Saturday, March 2, 2013

ऋषियों के देश में West का Model अपनाने की मूर्खता



कहते है कि एक प्रतापी राजा थे एक बार उनको रूनक सूझी कि वो जीवित स्वर्ग में चले जाएँ ऋषियों के पास गए अपनी इच्छा लेकर ऋषि वशिष्ठ समेत सभी ने उनकी इच्छा को पूर्ण करता असम्भव बताया ऋषि विश्वामित्र उन दिनों प्रचण्ड तप में संलग्न थे उन्होंने राजा की इच्छा को पूर्ण करने का आश्वासन दे दिया अपने तपोबल से राजा को स्वर्ग की ओर बढ़ा दिया द्वन्द्व ने देखा कोर्इ जीते जी स्वर्ग की ओर चला रहा हैं वो सावधान हो गए कि यह नियमविरूद्ध कार्य नहीं होना चाहिए जैसे ही राजा स्वर्ग के द्वार पर पहुँचे, इन्द्र ने उन्हें नीचे धकेल दिया इधर से विश्वामित्र ने अपने नपरा​ित्त् से उन्हें नीचे नहीं आने दिया बेचारे राजा त्रिशंकु बीच में ही लटके रह गए
     यही स्थिति आज भारतवासियों की हैं बन्दरो की भाँति हर बात में वो ूमेज की नकल करते है और कोर्इ कोर्इ मुसीबत मोल ले लेते हैं अपनी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियाँ चिकित्सा पद्धति के छोड़कर ऐलोपेथी दराओं को ।कवचज कर लिया जिससे भारी स्वास्थ्य संकट पैदा हो गया आज भारत बहुत सारे रोगों का केन्द्र ;भ्नइद्ध बनता जा रहा है डायबिटीज हृदय रोगो की बाढ़ सी गयी हैं विदेशी लोगों की मजबूरी है वहाँ भारत जैसी मूल्यवान जड़ी बूटियाँ नहीं उगती इसलिए उन्हें स्वस्थ रहने के लिए ब्ीमउपबीं लेने पड़ते हैं बहुत देर बाद हमें होश आया कि हम गलती कर गए आज बड़ी सख्याँ में लोगों का रूझान पुन: देशी पद्धति की ओर बढ़ रहा हैं
     अभी भी हम गुलाम मानसिकता से जूझ रहे हैं अंग्रेजों के शासन काल में उन्हें ैनचपतमत समझता जाता था आज भी लोग उन्हीं के जैसे वस्त्र पहनकर, उनकी जैसी भाषा बोलकर स्वंय को ैनचपतमत समझते हैं ॅमेज का डनेपबए ैवदहे सप​िमेजलसम लोगों की पसन्द बनते जा रहे हैं
     पश्चिमी को हम आसुरी सभ्यता मान सकते हैं पश्चिम में लोगों को जीवन अंह प्रधान है जबकि भारत देवभूमि होने के कारण यहाँ लोग भाव प्रधान हैं अहं प्रधान व्यक्ति अपने अहं को तुष्ट करने हेतु खूब मेहनत करता है शराब कवाब में मजा ढूँढ़ता है जबकि भाव प्रधान व्यक्ति अपनी भावनाओं के द्वारा ही आनन्दित होता रहता है उसे मजे के लिए किसी ओर साधन की आवश्यकता नहीं होती परन्तु ॅमेज की नकल करके हम अपनी भावनाओं के वासनाओं में रूपान्तरित करने पर तुले है जोकि अति भयावद्ध हैं



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