Tuesday, April 16, 2013

हमारे जीवन में तेलों का महत्त्व



अलसी का तेल :- अलसी के बीजों में ढेर सारा तेल रहता है। अलसी के बीज अनेक औषधीय गुणों से भरपूर हैं। आपके रीर में कहीं भी बन्द फोड़ा हो गया हो, तो अलसी के बीजों की पुल्टिस बाँधने से फोड़ा फूटकर बह जाता है। उसी प्रकार अलसी का तेल भी अनेक गुणों से भरपूर है। इसमें विटामिन र्इ प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।  आग से जले स्थान पर लगाने से शीतलता मिलती है। दर्द एवं जलन शांत होती है। हड्डी टूटने के बाद जुड़ने पर भी वहाँ की मांसपेशियाँ अकड़ जाती हैं या यह कहें कि जाम हो जाती हैं।    उस परिस्थिति में अलसी का तेल की लगातार मालिश मांसपेशियों को मुलायम बनाकर उस अंग को चलने फिरने लायक बना देता है।
अलसी के तेल में अदरक का रस तथा काला नमक मिलाकर कमर में मालिश करने पर कमर दर्द सही होता है। डायबिटीज़ के रोगियों के पैर में घाव हो जाते हैं जो जल्दी भरते नहीं हैं, ऐसी स्थिति में अलसी के तेल की मालिश करने से खून संचार सुचारू रूप से होता है एवं घाव भी जल्दी भर जाते हैं।
    कच्ची घाणी से निकाले हुए अलसी के तेल में ओमेगा 3 वसा अम्ल अधिक पाया जाता है, इसमें अनेकों तत्व पाये जाते हैं जैसे पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, लोहा, कॉपर, ​जिंक, प्रोटीन, विटामिन बी आदि अनेकों तत्व पाये जाते हैं। जिसमें ओमेगा 3 बहुत ही महत्वपूर्ण घटक है। हमारे रीर में ओमेगा 3 की मात्रा बहुत ही कम हो गर्इ है, जिससे हृदयरोग एवं अन्य अनेकों रोग बढ़ रहे हैं। अगर ओमेगा 3 की मात्रा हमारे रीर में पर्याप्त मात्रा में रहे तो हमारा रीर अनेकों बीमारियों से बचा रह सकता है। अलसी के तेल के सेवन से अच्छे कोलेस्ट्राल की मात्रा बढ़ती है तथा खराब कोलेस्ट्राल घटता है जिससे हार्टअटैक की परेशानी घटती हे। अलसी के तेल को पकाकर खाने की अपेक्षा कच्चा खाना ज्यादा श्रेष्ठ होता है। इसलिए इसका सेवन कच्ची घाणी से निकाले तेल का करना चाहिये। पहले के किसान अलसी के तेल को रोटी में लगाकर खाते थे और स्वस्थ रहते थे।

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