंचता है और खाना खाते समय मिर्चें अधिक लगती हैं
- अब टुथपेस्ट उंगली पर लगा कर (ब्रश से नहीं) फिर से मसूड़े व दांत दोनों की 2 मिनट मालिश करें व जीभ पर और जीभ नीचे के अंदर की साईड की भी मालिश और एक या दो मिनट का समय छोड़ दें मुँह में असर होते होते समय लगता है ,इससे पेस्ट का सही असर दांतो व मसूढो़ पर होता है , अब इसके बाद एक मिनट मात्र मीडियम नरम ब्रश से नीचे से उपर व उपर से नीचे ,अंदर बाहर सफाई करें, यदि दो दांतो के बीच कुछ गैप है तो एक स्पेशल ब्रश (नीचे चित्र में फोटो देखें) से उस गैप में यदि कुछ फंसा है तो निकालें यह हरेक के लिऐ नहीं केवल दांतों में गैप है तो वही इसे प्रयोग करें. आप बिना भूले यदि इस तरह से नियमित दांत साफ करते रहें तो मेरा दावा है कि प्रोढ़ायू तक दांत मजबूत चमकदार व मसूढ़े स्वस्थ्य रहेंगे ,रात में यह करने से सुबह आप चाहें तो ब्रश न कर केवल टुथपेस्ट से मात्र डेढ़ मिनट साफ करें इससे सुबह का समय भी बचता है . इसके अतिरिक्त सप्ताह में एक बार फिटकरी का टुकड़ा पानी में सात बार हिलाकर उसकी दो कुल्ली करें या इसके स्थान पर डेंटल ऐंटिसेप्टिक लोशन (चित्र संलग्न है यह मात्र जानकारी के लिए है जरुरी नहीं कि यही लें किसी भी अच्छी कंपनी का लें ) की 8/10 बूंदें मुंह मे मलकर एक कुल्ली कर लें याद रहे यह प्रक्रिया रोज़ाना नहीं केवल सप्ताह में दो बार करनी है ,यदि रोज़ करेंगे तो दांतो के एनामल घिस सकता है और ठंडा गरम लगने की शिकायत हो सकती है. इसके अतिरिक्त हर बार खाने के बाद हर बार पानी से कुल्ली करने की आदत बनाऐं , आजकल कई प्रकार के लिक्विड रंग बिरंगे माउथवॉश भी बाजार में हैं ,पर यदि आप इस लेख के बताऐ तरीके से दांत साफ रखें तो माऊथवाश एक खर्चीली आदत से अधिक कुछ विशेष नहीं वैसे जो कर रहे हैं या करने की क्षमता है तो करें कोई हर्ज नहीं और यह भी ध्यान रहे कि ओरल माउथवॉश तरल मंहगे व पूर्णतया कैमिकल्स ही हैं ये हमारे मुँह के अंदरूनी भाग में खराब बैक्टीरिया के साथ मुँह में कुछ मित्र (लाभकारी) बैक्टीरिया को भी मारता है जिससे पेट के गुड बैक्टीरिया कम होने से पाचनतंत्र कमजोर हो सकता है . ,कुछ व्यक्तियों को मसूढ़ों की सूजन का रोग होता है इसे पायोरिया नाम से जाना जाता है.जिसका स्वंय को महसूस नहीं होता पर दूसरे व्यक्ति उस व्यक्ति के अति नजदीक अपना मुंह करने में असहज महसूस करते हैं यह स्थिति जानने के लिये घर के मेंम्बर से कह कर पूंछें कि वह आपका मुँह सूंघें ओर बताऐं कि तेज बदबू तो नहीं है और यदि ऐसा है तो तुरंत डेंटल सर्जन से चेकअप करा पूरा इलाज कराना जरूरी है अन्यथा घर पर कितने ही दांत साफ कर लें जब तक मसूढे पूर्ण स्वस्थ नहीं होते तो 50/55की आयु में सब दांत गिरने शुरू हो सकते हैं।
विशेष नोट:- लेखक के पास कोई मेडिकल डिग्री या विशेषज्ञता नहीं है ,यह स्वंय के सहज ज्ञान व अनुभव आधारित लिखा गया है , किसी भी सामान्य या टिपिकल रोग निदान हेतु डाक्टर की राय प्रथम लें. चित्र में दिये उत्पाद केवल उदाहरण व पाठकों की जागृति हेतु हैं व लेखक का इन उत्पादों या इनके निर्माता से किसी प्रकार का संबध नहीं. 🙏 भारतमाता की जय .वंदेमातरम
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