Thursday, September 14, 2023

चेतना का दिव्य प्रवाह भाग 27

जो सबके लिए भोजन बनाता है वह कभी भूखा नहीं रह सकता है ।

जो माता पूरे परिवार के लिए भोजन बनाती है क्या कभी वह भूखी रह सकती है ? उत्तर होगा नहीं ! जो सबका पेट भरता है क्या कभी भूखे पेट रह सकता है ? उत्तर होगा नहीं ! इसके अलावा उसको बनाने और खिलाने का जो आनंद मिलता है , सेवा का अवसर मिलता है जिससे आत्मा प्रसन्न होती है, श्रद्धा सम्मान और धन भी मिलता है ।

ठीक इसी तरह से समाज को सुख देने वाला कभी दुःखी नहीं हो सकता है ।

समाज को ज्ञान देने वाला कभी भी अज्ञानी नहीं रह सकता है । 

समाज को सद्भावना देने वाले के जीवन में कभी भी सद्भावनाओं की कमी नहीं पड़ सकती है। 

समाज को सत् प्रेरणा देने वाला अपने जीवन में ईश्वरीय सत् प्रेरणाएं निरंतर प्राप्त करता है ।

समाज को समय देने वाले का जीवन काल (आयु) प्रकृति व ईश्वर के आधीन हो जाता है । 

समाज को धन देने वाला, सामाजिक उत्कर्ष में लगाने वाला , समाज की पीड़ा व पतन को मिटाने में धन लगाने वाला कभी भी अभावग्रस्त नहीं रह सकता है यह सृष्टि का शाश्वत नियम है । 

संसार में बोओ व काटो का नियम काम करता है आप जो कुछ भी दूसरों के हित के लिए करोगे सृष्टि की व्यवस्था में परमात्मा के द्वारा बनाई गई व्यवस्था में उसका प्रतिफल मिलना सुनिश्चित है ।

ऐसे ही जो अपनी समस्त क्षमताओं (ज्ञान, प्रतिभा, पुरुषार्थ, समय ,श्रम ,धन व साधनों )को संसार के उत्कर्ष के लिए ,मानवता के विकास की लिए लगाता है उसके समग्र व्यक्तित्व का विकास हो जाता है , उसकी आत्मा का विकास हो ही जाता है ,उसको अखंड स्वास्थ्य ,अखंड शक्ति, अखंड आनंद ,अखंड ज्ञान व अखंड प्रेम सृष्टि व्यवस्था के अनुसार उपलब्ध होता ही है और यही जीवन की सर्वोत्कृष्ट उपलब्धि है आप यहां पाने की कोशिश मत करो, आप संसार को देने की कोशिश करो जो कुछ दोगे वह अनंत गुणा होकर लौटेगा ।

हे मानव जीवन के त्रितापों अज्ञान ,अभाव व अशक्ति से मुक्ति का यह शाश्वत तथा निरपध राजमार्ग है ।

रामकुमार शर्मा  9451911234    

*युग विद्या विस्तार योजना* 

(मानवीय संस्कृति पर आधारित एक समग्र शिक्षण योजना)।              

विद्या विस्तार राष्ट्रीय ट्रस्ट, दिल्ली (भारत)


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