Friday, March 22, 2013

त्यागपत्र


विख्यात साहित्यकार विलियम फाकनर युवावस्था में डाकघर में क्लर्क थे। एक दिन डाकघर जाते समय उन्होंने एक महिला को दर्द से तड़पते हुए सड़क के किनारे पड़े देखा। उन्होंने उसे उठाया तथा अस्पताल ले गये। कई घंटे तक उसकी सेवा में लगे रहे।
दोपहर के समय जब वह डाकघर पहुंचे, तो अधिकारी ने कहा,'दफ्तर आने में इतना विलम्ब क्यों हो गया?' उन्होंने बताया कि एक रोगी की सहायता करने के कारण उन्हें विलम्ब हुआ। अधिकारी ने कहा, 'सेवा का ठेका क्या तुमने ही लिया हुआ है? अपनी ड्यूटी समय पर किया करो।' अधिकारी के वे शब्द उन्हें चुभ गये। अगले ही दिन उन्होंने त्यागपत्र दे दिया, जिसमे लिखा,'जीविका अर्जित करने के  लिए गुलाम की तरह रहना और अपने सामाजिक दायित्वों तक का पालन न कर पाना मेरे लिए असंभव है। मैं त्यागपत्र देता हूँ।'
उसके बाद सेवा कार्यों में समय लगाने के साथ-साथ उन्होंने लेखन कार्य भी शुरू कर दिया। आगे चलकर उन्हें साहित्य सेवा के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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