अश्वगंधा के
लाभ:-
1. अश्वगंधा शारीरक एंव मानसिक रोंगों को नष्ट
करती है|
2. यह कफ एंव वात शामक, धतुवर्धक व मष्तिक को बल
प्रदान करने वाली औषधि है|
3. अनिद्रा, अवसाद, चिंता, शोक, इत्यादि को नष्ट
करती है|
4.
इसका निरन्तर प्रयोग बुढ़ापे के लक्षणों को दूर करता
है और शारीर को कांतिमय व बलवान
बनता है|
बनता है|
5. यह मानसिक दुर्बलता एंव नसों की कमजोरी को दूर
करती है|
6. इसके नियमति प्रयोग से हर्दय व मष्तिक सम्बन्धी
रोंगों का नाश होता है|
7. यह अध्यापन, वकालत, चिकित्सा, अर्थव्यापर या
मष्तिक से सम्बन्धी कार्य करने के लिये
उत्कार्ष्ट औषधि है|
उत्कार्ष्ट औषधि है|
8. यह नपुंसकता एंव बंध्यता को दूर करने वाला एक
उत्त्कृष्ट रसायन है|
ब्राही के लाभ:
1.
ब्राही स्मरण शक्ति को बढ़ाने वाला मेध्य रसायन
है|
2.
यह मानसिक आघात या मष्तिक की दुर्बलता को नष्ट
करती है|
3.
तनाव, अनिद्रा या चिडचिडापन इत्यादि के कारन
होने वाले मानसिक रोंगों को समाप्त करती
है|
है|
4.
यह ज्वर, शारीर, में दाह, आषेप या पीड़ा को दूर
करती है|
5.
यह गण्डमाला, कुष्ठ या जीर्ण व्रण एंव फिरंग
इत्यादि रोंगों को दूर करती है|
6.
यह एक श्रेष्ठ केशवर्धन औषधि है, जो बालों का
झड़ना व असमय सफ़ेद होना रोकती है|
7.
यह वय:स्थापन एंव बाल्य औषधि है जिसके उचित
प्रयोग से व्यक्ति का शारीर स्थिर एंव
निरोग रहता है|
निरोग रहता है|
8.
यह हर्दय की दुर्बलता व घबराहट को दूर करती है|
9.
यह रुचिवर्धक, पोष्टिक है तथा तीनों दोषों को
सम्यवस्था में रखती है|
शंखपुष्पी के लाभ:
1.
शंखपुष्पी स्मरण शक्ति को बढ़ाने वाली व मानसिक
दोब्र्ल्यता को दूर करने वाली औषधियों
में मुख्य घटक के रूप में प्रयोग की जाती है|
में मुख्य घटक के रूप में प्रयोग की जाती है|
2.
यह उन्माद, अनिद्रा एंव अध्यन इत्यादि से उत्पन्न
थकावट को दूर करती है|
3.
ह्रदय सबंधी रोंग एंव रक्त-वमन में यह अवरोधक
की तरह कार्य करती है|
4.
यह क्रीम व दूषित दोषों को दूर कर शारीर को
बलवर्धक बनती है|
5. मानसिक रूप से अत्याधिक कार्य करने वालों के
लिए शंखपुष्पी एक उतम टॉनिक के रूप में
कार्य करती है|
कार्य करती है|
6.
यह सिरदर्द, अपस्मार, अनिद्रा, शोक इत्यादि को
दूर कर मष्तिक को उर्जावान एंव सक्रिय
बनती है|
बनती है|
7.
यह केश्व्वर्धक है व गुल्म और उच्चरक्तचाप को
नियंत्रित करती है|
जटामांसी के लाभ:
1.
यह शरीरगत वात, पित्त एंव कफ के दोषों को दूर
करती है|
2.
जटामांसी शारीर में होने वाले दाह (जलन) एंव वेदना
को दूर करती है|
3.
यह संज्ञास्थापन, मष्तिक को बल प्रदान करने
वाली एंव आरोग्यता को बढ़ाने वाली ओषधि
है|
है|
4.
यह यकृत को उतेजित कर मूत्र स्त्राव को बढाती है,
जिससे शरीरगत दूषित मल एंव लवन
मूत्र द्वारा बहार निकल जाते है|
मूत्र द्वारा बहार निकल जाते है|
5.
यह मूर्च्छा, भुत-प्रेत से प्रेरित उन्माद या
अन्य मानसिक रोंगों को दूर करती है|
6.
जटामांसी उच्चरक्तचाप को नियंत्रित कर ह्रदय को
बल प्रदान करती है|
7.
किसी भी प्रकार के मानसिक आघात या मानसिक रोग
में अत्यंत लाभप्रद, मेध्य व निद्रा
लेन वाली औषधि है|
लेन वाली औषधि है|
8.
यह ह्रदय की धड़कन, बैचेनी, स्नायुतंत्र की
कमजोरी को दूर कर आरोग्यता प्रदान करती है|
सर्पगन्धा के
लाभ:
1.
सभी प्रकार के मानसिक विकार, भ्रम, अवसाद को यह
दूर करती है|
2.
यह पागलपन की जड़ी के रूप में प्रसिद औषधि है|
3.
अनिद्रा की स्थिति में जब रोगी काफी बेचैन व
परेशान हो जाता है, तो इसके प्रयोग से
उसे सुखपूर्वक निद्रा आती है और वह शांत हो जाता है|
उसे सुखपूर्वक निद्रा आती है और वह शांत हो जाता है|
4.
यह वात एंव कफ शामक व क्रमिहर होती है|
5.
यह उच्चरक्तचाप को नियंत्रित करने की औषधि
मानी जाती है|
6.
यह तीव्र ज्वर, भ्रम, प्रलाप एंव अवसाद को
समाप्त करती है|
7.
कठिनाईपूर्वक होने वाले प्रसव में रहत हेतु
इसका प्रयोग लाभकारी है|
8.
इसके प्रयोग से आंतो में सडन नहीं होती व भोजन
का उचित पाचन होता है, जिससे कब्ज,
गैस, पेट-दर्द इत्यादि समाप्त हो जाते है|
Note:--लम्बे समय तक प्रयोग मना है
गैस, पेट-दर्द इत्यादि समाप्त हो जाते है|
Note:--लम्बे समय तक प्रयोग मना है
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