Monday, September 14, 2020

कर्मफल विधान के ज्वलन्त उदाहरण

       अक्सर हम लोग सुनते हैं कि जापानी लोग बड़े शालीन और विनम्र होते हैं। वे बड़े शान्त स्वभाव के होते है व समय के पाबन्द होते हैं। परन्तु एक समय ऐसा नहीं था। जापानी लोग विशेषकर जापानी फौजी बड़े ही क्रूर और निर्दयी हुआ करते थे। उनकी निर्दयता का सबसे बड़ा बड़ा उदाहरण था नानजिंग का नरसंहार। यह युद्ध चीन के साथ जापान द्वारा 1937 से 1945 के बीच लड़ा गया था। इस दौरान नानजिंग चीन की राजधानी हुआ करती थी। सन् 1937 में दोनों देशों के सैनिकों के बीच मुठभेड़ शुरु हो गयी थी। जापानी सेना तब बहुत शक्तिशाली हुआ करती थी। उसने उसी वर्ष बीजिंग पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद शंघाई पर कब्जा कर लिया और फिर नानजिंग पर आक्रमण किया। जापान की सेना ने 6 हफ्तो में 3 लाख लोगों की जान ले ली थी व 80 हजार महिलाओं के साथ बर्बरता पूर्वक बलात्कार किया था। चीनी सैनिकों व युवाओं को जिन्दा जला दिया गया। उनकी निर्दयता से पूरे विश्व का दिल बहल गया था। लाशों के ढेर लग गए। जापान की स्कूली छात्राओं इस जीत पर पूरे जशन मनाए। किसी ने भी एक बार आपत्ति जाहिर नहीं की।

      इसके परिणाम स्वरूप उनको जो फल मिला वह सारा विश्व जानता है। अगस्त 1945 में उनके दो शहर हिरोशिमा व नागासाकी पर एटम बम गिराए गए जिससे उनके लाखों लोग मारे गए व लाखों अपाहिज हो गए। जापानी सेना को आत्म समर्पण करना पड़ा व उनको बहुत बड़ा नुकसान हुआ। जब स्वयं पर पड़ती है तब पता चलता है कि दूसरों पर निर्दयता व अत्याचार करने के क्या परिणाम होते हैं।

      एक उदाहरण और अपने ही देश का है। सत्ता के नशे में अच्छे-अच्छे अपना होश खो बैठते हैं। दलित समाज के एक सीनियर आई.ए.एस. 1982 बैच के बी.बी.विश्वास लालू यादव के समय में हुआ करते थे। उनकी पत्नी चम्पा विश्वास पर एक बार एक विधायक के बेटे बब्लू यादव की नजर पड़ गयी। वह व उसके दोस्त कई वर्षों तक चम्पा से सामूहिक बलात्कर करते रहे। वह आई.ए.एस. होकर केस दर्ज नहीं करा पाए। अपना रोना मुख्य मंत्री लालू प्रसाद के सामने रोए तो उन्होंने भी कह दिया कि जो हुआ उसको भूल जाओ।

      बेबस होकर आई.ए.एस. विश्वास व उनकी पत्नी ने राज्यपाल सुन्दर सिंह भंडारी को पत्र के माध्यम से सब कुछ बताया। तब विपक्ष के नेता सुशील कु. मोदी ने इस मामले को मीडिया में उठाया। इंडिया टुडे में इस खबर के छपने से हड़कम्प मच गया। आई.ए.एस. विश्वास के अनुसार बब्लू यादव ने न सिर्फ उनकी पत्नी के साथ बलात्कार किया वरण उनकी सालीदो नौकरानी व भतीजी कल्याणी के साथ भी बलात्कार किया।

      इस खबर के फैलने के बाद उन सचिव पर तरह-तरह के गलत आरोप लगाए गए एवं उनका वेतन रोक दिया गया। उनके पास इलाज के लिए भी धन नहीं था। यह मामला 1998 का है। सन् 2002 में बी.बी. विश्वास की मृत्यु हो गयी। सुनते हैं कि बब्लू को सजा सन् 2010 में मिली। बब्लू यादव ने भी स्वयं को निर्दोष बताया व इसको राजनैतिक षड्यन्त्र की संज्ञा दी थी। चम्पा विश्वास पर भी आरोप लगे कि उसने शिकायत करने में इतनी देर क्यों लगायी। उसी बिहार के एक एन.जी.ओ. द्वारा एक शेल्टर होम में रह रही 34 लड़कियां के साथ बलात्कार हुआ करता था। जिसको कि टाटा इन्सटीट्यूट के एक समाज शास्त्र के आडिट में पकड़ा गया। वही लालू यादव जो गुंडा राज को शरण दिए आज जेल में बन्द हैं।

      लेकिन कर्मफल विधान का सिद्धान्त अटल है। लालू यादवबाबा राम रहीमबापू आशा राम जैसे महाबली भी इस सिद्धान्त से बच नहीं सके। दुनिया के न्यायअदालत के न्याय से भी अधिक खतरनाक होता है आत्म प्रताड़ना अथवा ईश्वरीय न्याय। जो व्यक्ति धनपदतिकड़मों के द्वारा अदालतों से बच जाता है वह ईश्वर के द्वारा दंडित होता है। यह दंड मानव को ऐसी परिस्थिति में लाकर खड़ा कर देता है कि व्यक्ति न जीने लायक रहता है न मरने लायक। भगवान से मौत की भीख माँगता है।

      अतः गलत कर्मों से सदा सावधान रहना व गलत करने वाले का कभी समर्थन न करना चाहे वह अपना कितना भी नजदीकी अथवा प्रिय ही क्यों न हो?

       अधिक जानकारी के लिए पढ़ें लेखक की पुस्तक कर्मफल विधान

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