Wednesday, November 28, 2012

नमक-चीनी कम स्वस्थ रहें हम!


नमक और चीनी -ये दोनों तत्त्व आज हमारे आहार का अभिन्न अंग बन चुके हैं। इनके बिना हम अपने भोजन की कल्पना भी नहीं कर सकते। किन्तु क्या आप जानते हैं। कि चिकित्सकीय मत के अनुसार नमक और चीनी रहित आहार लेना ही स्वास्थय के लिए लाभदायक है। विज्ञान की आधुनिक गवेषणाओं के अनुसार शरीर को जितनी मात्रा में नमक और चीनी की आावश्यकता होती है, वह प्राकृतिक रूप से अन्न, सब्जियों और फलों में उपलब्ध होती हैं।
परंतु आज के परिवेश में चीनी और नमक का प्राय: सभी पदार्थो में बाहर से प्रयोग किया जाने लगा है। आज लोगों ने ग्रामीण गुड़ का उपयोग छोड़कर चीनी का अधिक उपयोग करना शुरू कर दिया है। इस नमक और चीनी के अत्यधिक प्रयोग से लोगों के स्वास्थ्य में गिरावट रही हैं इसी संदर्भ में विभिन्न देशों में स्वास्थ्य विज्ञानियों द्वारा कर्इ गहन अनुसंधान किए गए। इन अनुसंधानों से प्राप्त होने वाले निष्कर्ष कुछ इस प्रकार है-
1 अत्याधिक नमक के हानिकारक प्रभाव-
उत्तरी जापान में अधिकतर जनसंख्या अधिक मात्रा में नमक का उपयोग करती हैं फलत: वहाँ के अधिकतर लोगों की मौत ब्रेन स्ट्रोक के कारण होती हैं साथ ही जापान में अधिक नमक के सेवन से एक तिहार्इ जनसंख्या अति उत्त्जेना से ग्रस्त पार्इ जाती है और प्रति 6 व्यक्तियों में से एक को उच्च रक्तचाप का रोगी पाया जाता हैं इसके विपरित दक्षिण पेसीफिक के आदिवासी नमक का सेवन नहीं करते। परिणामस्वरूप उन्हें रक्तचाप एवं मस्तिष्क के स्ट्रोक की शिकायत कभी नहीं होती।
2 अमेरिका के कर्इ प्रांतों में अधिक नमक लेने के कारण तीन गुणा अधिक रक्तचाप की शिकायत रहती है। इसलिए अमेरिका कं डॉक्टर इस निष्कर्ष पर पहुँचे है कि बिना किसी औषधि के केवल नमक रहित आहार लेने से रक्तचाप के रोगों में 50 प्रतिशत तक कमी लार्इ जा सकती है।
3 प्रोफसर कोराल्ट ने एक अध्ययन के अंतर्गत निद्रा की समस्या के रोगियों पर लगातार 5 वर्षो तक प्रयोग किया और निष्कर्ष निकाला कि नमक तथा शक्कर का अधिक मात्रा में सेवन करने से अनिद्रा का रोग लग जाता है।
4 डॉक्टर हैरी बैंजामिन के अनुसार नेत्रों की ज्योति घटने और मोतियाबिंद होने का कारण भी अधिक नमक का सेवन है।
5 हृदय रोग, रक्त विकार, आमाश्य के रोग आदि बीमारीयों का कारण आहार में अधिक नमक की मात्रा है। इन रोगों में डाक्टर रोगी को परहेज के तौर पर नमक खाने का परामर्श देते है।
6 चिकित्सकों के अनुसार सर्दी, जुकाम, ब्रोन्काइटिस और सामान्य चर्म रोग केवल नमक छोड़ देने से ही ठीक हो सकते हैं
अत्याधिक चीनी के हानिकारक प्रभाव-
1 अमेरिका के एक स्वास्थ्य विभाग द्वारा बच्चों में कुपोषण के प्रभावों का अध्ययन करने हेतु प्रान्तों में सर्वेक्षण किए गए। उनमें पाया गया कि 6 से 18 वर्ष तक के बच्चे एक वर्ष में 160 पौण्ड से भी ज्यादा चीनी का सेवन करते हैं फलस्वरूप उनके दाँत खराब होने के साथ-साथ पाचन प्रणाली भी अस्त-व्यस्त हो जाती है।
2 दन्त चिकित्सकों के अनुसार दाँतों के क्षय का मूल कारण अधिक मात्रा में चीनी का उपयोग करना है। अमेरिका मिशीगन विश्वविद्यालय के दंत विशेषज्ञ ने अपने अनुसंधानों से निष्कर्ष निकाला कि जिन बच्चों के आहार में मिठार्इयाँ अत्यधिक थी, उनके दाँत शीघ्र खराब होने लगे और जब उनके आहार से मीठी चीजें निकाल दी गर्इ तो उनके दाँत पुन: स्वस्थ हो गए। चीनी के अधिक सेवन से दाँत समय से पहले ही गिर जाते है।
3 चीनी के अत्यधिक सेवन से शरीर में कैल्शियम और फॉसफोरस का संतुलन बिगड़ जाता है।
4 चीनी के पाचन के लिए अतिरिक्त कैल्शियम की आवश्यकता पड़ती है। और शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाने से अर्थराइटिस, कैन्सर-वायरस संक्रमण आदि अनेक रोगों की सम्भावना बढ़ जाती है।
5 चिकित्सा-शास्त्रियों के अनुसार चीनी के पाचन के लिए विटामिन-बी कॉम्पलेक्स अनिवार्य है। इसलिए आहार में अत्यधिक चीनी लेने से शरीर में विटामिन बी कॉम्पलेक्स की कमी होने लगती है। परिणामस्वरूप हृदयरोग, अपच, अजीर्ण, चर्म रोग, कोलाइटिस और स्नायुतंत्र सम्बन्धी बीमारीयों की सम्भावनाएँ बढ़ जाती है।
6 श्वेत चीनी के अधिक सेवन से लीवन में ग्लाइकोजिन की मात्रा घट जाती है और व्यक्ति थकान, घबराहट, सिर दर्द, दमा, डाइबिटीज आदि विभिन्न रोगों का शिकार हो जाता हैं
7 चीनी के उपयोग से शरीर की अस्थियाँ दुर्बल हो जाती है तथा माँस-पेशियाँ अशक्त हो जाती है और शरीर में लौह एवं अनेक जीवन तत्त्वों की कमी हो जाती है।
8 आहार विशेषज्ञों डॉ डेरिक लांसडेल और डॉ रेमण्ड जे शैमवजर ने बच्चों के आहार में शक्कर की अधिकता और उसके  दुष्प्रभावों का अध्ययन करके निष्कर्ष निकाला कि शक्कर के अत्यधिक सेवन से शरीर मे थियामिन नामक तत्त्व की कमी हो जाती है। जिसके कारण नींद की गड़बड़ी, बेरी-बेरी, सीने में ददे, लगातार ज्वर एवं हकलाने जैसी बीमारीयाँ घेरती है। इसके अतिरिक्त ज्योतिमंदता और रतौंधी के भी लक्षण आने लगते है।
9 लंदन मेडिकल कॉलेज के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ लुइकिन के अनुसार अधिकांश हृदय-रोगों का मूल कारण चीनी ही है।  
10 कैलीफोर्निया स्टेट कॉलेज के डॉ स्टीफेन ने 300 बाल अपराधियों के आहार का विश्लेषण  किया और निष्कर्ष निकाला कि सभी बाल अपराधी अत्यधिक मीठा विशेषकर सफेद चीनी को सेवन करते थें उन्हें कुछ महीने चीनी रहित आहार देने पर आश्चर्यपूर्ण परिणाम देखने को मिले। उन सभी बच्चों के स्वास्थ्य एवं व्यवहार में परिवर्तन आया और उनमें से 48 प्रतिशत अपराधी बच्चें सामान्य हो गए।
नमक और चीनी का विकल्प
1 जितनी मात्रा में शरीर को नमक की आवश्यकता होती है, उतनी सामान्य खाद्य पदाथोर्ं-शाक, सब्जियों, अन्न में प्राकृतिक रूप से विद्यमान रहती है।
2 लंदन मेडिकल कॉलेज के हृदय रोग विशेषज्ञ ड़ॉक्टर लुइकिन का मानना है कि उर्जा प्राप्ति के लिए चीनी के स्थान पर गुड़, खजूर, मुनक्का, अंगूर, शहद, आम, केला, मौसमी, खरबूजा, तरबूज, पपीता, गन्ने का रस, शकरकन्द आदि का सेवन करना चाहिएं फल मिठास के साथ-साथ रक्त को बढ़ाने और हडिड्यों को मजबूत करने का भी काम करते है।
3 चीनी से स्थान पर मिठास के लिए शहद, गुड़, छुहारे, खजूर और किशमिश आदि का प्रयोग किया जा सकता है। इनसे स्वाद का साथ-साथ कैलशियम, प्रोटिन और लौह जैसे तत्त्वों की भी प्राप्ति हो जाती हैं
इसलिए पाठकों से अनुरोध है कि स्वस्थ रहने के लिए नमक-चीनी की मात्रा आहार से कम करते जाएँ और उनका कम से कम सेवन करें।
                                         (अखण्ड ज्ञान से साभार)

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