रतिक्रिया क्षमता को बढ़ाने के लिए सबसे अधिक कौन-कौन सी आयुर्वेदिक दवाइयां खाई जाती हैं?
- ये सभी ताकतवर जड़ी बूटी एक प्रकार लकड़ियां हैं, जो आसानी से नहीं पचती और फायदे के स्थान पर भयंकर हानि होती है।
- आप कुछ भी खाएं, उसे पचाना अत्यंत आवश्यक है। हजम नहीं कर सकें, तो जल्दी दम निकल जायेगा।
- आजकल के लोग एक दिन में 3 से 4 चमच (30/40 ग्राम) अश्वगंधा, शतावरी, सफेद मूसली, मुलेठी, हरड़, आंवला, कोंच के बीज आदि के चूर्ण बिना इस्तेमाल कर रहे हैं।
- चिंतन मंथन जरूर करें क्या कभी आपने पचाने, हजम करने के बारे में भी विचार किया है। सोचेंगे, तो अहसास होगा कि आए दिन पट की खराबी, कब्ज, बी पी हाई, मधुमेह, बैचेनी का कारण यही निकलेगा।
- चरक संहिता के चिकित्सा सुत्र का निर्देश है कि जो भी आप भक्षण कर रहे हैं उसका 75 फीसदी हिस्सा माल विसर्जन द्वारा निकलना जरूरी है अन्यथा आप कुछ सालों बाद अनेक भयानक बीमारियों से परेशान होने लगेंगे।
- सावधान ये तकतवार जड़ी बूटियां आपको नामर्द, नपुंसक बना सकती हैं।
- अतः आप वही खाएं, जिसे हजम कर सकें नहीं, तो दम निकल जायेगी।
- द्रव्यगुण विज्ञान, भाव प्रकाश और आयुर्वेदिक निघंतुयों में, तो स्पष्ट लिखा है की अगर आप परिश्रमी हैं।
- जड़ी बूटी रूपी लकड़ियों को पचाने का सामर्थ्य रखते, हों तभी इनका चूर्ण के रूप में सेवन करें अन्यथा इनका काढ़ा पीना ही लाभकारी रहेगा।
- प्राचीन काल का मनुष्य बहुत मेहनती होता था और 20 से 30 किलोमीटर पैदल चलना उसके लिए आम बात होती थी। इसलिए ये समस्त ओषधि लकड़ियां आसानी से पीछा जाती थीं।
नहीं पचने के कारण चूर्ण विष हो जाते हैं।
- आयुर्वेद के एक रहस्य को अच्छी तरह समझ लीजिए कि ये सब जड़ी बूटियों की लकड़ियां ताकतवर बहुत हैं। इन्हे पचाने के लिए विशेष परिश्रम की आवश्यकता होती है।
- आज का आदमी मेहनत बिलकुल नहीं करता। इसलिए ये सब जड़ी बूटियों के चूर्ण या पाउडर फायदे की जगह नुकसान करेंगे। क्योंकि ये चूर्ण पचते नहीं हैं और शरीर में वात पित्त कफ को असंतुलित कर शरीर का पाचन तंत्र बिगाड़ देते हैं।
- द्रव्यगुण विज्ञान के मुताबिक शक्ति वर्धक जड़ी बूटियों का चूर्ण पचाना आसान नहीं है।
- अगर आपको ये सब ताकतवर चूर्ण खाने का शौक हो, तो किसी भी चूर्ण या समस्त चूर्ण के मिश्रण को 10 से 15 ग्राम लेकर शाम को 200 मिलीलीटर पानी में गलाकर सुबह एक चौथाई रहने तक उबालें और खाली पेट गुड़ मिलाकर पिएं।
- निवेदन इतना है कि गुगल आदि सोशल मीडिया पर पड़ी हुई गलत जानकारी को अपना आधार न बनाकर स्वयं ही आयुर्वेद को पढ़ें और सबका भला करें।
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