यज्ञप्रक्रियाकेफलस्वरूपचुंबकीयक्षेत्रऔरप्रबलविद्युतआवेशग्रस्तकणोंकाहोनारसायनशास्त्रकेआधारपरस्पष्टरूपसेसमझाजासकताहै।येकणनीचेसेउपरकीओरचलतेहैऔरभौतिकीकेप्रचलितनियमोंकेअनुसारधएँकीइसप्रवाह-प्रक्रियाकोउपरसेनीचेकीओरचलनेवालेएकविद्युतकरेंटकेसमतुल्यसमझाजासकताहै।यहकरेंटजोविद्युतीयक्षेत्रबनाएगा,उसकाउत्त्ारीध्रुवयज्ञकुंडकेउत्त्ारओरतथादक्षिणीध्रुवयज्ञकुंडकेदक्षिणकीओरहोगा।यज्ञसेउत्पन्नहोनेवालायहचुंबकीयक्षेत्रपृथ्वीकेचुंबकीयक्षेत्रकीकाटनहींकरेगा,वरन्दोनोंजुड़करएकसशक्तचुंबकजैसाप्रभावडालेंगे।यहचुंबकयजनकर्त्त्ााओंकोसमानरूपसेप्रभावितकरेगा।प्रचलितचुंबकचिकित्सामेंप्रयोगकिएजानेवालेबड़े-बड़ेचुंबक,जोमात्रशरीरकेकुछहीस्थानोंयाभागोंपरप्रभावडालतेहैकीअपेक्षा,यज्ञधुम्रकेछोटे-छोटेचुंबकीयप्रभावकारीहोतेहै।यज्ञचिकित्साकीप्रभावोत्पादकताकाएकयाभीरहस्यहै।
सहीअर्थोंमेंहमारीपुरातनवैदिकयज्ञपद्धतिपूर्णतयाविज्ञानसम्मतहै।सतयुगीसमाजकेहरघर-परिवारमेंनित्ययज्ञहोताथा।सभीनीरोगरहतेथे।उसकाकारणयहीविज्ञानहै।यज्ञकेमाध्यमसेहीसारेसंस्कारहोतेथे।उनसंस्कारोंसेमनुष्यतपकर,निखरकरदेवमानवबनजाताथा।उसकाआधारयहीविज्ञानहै।आजहमहमारीसंस्कृतिकेआधारउसकेपिताकोभूलगएहै।समयआगयाहैकिइसविज्ञानको,इसकीचिकित्साकीप्रभावीसामथ्र्यकोजन-जनतकपहुँचाएँ।
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