जी हां , मधुमेह से पुंसत्व शक्ति में कमी आती है । आयुर्वेद के अनुसार प्रमेह ( मधुमेह का प्रारंभिक रूप ) के कारणों में आराम तलबी की जिंदगी बसर करना , सोने में अधिक रुचि रखना , अधिक दही का सेवन , किसी भी प्रकार के मांसरसों का अधिक सेवन , अधिक पानी पीना , नया अन्न सेवन , कोल्डड्रिंक का अधिक प्रयोग , अधिक मीठा खाना है । सभी प्रमेह अंत में मधुमेह बन जाते हैं , जिनकी चिकित्सा करना बहुत कठिन है ।
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के अनुसार मधुमेह में अग्न्याशय ( पैंक्रियाज ) की आइजलैट्स आफ लैंगरहैंस नामक ग्रंथियों में संक्रमण हो जाता है , जिससे रक्त शर्करा के स्तर का नियंत्रण कम हो जाता है । इससे मधुमेह होता है ।
आयुर्वेद के सिद्धांत में थोड़ा अंतर है । इसके अनुसार मूत्रमार्ग से बार बार रुककर मूत्र का आना प्रमेह है । इसमें मूत्र में क्रियेटिनिन , बाइल साल्टस , फास्फेट आदि तत्व आते हैं । मधुमेह में मूत्र से केवल शर्करा निकलती है । यह संक्रमण बढ़ते बढ़ते शुक्र को भी मूत्रमार्ग से निकालता है । इससे पौरुष शक्ति में कमी हो जाती है ।
आयुर्वेद ऐसा भी मानता है कि भगवान गणेश जी को मधुमेह था , क्योंकि वह लंबोदर थे , मोदक प्रिय थे । २ पत्नियां होने पर भी सन्तान सुख से वंचित थे । उनके लिए जम्बु चारु फल भक्षणं जैसी व्यवस्था की गई थी ।
With Thanks Dr Bhagender Thakur
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