Saturday, September 12, 2020

कब्ज रोग क्या है और कब्ज से छुटकारा कैसे पाएं?

    वैसे भी इस सवाल के 19 जवाब आ चुके है। तो कब्ज के बारे में तो आप जान ही गए हैं। अब चूंकि इस सवाल के जवाब का अनुरोध मेरे पास भी आया है।तो उत्तर लिखना मेरा फर्ज बनता है।

    मैं उत्तर लिखना तो नहीं चाहता था परंतु सवाल ही ऐसा है कि लिखना पड़ रहा है। मैं उत्तर इसलिए लिखा रहा हूँ, क्योंकि प्रश्न रोग एवं इलाज से संबंधित है। यदि किसी को कोई रोग होता है, हर रोगी या रोगी के परिजन यही चाहते हैं कि कम पैसे में सही इलाज हो जाये तो बेहतर है।

    एक कटु सत्य आपको बताता हूँ, कि जो चीज सस्ती होती है, उसकी कद्र नही होती। वो कहावत तो सुनी होगी न। " घर की खसी साग बराबर"

    मैं गांव का रहने वाला गंवार हूँ, हमारे यंहा यदि कोई छोटा मोटा रोग हो भी जाता है, जैसेहल्का बुखार, खांसी, जुकाम, फोड़ा, फुंसी, कब्ज, गैस्टिक, खुजली आदि तो हम अपने आस पास की जड़ी बूंटीयो, दैनिक जीवन मे प्रयोग किये जाने वाले रसायन से अपना उपचार कर लेते हैं, ये चीजें बिना पैसे के हो जाते है, कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता। यदि ये फायदा नहीं करती तो नुकसान भी नही करती। परंतु यदि यही दवाइयां किसी पैसे वाले आदमी को बताएंगे, तो वो कहेगा— " तुम भुच्चड़ गंवार आदमी क्या जानो अंग्रेजी दवाओ के बारे में" ऐसा इसलिए है क्योकि यंहा एक भी पैसा नही लगता।

अब हम आपके प्रश्न की चर्चा करेंगे।

कब्ज रोग पाचन तंत्र से संबंधित होता है। ये तब हो सकता है जब

1.       जंक फूड का अधिक प्रयोग किया जाए। ( मैदा से निर्मित चीजे हमारी आंत की दीवारों से चिपक जाते है, करीब दो दिन तक चिपके रहने के बाद ये आंत की दीवार की एक हल्की परत लेकर उसे छोड़ देते है, जिससे पेट मे जलन की समस्या उतपन्न हो जाती है)

2.       जब हमें भूख नही होती परंतु किसी की बात रखने के लिए भोजन कर लेते है।( जब हम भूख नही होती तो इसका मतलब जठराग्नि ठंडी पड़ जाती है, ऊपर से आप भोजन करके उसे और ठंडा कर देते है)

3.       जब अधिक तेल वाले वस्तुओ को खा लेते है।( ये एंजाइमो के साथ आसानी से नही टूटते और कब्ज बना लेते है)

4.       जब भोजन करने का शेड्यूल बिगड़ जाता है।

5.       जब भोजन करने से तुरंत पहले पानी पी लेते हैं। ( जठराग्नि ठंडी पड़ जाती है)

6.       जब भोजन करते समय बीच-बीच मे पानी पी लेते हैं। (एंजाइम फीके पड़ जाते है जिससे उनका भोजन पर प्रभाव कम पड़ जाता है) आदि आदि।


पाचन प्रक्रिया— (संक्षिप्त में)

    पाचन की प्रक्रिया हमारे मुख से प्रारंभ होती है, भोजन को चबाते समय कुछ एंजाइम्स रिलीज होते है जो भोजन को चिपचिपा बनाते है,इनमे टायलिन(क्षारीय) नामक एंजाइम प्रमुख है, यह भोजन ग्रास नाली से होते हुए अमाशय में पंहुचता है, जंहा भोजन को पचाने के लिए जठराग्नि ( Hydrocloric acid) भी कहा जाता है,, इंतजार कर रही होती है, इसके अलावा एमाइलेज, लाइपेज, तथा रेनिन नामक । यह जठराग्नि, भोजन को लुगदी बना देता है।

फिर भोजन का स्थानांतरण अग्न्याशय में हो जाता है,जंहा उपरोक्त एंजाइम से प्रोटीन, मेटा प्रोटीन, पेप्टोन और फिर एमिनो अमल का निर्माण होता है, यंही इन्सुलिन के स्राव से ग्लूकोज, ग्लूकोज से ग्लाइकोजन तथा ग्लाइकोजन से प्रक्टोज, तथा माल्टोज का निर्माण होता है, इससे आगे की प्रक्रिया प्रोटीन द्वारा एमिनो अम्ल को ट्रिप्सिन में भंजन होकर वृहदांत्र तक पंहुचती है, जंहा पर शरीर के विभिन्न अंगों के अवशोषण से बचे प्रोटीन, वसा, ग्लूकोज इत्यादि का भंजन वसाम्ल में होकर मल में मिलकर गुदा द्वार से बाहर हो जाता है।

कब्ज रोग का निदान

जब आप सुबह उठते है, तो आपके मुंह मे जो रात भर का लार रुका रहता है, उसका PH वैल्यू अधिक होता है, आपको कुल्ला नही करना है, और करीब एक गेंहू के दाने के बराबर या उससे थोड़ा अधिक मात्रा में बुझा हुआ चूना लेकर पानी के साथ पी जाना है। यह प्रक्रिया रोजाना लगभग 30 दिन तक जारी रखें, यदि फिर भी कब्ज की समस्या का निदान नही होता तो अगले 15 दिन तक और जारी रखे ऐसा तब तक करें जब तक कब्ज अपना दम न तोड़ दे। मेरा दावा है कि फिर आपको कब्ज कभी नही होगा। कब्ज खत्म होने के बाद चूने का इस्तेमाल बंद कर दे और पानी पीते रहे। आशा करता हूँ कि ये आपके लिए फायदे मंद होगा।

स्वास्थ्य रहे, मस्त रहें।

धन्यवाद!

Ganesh Dhar Dwivedi

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