जिसने सुख प्राप्ति का विज्ञान जान लिया, वही संसार में सुखी हो सकता है ।
संसार में मानव दुःखों में तब पड़ता है जब वह सुखों के लिए हर पल बेचैन होकर उनके पीछे दौड़ता है, ऋषियों ने मनुष्य के, सुखी होने का, ज्ञान विज्ञान तथा जो रहस्य बताया है वह है तप का मार्ग ।
शास्त्रों में लिखा है जो तप नहीं करता वह सुख प्राप्त नहीं कर सकता है यह इस संसार का एकदम कटु सत्य है, संसार में तप का सबसे बड़ा देवता सूर्य है जो व्यक्ति सूर्य की ओर चलता है उसकी छाया उसके पीछे दौड़ती है और जो सूर्य को पीठ दिखा करके, उससे कतरा करके, उससे बचकर के चलता है उसकी छाया उसके आगे दौड़ती है । इस संसार में सुख भी एक छाया की तरह है जो इसे पकड़ने का यत्न करता है उससे वह दूर चली जाती है, जो सुखों का त्याग कर देता है उसके पीछे सुख जबरदस्ती दौड़े चले आते हैं ।
वृक्षों की शीतल छाया का सुख उस व्यक्ति को मिलता है जो कड़ी धूप में तपता है, श्रम करता है ।
🔅भोजन का सुख उस व्यक्ति को मिलता है जो कड़ी मेहनत करने के बाद भोजन ग्रहण करता है ।
🔅 नींद का सुख उस व्यक्ति को मिलता है जो कठोर परिश्रम से शरीर को थका देता है ।
🔅स्वाद का सुख उस व्यक्ति को मिलता है जो कड़ी भूख लगने पर कुछ ग्रहण करता है ।
🔅 धन का सुख उस व्यक्ति को मिलता है जो कठोर परिश्रम और ईमानदारी से कमाता है ।
🔅 सेवा का सुख उसे ही मिलता है जो निस्वार्थ भाव से सब की सेवा व सहायता करता है ।
🔅स्वास्थ्य का सुख उस व्यक्ति को मिलता है जो अपनी इंद्रियों पर संयम रखता है ।
🔅 सद्भाव व प्रेम का सुख उसे मिलता है जो विनम्र होता है ।
🔅धर्म का सुख उसे मिलता है जो आदर्शों व सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने हितों का त्याग कर देता है ।
🔅 आत्मा का सुख उसे मिलता है जो नीति पर चलते हुए असफलताओं को शिरोधार्य कर लेते है ।
🔅परमात्मा का सुख उसे मिलता है जो संसार के सारे प्राणियों में अपनी ही आत्मा का दर्शन करता है या ईश्वर का दर्शन करता है ।
🔅 जन सहयोग का सुख उसे मिलता है जो निस्वार्थ भाव से अपना सर्वस्व विश्व मानवता के हित में समर्पित कर देता है ।
🔅स्वतंत्रता का सुख उसे मिलता है जो अपनी आत्म पुकार का अनुसरण करता है तथा स्वतंत्र चिंतन के आधार पर युग धर्म को पहचान कर अपने जीवन के पथ का निर्धारण करता है ।
🔅 ईश कृपा तथा गुरु कृपा का सुख उसे मिलता है जो नैतिक मूल्यों ,आदर्शों व सिद्धांतों से समझौता नहीं करता बल्कि इनकी रक्षा के लिए अपना सर्वस्व त्याग देने को कृत संकल्पित हो जाता है तथा असूरता से संघर्ष का पथ अपनाता है । संसार में सुख प्राप्ति का यही शाश्वत मार्ग है जिन्होंने इस मार्ग को अपनाया, इन सिद्धांतों को अपनाया, वे ही संसार में सुखी हो सकते हैं बाकी संसार जिन साधन सुविधाओं को, आराम तलबी को, भोगों को, सुख का आधार समझता है वह महान मूर्ख और अज्ञानी है क्योंकि ये सब मानव को दारुण दुख देने वाले होते हैं ।
🙏 रामकुमार शर्मा 📞9451911234
🌎 *युग विद्या विस्तार योजना*
( मानवीय संस्कृति पर आधारित एक समग्र शिक्षण योजना)
विद्या विस्तार राष्ट्रीय ट्रस्ट, दिल्ली (भारतवर्ष)
No comments:
Post a Comment