Monday, March 3, 2014

अलसी के चमत्कारी प्रभाव

            अलसी में एक पौष्टिक तत्त्व लिगनेन होता है, जिसकी अन्य खाद्य पदार्थों से सैकड़ों गुना अधिक मात्रा अलसी में पाई जाती है। यह लिगनेन नामक तत्त्व एंटी बैक्टीरियल, एंटीवायरल, एंटी फंगल तथा एंटी कैंसर होता है। अलसी प्रोस्टेट, बच्चादानी, स्तन, आँत और त्वचा के कैंसर में बहुत उपयोगी है। अलसी के चमत्कारी प्रभाव को बढ़ाने वाला दूसरा बड़ा तत्त्व ओमेगा-3 का पर्याप्त मात्रा में होना है। ओमेगा-3 आँख और मस्तिष्क के लिए तथा स्नायुसंस्थान (नर्वस सिस्टम) के सुसंचालन के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। स्मरणशक्ति के विकास के लिए भी अलसी गुणकारी होती है। ओमेगा-3 रोग प्रतिरोधक एवं जीवनीशक्ति संवर्द्धक है। नेत्र ज्योति बढ़ाने का गुण भी है। ओमेगा-3 अलसी के अतिरिक्त बादाम एवं अखरोट आदि में भी होता है। ओमेगा-3 की कमी से मधुमेह, उच्च रक्तचाप, संधिवात, गठिया, मानसिक अवसाद, मोटापा, कैंसर आदि रोगों की शुरुआत होती है। ओमेगा-3 की कमी से सूजन, जलन पैदा होती है। शरीर में ओमेगा-6 की भी आवश्यकता होती है, परंतु ओमेगा-6 की अधिकता उपरोक्त रोगों को बढ़ाती है। अमेरिका में हुए रिसर्च में पाया गया है कि अलसी में 20 से ज्यादा कैंसररोधी तत्त्व होते है। अलसी को कब्ज-निवारण में ईसबगोल की भूसी से अधिक प्रभावकारी पाया गया है। 30 से 40 ग्राम अलसी का नित्य सेवन करके ओमेगा-3 की पूर्ति की जा सकती है। अलसी शरीर के ताप को संतुलित बनाए रखती है। गरमी में भी शरीर में शीलता बनाए रखती है। मन को शांति एवं प्रसन्नता देती है। अलसी लाभकारी कोलेस्ट्राॅल ;भ्ण्क्ण्स्ण्द्ध को बढ़ाती है तथा हानिकारक ;स्ण्क्ण्स्ण्द्ध कोलेस्ट्राॅल को कम करती है, जिससे हृदय की धमनियों में खून के थक्के बनने से रोकती है। हार्टअटैक जैसे रोगों से बचाती है।

            छोटे बच्चों को होने वाली बीमारियाँ दस्त, एलर्जी, अस्थमा, नाक, कान के इन्फैक्शन आदि रोग ओमेगा-3 की कमी से होते हैं। अलसी रक्तशर्करा को नियंत्रित करती है। बाल, नाखून एवं त्वचा को स्वस्थ रखने में भी अलसी प्रभावकारी होती है। जर्मनी की ख्यातिलब्ध वैज्ञानिक डाॅ. जोहाना बुडबिग ने अलसी के तेल एवं पनीर के सेवन से उपचार कर 60 प्रतिशत से अधिक सफलता पाई थी। डाॅ. जोहाना ने ऐसे रोगियों को उपचार कर ठीक किया, जिनको चिकित्सकों ने यह कहकर डिस्चार्ज कर दिया था कि अब कोई इलाज नहीं बचा। डाॅ. जोहाना का नाम सात बार नोबल पुरस्कार के लिए चयनित किया, परंतु उन्हें यह पुरस्कार इसीलिए नहीं मिला, कि उन्होंने यह शर्त मानने से इनकार किया कि कैंसर के रोगी को अलसी एवं पनीर के साथ-साथ रेडियोथेरेपी एवं कीमोथेरेपी भी काम में लंेगी। डाॅ. जोहाना ने अलसी एवं पनीर के प्रयोग से ही कैंसर के कई रोगियों को पूर्ण स्वस्थ किया है। अलसी को बाॅडी बिल्डर एवं स्टारफुड भी कहा गया है। इसमें 24 प्रतिशत आवश्यक एमिनो एसिड्स युक्त अच्छे प्रोटीन तत्त्व होते हैं, जो मांसपेशियों के विकास, गठन के लिए जरूरी है। अलसी मांसपेशियों की थकावट दूर करती है। अलसी नामर्दी, नपुंसकता, प्रोस्टेट की बीमारियों को दूर करने में भी उपयोगी होती है। पित्त की थैली में पथरी बनने की प्रक्रिया रोकती है। पथरी होने पर पथरी घुलने लगती है। इतने अनेक उपयोगी गुण होने के कारण आज अलसी को सुपर स्टार फूड कहा जाने लगा है।

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