Sunday, February 9, 2014

Good Poems (राठीजी)-1

आओ लड़ें

आओ लड़ें
भूख से लड़ें , भ्रष्टाचार से लड़ें
अधर्म से लड़ें , अज्ञान से लड़ें
आदमी में छिपे शैतान से लड़ें
आओ लड़ें |
हिन्दू से लड़ें, न मुसलमान से लड़ें
इंसानियत की खातिर हैवान से लड़ें
मंदिर के लिए लड़ें, न मस्जिद के लिए लड़ें
लुटाई  हुई इज्जत और सम्मान के लिए लड़ें
अपनी आन के लिए लड़ें
जन्म से पहले ही कुचली गई
नन्हीं जान के लिए लड़ें
आओ लड़ें |  

रिश्वत के लिए लड़ें, न शोहरत के लिए लड़ें
आओ खोये हुए ईमान के लिए लड़ें
धर्म के लिए लड़ें , न जातियों के लिए लड़ें
जिसने छीन ली मजदूर  की रोटी
उस हाथ से लड़ें
इंसान के लिए लड़ें, स्वाभिमान के लिए लड़ें
आओ हम हिन्दुस्तान के लिए लड़ें |


-          अशोक राठी

जागो मेरे देश वासियों!

जागो मेरे देश वासियों जागो !
आज समय ने दी आवाज है जागो

तुम सोये तो भाग्य सो गया इस धरती का
आज चढा है नभ पर दुश्मन इस जगती का
उठो लिए तलवार बढ़ो तुम समय नहीं है
चुके तुम तो भारत माँ की खैर नहीं है |

जागो मेरे देश वासियों जागो !
आज समय ने दी आवाज है जागो

आज घुसा है घर में दुश्मन मानवता का
आस्तीन के सांप बने हैं अपने भ्राता
डरों नहीं तुम आज इन्हें हम मारेंगे
और नहीं तो प्राण देश पर वारेंगे
वो देखो आजाद, भगत सिंह हमें बुलाते
स्वार्थ-लिप्सा मोह नींद से हमें जगाते |

जागो मेरे देश वासियों जागो !
आज समय ने दी आवाज है जागो

कहाँ हो रामकृष्ण, गौतम तुम, कहाँ है  गीता
कहाँ हो लक्ष्मीबाई , कहाँ है सीता
ये धरती तो बाँझ नहीं थी क्यूँ तुम सोये
आज सिसकती मानवता , भारत माँ रोये
उठो वीर बलिदान करो तन-मन-धन अपना
पूरा हो गांधी , सुभाष, भगत का सपना |

जागो मेरे देश वासियों जागो !
आज समय ने दी आवाज है जागो|


-    अशोक राठी 

No comments:

Post a Comment