Thursday, April 16, 2015

सबसे बड़ा प्रमाद



अपने दोषों की ओर से अनभिज्ञ रहने से बड़ा प्रमाद इस संसार में और कोई नहीं हो सकता। इसका मूल्य जीवन की असफलता का पश्चात्ताप करते हुए ही चुकाना पड़ता है।          श्रीराम शर्मा आचार्य

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