Tuesday, September 26, 2023

चेतना का दिव्य प्रवाह भाग - ३७

शक्ति के बिना, संसार समर में कैसे विजयी बनोगे ?

 शास्त्रों में कहावत है "देवो दुर्बल घातक :" यानी दुर्बल के ऊपर देवता भी घात लगते हैं, इसलिए संसार में दुर्बलता अभिशाप है और शक्ति की हमेशा पूजा की जाती है ,शक्ति का आह्वान किया जाता है, शक्ति के लिए साधना की जाती है ।

 हे मानव ! यदि तुमने शक्ति का अर्जन नहीं किया, शक्ति की उपासना व साधना नहीं की तो तुम किसी भी कार्य को सिद्ध नहीं कर पाओगे , चाहे वह भौतिक जगत की शक्ति हो चाहे आध्यात्मिक जगत की, शक्तियों तुम्हें दोनों ही चाहिए ।

 तुम्हें अपने कर्म क्षेत्र को सफलता पूर्वक सम्पादित करने के लिए स्वस्थ व शक्तिशाली शरीर चाहिए ,सबल प्राण ऊर्जा चाहिए क्या तुम जागरूक होकर इसका ध्यान रखते हो , क्या तुम स्वस्थ शरीर के लिए आहार विहार का ध्यान रखते हो, क्या तुम शक्तिशाली प्राण के लिए गायत्री महामंत्र की साधना व अग्निहोत्र का प्रयोग करते हो ?

 तुम्हें मन में उच्च स्तरीय चिंतन करने के लिए , सकारात्मक विचारों को प्रवाहित करने के लिए, सृजनात्मक चिंतन का प्रवाह गतिशील करने के लिए तुम्हें उच्च स्तरीय ज्ञान की शक्ति चाहिए , क्या तुम उच्च स्तरीय सत् साहित्य की गहन स्वाध्याय साधना उसके लिए करते हो ?

 तुम्हें संसार की विकृतियों से लड़ने के लिए भौतिक जगत के झंझावातों से निपटने के लिए , सामने आई हुई विपरीत परिस्थितियों से जूझने के लिए अकूत धैर्य व आत्मविश्वास की शक्ति चाहिए, क्या तुमने इसको पाने के लिए अपने आप को संघर्षों में डालकर चुनौतियों को स्वीकार किया है ?

तुम्हें आदर्शों व सिद्धांतों तथा नैतिक जीवन मूल्यों की रक्षा करने के लिए आत्म शक्ति चाहिए , क्या तुमने अनाचार से समझौता न करने के लिए, हार न मानने के लिए नीति पर चलते हुए असफलताओं को शिरोधार्य करने का अपने भीतर साहस पैदा किया है ?

 तुम्हें प्रकृति को अनुकूल बनाने व अदृश्य जगत से शक्ति प्राप्त करने के लिए ब्रह्मबल की आवश्यकता है उसके लिए समर्पण योग व ध्यान योग की उच्च स्तरीय साधना की तुमको आवश्यकता है क्या तुमने उसको प्राप्त करने के लिए कभी साधनाएं की या कोई प्रयास किया ?

 यही सब शक्ति प्राप्ति के सृष्टि में शाश्वत मार्ग है, यही तुम्हारे शरीर बल, प्राणबल ,मनोबल , बुद्धिबल, आत्मबल व ब्रह्मबल प्राप्ति के मूल आधार है इन्हीं साधनाओं के पथ का अनुगमन करने से शक्ति उत्पन्न होगी और इसी शक्ति के सहारे तुम संसार समर में विजय प्राप्त कर सकोगे व जीवन लक्ष्य को प्राप्त कर सकोगे ।

 रामकुमार शर्मा 9451911234

 *युग विद्या विस्तार योजना*

( मानवीय संस्कृति पर आधारित एक समग्र शिक्षण योजना) 

विद्या विस्तार राष्ट्रीय ट्रस्ट, दिल्ली (भारतवर्ष)

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