इस दुनिया में मानव को सुखपूर्वक रहने के लिए तीन
चीजो की आवश्यकता होती है वो है – ज्ञान, वैभव एंव शक्ति| व्यक्ति के पास यदि ज्ञान
नहीं होगा तो वह पशु हो जाएगा| हाथी, शेर आदि के पास ताकत-शक्ति बहुत है परन्तु
ज्ञान नहीं हैं इस कारण एक दुसरे के खून के प्यासे रहते हैं| मानव का भी यही हाल
है बड़े ताकतवर देश छोड़े देशो को हडपने के लिए तैयार बैठे रहते हैं| चारो और
आतंकवाद, भय, लूटपाट व हत्या के खतरे मानव समाज पर छाए रहते हैं| इसका कारण है समाज
में ज्ञान की कमी| जैसे कुत्ते एक-दुसरे को लहूलुहान कर डालते है व मिलजुल कर नहीं
रह पाते वैसे ही मानव भी एक-दुसरे के खून के प्यासे होते हैं| इसलिए भारतवर्ष ने
पुरे विश्व को ज्ञान देकर विश्व का बड़ा उपकार किया है व इस कार्य का उत्तरदायित्व
अपने हाथ में रखा है| महात्मा बुद्, स्वामी विवेकानंद, स्वामी रामतीर्थ, श्री
अरविंदो, रमण महर्षि आदि के ज्ञान का लोहा पुरे विश्व ने माना हैं| विदेशो में भी
जैसे अंग्रेज पत्रकार, सर जान बूडरफ जैसे दार्शनिक, कार्ल जुंग जैसे महान पुरष अपने
साहित्य में भारत के ज्ञान की प्रशंसा करते नहीं थकते| यहाँ तक की इन महानुभावो ने
अपना पूरा जीवन ही भारतीय ज्ञान-दुर्शन के लिए समर्पित कर दिया| इसाई धर्म के
प्रमुख प्रभु-ईसा मसीहा की 13-14 वर्ष की आयु में भारत आये थे व लगभग 14 वर्ष यहाँ
रहकर सम्पूर्ण ज्ञान अर्जित कर अपने देशवाशियों में ज्ञान बाँटने वापिस पहुंचे
परन्तु घोर यातनाओ का सामना उन्हें वहाँ करना पड़ा तथा शेष जीवन भारत में ही रहकर व्यतीत किया| विश्व
विजेता सिकंदर ने अपने गुरु से पूछा कि आपके लिए भारत से क्या लाऊं तो उन्होंने भी
सिकंदर से कहा की ब्रह्मज्ञानी महापुरुष लेकर आना जिससे हम सब सुख शांति से रह सके
व रोज के कत्ले आम से जनता को छुटकारा मिले| इस तरह ज्ञान की महत्त्व सर्वोपरि मानी
गयी|
मानव जीवन का दूसरा पक्ष है – वैभव| यदि
हमारे पास उचित सुख सुविधाएँ हैं जैसे माकन, सड़क, यातायात के साधन आदि तो हम
प्रसन्नतापूर्वक अपना जीवन गुजार सकते हैं| अंत: ज्ञान के उपरांत धन-सम्पदा, ऐश्वर्या
का जीवन में महत्त्व आता हैं|
जीवन
का तीसरा पक्ष है – शक्ति| भले ही हमारे पास ज्ञान हो वैभव हो परन्तु यदि शक्ति
नहीं है तो कोई भी हमसे हमारा वैभव हमारी सुख शांति छीन सकता हैं| हमें अपना गुलाम
बनाकर अपने इशारों पर नचा सकता है| मुसलमानों ने अपनी ताकत के बल पर हमें कितना
त्रास दिया यह इतिहास साक्षी है| शिवाजी, राणा प्रताप जैसे शक्तिशाली वीर यदि न
होते तो पूरा देश का इस्लामीकरण हो गया होता| मुसलमान लोग इनको कमजोर समझ उलझे रहे
व इनसे प्ररेणा पाकर अनेक छोटी-बड़ी तकते विद्रोह करती रही परिणामस्वरूप सारा भारत
कमजोर पड़ता चला गया व धीरे-2 अंग्रेज हम पर हावी हो गए| इस प्रकार शक्ति पूजा
हिन्दू धर्म का एक अनिवार्य अंग माना गया हैं|
हम अपने जीवन से इस तीन शुलो (त्रिशूल) को कैसे
मिटायें अर्थात अज्ञान, अभाव व अशक्ति को कैसे दूर करे इसके लिए तीन बीजाक्षरो का
वर्णन शास्त्रों में आता हैं|
ये तीन है – हीं, श्री, क्लीं|
अज्ञान
के लिए हीं बीजाक्षर, अभाव के लिए श्री बीजाक्षर व अशक्ति निवारण के लिए क्लीं
बीजाक्षर है| इन तीनो के अपने गुण है, हीं सतोगुणी प्रभाव व्यक्ति में पैदा करता
हैं श्री रजोगुणी व क्लीं तमोगुणी प्रभाव रखता है| इस कारण इसका प्रयोग
सावधानीपूर्वक करना होता है| बीजाक्षरो के प्रयोग के लिए ब्रह्मज्ञानी ऋषि व तत्ववेत्ता
आचार्य दोनों की आवश्यकता होती हैं| ऋषि अपने प्राण द्वारा अक्षर को मन्त्र में
परिवर्तित करता है व आचार्य व्यक्ति का उचित मार्गदर्शन करता है| इन बीजाक्षरो के
प्रयोग की अनेक विधियाँ शास्त्रों में आती है यहाँ पर एक सरल एंव सुरक्षित विधि का
वर्णन किया जा रहा है फिर भी पाठको से अनुरोध है कि स्वंय अपने बूते पर इनका
प्रयोग न करें कोई न कोई guide (मार्गदर्शक आचार्य) आवश्यक खोज ले| (to be continue....)
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