Saturday, July 27, 2013

I. सस्ता और घटिया अथवा मंहगा और बढ़िया भगवान - चयन अपना अपना

       इस दुनिया में आधे से ज्यादा लोग भगवान की सत्ता में किसी न किसी रूप में विश्वास करते हैं। अभी तक आपने साकार व निराकार भगवान के किस्से झगडे एवम तर्क वितर्क सुने होंगे।  आज  हम आपको भगवान को एक दूसरे दृश्टिकोण से दिखा समझा रहे हैं। इस दुनिया में दो तरह के भगवान उपलब्ध हैं-
सस्ता और घटिया भगवान (2) मंहगा और बढ़िया भगवान
       हाँ साहब चौंकिए मत आज के commercial समय में भगवान भी दो रूपो में उपलब्ध हैं। बाजार में जब कोर्इ वस्तु लेने जाते है तो अक्सर प्रश्न उठता है कि सस्ती व घटिया लें अथवा मंहगी व बढ़िया लें बजट अपना-2,जिसका बजट जो अनुमति दे वह उसे ही तो स्वीकार करेगा। भगवान के बाजार में श्रृद्धा अपनी अपनी,विवेक अपना-अपना।जैसे सामानो का बाजार लगता है आज के कलियुग में भगवानो का भी बाजार लग पड़ा है। कोइ कह रहा है कि शनि की पूजा करें वही सब दु:खो का हर्ता है तो कोइ कह रहा है झटका माइ का सवा किलो का हलवा बाँटे उससे कष्ट मिटेगें व लक्ष्मी आएगी। मैं अभी सोच ही रहा था कि शनि देव व झटका माइ में किसके द्वार पर जाँऊ कि इतने में मेरी पत्नी ने टी वी चला दिया। यहाँ तो यंत्रों,तंत्रों,मंत्रों की सौगात बिछी थी। लोग कह रहे थे कि 5000 हजार रूपये का यंत्र मंगवाओ बस घर के कष्ट दूर भगाओ। मेरी पत्नी ने थोड़ा चैनल बदला तो एक बाबा प्रकट हुए वो कह रह थे कि आपने समोसे के साथ चटनी नही खायी जाकर खा लेना तथा लिपिस्टिक के साथ लाली नहीं लगायी,जाकर लगा लेना। मैने सोचा यह तो बड़ा ही सस्ता व अच्छा भगवान है जो समोसे चटनी खाने से ही प्रसन्न हो जाता है। तभी मेरी माताजी ने एक पण्डित जी को बुलवाया हुआ था हमने उनके आते ही उनके चरण स्पर्श करें। जब उन्होंने हमारे परिवार के एक रूग्ण सदस्य की जन्म पत्री देखी तो बोले इस पर तो कालसर्प योग चढ़ा है अत:चाँदी के साँप साँपिन गाड कर काले कपड़े मे तिल बांधकर नदी में बहाने पडेगें काल सर्प योग का नाम सुनकर हम थोड़ा भयभीत हुए। मैंने जिज्ञासा वश पूछा कि यह काल सर्प दोश आज कल दस पन्द्रह वर्ष से कुछ ज्यादा ही लोगों को तंग कर रहा हैं इससे पहले पण्डितो को इसकी जानकारी बहुत कम हुआ करती थी। तो मेरी माता जी ने फट से मुझे डाँटा पण्डित जी से फालतू प्रश्न न करो हम तो पहले ही परेशानियों की मार झेल रहे हैं। मैंने तुरन्त माताजी व पण्डित जी के सम्मान में माफी (sorry) माँगी व मुँह उंगली रख दूसरे कमरे में चला गया। अन्यथा में कुछ न कुछ प्रश्न अवश्य करके माताजी व पण्डित जी को नाराज कर दूँगा।(NIT) में प्रोफेसर होने के कारण अपना दिमाग अवश्य दौडाऊँगा और कुछ न कुछ जिज्ञासा अवश्य कँरूगा।

      दूसरे कमरे में जाकर मैं चुपचाप गायत्री मंत्र का जप करने लगा। एक घण्टे के उपरान्त मेरे एक दोस्त मुझसे मिलने आए। लगभग दस वर्ष पश्चात हम दोनों मिलें उनकी उगलियाँ सूज कर टेढ़ी हो गयी थी मैने उनसे पूछा यह क्या हैं?तपाक से बोले राहु की महादशा दो वर्ष तक चलेगी। बहुत तरह के उपचार कर रहा हूँ आराम हैं। इस कारण आर्थराइटिस का प्रकोप आ रहा हैं मैंने उनसे कहा कि मात्र 35 वर्ष की उम्र में ही आपको यह रोग लग गया मुझे बड़ा अफसोस हैं। वह तुरन्त बोले क्या करें ग्रहों का चक्कर ही कुछ ऐसा होता है बच पाना मुश्किल हैं। मेरी माताजी यह बात सुनकर दौड़कर भीतर आयी और मुझसे अनुग्रह करने लगी कि आपके मित्र अच्छे ज्योतिषी जान पड़ते है जरा पोते की जन्म पत्री तो दिखाओं। मेरे मित्र अपनी प्रसंशा सुनते ही फूले न समाँए बोले विवाह उपरान्त उन्होंने यह काम सीख लिया था,आज उनकी पंजाब,दिल्ली,हरियाण,उत्तर प्रदेश में बहुत पूछ है इस कारण समय ही नहीं मिलता। मित्र जन्म कुण्डली देखते ही बोले भारी पितृ दोष चढ़ा है इसका गया जी में तर्पण कराना पड़ेगा।

      मैं और मेरे परिवार वाले अब यह निर्णय लेने में लगे कि घर से समस्या निवारण के लिए किस-किस भगवान की शरण में जाया जाय। हमारे पास निम्न तरिके आए-
(1) शनिदेव (2) झटका माइ (3) टी वी वाला यंत्र की खरीद (4) समोसे चटनी वाले बाबा जी (5) काल सर्प योग का निवारण (6) पितृ दोष (7) मृत्युजंय महामंत्र का जप करवाना।
to be continued

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