आजादी अभी अधूरी है।
सबको मिलकर विचार करना जरूरी है।।
आजादी के समय जो सपना देखा था वह आज भी
अधूरा है। तो क्या हमें आजादी मिली है। जो मिली है वह है सम-झौते की आजादी। जिसने
हमारे देश में विभिन्न समस्याओं को जन्म दिया है। जैसे एक जैसी शिक्षा प्रणाली
ना होना, बे-रोजगारी की समस्या स्वास्थय की
समस्या और न्याय व्यवस्था में भेद न्याय व्यवस्था से लोगों का विशवास उठ गया है।
दूसरा पक्ष वह है। जिसने अधिक भौतिक
सफलता प्राप्त की है। दूसरे वह उपेक्षित वर्ग है। जो आज आंतकवाद नक्सलवाद से
राष्ट्र को हानि पहुँचा रहा है। कारण हमारे सामने है। हमें इसका समाधान देना है अगर युवा पीढ़ी इसमें
भागीदारी नहीं करती है। तो इस प्रकार गर्त
में जाते रहेगें दूसरी विचार धारा है। कि व्यक्ति के द्वारा व्यक्ति का
शोषण ना हो। किसी भी व्यक्ति को किसी भी व्यक्ति का शोषण करने का हक किसने
दिया यह प्रश्न विचारणीय है। जुल्म करना सहना और जुल्म होते हुए देखना भी एक
प्रकार से अपराध है। जुल्म करने वाले से ज्यादा गुनहगार जुल्म सहने वाला होता है।
इस सिद्धांत को जीवन में अवश्य उतारना
पडेगा तभी हम आगे बढ़ सकते है। अन्यथा हमारी सिथति वही गुलामों जैसी है। अत: हे
भारत माता के वीर सपुतो आप खुले मन से विचार करो और समस्या के समाधान के लिए
अपने विचार अवश्य रखे यही हमारे शहीदों के लिए आपकी श्रद्धांजली होगी। और उनके
काम को आगे बढ़ा सकेगे शहीदों के जीवन चरित्र पढ़ने से हमें एक प्रेरणा मिलती है कि जितना हम कर
सकते थे उतना हमने किया जो अधूरा रह गया। उसे पूरा करने की जिम्मेदारी हमारी
है। हम जब भी शहीदों के विषय में पढ़ते
है तो उसमें उनका दर्द होता है। उनकी दास्तान पढने के बाद शिक्षा मिलती है कि हम उस अधूरे काम का पूरा
करगे यही उनकी आशा भी हमसे है। कि कोई तो भारत माता का सुपुत्र अवश्य आयेगा जो
हमारी व्यथा को पढ़ेगा उस पर विचार करेगा और उसे पूरा करेगा। अगर अब भी तुम्हारा
खून नही खोला तो वह खून नही पानी है!
-आजाद
ब्रजपाल शर्मा
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