जन कवि घाघ व नागार्जुन आदि की कहावतें आज भी हमें अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कर रही हैं। घाघ की कहावतों के अनुसार सावन हरे, भादो चइत, क्वार मास गुड़ खाए मीन अर्थात सावन महीने में हरे भादो मास में चिरैता, अश्विन मास में गुड़ का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। कार्तिक मूली, अगहन तेल, पौष में करे दूध से मेल, अर्थात कार्तिक महीने में मूली, अगहन में तेल तथा पौष माह में दूध का सेवन उत्तम है। माघ मास घिउ खिचड़ी खाए, फागुन उठकै प्रात: नहाए अर्थात माघ मास में घी खिचड़ी का सेवन करना चाहिए एवम फाल्गुन में सूर्योदय से पूर्व स्नान करना सेहत के लिए अच्छा होता है। चैत मास में नीम बेलहनी, वैसाखे खाय भात जरूरी अर्थात चैन मास में नीम जैसा तीता भोजन करना चाहिए एवं बैसाख महीने में चावल खाना चाहिए। जेठ मास जो दिन में सोए, ओकर जर असाढ़ में रोए। सावन साग न भादो दही, क्वार करैला न कार्तिक मही अर्थात सावन माह में साग, भादो में दही, अश्विन माह में करैला व कार्तिक माह में मट्ठा का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। पौष गहन जीर, पुषे धना, माघे मिश्री, फाल्गुन चना अर्थात अगहन महीने में जारी, पौष माह में धनिया, माघ महीने में मिश्री एवं फागुन में चने का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
Jitendra Shukla (with thanks from Quora)
Fore more similiar imp info read SWASTH BHARAT (part I and part II)
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