Sunday, October 19, 2014

ज्योतिषशास्त्रीयों का कथन (अवतारी चेतना)

प्रोफेसर कीरोरू
            वे इंगलैंड के सबसे बड़े ज्योतिषों और सामुद्रिक शास्त्र के आचार्य थे। व्यक्ति, समुदाय तथा राष्ट्र के संबंध में उन्होंने ऐसे कथन कहे हैं, जो उस वक्त संभव नहीं थे, मगर समय आने पर सत्य सिद्ध हुए।
            इ.स. 1943 में उन्होंने कहा था कि इंग्लैंड भारत को स्वतंत्र कर देगा मगर कौमी दंगलों से भारत बहुत नुक्सान उठाएगा। किन्तु भारत का सूर्य बलवान है और कुम्भ राशि में है, इसलिए उसका अभ्युदय संसार की कोई ताकत रोक नहीं सकेगी। इसके उपरान्त इस देश में विशुद्ध धर्मावलम्बी, नीतियुक्त एक सशक्त और प्रखर व्यक्ति का जन्म होगा, उसकी आध्यात्मिक ताकत दुनिया की तमाम भौतिक ताकतों से ज्यादा होगी। बृहस्पति का योग होने से उसकी ज्ञानक्रान्ति का असर सारी दुनिया पर होगा। दुनिया उस ज्ञान को ग्रहण करेगी और समुन्नत होगी।
श्री रामन स्वामी अय्यर
            दक्षिण भारत के प्रख्यात संत और भविष्यवेत्ता श्री रामन स्वामी अय्यर का निष्कलंक अवतार सम्बन्धी भविष्यकथन बिल्कुल स्पष्ट है। वे लिखते हैं कि कल्कि न तो अश्व पर बैठ कर आएगा और न तलवार लेकर आएगा। ये गूढ और रहस्यमय भाषा में लिखे गए सूत्र हैं। अश्वका अर्थ होता है शक्ति का प्रतीक। उसके ऊपर कल्कि सवारी करेगा। इसका अर्थ है शक्ति उसकी इच्छा अनुसार कार्य करेगी। वह इतिहास का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति होगा। यह शक्त् िहै - चेतना की शक्ति। तलवार मस्तक काटने के लिए नहीं, किन्तु मस्तिष्क व्याप्त कुविचार दूर करने वाली सद्बुद्धि रूपी तलवार।
            हिमालय महेन्द्र पर्वत पर तप करने वाले भगवान परशुराम उनके गुरु होंगे। वे लिखते हैं कि कल्कि का जन्म मथुरा के नजदीक संबल गाॅंव में होगा। यह महान गायत्री उपासक और सावित्री तत्त्व का ज्ञाता होगा। दुष्ट विचारों को सद्विचारों से काटने की कला में अधिक प्रवीण होगा। अब तक विश्व में जो अन्धश्रद्धाएॅं एवं गलत मान्यताओं की जाल फैली-फैलाई हुई है, वह दुर कर करके सच मान्यताएॅं स्थापित करने में मात्र वह शक्तिशाली होगा। उसके विचारों को लोग अनुसरण करेंगे।
            वह गृहस्थ होगा। उसकी सम्पत्ति लोक कल्याण के लिए देगा। वह एक विशाल संगठन बनाएगा, जो उनके विचारों को समग्र विश्व में फैलाएगा। भारतवर्ष अत्यधिक उन्नति करेगा। उसका प्रभाव रूस और अमेरिका पर पड़ेगा। ये दोनों देश भारत के वैभव के सामने तुच्छ बन जाएॅंगे।
           
स्वामी असीमानन्द

            भृगु संहिता के आधार पर स्वामी असीमानन्दने लिखा है कि ‘‘इस समय संसार का उद्धार करने वाला चैबीसवाॅं अवतार हो चुका है। वह भगवान राम और कृष्ण की तरह सावित्री शक्ति का उपासक और भगवान बुद्ध की तरह सहस्त्रार चक्र का महान सिद्ध योगी होगा। वह अपने तपोबल से अनेक रोगियों को अच्छे कर देगा और अनेक दुःखियों के दुःख दूर करेगा। लोगों का बड़ा समुदाय उसके सेवाकार्य में जुड़ता चला जाएगा। वे सब भारतवर्ष को एक सांस्कृतिक सूत्र में पिरोने में सफल होंगे। इस क्रान्ति से भारत की ओर दुनिया के लोग आकर्षित होंगे। उसके बाद दुनिया में नए युग का निर्माण तेज गति से होगा। आंतरिक संघर्ष में दुनिया की आबादी का बड़ा भाग नष्ट होगा, जो नई समझदारी करने में सहायक होगा।

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