भारतीय समाज में जटिल रोंगों (chronic diseases) की
संख्या तेजी से बढ़ रही हैं| chronic रोंग उसे कहते है जो व्यक्ति का जल्दी से पीछा
नहीं छोड़ते| पहले कोई दस-बीस हजार में एका-दुक्का इस प्रकार के रोग से पीड़ित होता
था परन्तु अब हमारे समाज का दसवा भाग जटिल रोंगों के शिकंजे में फस चूका है| यदि
यही स्थिति रही तो एक चोथाई जनता आने वाले पांच-सात वर्षो में नारकीय जीवन जीने को
मजबूर होगी|
जटिल
रोगों से तात्पर्य है – उच्च रक्तचाप, मधुमेह, एलर्जी, दमा, कैंसर, गाड़िया बाय,
माइग्रेन, मिर्गी, न्युरोम्स्कुलर रोग आदि|
यदि
हम समग्र चिकित्सा (Integrated Therapies) को अपनाएं तभी इनका उपचार सम्भव है|
अंग्रेजी पधति से इनको दबाया जाता है| इससे रोग किसी दुसरे रूप में उभर कर सामने
आता है|
जटिल रोंगों के उपचार के लिए हमें पांचो कोषों
पर एक साथ उपचार की आवश्यकता पड़ती है| ये कोष निम्न है|
1.
अन्नमय कोष
2.
प्राणमय कोष
3.
मनोमय कोष
4.
विज्ञानमय कोष
5.
आनन्दमय कोष
अन्नमय कोष में हम सात्विक
भोजन व जड़ी-बूटी चिकित्सा तथा अन्य चिकित्सा पधतीयों (जैसे – प्राक्रतिक चिकित्सा
आदि) को शामिल करते हैं|
प्राणमय कोष में हम मुख्यत:
गहरी साँस लेना व ब्रहाचर्य पालन को सर्वाधिक महत्त्व देते है| इसके अतिरिक्त
इसमें यज्ञ चिकित्सा, चुम्बक, एक्यूप्रेशर आदि भी आते हैं| पर्वतीय क्षेत्रो में
अथवा हरे-भरे क्षेत्रो में प्राण वायु अधिक होती है इस कारण वहाँ रोग का उपचार
सरलता से होता है|
मनोमय कोष में हमें अपना
मनोबल ऊँचा रखना होता है मै शीघ्र स्वास्थ्य हो रहा हूँ इस प्रकार के भावो के कारण
लाभ प्राप्त होता हैं| यह भी पाया गया कि एक महिला लोंगो से सहानभूति पाने के
चक्कर में कमर दर्द का बहाना करती थी| उसे कामो से जी चुराने की भी आदत पड़ती गयी|
धीरे-धीरे करके उसके कमर में दर्द बैठ गया और वह bed rest पर चली गयी| एक बार
उन्होंने समस्या निवारण के लिए हम लोंगो से गायत्री का 24 घंटे का अखंड जप कराया
हमारी टोली के एक साधक ने समस्या को भाप लिया व उस महिला को उसके रोंग का कारण
बताया| पहले तो वह महिला आग बबूला हुयी किन्तु धीरे-2 उसने गायत्री जप को स्वीकार कर
अपनी गलती में सुधार किया| जिसके आश्चर्यजनक परिणाम सामने आए| साढ़े तीन साल तक bed
पर लेटी रही परन्तु एक दिन अपने मनोबल के सहारे उठकर चल दी| जब तक दवाइयां चलती
रही महिला का रोग बढ़ता गया परन्तु जब एक साल से सारी दवाइयां बंद हो गयी वह महिला उढ़कर
चल दी व स्वास्थ्य होती गयी|
विज्ञानमय कोष में मन्त्र
जप, तत्वज्ञान, देव सरक्षण व चक्र साधना आदि आते हैं| विज्ञानमय कोष बहुत ही शक्तिशाली
माध्यम है रोंगों को ठीक करने का| जटिल रोंगों से मुक्ति पाने के लिए इसी कोष का
उपचार ऋषि मुनि करते आए है| कहते है कि ऋषियों, देव शक्तियों के वरदान से व्यक्ति
रोंग मुक्त हो गए|
आनन्दमय कोष परमात्मा के
समीप है| शांति व आनन्द से भरा है| इस कोष के द्वारा व्यक्ति में दिव्यता, आनन्द व
शान्ति का संचार होता है जिससे उसका शीघ्र ही रोग निवारण हो जाता है|
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