भारतीय हिन्दू समाज परिस्थितियोंवश, मजबूरीवश संस्कारविहीन होता चला गया व उसमें समय के साथ-साथ ये तीन दुर्गुण पनपते चले गए।
1. स्वार्थ कूट-कूट कर भरता चला गया।
2. चापलूसी का भाव आता गया।
3. अंधभक्ति अथवा अंधश्रद्धा पनपती चली गयी।
इन तीन दुर्गणों ने हिन्दू समाज की कमर तोड़ कर रख दी। दुर्गुणों के द्वारा जब दुर्बलता एवं गन्दगी बढ़ती जाती है तो समाज कायर एवं वीर्यहीन (निस्तेज) होता चला जाता है। ऐसे समाज पर रोग के कीटाणु एवं विकृतियाँ हावी होती चलती है। हम दोष भले ही रोग को दे लें कि रोग फैल गया परन्तु मल तो (Toxins) हमारे शरीर में ही जमा हो गया था। जिसको हमने समय रहते नहीं शोधन किया। ऐसे ही जो भी समाज अथवा मिशन विकृतियाँ अपना लेता है समय के साथ उसके पतन को कोई नहीं रोक सकता। हम अपना उद्देश्य क्यों नहीं हासिल कर पा रहे क्योंकि हमारा जीवन दुर्बलताओं से पूर्ण है। जिस वजह से हमारी इच्छा शक्ति कम होती गयी। ज्ञान व शक्ति दोनों की उपासना करिए। गायत्री व सावित्री दोनों का आह्वान करिए। अपना कठोर आत्म विश्लेषण करिए। अन्यथा परिवार, समाज, राष्ट्र व पूरी मानवता पर आज विनाश के संकट मंडरा रहे हैं। जिसके पास प्रज्ञा (Yogic Widom) होगी वही सुखी व स्वस्थ रहेगा अन्यथा खून के आँसू रोएगा। कोई आचार्य देव दानव उसको बचा नहीं पाएगा।
बाबरी गिरते ही शाम तक UP सरकार गिरी और 2017 तक UP मे बहुमत नहीं मिला व उसी दिन 4 BJP शासित राज्यों मे कॉंग्रेस ने राष्ट्रपति शासन लगाया
मोदी जी और योगी जी खुल कर क्यों नहीं बोलते आज उसका उत्तर इस पोस्ट से मिल जाएगा । जिसके लिए हम उनके आभारी हैं । हिन्दुओं की कायरता के कारण ही मोदी जी और योगी जी खुल कर नहीं बोलते हैं वो जानते हैं कि हिन्दू पैर पर कुल्हाड़ी नहीं मारता बल्कि कुल्हाड़ी पर अपना सिर ही मार लेता है ।
नब्बे के दशक में कल्याण सिंह पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री बने, भाजपा ने अयोध्या में राम मंदिर को लेकर पूरे भारत में रथ यात्राएं निकाली थी ।
उत्तर प्रदेश की जनता ने पूर्ण बहुमत के साथ कल्याण सिंह को उत्तर प्रदेश की सत्ता दी; यानी खुल के कहा की जाओ मंदिर बनाओ ।
कल्याण सिंह बहुत भावुक नेता थे, सरकार बनने के बाद तुरन्त विश्व हिन्दू परिषद को बाबरी मस्जिद से सटी जमीन कार सेवा के लिए दे दी, संघ के हज़ारों कार सेवक साधू संत दिन रात उस जमीन को समतल बनाने में लगे रहते थे।
सुप्रीम कोर्ट ये सब देख के बहुत परेशान था, सर्वोच्च न्यायालय ने कल्याण सिंह से साफ़ कह दिया की आपको पक्का यकीन हैं ना की ये हाफ पैंट पहने लोग सिर्फ यहाँ की जमीन समतल करने आये हैं ?
मतलब की अगर आपके लोगों ने बाबरी मस्जिद को हाथ लगाया तो अच्छा नहीं होगा । कल्याण सिंह ने मिलार्ड को समझाया और बाकायदा लिख के एक हलफनामा दिया की हम लोग सब कुछ करेंगे लेकिन मस्जिद को हाथ नहीं लगायेंगे ।
तो साहब अयोध्या में कार सेवा के लिए दिन रखा गया 6 दिसंबर 1992 और केंद्र की कांग्रेसी सरकार से कहा कि केवल 2 लाख लोग आयेंगे कार सेवा के लिए लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने 5 लाख लोगों को कार सेवा के लिए बुला लिया प्रशासन को ख़ास हिदायत थी की भीड़ कितनी भी उग्र हो कोई गोली लाठी नहीं चलाएगा ।
5 लाख लोग एक जगह जुट गए जय श्री राम और मदिर वहीं बनायेंगे के नारे लगने लगे । लोगों को जोश आ गया और लोग गुम्बद पर चढ़ गए 5 घंटे में उस 400 साल पुरानी मस्जिद का अता पता नहीं था, ऐसा काम कर दिया एक एक ईंट कार सेवकों ने उखाड़ दी । केंद्र सरकार के गृह मंत्री का फोन कल्याण सिंह के C.M. ऑफिस में आया, गृह मंत्री ने कल्याण सिंह से पूछा ये सब कैसे हुआ ?
कल्याण सिंह ने कहा की "जो होना था वो हो गया अब क्या कर सकते हैं" ? एक गुम्बद और बचा है कार सेवक उसी को तोड़ रहे हैं, लेकिन आप जान लीजिये कि मै गोली नहीं चलाऊंगा (ये वाकया खुद कल्याण सिंह ने एक भाषण में बताया है) उधर सुप्रीम कोर्ट में मिलॉर्ड कल्याण सिंह से बहुत नाराज थे ।
6 दिसंबर की शाम कल्याण सिंह ने इस्तीफा दे दिया और उधर काँग्रेस ने भाजपा की 4 राज्य की सरकार को बर्खास्त कर दिया, कल्याण सिंह को एक दिन की जेल हो गयी, केंद्र में नरसिम्हा राव जी सरकार थी; तुरंत में एक झटके से देश के 4 राज्यों में बीजेपी की सरकारों को बर्खास्त कर दिया गया ।
उत्तर प्रदेश में दुबारा चुनाव हुए, बीजेपी को यही लगा की हिन्दुओं के लिए इतनी बड़ी कुर्बानी देने के बाद उत्तर प्रदेश की जनता उन्हें फिर से चुनेगी लेकिन हुआ उलटा ।
बीजेपी उत्तर प्रदेश चुनाव हार गयी और फिर 2017 तक उसे पूर्ण बहुमत ही नहीं मिला । कल्याण सिंह जैसे बड़े और साहसिक फैसले लेने वाले नेता का कैरियर बाबरी मस्जिद विध्वंश ने खत्म कर दिया,
400 साल से खड़ी किसी मस्जिद को 5 लाख की भीड़ से गिरवाने के लिए 56 इंच का सीना चाहिए होता है जो वाकई में कल्याण सिंह के पास था ।
आज हम कहते हैं की मोदी और योगी हिंदुओं के पक्ष में खुल के नहीं बोलते ना ही खुल के मुसलमानों का विरोध करते हैं, क्यों करें वो ये सब खुल के ? ताकि उनका भी राजनैतिक कैरियर खत्म हो जाये ।
आप बताइये कि ऐसे स्वार्थी हिन्दू समाज के पक्ष में मोदी जी और योगी जी जैसे लोग खुल के कैसे बोलें क्या बोले और कहाँ तक इनके लिए लड़े ?
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