बला एक बहुत ही
लाभकारी औषधि है जो बहुत सारे रोंगों में काम आती है| ऋषियों के अनुसार यह एक
उत्तम कोटि का रसायन है व वात, पित्त, कफ तीनों दोषों का शमन करती है| शीतल
प्रक्रति के होते हुए भी यह वात disorders के लिए प्रयुक्त की जाती है| ऋषि चरक इसको
बल्य मानते है अर्थात यह बल बर्धक भी है| आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के अनुसार यह
बहुत ही अच्छे antioxidant का काम करती है|
आयुर्वेदिक के अनुसार यह मॉस-पेशियों की मजबूती
के लिए विशेष रूप से उत्तम मानी गयी है| अर्थात मॉस धातु का पोषण करती है| संक्रमण
(Infections) में भी इसके प्रयोग लाभकारी होता है विशेषकर श्वसन तन्त्र से
सम्बन्धित रोंगों में यह अच्छा प्रभाव दिखाती है|
एक मत के अनुसार यह स्नायु तन्त्र (Nervous
System) पर भी अच्छा प्रभाव करती है| शीतल प्रक्रति की होने के कारण Nervous
disorders में यह शामक (Dipressant) प्रभाव रखती है| अंत: कुछ चिकित्सक इसको nervine
Tonic के रूप में भी प्रयोग करते है| उच्च रक्त चाप एंव ह्रदय की दुर्वलता में भी
लाभकारी होती है| Pulse rate को कम करती है अंत: techycardia में भी दी जाती है|
इसका एक और उपयोग मोटापे को कम करने में भी
मन जाता है| इसका एक घटक यह कार्य करता है| इसके अतिरिक्त यह बच्चो को पोषण देती
है व रक्त पित्त, पेट के कीड़े व अन्य विविध रोंगों से उनकी रक्षा करती है| गर्भस्थ
शिशु के लिए भी इसको लाभकारी माना गया है| इसको चूर्ण दूध के साथ लिया जाता है|
बलारिष्ट के रूप में भी इसका प्रयोग होता है| इसमें दो प्रकार के घृत बनाए जाते है
जो ह्रदय व स्नायु तन्त्र के रोंगों में बहुत गुणकारी मने जाते है| शारीर को बल
प्रदान करने के कारण इसका नाम बला रखा गया है|
(कृपया चिकित्सक
या परामर्शकर्ता की देखरेख में ही सिमित मात्रा में औषधि का प्रयोग करें|)
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