Tuesday, January 20, 2015

तनाव एंव अनिद्रा

अश्वगंधा के लाभ:-
      1.     अश्वगंधा शारीरक एंव मानसिक रोंगों को नष्ट करती है|
      2.     यह कफ एंव वात शामक, धतुवर्धक व मष्तिक को बल प्रदान करने वाली औषधि है|
      3.     अनिद्रा, अवसाद, चिंता, शोक, इत्यादि को नष्ट करती है|
      4.     इसका निरन्तर प्रयोग बुढ़ापे के लक्षणों को दूर करता है और शारीर को कांतिमय व बलवान
       बनता है|
      5.     यह मानसिक दुर्बलता एंव नसों की कमजोरी को दूर करती है|
      6.     इसके नियमति प्रयोग से हर्दय व मष्तिक सम्बन्धी रोंगों का नाश होता है|
      7.     यह अध्यापन, वकालत, चिकित्सा, अर्थव्यापर या मष्तिक से सम्बन्धी कार्य करने के लिये 
       उत्कार्ष्ट औषधि है|
      8.     यह नपुंसकता एंव बंध्यता को दूर करने वाला एक उत्त्कृष्ट रसायन है|
ब्राही के लाभ:
     1.       ब्राही स्मरण शक्ति को बढ़ाने वाला मेध्य रसायन है|
     2.       यह मानसिक आघात या मष्तिक की दुर्बलता को नष्ट करती है|
     3.       तनाव, अनिद्रा या चिडचिडापन इत्यादि के कारन होने वाले मानसिक रोंगों को समाप्त करती
        है|
     4.       यह ज्वर, शारीर, में दाह, आषेप या पीड़ा को दूर करती है|
     5.       यह गण्डमाला, कुष्ठ या जीर्ण व्रण एंव फिरंग इत्यादि रोंगों को दूर करती है|
     6.       यह एक श्रेष्ठ केशवर्धन औषधि है, जो बालों का झड़ना व असमय सफ़ेद होना रोकती है|
     7.       यह वय:स्थापन एंव बाल्य औषधि है जिसके उचित प्रयोग से व्यक्ति का शारीर स्थिर एंव 
        निरोग रहता है|
     8.       यह हर्दय की दुर्बलता व घबराहट को दूर करती है|
     9.       यह रुचिवर्धक, पोष्टिक है तथा तीनों दोषों को सम्यवस्था में रखती है|
शंखपुष्पी के लाभ:
     1.      शंखपुष्पी स्मरण शक्ति को बढ़ाने वाली व मानसिक दोब्र्ल्यता को दूर करने वाली औषधियों
       में मुख्य घटक के रूप में प्रयोग की जाती है|
     2.      यह उन्माद, अनिद्रा एंव अध्यन इत्यादि से उत्पन्न थकावट को दूर करती है|
     3.      ह्रदय सबंधी रोंग एंव रक्त-वमन में यह अवरोधक की तरह कार्य करती है|
     4.      यह क्रीम व दूषित दोषों को दूर कर शारीर को बलवर्धक बनती है|
     5.      मानसिक रूप से अत्याधिक कार्य करने वालों के लिए शंखपुष्पी एक उतम टॉनिक के रूप में
       कार्य करती है|
     6.     यह सिरदर्द, अपस्मार, अनिद्रा, शोक इत्यादि को दूर कर मष्तिक को उर्जावान एंव सक्रिय
       बनती है|
     7.     यह केश्व्वर्धक है व गुल्म और उच्चरक्तचाप को नियंत्रित करती है| 

जटामांसी के लाभ:
     1.       यह शरीरगत वात, पित्त एंव कफ के दोषों को दूर करती है|
     2.       जटामांसी शारीर में होने वाले दाह (जलन) एंव वेदना को दूर करती है|
     3.       यह संज्ञास्थापन, मष्तिक को बल प्रदान करने वाली एंव आरोग्यता को बढ़ाने वाली ओषधि
        है|
     4.       यह यकृत को उतेजित कर मूत्र स्त्राव को बढाती है, जिससे शरीरगत दूषित मल एंव लवन
        मूत्र द्वारा बहार निकल जाते है|
     5.       यह मूर्च्छा, भुत-प्रेत से प्रेरित उन्माद या अन्य मानसिक रोंगों को दूर करती है|
     6.       जटामांसी उच्चरक्तचाप को नियंत्रित कर ह्रदय को बल प्रदान करती है|
     7.       किसी भी प्रकार के मानसिक आघात या मानसिक रोग में अत्यंत लाभप्रद, मेध्य व निद्रा
        लेन वाली औषधि है|
     8.       यह ह्रदय की धड़कन, बैचेनी, स्नायुतंत्र की कमजोरी को दूर कर आरोग्यता प्रदान करती है|
सर्पगन्धा के लाभ:
     1.       सभी प्रकार के मानसिक विकार, भ्रम, अवसाद को यह दूर करती है|
     2.       यह पागलपन की जड़ी के रूप में प्रसिद औषधि है|
     3.       अनिद्रा की स्थिति में जब रोगी काफी बेचैन व परेशान हो जाता है, तो इसके प्रयोग से 
        उसे सुखपूर्वक निद्रा आती है और वह शांत हो जाता है|
     4.       यह वात एंव कफ शामक व क्रमिहर होती है|
     5.       यह उच्चरक्तचाप को नियंत्रित करने की औषधि मानी जाती है|
     6.       यह तीव्र ज्वर, भ्रम, प्रलाप एंव अवसाद को समाप्त करती है|
     7.       कठिनाईपूर्वक होने वाले प्रसव में रहत हेतु इसका प्रयोग लाभकारी है|
     8.       इसके प्रयोग से आंतो में सडन नहीं होती व भोजन का उचित पाचन होता है, जिससे कब्ज,
       गैस, पेट-दर्द इत्यादि समाप्त हो जाते है|
Note:--लम्बे समय तक प्रयोग मना है  

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